देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–4 : 10 उत्तरी हवा की भेंट // सुषमा गुप्ता

SHARE:

10 उत्तरी हवा की भेंट [1] एक बार जैपोन [2] नाम का एक किसान एक प्रायर [3] के खेत पर रहता था और वह खेत एक पहाड़ी के ऊपर था। वहाँ उत्तरी हवा [...

image

10 उत्तरी हवा की भेंट[1]

एक बार जैपोन[2] नाम का एक किसान एक प्रायर[3] के खेत पर रहता था और वह खेत एक पहाड़ी के ऊपर था। वहाँ उत्तरी हवा[4] आ कर अक्सर ही उसकी खेती खराब कर जाया करती थी।

एक दिन उसने निश्चय किया कि मैं इस हवा की खोज में जाऊँगा जो मेरा इतना नुकसान करती है। उसने अपनी पत्नी और अपने बच्चों से विदा कहा और पहाड़ों की तरफ चल दिया।

जब वह जिनव्रीनो किले[5] के पास पहुँचा तो उसने उस किले का दरवाजा खटखटाया। उत्तरी हवा की पत्नी ने खिड़की से झॉका और वहीं से पूछा — “दरवाजे पर कौन है?”

किसान जैपोन बोला — “मैं हूँ जैपोन। क्या आपके पति अन्दर हैं?”

पत्नी बोली — “अभी तो वह बाहर गये हैं, समुद्र्र के किनारे लगे पेड़ों के बीच में बहने के लिये, पर जल्दी ही वापस आ जायेंगे। तुम अन्दर आ कर उनका इन्तजार कर सकते हो।”

जैपोन अन्दर चला गया और बैठ कर उत्तरी हवा का इन्तजार करने लगा। करीब एक घंटे बाद उत्तरी हवा लौटा तो जैपोन बोला — “गुड डे उत्तरी हवा।”

“तुम कौन हो?”

“मैं एक किसान हूँ और मेरा नाम जैपोन है।”

“तुम्हें क्या चाहिये?”

किसान बोला — “आप अच्छी तरह जानते हैं कि आप हर साल मेरी उपज खराब कर देते हैं। और केवल आप ही की वजह से मैं और मेरा परिवार भूखा मरता है।”

उत्तरी हवा ने पूछा — “तो फिर अब तुम मुझसे क्या चाहते हो?”

किसान बोला — “मैं आपके दिये हुए अपने उन सब दुखों के बदले में कुछ चाहता हूँ।”

उत्तरी हवा ने उससे पूछा — “बोलो मैं तुमको क्या दूँ?”

किसान बोला — “यह तो मैं आप पर छोड़ता हूँ कि आप मुझे क्या देना चाहते हैं।”

उत्तरी हवा का दिल जैपोन के पास गया और उसने उससे कहा — “लो यह बक्सा लो और जब भी तुमको भूख लगे तो इसको खोलना और जो खाना पीना चाहो वह माँग लेना। वह तुमको मिल जायेगा। पर इस बक्से के बारे में किसी को बताना नहीं नहीं तो तुम इसे खो दोगे और फिर तुम्हारे पास कुछ भी नहीं बचेगा।”

जैपोन ने उत्तरी हवा को धन्यवाद दिया और चल दिया। रास्ते में वह एक जंगल से गुजर रहा था तो उसे कुछ भूख लग आयी। उसने बक्सा खोला और कहा — “मुझे शराब चाहिये। डबल रोटी चाहिये और डबल रोटी के साथ कुछ खाने को चाहिये।”

उसने इतना कहा ही था कि बक्से में से एक बहुत ही स्वादिष्ट डबल रोटी, एक बोतल शराब और एक सूअर के माँस का टुकड़ा निकल आया। जैपोन ने जंगल के बीच वह स्वादिष्ट खाना खाया और फिर अपनी यात्रा पर चल दिया।

अपने घर पहुँचने से पहले ही वह अपनी पत्नी और बच्चों से मिला जो अपने घर से चल कर उससे मिलने घर के बाहर चले आये थे। उन्होंने पूछा — “तुम्हारी यात्रा कैसी रही? सब कुछ ठीक रहा न?”

