इटली की लोक कथाएँ–2 : 12 - केकड़ा राजकुमार // सुषमा गुप्ता

SHARE:

एक बार एक मछियारा था जो कभी इतनी मछली नहीं पकड़ पाता था जिससे वह अपने परिवार का पेट भर सकता। इसलिये वह और उसका परिवार अक्सर ही भूखा रहता था।...

clip_image002

एक बार एक मछियारा था जो कभी इतनी मछली नहीं पकड़ पाता था जिससे वह अपने परिवार का पेट भर सकता। इसलिये वह और उसका परिवार अक्सर ही भूखा रहता था।

एक दिन जब उसने अपना जाल पानी में से खींचा तो उसको अपना जाल इतना भारी लगा कि उसको उसे खींचना मुश्किल हो गया।

पर हिम्मत करके उसने उसे खींच ही लिया तो उसने उसमें क्या देखा कि उस जाल में एक इतने बड़े साइज़ का केकड़ा फँसा हुआ था जिसको एक आँख भर कर तो वह देख ही नहीं सकता था।

“ओह आखिर आज कितना बड़ा शिकार हाथ लगा। अब मैं अपने बच्चों के लिये बहुत सारा खाना खरीद सकता हूँ।” उसने उस केकड़े को अपनी पीठ पर रखा और घर ले गया।

उसने अपनी पत्नी को आग जला कर उसके ऊपर एक पानी भरा बरतन रखने को कहा क्योंकि वह जल्दी ही बच्चों के लिये खाना ले कर लौटने वाला था और वह खुद उस केकड़े को ले कर राजा के महल चल दिया।

वहाँ जा कर वह राजा से बोला — “हुजूर मैं आपसे इसलिये मिलने आया हूँ कि आप मुझसे यह केकड़ा खरीद लीजिये। मेरी पत्नी ने बरतन आग पर रख दिया है पर मेरे पास पैसे नहीं हैं जिससे मैं अपने बच्चों के लिये खाना खरीद सकूँ।”

राजा बोला — “पर मैं केकड़े का क्या करूँगा? क्या तुम उसको किसी और को नहीं बेच सकते?”

तभी राजा की बेटी वहाँ आ गयी और उस केकड़े को देख कर बोली — “अरे कितना अच्छा केकड़ा है। पिता जी इसे आप मेरे लिये खरीद दीजिये न। हम इसको अपने मछली वाले तालाब में सुनहरी मछलियों के साथ रख देंगे।”

राजा की बेटी को मछलियाँ बहुत अच्छी लगती थीं। वह उस तालाब के किनारे बैठी बैठी घंटों घंटों उन मछलियों को देखती रहती थी जो उसमें तैरती रहती थीं।

उसका पिता अपनी बेटी की किसी बात को ना नहीं कर पाता था सो उसने उसके लिये वह केकड़ा खरीद दिया। उस मछियारे ने उसे राजा के मछली के तालाब में डाल दिया।

राजा ने उसको सोने के सिक्कों से भरा एक बटुआ दे दिया जिससे वह अपने बच्चों को एक महीने तक खाना खिला सकता था। केकड़ा वहीं छोड़ कर वह मछियारा वहाँ से चला गया।

अब राजकुमारी सारा समय वहीं उस मछली वाले तालाब के किनारे ही बैठी रहती और उस केकड़े को ही देखती रहती। उस केकड़े को देखते देखते वह थकती ही नहीं थी।

इतनी ज़्यादा देर तक वहाँ बैठे रहने से और उस केकड़े को बराबर देखते रहने से अब वह उसको और उसके तरीकों को बहुत अच्छी तरह से जान गयी थी। उसने देखा कि वह केकड़ा दिन के 12 बजे से लेकर दिन के 3 बजे तक गायब हो जाता था, भगवान जाने कहाँ।

एक दिन राजा की बेटी वहाँ उस केकड़े को देखने के लिये बैठी हुई थी कि उसने दरवाजे पर किसी के खटखटाने की आवाज सुनी।

उसने अपने छज्जे से नीचे देखा तो एक खानाबदोश वहाँ भीख माँगने के लिये खड़ा हुआ था। राजा की बेटी ने पैसों का एक थैला उसकी तरफ फेंक दिया पर वह वह थैला न लपक सका और वह थैला उसके बराबर से हो कर एक गड्ढे में जा पड़ा।

वह खानाबदोश उस थैले के पीछे पीछे उस गड्ढे तक गया। गड्ढे में पानी था सो वह पानी में कूद पड़ा और तैरना शुरू कर दिया।

