देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–3 : 12 - सात सिर वाला राक्षस // सुषमा गुप्ता

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9 सात सिर वाला राक्षस [1] एक बार एक मछियारा था जिसके कोई बच्चा नहीं था हालांकि उस की शादी को कई साल हो गये थे। एक दिन उस मछियारे ने अपना जा...

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9 सात सिर वाला राक्षस[1]

एक बार एक मछियारा था जिसके कोई बच्चा नहीं था हालांकि उस की शादी को कई साल हो गये थे।

एक दिन उस मछियारे ने अपना जाल उठाया और मछली पकड़ने के लिये पास वाली एक झील पर गया। वहाँ उस दिन उसने एक बहुत बड़ी और सुन्दर मछली पकड़ी।

जैसे ही उसने वह मछली पानी से बाहर निकाली उस मछली ने मछियारे से प्रार्थना की वह उसको छोड़ दे। उसने कहा कि अगर वह उसको छोड़ देगा तो वह उसको एक ऐसे तालाब का पता बतायेगी जहाँ वह बहुत जल्दी से और बहुत सारी मछली पकड़ पायेगा।

मछली को बोलते हुए सुन कर मछियारा डर गया और तुरन्त ही उसने उसको वहीं पानी में छोड़ दिया। मछली ने फिर उसको उस तालाब का पता बताया जहाँ वह बहुत जल्दी से और बहुत सारी मछली पकड़ सकता था और वह खुद तुरन्त ही पानी में गायब हो गयी।

मछियारा मछली के बताये गये तालाब पर गया और दो तीन बार में ही उसने इतनी सारी मछलियाँ पकड़ लीं कि वह एक गधे के बोझ के बराबर हो गयीं।

जब वह घर लौटा तो उसकी पत्नी ने पूछा कि उसने इतनी सारी मछली इतनी जल्दी से कैसे पकड़ लीं। मछियारे ने जो कुछ झील भी पर हुआ था सब कुछ उसको विस्तार में बता दिया।

इस पर उसकी पत्नी बहुत नाराज हो कर बोली — “तुम तो बहुत ही सीधे हो। तुमने इतनी सुन्दर मछली को कैसे जाने दिया? कल याद करके उस मछली को पकड़ लेना और घर ले आना। कल मैं उसका सूप बनाऊंगी। उसका सूप तो बड़ा मजेदार बनना चाहिये।”

अपनी पत्नी को खुश करने के लिये अगले दिन वह उसी झील पर फिर वापस गया और मछली पकड़ने के लिये अपना जाल फेंका। उस दिन भी वह बोलती मछली उसके जाल में आ गयी और उस दिन भी उसने उसकी प्रार्थना पर उसको छोड़ दिया।

पिछले दिन की तरह से उस मछियारे ने उस दिन भी उसी तालाब में से फिर से बहुत सारी मछलियाँ पकड़ीं और फिर जब वह घर लौट कर आया तो उसने अपनी पत्नी को बताया कि उस दिन क्या हुआ था तो वह फिर से बहुत बहुत नाराज हुई।

उसने अपनी कमर पर हाथ रखे और अपने पति को घर से बाहर निकाल कर कहा — “ओ बेवकूफ बैल, खरदिमाग[2], क्या तुमको पता नहीं चल रहा कि खुशकिस्मती तुमसे दूर भाग रही है?

तुम ऐसी मछली को छोड़ कैसे सकते हो? या तो तुम मुझे वह बड़ी मछली कल ला कर दे दो वरना पछताओगे कि तुम उसको ले कर क्यों नहीं आये। आया समझ में?”

सुबह को वह मछियारा फिर उसी झील पर गया। उसने फिर अपना जाल फेंका और उस बड़ी मछली को फिर से पकड़ लिया। आज उसने उस मछली की प्रार्थना पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया।

बस वह उसको ले कर सीधा घर गया। उसकी पत्नी ने उससे वह मछली ले ली। वह मछली अभी भी ज़िन्दा थी सो उसने उसको ताजा पानी से भरे एक टब में डाल दिया।

दोनों पति पत्नी उसके पास खड़े-खड़े उसको देखते रहे और बात करते रहे कि उसको किस तरह से बनाया जाये ताकि वह सब से ज़्यादा स्वादिष्ट बने।

इसी समय उस मछली ने अपना सिर पानी में से बाहर निकाला और बोली — “क्योंकि मैं अब मरने से नहीं बच सकती इसलिये मैं तुम लोगों से कुछ कहना चाहती हूँ।”

मछियारे और उसकी पत्नी ने कहा कि “बोलो” तो मछली बोली — “जब मैं मर जाऊं, पक जाऊं और काट दी जाऊं तो मेरा माँस इस औरत को खाने के लिये दे देना।

मेरा रस घोड़ी को पिला देना। मेरा सिर कुत्ते को खिला देना। मेरी तीन सबसे बड़ी हड्डियाँ बागीचे में गाड़ देना और मेरा गौल ब्लैडर[3] रसोई में एक लठ्ठे से टांग देना। तुम्हारे बच्चे हो जायेंगे। अगर तुम्हारे बच्चों में से किसी भी बच्चे को कोई भी दुख होगा तो मेरे गौल ब्लैडर से खून टपकने लगेगा।”

