देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–5 : 16 पहली तलवार और आखिरी झाड़ू // सुषमा गुप्ता

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16 पहली तलवार और आखिरी झाड़ू [1] एक बार की बात है कि दो सौदागर थे जिनके घर एक दूसरे के आमने सामने थे। उनमें से एक सौदागर के सात बेटे थे और दू...

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16 पहली तलवार और आखिरी झाड़ू[1]

एक बार की बात है कि दो सौदागर थे जिनके घर एक दूसरे के आमने सामने थे। उनमें से एक सौदागर के सात बेटे थे और दूसरे के सात बेटियाँ।

रोज सुबह बेटों का पिता अपनी खिड़की खोलता और बेटियों के पिता को नमस्ते कहता — “गुड मौर्निंग ओ सात झाड़ुओं वाले सौदागर।”

और दूसरे सात बेटियों वाले सौदागर को उसकी यह गुड मौर्निंग कभी अच्छी नहीं लगती। वह चुपचाप अपने घर के अन्दर चला जाता और अक्सर गुस्से में आ कर रो पड़ता।

यह देख कर उसकी पत्नी बहुत दुखी होती। उसको रोते देख कर वह उससे पूछती कि “क्या हुआ? तुम क्यों रो रहे हो?” पर उसका पति उसे कभी कुछ नहीं बताता और बस वह रोता ही रहता।

इस सौदागर की सबसे छोटी बेटी 17 साल की थी और तस्वीर की तरह सुन्दर थी। उसके पिता को उसके ऊपर बड़ा नाज़ था और वह उसको बहुत प्यार करता था।

अपने पिता को इस तरह रोज रोते देख कर उसको भी बहुत दुख होता था सो एक दिन उसने अपने पिता से कहा — “पिता जी, अगर आप सचमुच मुझे प्यार करते हैं तो आज आप मुझे अपनी परेशानी बताइये। आपका रोज सुबह सुबह का रोना मुझसे देखा नहीं जाता।”

पिता बोला — “बेटी, यह जो सौदागर हमारे घर के सामने रहता है रोज सुबह यह कह कर मुझे गुड मौर्निंग करता है “गुड मौर्निंग ओ सात झाड़ुओं वाले सौदागर।” और हर सुबह मैं वहाँ खड़ा होता हूँ पर यह नहीं सोच पाता कि मैं उसकी इस गुड मौर्निंग का क्या जवाब दूँ।”

बेटी प्यार से बोली — “अरे पिता जी बस इतनी सी बात। आप मेरी बात सुनें। अब की बार जब वह आपको इस तरह से गुड मौर्निंग करे तब आप उससे कहियेगा —

“गुड मौर्निंग ओ सात तलवार वाले सौदागर। मैं तुझसे शर्त लगाता हूँ कि मैं अपनी आखिरी झाड़ू लेता हूँ और तू अपनी पहली तलवार ले ले और फिर देखते हैं कि फ्रांस[2] के राजा का दंड और ताज[3] पहले किसको मिलता है और कौन उसको पहले ले कर आता है।

अगर मेरी बेटी जीत गयी तो तू मुझे अपनी सारी चीज़ें दे देना और अगर तेरा बेटा जीत गया तो मैं अपनी सारी चीज़ें हार जाऊँगा।” और हाँ आप उससे यह बात जरूर जरूर कहियेगा।

और अगर वह इस बात पर राजी हो जाये तो उससे एक कौन्ट्रैक्ट पर दस्तखत जरूर करा लीजियेगा जिसमें ये सब शर्तें लिखी हों ताकि वह बाद में मुकर न जाये।”

यह सुन कर तो पिता का मुँह खुला का खुला रह गया। जब उसकी बेटी की बात खत्म हो गयी तो वह बोला — “पर बेटी तू जानती भी है कि तू क्या कह रही है? क्या तू यह चाहती है कि मैं अपना सब कुछ खो दूँ?”

बेटी बोली — “नहीं पिता जी। मैं ऐसा क्यों चाहूँगी। मैं तो बल्कि यह चाहती हूँ कि आपको उसका भी सब कुछ मिल जाये। आप बिल्कुल मत डरिये। सब मुझ पर छोड़ दीजिये।

आप तो बस उससे शर्त लगाइये और इस शर्त के कौन्ट्रैक्ट को लिख कर उस पर दस्तखत करा लीजिये। फिर मैं देखती हूँ कि क्या होता है।”