किसान बोला — “हाँ सब कुछ बहुत ही अच्छा रहा।” कह कर वह उन सबको घर के अन्दर ले गया और कहा — “चलो अब तुम सब लोग मेज पर बैठ जाओ अब हम लोग खाना खायेंगे।” सब तुरन्त ही मेज पर बैठ गये।

मेज पर बैठ कर जैपोन ने बक्से को खोला और उससे कहा — “सबके लिये शराब, डबल रोटी और खाने की कई सारी चीजें. दो।”

तुरन्त ही सबके लिये बहुत ही स्वादिष्ट खाना मेज पर लग गया। सबने बहुत दिनों बाद इतना स्वदिष्ट खाना खाया था सो खूब पेट भर कर खाया।

जब खाना खत्म हो गया तो जैपोन ने अपनी पत्नी से कहा — “इस बात को प्रायर से मत कहना कि मैं यह बक्सा ले कर आया हूँ नहीं तो यह बक्सा उसको भी चाहियेगा और वह मुझसे इसे ले जायेगा।”

पत्नी बोली — “ओह मैं तो उससे यह बात सपने में भी कहने की नहीं सोचूँगी।”

यात्रा के बाद जब जैपौन घर आ गया तो प्रायर ने जैपोन की पत्नी को बुलाया और उससे पूछा — “तुम्हारा पति कहीं बाहर गया था न? वापस आ गया? कैसी रही उसकी यात्रा?”

पत्नी ने कहा — “ठीक रही।”

प्रायर बोला — “मुझे यह सुन कर खुशी हुई। क्या वह कोई ऐसी चीज़ ले कर आया है जो बताने लायक हो?”

इस तरह वह जैपोन की पत्नी से एक सवाल से दूसरा सवाल निकाल निकाल कर पूछता रहा और इससे पहले कि जैपोन की पत्नी यह जानती कि वह क्या उसको क्या कह रही है उसने उसको उस जादुई बक्से के बारे में सब कुछ बता दिया।

यह सुन कर प्रायर ने जैपोन को तुरन्त ही बुला भेजा और बोला — “जैपोन, मेरे अच्छे दोस्त, मैंने सुना है कि तुम्हारे पास एक बहुत ही अच्छा बक्सा है। क्या मैं उसे देख सकता हूँ?”

जैपोन ने एक बार तो सोचा कि वह उस सारी कहानी को झूठ कह दे पर क्योंकि उसकी पत्नी ने इस बात को उससे कहा था इसलिये वह अब यह नहीं कर सकता था सिवाय इसके कि वह प्रायर को वह बक्सा दिखाता और बताता कि वह कैसे काम करता है।

“हाँ हाँ क्यों नहीं।” वह घर आया और अपना बक्सा प्रायर के पास ले जा कर उसे दिखाया। देखते ही प्रायर बोला — “जैपोन, यह बक्सा तो तुम्हें मुझे देना पड़ेगा। इसे तुम मुझे दे दो।”

जैपोन बोला — “अगर यह बक्सा मैं तुमको दे दूँगा तो फिर मैं क्या करूँगा। मैं खाना कहाँ से खाऊँगा। तुमको तो मालूम है कि मेरी सारी उपज खराब हो गयी है और अब मेरे पास खाने के लिये कुछ भी नहीं है।”

प्रायर बोला — “अगर यह बक्सा तुम मुझे दे दो तो मैं तुमको जितना अन्न तुम चाहोगे उतना अन्न दे दूँगा, जितनी शराब तुम चाहोगे उतनी शराब मैं तुमको दे दूँगा। इसके अलावा और भी जो कुछ तुम चाहोगे वह सब मैं तुमको दे दूँगा। पर यह बक्सा तुम मुझे दे दो।”

जैपोन के पास उस बक्से को प्रायर को देने के अलावा और कोई चारा नहीं था सो उसने वह बक्सा प्रायर को दे दिया और बदले म्ंों उसको क्या मिला?

