देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–7 : 4 मटर और बीन्स का व्यापारी // सुषमा गुप्ता

SHARE:

4 मटर और बीन्स का व्यापारी [1] यह बहुत दिन पुरानी बात है कि इटली के पलेरमो शहर [2] में डौन जिओवानी मिसिरान्ती [3] नाम का एक आदमी रहता था। ...

clip_image002

4 मटर और बीन्स का व्यापारी

[1]

यह बहुत दिन पुरानी बात है कि इटली के पलेरमो शहर[2] में डौन जिओवानी मिसिरान्ती[3] नाम का एक आदमी रहता था।

वह दोपहर को शाम के खाने के सपने देखता था और शाम को रात के खाने के सपने देखता था और रात को दोनों समय के खाने के सपने देखता था। यानी वह हर समय खाने के ही सपने देखता रहता था।

एक दिन जब भूख उसका पेट एंठ रही थी तो वह बाहर गया और बोला — “ओह मेरी भी क्या किस्मत है। तूने तो बस मुझे छोड़ ही रखा है।”

तभी चलते चलते उसको अपने सामने एक बीन का दाना पड़ा दिखायी दे गया। उसने उसको उठा लिया और सोचा कितनी सुन्दर बीन है। मैं इसको एक बरतन में बो दूँगा। फिर इसमें से बीन का एक पौधा निकल आयेगा और फिर उसमें बहुत सारी सुन्दर फलियाँ लगेंगी।

clip_image004

उन फलियों को मैं सुखा लूँगा। उसमें से निकली बीन्स को मैं फिर एक बड़े से बरतन में बो दूँगा। उसमें फिर और बहुत सारी फलियाँ आ जायेंगी।

clip_image006तीन साल के अन्दर अन्दर मेरा एक बहुत बड़ा बीन्स का बागीचा[4] हो जायेगा। और चौथे साल में तो मैं एक भंडारघर भी किराये पर ले लूँगा और मैं बीन्स का एक बहुत बड़ा व्यापारी बन जाऊँगा।

इस बीच वह चलता चलता सेन्ट ऐन्थोनी गेट[5] से आगे निकल गया। अब वहाँ तो बहुत सारे भंडारघर थे। उनमें से एक भंडारघर के सामने एक स्त्री बैठी हुई थी।

उसने उस स्त्री से पूछा — “मैम, क्या ये भंडारघर किराये पर देने के लिये हैं?”

“जी हाँ जनाब। किसको चाहिये?”

“मेरे मालिक को चाहिये। इस बारे में वह किससे बात करें?”

“ऊपर एक स्त्री रहती है उससे।”

डौन पहले तो कुछ देर सोचता रहा फिर वह अपने एक दोस्त से मिलने चल दिया। उसने अपने दोस्त से कहा — “सेन्ट जौन की खातिर[6] मेरे दोस्त तुम मुझको ना मत करना। तुम मुझे अपने एक जोड़ी कपड़े 24 घंटे के लिये उधार दे दो।”

“ओह नहीं नहीं, बिल्कुल नहीं। तुम यकीनन मेरे कपड़े उधार ले सकते हो।” कह कर उसने डौन को अपने एक जोड़ी कपड़े एक दिन के लिये उधार दे दिये।

डौन ने अपने दोस्त के कपड़े पहने – यहाँ तक कि उसके दस्ताने और घड़ी भी। फिर वह एक नाई के पास अपनी हजामत बनवाने गया।

वहाँ से फिर वह सेन्ट ऐन्थोनी गेट के पास आ गया। वह बीन अभी भी उसकी जेब में थी और वह उसको बार बार हाथ डाल कर देख लेता था कि वह वहाँ है कि नहीं।

वह स्त्री अभी भी वहीं बैठी हुई थी। उसने उससे कहा — “क्या वह स्त्री तुम ही हो जिससे मेरे नौकर ने भंडारघर के बारे में बात की थी?”