उस रात सात बेटियों का पिता सौदागर एक मिनट के लिये भी नहीं सो सका और सुबह का इन्तजार करता रहा। अगले दिन सुबह से ही वह अपने छज्जे पर जा पहुँचा। आज वह दूसरे दिनों से पहले ही वहाँ पहुँच गया था। सामने वाले सौदागर की खिड़की अभी भी बन्द थी।

अचानक सामने वाले सौदागर की खिड़की खुली और उसमें उसको वह सात बेटों का पिता सौदागर दिखायी दिया। उसने अपनी खिड़की खोल कर रोज की तरह उसको गुड मौर्निंग की — “गुड मौर्निंग ओ सात झाड़ुओं वाले सौदागर।”

आज वह सात बेटियों का पिता यह सुन कर दुखी हो कर अन्दर नहीं गया क्योंकि आज तो वह उसकी इस गुड मौर्निंग का जवाब देने के लिये तैयार था सो वह बोला —

“गुड मौर्निंग ओ सात तलवार वाले सौदागर। मैं आज तुझसे एक शर्त लगाता हूँ। मैं अपनी आखिरी झाड़ू लेता हूँ और तू अपनी पहली तलवार ले ले।

हम इन दोनों को एक एक घोड़ा और एक एक थैला भर कर पैसे देंगे और देखते हैं कि दोनों में से पहले कौन फ्रांस के राजा का दंड और ताज हमारे पास ले कर आता है। हम इस बात पर अपना अपना पूरा सामान दाँव पर लगाते हैं।

अगर मेरी बेटी जीत गयी तो तेरा सारा सामान मेरा हो जायेगा और अगर तेरा बेटा जीत गया तो मेरा सारा सामान तेरा हो जायेगा।”

यह सुन कर वह सात बेटों वाला सौदागर पिता तो हक्का बक्का रह गया। फिर ज़ोर से हँस पड़ा और अपना सिर ज़ोर से ना में हिलाया जैसे कि कह रहा हो कि सात बेटियों का यह पिता कहीं पागल तो नहीं हो गया।

बेटियों का पिता बोला — “क्या तू डरता है? क्या तुझे अपने बेटे पर भरोसा नहीं है?”

बेटों का पिता बोला — “मैं अपनी बात के लिये राजी हूँ। चल कौन्ट्रैक्ट पर दस्तखत करते हैं और उन दोनों को फ्रांस के राजा का दंड और ताज लाने के लिये भेजते हैं।”

यह सब वह बेटियों के पिता से कह कर इस सबको अपने सबसे बड़े बेटे से कहने के लिये वह तुरन्त ही अन्दर चला गया।

यह सोच कर ही कि वह “पड़ोसी सौदागर की उस सुन्दर लड़की के साथ जायेगा” वह लड़का मुस्कुरा दिया। सो उन शर्तों के साथ कौन्ट्रैक्ट पर दस्तखत हो गये। दोनों बच्चों को एक एक घोड़ा और एक एक पैसों का थैला दे दिया गया और उनके जाने का समय तय कर दिया गया।

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जब जाने का समय आया तो वह लड़की एक लड़के के वेश में तैयार हो कर आयी और आ कर अपनी सफेद फ़िली घोड़ी[4] पर बैठ गयी। तब उस लड़के को लगा कि यह मजाक का मामला नहीं था।

असल में तो जब उनके पिताओं ने एक बार उस कौन्ट्रैक्ट पर दस्तखत कर दिये और उनको कह दिया कि “जाओ” तो वह लड़की तो अपनी फ़िली घोड़ी पर तुरन्त ही दौड़ गयी जबकि दूसरे सौदागर के लड़के का अपना मजबूत घोड़ा केवल हिनहिनाता ही रह गया। उसको चलने में थोड़ा समय लगा।

फ्रांस में पहुँचने के लिये एक घना, अ‍ँधेरा और बिना रास्ते वाला जंगल पार करना पड़ता था। लड़की की फ़िली तो उसमें से कूदती हुई ऐसे निकल गयी जैसे वह अपने घर में से जा रही हो।

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वह कभी ओक के पेड़ों के दाँये से निकल जाती, तो कभी पाइन के पेड़ों के बाँये से निकल जाती, तो कभी हैज[5] के ऊपर छलाँग लगा देती पर बस वह तो आगे ही आगे बढ़ती जा रही थी।

पर इस घोड़ी के सामने लड़के के मजबूत घोड़े को थोड़ी परेशानी हो रही थी। पहली बार तो उसकी ठोड़ी ही एक पेड़ की झुकी हुई डाल से टकरा गयी तो वह लड़का उसकी जीन[6] से ही नीचे गिर गया।