इसके बाद मछियारे की पत्नी ने उसे काट कर पका लिया। दोनों ने जैसा कि मछली ने उनसे कहा था वैसा ही किया। उसका माँस उस औरत ने खा लिया। उसका रस घोड़ी को पिला दिया। उसका सिर कुत्ते को खिला दिया। उसकी तीन सबसे बड़ी हड्डियाँ बागीचे में गाड़ दीं और उसका गौल ब्लैडर रसोई में एक लठ्ठे से टांग दिया।

कुछ समय बीत गया तो एक ही रात में उस औरत को, उस घोड़ी को और उस कुतिया को सब को तीन-तीन नर बच्चे हुए। मछियारा बोला — “ओह, नौ बच्चे एक ही रात में।”

वे तीनों बच्चे आपस में इतने एक से लगते थे कि अगर उनके गले में कोई पट्टा न बाँधा जाये तो उनको अलग अलग करना मुमकिन नहीं था।

मछली की जो तीन हड्डियाँ बागीचे में बोयी गयीं थीं उनसे तीन सुन्दर तलवारें पैदा हुईं। मछियारे के तीनों लड़के जब बड़े हो गये तो उसने उनको हर एक को एक-एक घोड़ा, एक-एक कुत्ता और एक-एक तलवार और अपनी तरफ से एक एक बन्दूक भेंट में दे दी।

कुछ दिनों बाद उसका सबसे बड़ा बेटा गरीबी में रहता रहता थक गया तो उसने बाहर जा कर अपनी किस्मत आजमाने का विचार किया। वह अपने घोड़े पर चढ़ा, अपना कुत्ता, तलवार और बन्दूक उठायी और सबको विदा कहा।

अपने भाइयों से उसने कहा — “अगर उस लठ्ठे से लटके गौल ब्लैडर से खून टपके तो तुम लोग मुझे ढूँढने निकल पड़ना। क्योंकि उस समय मैं या तो मर गया होऊंगा या फिर किसी भारी मुसीबत में फंस गया होऊंगा।” और वह वहाँ से चला गया।

बहुत दिनों तक वह अनजानी जगहों से गुजरता रहा। आखिर में वह एक बड़े शहर के दरवाजे पर आया। उसने देखा कि सारा शहर दुख में डूबा हुआ है।

वह उस शहर में घुसा तो उसने देखा कि उस शहर के सब रहने वाले शोक मना रहे हैं और काले कपड़े पहने घूम रहे हैं। उसने खाना खाने के लिये उस शहर में एक सराय ढूँढी और उस सराय के मालिक से इस दुख और शोक की वजह पूछी।

सराय के मालिक ने उसको बताया कि एक सात सिर वाला राक्षस है जो यहाँ रोज पुल पर तीसरे पहर में आता है। उस समय अगर उसको कोई कुँआरी लड़की खाने के लिये न दी जाये तो वह शहर के अन्दर घुस आता है और जो कोई भी उसके रास्ते में आता है उसको मार डालता है।

रोज ही बहुत सारे लोग मारे जाते हैं। आज राजा की बेटी का बारी है। आज उस राक्षस के खाने के लिये उसको उस पुल पर दोपहर को होना चाहिये।

राजा ने मुनादी भी पिटवा रखी है कि जो कोई राजा की बेटी को इस सात सिर वाले राक्षस से बचायेगा वह उसी से अपनी बेटी की शादी कर देगा।

वह लड़का बोला — “राजा की बेटी को और सारे शहर को बचाने का कोई न कोई रास्ता तो होना ही चाहिये। मेरे पास एक मजबूत तलवार ह,ै एक कुत्ता ह,ै एक घोड़ा है, और एक बन्दूक है। मैं राजा से मिलना चाहूँगा।”

शहर वाले उसको तुरन्त ही राजा के पास ले गये। उसने राजा से उस राक्षस को मारने की इजाज़त माँगी।

राजा बोला — “ओ साहसी लड़के, ध्यान रखो कि तुमसे पहले और भी कई लोग उस राक्षस को मारने की कोशिश कर चुके हैं और इस कोशिश में मारे जा चुके हैं। बेचारे लोग। मुझे उन पर तरस आता है।

पर अगर तुम अपनी ज़िन्दगी को खतरे में डाल कर उस राक्षस को मारना चाहते हो तो तुम ऐसा कर सकते हो। और अगर तुमने उस राक्षस को मार दिया तो मैं अपनी बेटी की शादी तुमसे कर दूँगा और मरने के बाद अपना राज्य भी तुमको दे जाऊंगा।”

वह लड़का बोला — “राजा साहब, मैं उस राक्षस को मारना चाहता हूँ आप अपनी बेटी को निडर हो कर पुल पर भेजिये।”

यह कह कर उस निडर नौजवान ने अपना कुत्ता लिया और घोड़ा लिया और उस पुल पर जा कर बैठ गया जहाँ वह राक्षस आने वाला था। ठीक 12 बजे राजा की बेटी सिर से पाँव तक काली सिल्क की पोशाक पहने अपनी दासियों के साथ वहाँ आ गयी।

जब वे सब पुल पर आधी दूर चल कर आ गयीं तो उसकी दासियाँ उसको वहाँ उसी के भरोसे छोड़ कर आँखों में आँसू लिये वहाँ से लौट गयीं। उसने इधर उधर देखा तो पुल पर एक आदमी को एक कुत्ते के साथ बैठा पाया।

वह बोली — “ओ कुलीन नौजवान, तुम यहाँ क्या कर रहे हो? क्या तुमको मालूम नहीं कि एक राक्षस यहाँ बस किसी भी समय मुझे खाने के लिये आने वाला है। और अगर उसने तुमको यहाँ देख लिया तो वह तुमको भी खा जायेगा।”