“जी हाँ जनाब। आप क्या उस स्त्री को देखने के लिये आये हैं जो ये भंडारघर किराये पर देती है? आप मेरे साथ साथ आइये मैं आपको अपने मालिक की पत्नी के पास ले चलती हूँ।”

डौन का दिल बहुत धड़क रहा था पर वह उस स्त्री के पीछे पीछे चल दिया। वहाँ पहुँच कर उसने खुद को भंडारघरों के मालिक की पत्नी को अपना परिचय दिया।

एक भले से आदमी को देख कर वह स्त्री उससे बहुत प्रभावित हुई। वह आदमी जो बहुत अच्छी तरीके से कपड़े पहने था – टोप, दस्ताने, सोने की घड़ी और सोने की जंजीर भी। वह उसको बहुत ही भला आदमी लगा।

उस स्त्री ने उसका बहुत अच्छे से स्वागत किया और फिर वे भंडारघर के बारे में बात करने बैठे।

उनकी बातचीत के बीच में एक नौजवान लड़की उस कमरे में घुसी तो डौन तो उसको देखता ही रह गया। उसने मालिक की पत्नी से पूछा कि क्या वह लड़की उसकी कोई रिश्तेदार थी?

मालिक की पत्नी ने जवाब दिया — “यह मेरी बेटी है।”

“अकेली है?”

“हाँ अभी तक तो अकेली ही है।”

“यह सुन कर मुझे बहुत खुशी हुई। मैं भी अभी तक अकेला ही हूँ।

कुछ देर बाद डौन ने कहा — “भंडारघर के बारे में तो हम लोग तय कर ही चुके हैं अब हम इस बेटी के बारे में भी कुछ तय कर लें। वह लड़की क्या सोचती है?”

“देखेंगे।”

इतने में ही उस स्त्री का पति आ गया। डौन उठा और उसने उसको झुक कर नमस्ते की और बोला — “मैं एक जमींदार हूँ और मैं आपके 13 भंडारघर अपनी मटर और बीन्स और बाकी की उपज को रखने के लिये किराये पर लेना चाहूँगा। इसके अलावा मैं आपकी बेटी का हाथ भी माँगना चाहता हूँ।”

“आपका नाम क्या है?”

“मेरा नाम है डौन जिओवानी मिसिरान्ती है और मैं मटर और बीन्स का व्यापारी हूँ।”

“ठीक है डौन जिओवानी। मुझे सोचने के लिये 24 घंटे का समय दो फिर मैं तुम्हारी बात का जवाब दे पाऊँगा।”

“खुशी से।” कह कर डौन वहाँ से चला गया।

उस रात माँ अपनी बेटी को एक अलग जगह ले गयी और उसको डौन जिओवानी के बारे में बताया जो मटर और बीन्स दोनों का व्यापारी था। उसने अपनी बेटी से कहा कि वह उससे शादी करना चाहता है। वह लड़की तुरन्त तैयार हो गयी।

अगले दिन डौन जिओवानी फिर अपने दोस्त के घर गया और उससे उसकी एक दूसरी पोशाक उधार ली। पर पहला काम उसने यह किया कि वह बीन उसने उस पुरानी पोशाक में से निकाल कर अपनी नयी पोशाक में रखी।

सो दूसरी पोशाक पहन कर वह फिर से उन भंडारघरों के मालिक के घर गया। लड़की का जवाब हाँ में पा कर तो बस वह सातवें आसमान पर पहुँच गया था।

वह बोला — “तब मैं उससे जितनी जल्दी हो सकता है उतनी जल्दी शादी करना चाहूँगा। क्योंकि मेरे पास इतने काम हैं कि मेरे पास बहुत ज़्यादा समय नहीं है।”

लड़की के माता पिता ने जवाब दिया — “हाँ हाँ क्यों नहीं मिस्टर डौन जिओवानी। क्या आप इस समझौते के कागज पर एक हफ्ते में दस्तखत कर देंगे?”