फिर उसके घोड़े के पैर नीचे पड़ी सड़ी पत्तियों के ढेर पर पड़ कर उसमें फँस गये और वह पेट के बल गिर पड़ा। फिर वे दोनों यानी लड़का और घोड़ा एक ब्रायर के मैदान[7] में फँस गये और बहुत देर तक नहीं निकल सके।

पर इस बीच वह लड़की अपनी फ़िली पर चढ़ कर वह जंगल पार कर गयी और उस लड़के से मीलों आगे निकल गयी। फ्रांस पहुँचने के लिये उस जंगल के बाद फिर एक पहाड़ पार करना पड़ता था जो चोटियों और खाइयों से भरा हुआ था।

वह लड़की पहाड़ की चढ़ाई पर ऊपर चढ़ रही थी जब उसको उस लड़के के घोड़े के टापों की आवाज अपने पीछे आती सुनायी दी। पर उसकी फ़िली तो बस चढ़ती ही जा रही थी जैसे वह उसका अपना घर हो।

वह पत्थरों के दाँये बाँये से कूदती फाँदती हुई अब मैदानों में आ पहुँची थी। पर लड़के को अपने मजबूत घोड़े को उस पहाड़ पर ले जाने में काफी मेहनत करनी पड़ रही थी।

बीच में पहाड़ भी टूट कर गिर पड़ा जिससे उसका घोड़ा गिर पड़ा और फिर वह वापस जहाँ से चढ़ने के लिये चला था वहीं आ गया।

लड़की तो फ्रांस जाने के रास्ते पर उस लड़के से कहीं बहुत आगे थी। फ्रांस पहुँचने के लिये अभी उसको एक नदी और पार करनी थी। उसकी फ़िली उस पानी में कूद पड़ी और तेज़ी से नदी पार करके उसके दूसरे किनारे पर आ गयी।

जब वह लड़की दूसरे किनारे पर आ गयी तो उसने लड़के को ढूँढने के लिये इधर उधर देखा तो उसने लड़के को नदी की तरफ आते देखा और अपने नदी में से निकलने के बाद में उसके घोड़े को नदी में घुसते देखा।

पर लड़के के घोड़े को नदी पार करने का शायद ज़्यादा पता नहीं था सो जब उसका घोड़ा नदी की बालू पर पैर न रख सका तो वह घोड़ा और वह लड़का दोनों नदी के तेज़ बहाव में बह गये।

लड़की पेरिस[8] पहुँच गयी। वह अभी भी एक लड़के के वेश में थी। वहाँ पहुँच कर वह एक ऐसे सौदागर के पास गयी जो उसको अपने यहाँ काम दे देता। यह सौदागर राजमहल में सामान पहुँचाता था।

जब उसने इतना सुन्दर नौजवान देखा तो उसने उसको तुरन्त ही काम पर रख लिया और फिर वह उसी के हाथों अपना सामान राजमहल में भेजने लगा।

जब राजा ने सौदागर के उस नौजवान नौकर को देखा तो उसने उससे पूछा — “तुम कौन हो? तुम तो मुझे कोई परदेसी लगते हो। यहाँ कैसे आये हो?”

नौजवान ने जवाब दिया — “मैजेस्टी, मेरा नाम टैम्परीनो[9] है। मैं नैपिल्स[10] के राजा के यहाँ उनकी चीज़ों पर खुदाई का काम[11] करता था। पर वहाँ कुछ ऐसी घटनाएं हो गयी जिनकी वजह से मुझे यहाँ आना पड़ा।”

यह सुन कर राजा ने पूछा — “अगर मैं तुम फ्रांस के शाही महल में खुदाई करने वाले की जगह दे दूँ तो क्या तुम वह काम करना पसन्द करोगे?”

वह नौजवान बोला — “ओह मैजेस्टी, वह तो मेरे लिये भगवान का दिया हुआ वरदान होगा।”

“ठीक है मैं तुम्हारे मालिक से बात करूँगा।” राजा ने उस सौदागर से उस नौजवान के बारे में बात की तो उस सौदागर की उस को छोड़ने की इच्छा तो नहीं हो रही थी पर वह राजा का हुकुम भी नहीं टाल सकता था सो उसने उस नौजवान को राजा को दे दिया। और इस तरह वह लड़की राजा के राजमहल में खुदाई करने वाला बन गया।

राजा उसको रोज देखता और जितना देखता उसको देख कर उसके दिल में कुछ कुछ होता। एक दिन उसने अपनी माँ से इस नौजवान के बारे में बात की।