उस लड़के ने जवाब दिया — “मुझे उसके बारे में अच्छी तरह मालूम है राजकुमारी जी और मैं यहाँ तुमको उसी से बचाने और फिर तुमसे शादी करने के लिये ही आया हूँ।”

राजकुमारी बोली — “ओ गरीब नौजवान, तुम भाग जाओ यहाँ से, नहीं तो उस राक्षस को आज मेरी बजाय दो दो लोग खाने को मिल जायेंगे। वह राक्षस बहुत ताकतवर है। तुम उसको मारने की सोच भी कैसे सकते हो।”

उधर वह नौजवान राजकुमारी को देखते ही उससे प्यार करने लगा था। वह बोला — “तुम्हारे प्यार के लिये तो मैं अपनी ज़िन्दगी को भी खतरे में डाल सकता हूँ। और नहीं तो क्या होगा मेरा?”

अभी वह यह सब कह कर ही चुका था कि महल की घड़ी ने 12 बजाये। जमीन काँपने लगी और एक सात सिर वाला राक्षस धुँए और आग की लपटों में से निकल कर आता दिखायी दिया।

वहाँ से निकल कर वह सीधा राजकुमारी की तरफ बढ़ा। उसके सातों मुँह खुले हुए थे और वह खुशी से सीटी बजा रहा था क्योंकि उसने देख लिया था कि आज उसको एक की बजाय दो आदमी खाने को मिल रहे थे।

वह नौजवान बिजली की सी तेज़ी से अपने घोड़े पर चढ़ गया और उस राक्षस की तरफ बढ़ा। उसने अपने कुत्ते को भी राक्षस के ऊपर हमला करने को कहा।

अपनी तलवार लहराते हुए उसने उस राक्षस के एक के बाद एक सात में से छह सिर काट डाले। इसके बाद राक्षस ने सुस्ताने के लिये कुछ समय माँगा। वह लड़का भी बहुत हाँफ रहा था सो बोला — “ठीक है हम कुछ देर के लिये सुस्ता लेते हैं।”

पर राक्षस ने क्या किया कि उसने अपना सातवां सिर जमीन पर रगड़ा और वह फिर से अपने सातों सिरों के साथ उठ कर खड़ा हो गया।

यह देख कर उस नौजवान ने सोच लिया कि उसको उसके सातों सिर एक साथ ही काटने होंगे तभी वह मरेगा। सो वह राक्षस की तरफ दौड़ा और अपनी तलवार तब तक चलाता रहा जब तक कि उसके सातों सिर कट कर जमीन पर नहीं गिर गये।

उसके बाद उसने अपनी तलवार से उसके सातों सिरों की सातों जीभें काट लीं। फिर उसने राजकुमारी से पूछा — “तुम्हारे पास कोई रूमाल है क्या?”

राजकुमारी ने उसको एक रूमाल दे दिया। उस रूमाल में उसने वे सातों जीभें रख लीं और अपने घोड़े पर चढ़ कर अपनी सराय आ गया जहाँ उसने खाना खाया था।

वहाँ आ कर वह नहाया धोया और अपने कपड़े बदल कर राजा के पास जाने के लिये तैयार हुआ।

जैसा कि उसकी किस्मत में लिखा था – उस पुल के पास एक बहुत ही चालाक और नीच कोयला बेचने वाला[4] रहता था। वह दूर से ही यह लड़ाई देख रहा था।

उसने सोचा आज मैं इस नौजवान को बेवकूफ बनाता हूँ। इसने जो ये कटे हुए सिर यहाँ नीचे छोड़ दिये हैं मैं इनका इस्तेमाल कर के राजकुमारी से शादी करता हूँ।

वह वहाँ गया, उसने सातों सिर उठाये, एक थैले में रखे और राजा के महल की तरफ चल दिया। साथ में उसने राक्षस के खून से सना हुआ बड़ा वाला चाकू भी अपने हाथ में ले लिया।

वहाँ जा कर वह बोला — “राजा साहब देखिये, आपके सामने यह राक्षस को मारने वाला खड़ा है। और ये हैं उसके सातों सिर जो मैंने इस चाकू से एक-एक करके काटे हैं। अब आप अपना शाही वायदा निभायें और अपनी बेटी की शादी मुझ से कर दें।”

राजा तो उस बदसूरत आदमी को देख कर सन्न रह गया। उसको उस आदमी की कहानी की सचाई पर शक हो रहा था।

उसको पूरा विश्वास था कि वह साहसी नौजवान मारा गया और आखिरी पल में जब उसने राक्षस को मार दिया होगा तो यह कोयले वाला आदमी वहाँ पहुँच गया होगा और उसके सिर ले कर यहाँ चला आया है।

पर शाही वायदा तो टाला नहीं जा सकता था सो राजा बोला — “अगर ऐसे ही हुआ है जैसा कि तुम बता रहे हो तो मेरी बेटी तुम्हारी है तुम उसे ले जा सकते हो।”

इस समय राजकुमारी ने जो उस समय दरबार में ही थी और यह सब सुन रही थी चिल्लाना शुरू कर दिया — “यह झूठ बोल रहा है पिता जी। यह वह नहीं है जिसने उस राक्षस को मारा। वह तो अभी आने वाला होगा।”