उस सारे समय में डौन जिओवानी अपने दोस्त से रोज नये नये कपड़े उधार लेता रहा और रोज अलग अलग कपड़े पहन कर उनके घर जाता रहा ताकि उसके ससुराल वाले उसको एक अमीर आदमी समझते रहें।

फिर उन दोनों ने एक कौन्ट्रैक्ट पर दस्तखत किये जिसके अनुसार 2000 सोने के क्राउन नकद, चादरें, और बिस्तर के दूसरे कपडों का दहेज तय हुआ।

इतना सारा पैसा हाथ में देख कर जिओवानी को लगा कि वह तो एक नया ही आदमी हो गया है। अब वह शादी की खरीदारी करने के लिये निकला।

उसने अपनी पत्नी के लिये कुछ भेंटें खरीदीं, अपने लिये कुछ कपड़े खरीदे और और भी कुछ खरीदारी की जो उसको अमीर दिखाने के लिये जरूरी थी।

कौन्ट्रैक्ट पर दस्तखत करने के एक हफ्ते के बाद उसने बहुत बढ़िया कपड़ों में शादी कर ली। पर बीन का वह दाना हमेशा उसकी जेब में ही रखा रहा।

नये शादीशुदा जोड़े ने दावतें कीं और डौन ने उनमें पैसा खूब दिल खोल कर खर्च किया जैसे कि वह कोई बहुत बड़ा आदमी हो। पर उसकी सास उसके इस तरीके से पैसा खरचने के ढंग से कुछ बेचैन हो उठी।

एक दिन उसने डौन से कहा — “तुम मेरी बेटी को अपने खेत दिखाने कब ले जा रहे हो डौन। अब तो फसल की कटाई का समय भी आ गया है।”

clip_image008

डौन को पहले तो कुछ अटपटा लगा और वह कोई सफाई नहीं दे सका। फिर उसने अपनी अच्छी किस्मत से कहा कि “ओ मेरी अच्छी किस्मत तुमको एक बार फिर मेरी सहायता करनी है।”

उसके पास अपनी पत्नी और सास के लिये एक सीडान कुरसी[7] तैयार थी।

clip_image010

सो उसने उनसे कहा — “चलिये, अब चलने का समय आ गया। हम लोग मसीना[8] की तरफ चलेंगे। मैं आगे आगे घोड़े पर चलूँगा और आप लोग मेरे पीछे पीछे आना।”

सो डौन जिओवानी अपने घोड़े पर सवार हो कर आगे आगे चला और उसकी सास और पत्नी सीडान कुरसी में बैठ कर उसके पीछे पीछे चलीं।

चलते चलते जब वह एक ऐसी जगह आया जहाँ उसको लगा कि वहाँ वह उनको अपने खेत दिखा सकता है वह वहाँ रुक गया।

उसने एक किसान को बुलाया उसको 12 क्राउन दिये और कहा कि यह तुम्हारे लिये हैं। जब तुम एक सीडान देखो जिसमें दो स्त्रियाँ बैठी हों और वे पूछें कि ये खेत किसके हैं तो उनसे कहना कि ये खेत डौन जिओवानी मिसिरान्ती के हैं जो मटर ओर बीन्स दोनों का व्यापारी है।

इतने में ही वह सीडान भी वहाँ आ गयी। उसमें बैठी स्त्रियों ने पूछा ये सुन्दर खेत किसके हैं। उस किसान ने जवाब दिया कि ये खेत डौन जिओवानी मिसिरान्ती के हैं जो मटर और बीन्स दोनों के व्यापारी हैं।

माँ और बेटी दोनों ही यह सुन कर बहुत खुश हुईं और आगे बढ़ीं। एक दूसरी जगह भी ऐसा ही हुआ। डौन जिओवानी इस तरह घोड़े पर आगे आगे चलता रहा और कुछ किसानों को 12–12 क्राउन देता रहा और उनके खेतों को अपने खेत बताता रहा।

यह सब उसकी उस लकी बीन की करामात थी जो उसकी जेब में रखी हुई थी। जब वे एक ऐसी जगह पहुँचे जहाँ से आगे कुछ और दिखाने को नहीं था तो उसने सोचा कि अब वह किसी सराय में पहुँच कर उन दोनों का इन्तजार करता है।

उसने चारों तरफ देखा तो उसको वहाँ पर एक बहुत बड़ा सा महल दिखायी दिया। उसकी खिड़की पर एक नौजवान लड़की हरे रंग की पोशाक पहने खड़ी थी।

उस लड़की ने इशारे से उसे अन्दर बुलाया। डौन जिओवानी चमकती हुई सीढ़ियों से ऊपर जाने में हिचकिचा रहा था कि कहीं ऐसा न हो कि उस महल की वे सीढ़ियाँ उसके पैरों से गन्दी हो जायें।

कि इतने में वह लड़की नीचे आयी और उसको महल का सब कुछ दिखाते हुए बोली “क्या तुमको यह महल पसन्द आया?”