प्रायर ने उसको कुछ बोरे अनाज के दिये, और बस। जैपोन फिर से अपनी बुरी हालत में वापस आ गया था और यह सब उसकी पत्नी वजह से हुआ था।

उसने अपनी पत्नी से कहा — “तुम्हारी वजह से मैंने अपना बक्सा खोया। उत्तरी हवा ने मुझसे कहा था कि तुम इसके बारे में किसी से कहना नहीं और मैंने उसका कहा नहीं माना तो अब मैं उसके वापस जाने की हिम्मत भी कैसे कर सकता हूँ।”

पर मरता क्या न करता। उसने हिम्मत बटोरी और एक बार फिर से उत्तरी हवा के किले की तरफ चल दिया। वहाँ पहुँच कर उसने एक बार फिर उत्तरी हवा के किले का दरवाजा खटखटाया।

उत्तरी हवा की पत्नी ने खिड़की से बाहर झॉका और पूछा — “बाहर कौन है?”

“मैं हूँ जैपोन।”

तभी उत्तरी हवा ने बाहर देखा और पूछा — “जैपोन, अरे अभी कुछ दिन पहले ही तो तुम यहाँ आये थे और मुझसे एक बक्सा ले गये थे। अब तुम्हें क्या चाहिये?”

जैपोन बोला — “ओह तो क्या आपको याद है कि मैं आपसे एक बक्सा ले गया था? वह बक्सा मेरे मालिक ने मुझसे ले लिया और फिर वापस नहीं दिया। मैं तो फिर से गरीब और भूखा रह गया।”

उत्तरी हवा बोला — “मैंने तुमसे कहा था न कि इसके बारे में तुम किसी को बताना नहीं इसलिये अब तुम यहाँ से चले जाओ। अब मैं तुमको कुछ और नहीं देने वाला।”

किसान गिड़गिड़ाया — “जनाब केवल आप ही तो मेरे नुकसान को पूरा कर सकते हैं। मुझ पर मेहरबानी कीजिये।”

सो दोबारा उत्तरी हवा का दिल जैपोन के पास गया और उसने एक सोने का बक्सा निकाल कर उसको देते हुए कहा — “इस बक्से को तब तक मत खोलना जब तक तुम भूख से बिल्कुल परेशान न हो जाओ नहीं तो यह तुम्हारी बात नहीं मानेगा।”

जैपोन ने उत्तरी हवा को धन्यवाद दिया और अपने घर की तरफ चल दिया। इस बार वह घाटी की तरफ से आया। जल्दी ही उसे भूख लग आयी। उसने वह सोने का बक्सा खोला और बोला — “मुझे दो।”

तुरन्त ही बक्से में से एक बड़े साइज़ का आदमी[6] निकल पड़ा। उसके हाथ में एक बड़ा सा डंडा था। निकलते ही उसने जैपोन को उस डंडे से पीटना शुरू कर दिया।

जितनी जल्दी जैपोन वह बक्सा बन्द कर सका उसने वह बक्सा बन्द कर दिया और फिर अपने घर की तरफ चल दिया। यह मार खा कर उसका सारा शरीर अकड़ रहा था और दर्द कर रहा था। वह काफी घायल भी हो गया था।

पहले की तरह से उसकी पत्नी और बच्चे उसको लेने के लिये घर के बाहर तक आये और उससे पूछा कि उसका सफर कैसा रहा।

उसने कहा — “ठीक रहा। अब की बार मैं पहले बक्से से भी ज़्यादा अच्छा बक्सा ले कर आया हूँ।”

घर में अन्दर जा कर उसने उन सबको मेज के चारों तरफ बिठाया और वह सोने का बक्सा खोला। इस बार केवल एक नहीं बल्कि दो दो बड़े आदमी डंडा लिये निकले और उसके परिवार को मारने लगे।