इस बात पर कुछ गरमागरम बहस होने लगी पर वह कोयला बेचने वाला आदमी अपनी कहानी पर डटा रहा और उसे साबित करने के लिये उसने वे सातों सिर वहाँ रखे हुए थे।

राजा के पास उसकी बात न मानने की कोई वजह नहीं थी क्योंकि राक्षस के सातों सिर वहाँ मौजूद थे।

उसके पास और कोई चारा भी नहीं था सो उसने अपनी बेटी को शान्त रहने के लिये और जा कर शादी के लिये तैयार होने के लिये कहा। उसी समय राजा ने अपनी बेटी की शादी की घोषणा भी कर दी।

तीन दिन में शादी होने वाली थी और तीनों दिन एक शानदार दावत होने वाली थी। उन तीनों दिनों के आखीर में शादी हो जाने वाली थी।

इस बीच वह नौजवान जिसने सचमुच में राक्षस को मारा था राजा के महल में आया। पर राजा के चौकीदारों ने उसको किसी भी कीमत पर अन्दर नहीं जाने दिया।

उसी समय उसने एक शाही मुनादी पीटने वाले को सुना। वह कह रहा था कि राजकुमारी की शादी एक कोयले वाले आदमी के साथ होने वाली है।

उस नौजवान ने राजा के चौकीदारों से बहुत कहा कि वे उसको अन्दर जाने दें पर उन्होंने उसको अन्दर नहीं जाने दिया। कुछ ही देर में वह कोयला बेचने वाला आदमी बाहर आया। उसने उस नौजवान को वहाँ देखा तो उन चौकीदारों को उस नौजवान को बाहर निकालने का हुकुम दे दिया।

चौकीदारों ने उस नौजवान को महल से बाहर निकाल दिया। अब उस नौजवान के पास और कोई चारा नहीं था कि वह वहाँ से वापस सराय चला जाये।

गुस्से में उसने उस शादी को रोकने का, उस कोयला बेचने वाले की पोल खोलने का और अपने को उस राक्षस को मारने वाला साबित करने का कोई तरीका ढूँढने का निश्चय किया।

दरबार में मेज सजी हुई थी और सारे कुलीन लोग वहाँ मौजूद थे। राजकुमारी के पास वह कोयला बेचने वाला मखमल की पोशाक पहने बैठा हुआ था।

क्योंकि वह कोयला बेचने वाला आदमी बहुत ही ठिगना था इसलिये उसको दूसरे लोगों के बराबर में लाने के लिये उसके नीचे सात गद्दियाँ रखी हुई थीं।

सराय में बैठ कर काफी दिमाग लड़ाने के बाद उस नौजवान ने अपने कुत्ते को उठाया जो उसके पैरों के पास सो रहा था।

वह उससे बोला — “सुन ओ मेरे वफादार कुत्ते, दौड़ कर राजकुमारी के पास महल में जा और जा कर उस अकेली को ही प्यार करना, और किसी को नहीं।

और जब वे सब खाना खाने बैठें तो मेज पर रखा सारा खाना बिगाड़ देना और भाग आना। और हाँ ध्यान रखना पकड़े नहीं जाना।”

जो उस कुत्ते को मालिक ने उससे कहा वह उसने सब समझ लिया और वहाँ से दौड़ लिया। महल में आ कर उसने राजकुमारी को ढूँढा और उसकी गोद में अपने पंजे रख दिये। उसने उंह-उंह की और उसके हाथों और चेहरे को चाटा।

राजकुमारी ने उस कुत्ते को पहचान लिया और वह उसको देख कर बहुत खुश हुई। उसको सहलाते हुए उसने उसके कान में फुसफुसा कर उससे पूछा कि उसको बचाने वाला कहाँ है।

वह कोयला बेचने वाला आदमी राजकुमारी के कुत्ते को सहलाने पर शक कर रहा था कि वह उसको क्यों सहला रही थी सो उसने दावत वाले कमरे से उस कुत्ते को बाहर निकालने का हुकुम दे दिया।

उस समय वहाँ पर सूप परसा जा रहा था। कुत्ते ने मेज के मेजपोश का एक कोना पकड़ा और खींच दिया। इससे मेज पर रखी सारी चीज़ें नीचे आ गिरीं। सारा सूप बिखर गया। सारा फर्श खराब हो गया और प्लेटें और गिलास आदि सब टूट गये।

यह सब करके वह सीढ़ियों से इतनी तेज़ी से नीचे भाग गया कि कोई उसको देख भी नहीं सका कि वह गया किधर, पकड़ना तो दूर की बात थी। सारे मेहमान भौचक्के से देखते रह गये। दावत रुक गयी जिससे सब लोगों में एक खलबली मच गयी।

जब दूसरे दिन दावत का इन्तजाम हुआ तो नौजवान ने अपने कुत्ते से कहा — “जाओ और फिर से वही सब करके आओ।”

राजकुमारी ने जब कुत्ते को वापस आया देखा तो वह बहुत खुश हुई पर वह कोयले वाला फिर से शक करने लगा और डर गया। उसने फिर ज़ोर दिया कि उस कुत्ते को कोड़े मार कर कमरे से बाहर निकाल दिया जाये।

इस बार राजकुमारी कुत्ते को लिये हुए उठ खड़ी हुई और कोयला बेचने वाला आदमी अपने नीचपने के बावजूद उससे कुछ नहीं कह सका।