वह गड्ढा जमीन के नीचे एक नहर से राजा के मछली वाले तालाब से जुड़ा हुआ था और वह नहर भी न जाने कहाँ तक जाती थी।

वह आदमी उस मछली वाले तालाब तक पहुँच कर उस नहर में निकल गया और एक बहुत बड़े जमीन के नीचे बने कमरे के बीच में बने एक बहुत छोटे से बेसिन में निकल आया।

उस कमरे में बहुत बढ़िया परदे लटक रहे थे और एक बहुत ही सुन्दर मेज लगी रखी थी। वह आदमी उस बेसिन में से बाहर निकला और एक परदे के पीछे छिप गया।

जब दोपहर के 12 बजे तो उस बेसिन में से एक परी बाहर निकली जो एक केकड़े के ऊपर बैठी हुई थी। उसने और केकड़े दोनों ने मिल कर बेसिन का पानी बाहर कमरे में उलीच दिया।

फिर परी ने अपनी जादू की छड़ी से केकड़े को छुआ तो केकड़े के खोल से एक बहुत सुन्दर नौजवान निकल आया। वह नौजवान मेज के पास रखी एक कुरसी पर बैठ गया।

परी ने फिर अपनी जादू की छड़ी मेज पर मारी तो वहाँ स्वादिष्ट खाना आ गया और बोतलों में शराब आ गयी। जब नौजवान ने अपना खाना पीना खत्म कर लिया तो वह फिर अपने केकड़े वाले खोल में घुस गया।

परी ने केकड़े के उस खोल को फिर से छुआ तो वह केकड़ा उस परी को ले कर फिर से बेसिन में कूद गया और उसको ले कर पानी में गायब हो गया।

अब वह आदमी परदे के पीछे से निकल आया और बेसिन के पानी में कूद कर फिर से राजा के मछली वाले तालाब में आ गया।

राजा की बेटी अभी भी वहीं बैठी अपनी मछलियों को तैरता देख रही थी। उस आदमी को उस तालाब में से निकलते देख कर उसने उससे पूछा — “अरे तुम यहाँ क्या कर रहे हो?”

वह आदमी बोला — “राजकुमारी जी मैं आपको एक बहुत ही आश्चर्यजनक बात बताना चाहता हूँ।” फिर वह उस तालाब में से बाहर निकल आया और उसको वह सब कुछ बताया जो वह अभी-अभी देख कर आ रहा था।

राजकुमारी बोली — “अच्छा तो अब मेरी समझ में आया कि यह केकड़ा 12 से 3 बजे के बीच में कहाँ जाता है। ठीक है कल दोपहर को हम दोनों एक साथ वहाँ जायेंगे और देखेंगे।”

सो अगले दिन वे दोनों उस तालाब के पानी में तैर कर उस जमीन के नीचे बनी नहर में तैरे और उस कमरे में बने बेसिन में आ निकले। बेसिन में से निकल कर वे एक परदे के पीछे छिप गये।

दोपहर के ठीक 12 बजे उस बेसिन में से वह परी एक केकड़े के ऊपर बैठी बाहर निकली। उसने अपनी जादू की छड़ी उस केकड़े के खोल को छुआयी तो उसमें से एक सुन्दर नौजवान बाहर निकल आया और मेज के पास पड़ी एक कुरसी पर बैठ गया।

राजकुमारी को वह केकड़ा तो पहले से ही अच्छा लगता था पर अब वह उसमें से निकले सुन्दर नौजवान को देख कर उसके प्रेम में पड़ गयी।

अपने पास ही पड़ा केकड़े का खाली खोल देख कर वह उस खोल के अन्दर छिप गयी। जब वह नौजवान अपना खाना पीना खत्म करके अपने खोल में वापस आया तो वहाँ एक सुन्दर लड़की को पा कर उसने उससे फुसफुसा कर पूछा — “यह तुमने क्या किया, अगर कहीं परी ने देख लिया तो वह हम दोनों को मार देगी।”

राजा की बेटी ने भी फुसफुसा कर जवाब दिया — “पर मैं तुम को इस जादू से छुड़ाना चाहती हूँ। बस मुझे यह बता दो कि इसके लिये मुझे करना क्या है।”

नौजवान बोला — “यह नामुमकिन है। मुझे इस जादू से वही लड़की बचा सकती है जो मुझे इतना प्यार करती हो जो मेरे साथ मरने के लिये तैयार हो।”

राजा की बेटी बेहिचक बोली — “मैं वह लड़की हूँ। मैं तुमसे प्यार करती हूँ और तुम्हारे लिये मरने के लिये तैयार हूँ।”