उसने अपनी माँ से कहा — “माँ इस टैम्परीनो में कुछ राज़ है जो मैं सुलझा नहीं पा रहा हूँ। इसके हाथ बहुत सुन्दर हैं, इसकी कमर बहुत पतली है, यह गाता बजाता है और पढ़ता लिखता है। मुझे लगता है कि टैम्परीनो लड़का है ही नहीं बल्कि एक लड़की है। मैं उसे अपना दिल दे बैठा हूँ।”

माँ बोली — “बेटे तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है।”

राजा बोला — “नहीं माँ, मेरा दिमाग खराब नहीं हुआ बल्कि मुझे पूरा यकीन है कि टैम्परीनो लड़का नहीं एक लड़की है। मुझे तुमसे बस यही पूछना है कि मैं इसे कैसे साबित करूँ।”

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माँ बोली — “तुम ऐसा करो कि एक दिन उसको शिकार के लिये ले जाओ। अगर वह केवल क्वैल[12] का शिकार करे तब तो वह एक लड़की है क्योंकि फिर उसके दिमाग में केवल एक भुनी हुई चिड़िया ही आयेगी।

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और अगर वह गोल्ड फ़िन्च[13] का शिकार करे तब वह एक आदमी है क्योंकि आदमी लोगों को अपने शिकार के पीछे भागना अच्छा लगता है।”

इस प्लान के मुताबिक राजा ने ऐसा ही किया। उसने टैम्परीनो को एक बन्दूक दी और उसको शिकार का न्यौता दिया। टैम्परीनो ने कहा कि वह शिकार के लिये अपने ही घोड़ी पर जायेगा सो वह अपनी फ़िली पर चढ़ा और राजा के साथ शिकार पर चल दिया।

टैम्परीनो को धोखा देने के लिये राजा ने केवल एक क्वैल मारी पर जब भी कोई क्वैल दिखायी दी तो फ़िली पीछे हट गयी। इससे टैम्परीनो को लगा कि उसको क्वैल को नहीं मारना चाहिये।

सो टैम्परीनो ने पूछा — “मैजेस्टी, क्या मैं आपसे यह पूछने की हिम्मत कर सकता हूँ कि क्या क्वैल को मारना शिकार करने की होशियारी का इम्तिहान है? आपने भूनने के लिये तो काफी क्वैल मार ली हैं अब कुछ गोल्ड फ़िन्चैज़ भी मार लीजिये जो कि क्वैल को मारने से ज़्यादा मुश्किल काम है।”

जब राजा घर पहुँचा तो उसने यह सब कुछ अपनी माँ को बताया — “माँ, तुम ठीक कहती थीं वह गोल्ड फ़िन्चैज़ को मारने पर ज़्यादा ज़ोर दे रहा था बजाय क्वैल के। पर मैं अभी भी सन्तुष्ट नहीं हूँ।

माँ, उसके हाथ बहुत सुन्दर हैं, उसकी कमर बहुत पतली है, यह गाता बजाता है और पढ़ता लिखता है। माँ मैं फिर कहता हूँ कि टैम्परीनो एक लड़की है जिसको मैं अपना दिल दे बैठा हूँ।”

माँ बोली — “तो बेटे, अब हम उसका दूसरा इम्तिहान लेते हैं। तुम उसको बागीचे में सलाद तोड़ने के लिये जाओ। अगर वह बड़ी सावधानी से केवल ऊपर वाले पत्ते तोड़ता है तो वह एक लड़की है क्योंकि हम स्त्रियों में आदमियों से ज़्यादा धीरज होता है।

और अगर वह जड़ के साथ सारा का सारा पौधा ही उखाड़ लेता है तब वह एक आदमी है।”

सो अबकी बार राजा उसको अपने बागीचे में सलाद तोड़ने के लिये ले गया और वह खुद सलाद के ऊपर ऊपर के पत्ते तोड़ने लगा। वह खोदने वाला टैम्परीनो भी यही करने वाला था कि उसकी फ़िली आयी और उन पौधों को जड़ से उखाड़ने लगी।

टैम्परीनो समझ गया कि उसको भी वही करना था। उसने तुरन्त ही पूरे के पूृरे सलाद के पौधे उखाड़ कर अपनी टोकरी भर ली। उन पौधों पर अभी भी मिट्टी लगी थी।

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फिर राजा उसको फूलों की क्यारियों की तरफ ले गया और बोला — “देखो कितने सुन्दर गुलाब खिले हैं यहाँ।” पर फ़िली अपने मालिक को दूसरी तरफ ले गयी जिधर कारनेशन और चमेली[14] के फूल खिले थे।

टैम्परीनो बोला — “गुलाब के तो काँटे हाथों में चुभ जायेंगे। तुम कारनेशन और चमेली के फूल तोड़ो न।” राजा यह सुन कर कुछ नाउम्मीद सा तो हो गया पर फिर भी उसने अपनी उम्मीद नहीं छोड़ी।