इस बार भी जब सूप परसा जा रहा था कुत्ते ने उस मेज का मेजपोश पकड़ कर खींच दिया और सब कुछ नीचे गिरा दिया। चौकीदार और नौकर उसके पीछे पीछे भागे भी पर इससे पहले कि वे उसके पास भी आते वह वहाँ से गायब हो गया।

तीसरी दावत के ठीक पहले नौजवान ने कहा — “फिर जाओ और वही सब एक बार फिर करके आओ पर इस बार राजा के चौकीदारों को यहाँ तक अपने पीछे पीछे आने देना।”

कुत्ते ने फिर वही किया और इस बार राजा के चौकीदारों को अपना पीछा कराते हुए मालिक के कमरे तक ले आया। वहाँ आ कर चौकीदारों ने उस नौजवान को पकड़ लिया और उसको राजा के पास ले गये।

राजा ने तुरन्त ही उस नौजवान को पहचान लिया और उससे पूछा — “क्या तुम वही आदमी नहीं हो जो उस दिन मेरी बेटी को उस राक्षस से बचाना चाहते थे?”

नौजवान बोला — “जी सरकार। निश्चित रूप से मैं वही आदमी हूँ। और मैंने राजकुमारी जी को बचाया भी है तभी तो वह आपके सामने हैं।”

यह सुन कर कोयला बेचने वाला आदमी चिल्लाया — “ऐसा नहीं है। उस राक्षस को मैंने खुद ने अपने दोनों हाथों से मारा है और इसको साबित करने के लिये मैं उसके सात सिर भी ले कर आया हूँ।”

कह कर उसने वे सातों सिर मंगवाये और मंगवा कर राजा के पैरों पर रख दिये।

तुरन्त ही नौजवान राजा से बोला — “हो सकता है कि यह आदमी उस राक्षस के सात सिर ले कर आया हो पर क्योंकि वे बहुत भारी थे इसलिये मैं तो उन सिरों को वहीं छोड़ आया था।

हाँ मैं उन सात सिरों की सात जीभ काट कर ले आया हूँ। यह देखने के लिये कि ये जीभें उन्हीं सिरों की हैं या नहीं, आप देखें कि इस आदमी के लाये सातों सिरों में उनकी जीभें हैं या नहीं।”

राजा ने उस कोयला बेचने वाले के लाये सातों सिर देखे तो उनमें से तो किसी भी सिर में एक भी जीभ नहीं थी। यह देख कर कोयला बेचने वाला तो सकते में आ गया। उसको तो कुछ समझ में ही नहीं आया क्योंकि उसको तो यह सब कुछ पता ही नहीं था।

तब नौजवान ने अपनी जेब से एक रूमाल निकाला जिसमें वह सातों जीभ रख कर लाया था और वह रूमाल राजा के पैरों पर रख दिया। फिर उसने राजा को अपनी लड़ाई का पूरा हाल बताया।

फिर भी उस कोयले वाले आदमी ने हार नहीं मानी। उसने कहा — “अगर यह जीभें इन्हीं मुँहों की हैं तो वह नौजवान उनको इन मुंहों के अन्दर रख कर दिखाये।”

सो उस नौजवान ने एक-एक करके उन मुँहों में जीभ रखनी शुरू की। जैसे जैसे वह एक-एक जीभ उन मुँहों में रखता गया उस कोयला बेचने वाले आदमी ने अपने नीचे से एक-एक गद्दी निकाल कर बाहर फेंकनी शुरू कर दी।

जब उस नौजवान ने सातवीं जीभ सातवें मुँह में रखी तो वह कोयले वाला आदमी तो इतना नीचा हो गया कि वह किसी को दिखायी भी नहीं दे रहा था क्योंकि वह मेज के नीचे तक पहुँच गया था। बस वह वहाँ से भाग लिया।

पर राजा के हुकुम से उसको पकड़ लिया गया और उसको शहर के चौराहे पर फाँसी चढ़ा दिया गया।

अब राजा, दुलहिन, दुलहा और मेहमान सब लोग खुशी खुशी खाना खाने और शादी की रस्में पूरी करने बैठे। शादी हो गयी।

X X X X X X X

रात हो गयी और सभी सोने चले गये। सुबह को जब वह नौजवान सो कर उठा तो उसने खिड़की खोली। बाहर झांका तो उसको अपने सामने एक बहुत बड़ा जंगल दिखायी दिया जिसमें बहुत सारी चिड़ियें चहचहा रही थीं।

उस जंगल को देख कर उसे लगा कि इस जंगल में उसको शिकार के लिये जरूर जाना चाहिये।

उसकी पत्नी ने उसको बहुत मना किया कि वह शिकार के लिये वहाँ न जाये क्योंकि वह जंगल जादुई था। जो कोई भी उस जंगल में जाता था वह फिर वहाँ से कभी घर वापस नहीं आता था।

पर जितना ही वह नौजवान उस जंगल के बारे में सुनता जाता उसको वहाँ के खतरों से खेलने की इच्छा और बढ़ती जाती थी।

सो उसने अपना घोड़ा लिया, कुत्ता लिया और अपनी तलवार और बन्दूक ली और शिकार के लिये चल दिया।

वहाँ जा कर उसने बहुत सारी चिड़ियें मारीं कि तभी वहाँ गरज और बिजली की चमक के साथ एक बहुत बड़ा तूफान आ गया और ज़ोर से बारिश होने लगी।