उसकी पत्नी और बच्चे तो डंडे की मार खा कर बेचारे चीखने लगे पर वे आदमी रुके ही नहीं जब तक उस किसान ने वह बक्सा बन्द नहीं कर दिया।

फिर वह अपनी पत्नी से बोला — “अब तुम प्रायर के पास जाओ और उसे बताना कि मैं इस बार पहले से भी ज़्यादा अच्छा बक्सा ले कर आया हूँ।”

अगले दिन जैपोन की पत्नी प्रायर के पास गयी तो प्रायर ने अपना हर बार वाला सवाल पूछा — “सो जैपोन अपनी यात्रा से वापस आ गया। इस बार वह क्या ले कर आया है?”

जैपोन की पत्नी बोली — “इस बार तो वह पहले से भी बहुत बढ़िया बक्सा ले कर आया है प्रायर जी। वह ठोस सोने का बना है और जो खाना वह देता है वह तो लोग बस सपने में ही सोच सकते हैं। पर जैपोन बोलता है कि कुछ भी हो जाये अब की बार वह इस बक्से को किसी को नहीं देगा।”

यह सुन कर प्रायर की उस बक्से को लेने की इच्छा बहुत ज़ोर पकड़ गयी और उसने जैपोन को बुला बेजा।

जब जैपोन प्रायर के पास पहुँचा तो प्रायर बड़ी नरमी से बोला — “जैपोन तुम नहीं जानते कि तुम्हारे आने से मैं कितना खुश हूँ। और वह भी जब जबकि तुम पहले वाले बक्से से भी बढ़िया बक्से के साथ वापस आये हो। इसे कम से कम मुझे दिखाओ तो।”

जैपोन मुस्कुराता हुआ बोला — “मैं ऐसा कर तो सकता हूँ पर फिर तुम उसको भी मुझसे ले लोगे।”

प्रायर उसको कुछ विश्वास दिलाता हुआ बोला — “नहीं नहीं, मैं वायदा करता हूँ कि मैं उसको तुमसे बिल्कुल नहीं लूँगा।”

जैपोन ने उस चमकते हुए सोने के बक्से का एक कोना ही दिखाया। तो अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं कर सका कि वह बक्सा इतना सुन्दर हो सकता था। उसका मन उस बक्से को लेने के लिये लालायित हो उठा।

उसने जैपोन से तुरन्त ही कहा — “जैपोन, इसको तुम मुझे दे दो और मैं तुमको तुम्हारा पुराना वाला बक्सा अभी ला कर दे देता हूँ।

तुम इस सोने के बक्से का क्या करोगे। इसको तुम मुझे दे दो और मैं तुमको वह तुम्हारा पुराना वाला बक्सा वापस दे देता हूँ। और इसके बदले में और भी जो कुछ तुम चाहो वह मैं तुमको सब दे दूँगा।”

जैपोन ने कुछ अविश्वास दिखाते हुए उससे पूछा — “क्या तुम ठीक कह रहे हो?”

प्रायर बोला — “हाँ हाँ मैं बिल्कुल ठीक कह रहा हूँ।” कह कर वह उसका पुराना वाला बक्सा अन्दर से निकाल लाया और उसको जैपोन को दे दिया।

जैपोन ने अपना पुराना वाला बक्सा उससे ले लिया और नया सोने का बक्सा उसको देते हुए बोला — “प्रायर, इस बक्से को खोलने से पहले तुम ज़रा सावधान रहना। जब तक तुमको बहुत अच्छी तरह से भूख न हो इस बक्से को मत खोलना।”

प्रायर बोला — “यह बक्सा तो मेरे पास बड़े अच्छे समय से आया है। कल मेरे घर बिशप[7] आ रहे हैं और उनके साथ में और भी कुछ पादरी आ रहे हैं। मैं उनको दोपहर तक भूखा रखूँगा और फिर बक्सा खोल कर बहुत अच्छा खाना खिलाऊँगा।”