जब उस केकड़े के खोल के अन्दर उन दोनों में ये सब बातें चल रहीं थी तब वह परी उस केकड़े के खोल पर बैठी और उस नौजवान ने रोज की तरह केकड़़े के पंजे बनाये और उस परी को ले कर वहाँ से जमीन के अन्दर वाली नहर से हो कर खुले समुद्र में ले गया।

उस परी को ज़रा सा भी शक नहीं हुआ कि उस खोल के अन्दर राजा की बेटी भी छिपी हुई थी।

जब वह परी को उसकी जगह छोड़ कर वापस उस मछलियों वाले तालाब में आ रहा था तो उस नौजवान ने जो एक राजकुमार था राजा की बेटी को जो अभी भी उस केकड़े के खोल में उसके साथ ही बैठी थी बताया कि वह इस जादू से कैसे आजाद हो सकता था।

उसनेे कहा — “तुमको समुद्र के किनारे वाली एक चट्टान पर चढ़ना पड़ेगा और वहाँ जा कर कुछ बजाना और गाना गाना पड़ेगा। परी को संगीत बहुत अच्छा लगता है तो जैसे ही वह तुम्हारा गाना सुनेगी वह गाना सुनने के लिये पानी में से बाहर निकल आयेगी।

वह तुमसे कहेगी — “और गाओ ओ सुन्दर लड़की और गाओ। तुम्हारा संगीत तो दिल खुश कर देने वाला है।”

तब तुम जवाब देना — “मैं जरूर गाऊँगी अगर तुम अपने बालों में लगा फूल मुझको दे दो तो।”

जैसे ही तुम अपने हाथ में वह फूल ले लोगी मैं उसके जादू से आजाद हो जाऊँगा क्योंकि वह फूल ही मेरी ज़िन्दगी है।”

इस बीच में वह केकड़ा मछलियों वाले तालाब में पहुँच चुका था सो उसने राजा की बेटी को उस खोल में से बाहर निकाल दिया।

वह खानाबदोश अपने आप ही उस नहर में से तैर कर बाहर आ गया था। नहर में से निकल कर जब उसको राजा की बेटी कहीं दिखायी नहीं दी तो उसको लगा कि वह तो बड़ी मुश्किल में पड़ गया है। अब वह राजा की बेटी को कहाँ ढूँढे।

फिर उसने देखा कि जल्दी ही वह लड़की मछलियों वाले तालाब में से निकल आयी। उसने उस खानाबदोश को धन्यवाद दिया और उसको बहुत सारा इनाम भी दिया।

उसके बाद वह अपने पिता के पास गयी और उससे कहा कि वह संगीत सीखना चाहती थी। अब क्योंकि राजा उसको किसी भी चीज़ के लिये मना नहीं कर सकता था सो उसने अपने राज्य के सबसे अच्छे संगीतज्ञों और गवैयों को बुलाया और उनको अपनी बेटी को संगीत सिखाने के लिये रख दिया।

जब उसने संगीत सीख लिया तो उसने अपने पिता से कहा — “पिता जी, अब मैं समुद्र के किनारे वाली चट्टान पर बैठ कर वायलिन बजाना चाहती हूँ।”

“क्या? समुद्र के किनारे चट्टान पर बैठ कर वायलिन बजाना चाहती हो? क्या तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है?” पर फिर हमेशा की तरह से उसको वहाँ जाने की इजाज़त भी दे दी।

पर उसने उसकी सफेद पोशाक पहने आठ दासियाँ उसके साथ कर दीं और उन सबकी सुरक्षा के लिये उन सबके पीछे कुछ दूरी से कुछ हथियारबन्द सिपाही भी भेज दिये।

राजा की बेटी ने चट्टान पर बैठ कर अपनी आठ दासियों के साथ अपनी वायलिन बजानी शुरू की।

संगीत सुन कर परी लहरों से निकल कर बाहर आयी और उस से बोली — “तुम कितना अच्छा बजाती हो ओ लड़की। बजाओ, बजाओ। तुम्हारा यह संगीत सुन कर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।”

राजा की बेटी बोली — “हाँ हाँ मैं और बजाऊँगी अगर तुम अपने बालों में लगा यह फूल मुझे दे दो क्योंकि मुझे तुम्हारे बालों मे लगा यह फूल बहुत पसन्द है।”

परी बोली — “यह फूल तो मैं तुम्हें दे दूँगी अगर तुम इसको वहाँ से ले सको जहाँ मैं इसको फेंकूँ।”