बारिश इतनी ज़्यादा थी कि वह पूरा का पूरा भीग गया। साथ में अंधेरा होने की वजह से वह उस जंगल में रास्ता भी भूल गया। कि तभी उसको एक गुफा दिखायी दी। उस तूफान से बचने के लिये वह उस गुफा में घुस गया।

उस गुफा के अन्दर संगमरमर की बहुत सारी मूर्तियाँ भिन्न भिन्न मुद्राओं में खड़ी हुई थीं। पर वह नौजवान इतना ज़्यादा थका हुआ था कि इस सब पर ध्यान देने का उसके पास समय ही नहीं था।

अपने आपको गरम करने के लिये उसने कुछ लकड़ियाँ इकठ्ठी की और चकमक पत्थर[5] की सहायता से आग जला ली। उसकी गरमी में उसने अपने कपड़े भी सुखाये और खाने के लिये कुछ चिड़ियाँ भी भूनी।

तभी एक बुढ़िया भी पानी से बचने के लिये उस गुफा में आ गयी। वह भी बहुत भीगी हुई थी। ठंड के मारे उसके दांत किटकिटा रहे थे। उसने उस नौजवान से प्रार्थना की कि वह उसे अपनी आग के पास बैठने दे।

नौजवान ने कहा — “हाँ हाँ क्यों नहीं। आप यहाँ आराम से बैठें।”

वह बुढ़िया वहाँ बैठ गयी। उसने उस नौजवान को उसकी भुनी हुई चिड़ियों के लिये नमक और घोड़े के खाने के लिये भूसा दिया। एक हड्डी कुत्ते के लिये और तलवार को चिकना करने के लिये चिकनाई भी दी।

पर जैसे ही उस नौजवान ने उस बुढ़िया की नमक लगी चिड़िया खायी, उसके घोड़े ने भूसा खाया और उसके कुत्ते ने हड्डी खायी और तलवार को चिकनाई लगी सब मूर्तियों में बदल गये।

उधर राजकुमारी अपने पति के लौटने का इन्तजार करती रही पर फिर सोच लिया कि शायद वह मर गया होगा। राजा के हुकुम से सारा शहर दुख में डूब गया।

X X X X X X X

इस बीच उस मछियारे के घर में जबसे वह सबसे बड़ा लड़का घर छोड़ कर गया था उसका पिता और उसके दोनों छोटे भाई रोज उस गौल ब्लैडर की तरफ देखते जो एक लठ्ठे से छत से लटका हुआ था।

एक दिन उन्होंने देखा कि रसोई के फर्श पर खून पड़ा है जो गौल ब्लैडर से टपक रहा था।

इस पर दूसरे वाले लड़के ने कहा — “मेरा बड़ा भाई या तो मर गया है या फिर किसी मुश्किल में है। मैं उसको देखने जाता हूँ।”

और विदा कह कर वह भी अपने घोड़े पर चढ़ा, अपना कुत्ता साथ लिया, तलवार और बन्दूक उठायी और चल दिया।

रास्ते में वह लोगों से पूछता गया कि अगर किसी ने उसके भाई को देखा हो। वह उनसे पूछता — “क्या तुमने किसी ऐसे आदमी को देखा है जो देखने में मेरे जैसा लगता हो?”

जो भी उसका यह सवाल सुनता हंसता — “यह तो बड़ा अच्छा मजाक है। क्या तुम वही नहीं हो जो यहाँ कुछ दिन पहले घोड़े पर चढ़ कर आये थे?”

इससे उस बीच वाले लड़के को कम से कम यह पता चल गया कि उसका बड़ा भाई इधर आया था सो वह उसी दिशा में चलता रहा।

चलते चलते वह भी उसी राजा के शहर में आ निकला जिसमें उसके भाई ने सात सिरों वाला राक्षस मारा था। वहाँ उसने देखा कि शहर के सब लोग काली पोशाक पहने घूम रहे हैं।

लेकिन जब शहर वालों ने उसे देखा तो वे खुशी से चिल्लाये — “अरे यह तो यह आ गया। अरे यह तो यह आ गया। यह तो मरा नहीं है। हमारा राजकुमार ज़िन्दाबाद।”

वह उसे पकड़ कर राजा के पास उसके दरबार में ले गये। राजकुमारी भी वहीं बैठी थी। सबने उसको सबसे बड़ा लड़का ही समझा।

राजा ने उसको इतने दिन तक बिना कुछ बताये गायब रहने के लिये बहुत डांटा। इस बीच वाले लड़के ने भी बिना परेशान हुए राजा से माफी माँगी और राजकुमारी से भी सुलह कर ली।

उन सबके सवालों के जवाब उसने इतनी अच्छी तरह से दिये कि उसको अपने भाई के बारे में सब पता चल गया – उसकी शादी के बारे में, उसके गायब होने के बारे में आदि आदि।

उस रात जब वह बीच वाला लड़का सोने के लिये गया तो उसने म्यान में से अपनी तलवार निकाल कर उसका फल ऊपर कर के बिस्तर के बीच में रख दी।

उसने राजकुमारी से कहा कि वह तलवार के एक तरफ सोयेगी और वह खुद उसके दूसरी तरफ सोयेगा। राजकुमारी की समझ में कुछ नहीं आया पर वे दोनों सोने चले गये और जल्दी ही सो गये।

वह सुबह भी जल्दी ही उठ गया और उठते ही खिड़की खोली। सामने जंगल देख कर उसको भी लगा कि उसको शिकार के लिये जाना चाहिये। वह राजकुमारी से बोला — “मैं शिकार के लिये जाऊंगा।”

राजकुमारी बोली — “क्या एक बार वहाँ से बच कर आ जाना तुम्हारे लिये काफी नहीं है? क्या तुम मुझे और परेशान करना चाहते हो?”