सो जैपोन अपना वह नया बक्सा प्रायर को दे कर अपना पुराना बक्सा उससे वापस ले कर खुशी खुशी अपने घर वापस चला गया।

अगली सुबह अपनी मास[8] कहने के बाद सारे पादरी प्रायर की रसोई के चक्कर लगाने लगे। वे आपस में बोले — “इस प्रायर ने आज हमको सुबह भी नाश्ता नहीं खिलाया और अभी भी इसकी रसोई में आग नही जल रही है।”

पर जो प्रायर को जानते थे वे बोले — “ज़रा इन्तजार करो। खाने के समय यह अपना बक्सा खोलेगा और हमको इतना बढ़िया खाना खिलायेगा जैसा कि तुम लोगों ने कभी सोचा भी नहीं होगा।”

दोपहर को प्रायर और सारे पादरी मेज के चारों तरफ बैठे। मेज के बीच में सोने का बक्सा चमक रहा था। सबकी आँखें उस बक्से पर ही लगी थीं।

खाने का समय आने पर प्रायर ने अपना वह सोने का बक्सा खोला तो इस बार उसमें खाने की बजाय छह बड़े बड़े आदमी डंडे ले कर बाहर आ गये और उन पादरियों को पीटने लगे।

इससे प्रायर के हाथ से वह बक्सा छूट गया और वह बक्सा खुला का खुला ही नीचे फर्श पर गिर पड़ा और वे छह आदमी वहाँ बैठे सब आदमियों को मारते रहे।

इत्तफाक से जैपोन वहीं पास में ही छिपा खड़ा था। उसने वह खुला हुआ बक्सा नीचे पड़ा देख लिया तो उसको उठा कर बन्द कर दिया नहीं तो वे लोग तो वहाँ बैठे सारे लोगों को मार ही डालते। बक्सा बन्द होते ही वे छहों बड़े लोग भी गायब हो गये।

इस तरह बिशप और पादरियों को यह खाना मिला और शाम को वे अपने चर्च का काम भी नहीं कर सके।

जैपोन ने अपने दोनों बक्से अपने पास रख लिये और फिर उनको किसी को नहीं दिया। प्रायर ने भी उसके बाद जैपोन से कुछ नहीं माँगा। उसके बाद से वे सब आराम की जिन्दगी बिताने लगे।


[1] The North Wind’s Gifts (Story No 83) – a folktale from Mugello area, Italy.

Adapted from the book: “Italian Folktales”, by Italo Calvino. Translated by George Martin in 1980.

[2] Jeppone is the name of the peasant

[3] A title given to a Monastic Superior in a Monastery

[4] Northern Winds are normally are very cold and spoil the harvests.

[5] Ginevrino Castle where North Wind lived.

[6] Translated for the word “Giant”

[7] Bishop is a higher rank man in Church, “Paadaree” has been translated for the word priests.

[8] Mass is Christians’ special worship

------------

सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का  विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से क्रमशः  - रैवन की लोक कथाएँ,  इथियोपिया इटली की  ढेरों लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.

(क्रमशः अगले अंकों में जारी….)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–4 : 10 उत्तरी हवा की भेंट // सुषमा गुप्ता
देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–4 : 10 उत्तरी हवा की भेंट // सुषमा गुप्ता
https://lh3.googleusercontent.com/-1zDkCNOTBXo/We8i5O9el6I/AAAAAAAA8C8/1hczQ2-ZPwkG8ETovo7b_wFlh7ryhMfOQCHMYCw/image_thumb?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-1zDkCNOTBXo/We8i5O9el6I/AAAAAAAA8C8/1hczQ2-ZPwkG8ETovo7b_wFlh7ryhMfOQCHMYCw/s72-c/image_thumb?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2017/10/4-10-italy-ki-lok-katha-uttari-hawa-ki.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2017/10/4-10-italy-ki-lok-katha-uttari-hawa-ki.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content