उसने परी को विश्वास दिलाया — “मैं उसको वहाँ से जरूर उठा लूँगी जहाँ भी तुम इसको फेंकोगी।” औैर उसने फिर अपना वायलिन बजाना और गाना शुरू कर दिया।

जब उसका गीत खत्म हो गया तब उसने परी से कहा — “अब मुझे फूल दो।”

परी बोली “यह लो।” और यह कह कर उसने वह फूल समुद्र में जितनी दूर हो सकता था फेंक दिया।

राजा की बेटी तुरन्त समुद्र में कूद गयी और उस फूल को लेने के लिये उसकी तरफ लहरों पर तैरने लगी।

उसकी आठ दासियाँ जो अभी भी चट्टान पर खड़ी थीं चिल्लायीं — “राजकुमारी को बचाओ, राजकुमारी को बचाओ।” उनके चेहरों के ऊपर पड़े सफेद परदे अभी भी हवा में हिल रहे थे।

पर राजा की बेटी तैरती रही तैरती रही। कभी वह लहरों में छिप जाती तो कभी उनके ऊपर आ जाती।

कुछ देर बाद उसको कुछ शक सा होने लगा था कि पता नहीं वह उस फूल तक कभी पहुँच भी पायेगी या नहीं कि तभी एक बड़ी सी लहर आयी और वह फूल उसके हाथ में थमा गयी।

उसी समय उसने अपने नीचे से एक आवाज सुनी — “तुमने मेरी ज़िन्दगी मुझे वापस दी है इसलिये मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ। अब तुम डरो नहीं मैं तुम्हारे नीचे ही हूँ। मैं तुमको किनारे तक पहुँचा दूँगा। पर तुम यह बात किसी को बताना नहीं, अपने पिता को भी नहीं।

अब मैं अपने माता पिता के पास जाता हूँ और जा कर उनको यह सब बताता हूँ और फिर 24 घंटों के अन्दर अन्दर आ कर मैं तुम्हारे माता पिता से तुम्हारा हाथ माँगता हूँ।”

उस समय क्योंकि तैरते तैरते राजा की बेटी की साँस फूल रही थी इसलिये वह केवल इतना ही कह सकी — “हाँ हाँ मैं समझती हूँ।” इतने में वह केकड़ा उसको किनारे पर ले आया।

जब वह अपने घर पहुँची तो उसने राजा से केवल इतना ही कहा कि वहाँ वायलिन बजा कर उसको बहुत ही अच्छा लगा।

अगले दिन तीसरे पहर 3 बजे ढोलों की और बाजे बजने की और घोड़ों की टापों की आवाज के साथ एक मेजर महल में दाखिल हुआ और बोला कि वह राजा से मिलना चाहता था।

उसको राजा से मिलने की इजाज़त दे दी गयी और फिर राजकुमार ने राजा से उसकी बेटी का हाथ माँगा। राजकुमार ने राजा को अपनी सारी कहानी भी सुनायी।

राजा उसकी कहानी सुन कर सकते में आ गया क्योंकि अभी तक तो उसको इन सब बातों का कुछ भी पता नहीं था।

उसने अपनी बेटी को बुलाया तो वह भागती हुई चली आयी और आ कर यह कहते हुए राजकुमार की बाँहों में गिर गयी — “यही मेरा दुलहा है पिता जी, यही मेरा दुलहा है।”

राजा ने समझ लिया कि अब वह कुछ भी नहीं कर सकता था सिवाय इसके कि वह अपनी बेटी की शादी उस राजकुमार के साथ कर दे। और उसने उन दोनों की शादी कर दी।

------------

सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का  विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं की एक अन्य पुस्तक - रैवन की लोक कथाएँ में से एक लोक कथा यहाँ पढ़ सकते हैं. इथियोपिया इटली की बहुत सी अन्य लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.

(क्रमशः अगले अंकों में जारी….)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: इटली की लोक कथाएँ–2 : 12 - केकड़ा राजकुमार // सुषमा गुप्ता
इटली की लोक कथाएँ–2 : 12 - केकड़ा राजकुमार // सुषमा गुप्ता
https://lh3.googleusercontent.com/-Gb3HNrXdpVw/WdXlzqcwSwI/AAAAAAAA7hE/cEF8jnuNuWU0fo1Hh0Ij6zWFnY6qhn8dACHMYCw/clip_image002_thumb?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-Gb3HNrXdpVw/WdXlzqcwSwI/AAAAAAAA7hE/cEF8jnuNuWU0fo1Hh0Ij6zWFnY6qhn8dACHMYCw/s72-c/clip_image002_thumb?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2017/10/2-12.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2017/10/2-12.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content