पर उसने तो राजकुमारी की बात सुनी ही नहीं। वह भी अपने घोड़े पर चढ़ा, अपना कुत्ता साथ लिया और तलवार और बन्दूक उठायी और शिकार खेलने के लिये उस जंगल में चल दिया।

इसका भी वही हाल हुआ जो सबसे बड़े लड़के का हुआ था। वे सब भी उसी गुफा में मूर्ति बन कर खड़े हो गये।

इस बार राजकुमारी को लगा कि उसका पति सचमुच ही मर गया है और राजा के हुकुम से एक बार फिर सारा शहर शोक और दुख में डूब गया।

इस बीच उस मछियारे के घर में उसकी रसोई में उस गौल ब्लैडर से एक बार फिर खून टपक पड़ा।

क्योंकि उन तीनों लड़कों का पिता और सबसे छोटा लड़का उस गौल ब्लैडर को बराबर देख रहे थे सो उस खून के टपकते ही वह तीसरा लड़का भी तुरन्त ही अपने घोड़े पर सवार हुआ।

उसने भी अपने कुत्ते को साथ लिया, अपनी तलवार और बन्दूक उठायी और अपने दोनों भाइयों की खोज में चल दिया।

वह भी रास्ते में पूछता जाता था — “क्या तुम लोगों ने बिल्कुल मेरे जैसे दो आदमी घोड़े पर सवार इधर से जाते देखे हैं?”

लोग उससे पूछते — “तुम कैसे हंसोड़िये हो? तुम हम लोगों से कब तक बार बार यही सवाल पूछते रहोगे?”

इस जवाब से उसको यह विश्वास हो गया कि वह सही रास्ते पर जा रहा है। चलते चलते वह भी उसी राजा के शहर में आ पहुँचा। उसने भी देखा कि सारा शहर दुख और शोक में डूबा है और सब काले कपड़े पहने घूम रहे हैं।

पर उसको देखते ही लोग खुश हो गये और उसको राजा के पास ले गये। राजा भी उसको देख कर इतना खुश हो गया जैसे उसका अपना दामाद मर कर ज़िन्दा हो गया हो।

अपने भाई की तरह वह भी जब सोने गया तो उसने भी बिस्तर के बीच में अपनी नंगी तलवार उसका फल ऊपर करके खड़ी कर दी और वे दोनों तलवार के दो तरफ सो गये।

वह भी सुबह जल्दी ही उठ गया और सुबह उठते ही उसने भी खिड़की खोली और जब अपने सामने जंगल फैला हुआ देखा तो उसने भी कहा कि वह शिकार खेलने जाना चाहता है।

यह सुन कर राजकुमारी अबकी बार तो बहुत ही दुखी हो गयी और रो कर बोली — “क्या तुमने मरने की कसम खा रखी है? तुम मुझे प्यार करते हो या नहीं? तुम्हें पता है जब भी तुम शिकार पर जाते हो मुझे हमेशा तुम्हारे मरने का डर लगा रहता है।”

पर यह तीसरा लड़का तो घर से बाहर निकलने के लिये बेचैन हो रहा था क्योंकि उस को तो अपने भाइयों को ढूँढना था।

सो उसने उसकी कोई बात नहीं सुनी और शिकार खेलने चल दिया। जब वह जंगल में निकला तो उसके साथ भी वही हुआ जो उसके दो बड़े भाइयों साथ हुआ था। उसने भी तूफान से बचने के लिये उसी गुफा में शरण ली।

वहाँ उस गुफा में इतनी सारी मूर्तियाँ देख कर वह आश्चर्य में पड़ गया। उसने एक-एक करके जो उन मूर्तियों को देखना शुरू किया तो उसने उनमें से अपने दोनों भाइयों को पहचान लिया।

वहाँ का हाल देख कर उसको लगा कि यहाँ जरूर कुछ गड़बड़ है। मुझे यहाँ संभल कर रहना होगा।

उसने भी वहाँ अपनी चिड़ियाँ भूनने के लिये आग जलायी और चिड़ियों को उसमें भूनने के लिये रख दिया। तभी वह बुढ़िया वहाँ आयी और झुकते हुए नम्रता से उससे आग के पास बैठने की इजाज़त माँगी।

पर इस लड़के ने उसको डांटा — “दूर हट ओ बदसूरत जादूगरनी, मैं तुझे अपने पास भी नहीं बिठाना चाहता।” उस बुढ़िया को उस लड़के का ऐसा बरताव देख कर बहुत दुख हुआ।

वह कुछ भुनभुना कर बोली — “क्या तुम्हारे मन में इन्सान के लिये ज़रा सा भी प्यार नहीं है? तुम कैसे आदमी हो? कोई बात नहीं पर फिर भी मैं तुम्हारे खाने को स्वादिष्ट बनाने के लिये तुमको कुछ चीज़ें देना चाहती हूँ।

नमक तुम्हारी भुनी हुई चिड़ियों के लिये, भूसा तुम्हारे घोड़े के लिये और एक हड्डी तुम्हारे कुत्ते के लिये। और थोड़ी चिकनाई तुम्हारे हथियार को जंग लगने से बचाने के लिये।”