उसने यह सब जा कर फिर अपनी माँ से कहा क्योंकि उसको हमेशा ही यह लगता — “इसके हाथ बहुत सुन्दर हैं, इसकी कमर बहुत पतली है, यह गाता बजाता है और पढ़ता लिखता है। मुझे लगता है कि टैम्परीनो लड़का है ही नहीं बल्कि एक लड़की है और मैं उसे अपना दिल दे बैठा हूँ।”

माँ बोली — “बेटे, अब इस समय बस तुम्हारे पास केवल एक तरीका ही और रह गया है और वह यह कि तुम उसको अपने साथ तैरने के लिये ले जाओ।”

सो राजा ने टैम्परीनो से कहा — “चलो आज नदी में तैरने चलते हैं।” टैम्परीनो तैयार हो गया।

नदी पर पहुँच कर टैम्परीनो बोला — “मैजेस्टी, पहले आप अपने कपड़े उतारिये।” राजा समझ गया कि वह राजा के पीछे अपने कपड़े उतारेगा सो वह अपने कपड़े उतार कर नदी में घुस गया।

उसी समय ज़ोर से हिनहिनाने की आवाज आयी और फ़िली वहाँ दौड़ती हुई आयी। उसके मुँह से झाग निकल रहे थे।

उसको देखते ही टैम्परीनो चिल्लाया — “ओह मेरी फ़िली। मैजेस्टी आप ज़रा सा इन्तजार कीजिये। मेरी फ़िली बहुत खुश है। मैं ज़रा उसके पास हो कर आता हूँ।” और वह फ़िली के पीछे दौड़ गया।

टैम्परीनो सीधा शाही महल दौड़ा गया और रानी माँ से जा कर बोला — “रानी माँ, राजा नदी में बिना कपड़ों के हैं और चौकीदार इस हालत में उनको बिना पहचाने पकड़ भी सकते हैं इसलिये उन्होंने अपना दंड और ताज लेने के लिये मुझे यहाँ भेजा है ताकि वे उनको उन चीज़ों से पहचान सकें।”

रानी माँ तो यह सुन कर घबरा गयी। बिना सोचे समझे उसने राजा का दंड और ताज टैम्परीनो को दे दिये। जब वे उसके हाथ में आ गये तो वह अपने फ़िली पर चढ़ा और यह गाता हुआ चल दिया

मैं यहाँ एक लड़के के रूप में आयी

मैं एक लड़के के रूप में ही वापस जा रही हूँ

वैसे ही मैंने राजा का दंड और ताज भी ले लिया।

उसने नदी पार की, उसने पहाड़ पार किया, उसने जंगल पार किया और अपने घर आ गयी।

घर आ कर उसने देखा तो सामने वाले सौदागर का बेटा तो वहाँ अभी तक आया ही नहीं था और इस तरह वह जीत गयी। सामने वाले सौदागर की सारी चीज़ें उसके पिता की हो गयीं।

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[1] First Sword and Last Broom (Story No 124) – a folktale from Naples area, Italy, Europe.

Adapted from the book: “Italian Folktales”, by Italo Calvino. Translated by George Martin in 1980.

[2] France is a country in Europe

[3] Who can get the scepter and the crown of the King of France first? See the picture of the crown of the King of France above.

[4] Filly horse is a young female horse, too young to be called a mare, is up to first breeding or 4 years of age. See its picture above.

[5] Hedge is normally a low wall, 3-6 feet tall, otherwise it can be high also – as high as 10-12 feet, made of very densely planted plants. It works as a boundary wall to protect the house from thieves and animals etc. See its picture above

[6] Translated for the word “Saddle”.

[7] Briar is a kind of poisonous grass/plant

[8] Paris is the capital of France country

[9] Temperino – name of the girl. Temperino means small knife

[10] Naples is big important historical city and port of Italy situated at South to Rome on its Western coast.

[11] Translated for the word “Carver” who carves on wood or metal

[12] Quail is a mid-sized bird found in many species. See the picture here of a Californian Quail bird.

[13] Gold Finch is a bird which is found in several colors. One of its types is shown here in yellow color.

[14] Carnation and jasmine. See the picture of pink carnation flower above.

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तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड 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पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi 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रचनाकार: देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–5 : 16 पहली तलवार और आखिरी झाड़ू // सुषमा गुप्ता
देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–5 : 16 पहली तलवार और आखिरी झाड़ू // सुषमा गुप्ता
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रचनाकार
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