वह लड़का उस बुढ़िया पर चिल्लाया — “ओ बुढ़िया, तू यहाँ से जाती है या नहीं या फिर मैं तुझे मार कर भगाऊं? तू मुझे नहीं पकड़ सकती, सुना तूने?” और यह कह कर वह उस पर कूद गया। उसको जमीन पर गिरा कर उसने उसको अपने घुटने से वहीं नीचे ही दबाये रखा।

फिर अपने बाँये हाथ से उसने उसका गला दबाया और दॉये हाथ से अपनी तलवार निकाल कर उसकी नोक उसकी गरदन पर रख कर कहा — “ओ नीच जादूगरनी, मेरे भाई मुझे वापस कर नहीं तो मैं अभी तेरा गला काट दूँगा।”

बुढ़िया बोली कि उसने कभी किसी का कोई बुरा नहीं किया। पर जब उस लड़के की तलवार की नोक को अपने गले पर महसूस किया तो उसने अपना जादू मान लिया। और उससे वायदा किया कि अगर वह उसको छोड़ देगा तो वह उसकी बात मान लेगी।

लड़के ने उसको छोड़ दिया। बुढ़िया ने अपनी जेब से एक मरहम निकाला और उसको उन सबकी मूर्तियों पर लगा कर उन सबको ज़िन्दा कर दिया।

पर उस लड़के ने उसको तब तक नहीं जाने दिया जब तक कि उसने वहाँ रखी सब मूर्तियों को ज़िन्दा नहीं कर दिया। इस तरह सारी मूर्तियाँ एक एक करके ज़िन्दा हो गयीं और वह गुफा बहुत सारे लोगों से भर गयी।

जब भाइयों ने एक दूसरे को देखा तो वे खुशी से एक दूसरे के गले लग गये। जब कि दूसरे लोग बेचारे खुशी के मारे बोल ही नहीं पा रहे थे। वे उस तीसरे भाई के बहुत ऋणी थे।

इस बीच वह जादूगरनी वहाँ से खिसक ली पर उन तीनों भाइयों ने उसको पकड़ लिया और काट कर उसके टुकड़े टुकड़े कर दिये। उस जादूगरनी के मरते ही उस जंगल का जादू टूट गया।

सबसे बड़े भाई ने उस जादूगरनी के मरहम की वह बोतल ले ली जिससे मुर्दा भी ज़िन्दा हो जाते थे।

उसके बाद वे सब राजा के शहर वापस आ गये। शहर के सारे लोग उनके बारे में बात कर रहे थे और वे आपस में अपने बारे में बात कर रहे थे कि उनके साथ क्या हुआ।

जब बड़े भाई ने यह सुना कि उसके दोनों भाई उसकी पत्नी के पलंग पर लेटे थे तो उसने गुस्से में आ कर उन दोनों को अपनी तलवार से मार डाला। पर तुरन्त ही उसको उनके मारने का पछतावा हुआ और उसने अपने आपको मारने के लिये तलवार अपने गले पर रखी।

दूसरे लोगों ने उसको ऐसा करने से रोका तो उसको वह मरहम वाली बोतल याद आयी। उसने तुरन्त ही वह मरहम अपने भाइयों को लगाया और वे ज़िन्दा हो गये।

सबसे बड़ा भाई अपने दोनों छोटे भाइयों को ज़िन्दा देख कर बहुत खुश हुआ और उसने उनसे अपने किये की माफी माँगी।

तब उसके भाइयों ने उसको बताया कि वे अपने और उसकी पत्नी के बीच में तलवार लगा कर सोये थे इसलिये ऐसा कुछ नहीं था जैसा कि वह सोच रहा था। उनको अफसोस था कि यह बात वे उसको पहले नहीं बता पाये थे।

बातें करते-करते वे राजा के महल आ गये। वहाँ आ कर उन्होंने राजकुमारी को बुलाया। राजकुमारी रोती हुई आयी तो उसने वहाँ तीन एक से भाइयों को खड़े देखा तो कुछ बोल ही नहीं सकी।

वह तो यह भी नहीं पहचान सकी कि उन तीनों में से उसका पति कौन सा था। तब सबसे बड़े लड़के ने कहा कि वही उसका पति था और फिर उसने अपने दोनों छोटे भाइयों का उससे परिचय कराया।

राजा ने अपने दामाद के दोनों छोटे भाइयों की शादी दो कुलीन सभासदों की दो बेटियों से कर दी। उन सभासदों को अपना दरबारी बना लिया और उस बूढ़े मछियारे और उसकी पत्नी को भी वहीं बुला लिया।

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[1] The Dragon With Seven Heads (Story No 58) – a folktale from Italy from its Bologna area.

Adapted from the book: “Italian Folktales”, by Italo Calvino. Translated ny George Martin in 1980.

[2] Translated for the word “Blockheaded”

[3] Gall Bladder – a part of the body

[4] Translated for the word “Coalman”

[5] Translated for the word “Flintstone”. When these stones are hit at each other they produce fire a fire can be started from them.

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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का  विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से क्रमशः  - रैवन की लोक कथाएँ,  इथियोपिया इटली की  ढेरों लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.

(क्रमशः अगले अंकों में जारी….)

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मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ 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रचनाकार: देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–3 : 12 - सात सिर वाला राक्षस // सुषमा गुप्ता
देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–3 : 12 - सात सिर वाला राक्षस // सुषमा गुप्ता
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