डौन जिओवानी हँस कर बोला — “अरे यह तुम क्या कह रही हो। क्या मैं इसको नापसन्द करूँगा? अरे इस महल में तो मैं लाश बन कर भी रहना पसन्द करूँगा।”

वह लड़की फिर बोली — “तो जाओ और जा कर इस महल को इधर उधर देखो। तुम दूसरी मंजिल तक जाओ और वहाँ भी इस महल को देखो।”

फिर उसने उसको सारे कमरे दिखाये। वहाँ तो सारे में रत्न ही रत्न लगे हुए थे, बढ़िया परदे लगे हुए थे और वहाँ की सारी चीज़ें ऐसी थी जैसी कि डौन जिओवानी ने कभी सपने में भी नहीं देखीं थीं। वह तो अब तक केवल खाने के ही सपने देखता रहा था।

“तुमने यह सब देखा? यह सब तुम्हारा है इसको ठीक से रखना। यह कौन्ट्रैक्ट है और यह मेरी तरफ से एक छोटी सी भेंट है। मैं ही तो वह बीन हूँ जिसको तुमने जमीन से उठा कर अपनी जेब में रख लिया था। तुम इसमें रह कर आनन्द करो और मैं अब चलती हूँ।”

डौन जिओवानी उसके पैरों पर गिरने ही वाला था और उससे कहने ही वाला था कि इस सबके लिये वह उसका कितना आभारी था पर वह हरी पोशाक वाली लड़की तो उसके ऑखों के सामने सामने ही गायब हो गयी।

और वह और वह सुन्दर महल वहीं का वहीं खड़ा रह गया। और अब वह महल उसका था – डौन जिओवानी मिसिरान्ती का।

जब डौन की सास ने वह महल देखा तो बोली — “ओह मेरी बेटी, तुम्हारी किस्मत तो कितनी अच्छी है। ओह डौन जिओवानी, मेरे बेटे, मुझे नहीं मालूम था कि तुम्हारे पास इतना अच्छा महल है। और तुमने इसके बारे में कभी बताया भी तो नहीं।”

“आप ठीक कहती हैं माँ जी। मैं तो आपको आश्चर्यचकित कर देना चाहता था।” फिर वह उनको उस महल को दिखाने के लिये ले गया हालाँकि वह तो खुद भी उसको पहली बार ही देख रहा था।

उसने उनको चारों तरफ लगे रत्न दिखाये, एक तहखाना दिखाया जो सोने और चाँदी से भरा हुआ था। उसके बीच में एक फावड़ा रखा हुआ था। फिर उन्होंने उसकी घुड़साल देखी जिसमें बहुत सारी गाड़ियाँ भी रखी हुईं थीं और सबसे बाद में देखे उन्होंने अपने बहुत सारे नौकर चाकर।

उन्होंने उसके ससुर को लिखा कि वह अपना सब कुछ बेच दे और अब वहीं उसके पास आ कर ही रहे।

डौन जिओवानी मिसिरान्ती ने कुछ इनाम उस औरत को भी भेजा जिसने उसको अपने मालिक की पत्नी से मिलवाया था।

clip_image012


[1] Dealer in Peas and Beans (Story No 154) – a folktale from Italy from its Palermo area.

Adapted from the book : “Italian Folktales”, by Italo Calvino”. Translated by George Martin in 1980.

[2] Palermo city is in Italy on its Sicily Island.

[3] Don Giovanni Misiranti – name of the trader

[4] Bean farm – see the picture of a bean farm above

[5] St Anthony Gate

[6] For the sake of St John

[7] Sedan chair is like palanquin which is carried by two or sometimes four people

[8] Messina – a locality on Scicily Island of Italy. See its map above.

------------

सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का  विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से क्रमशः  - रैवन की लोक कथाएँ,  इथियोपिया इटली की  ढेरों लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.

(क्रमशः अगले अंकों में जारी….)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–7 : 4 मटर और बीन्स का व्यापारी // सुषमा गुप्ता
देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–7 : 4 मटर और बीन्स का व्यापारी // सुषमा गुप्ता
https://lh3.googleusercontent.com/-RJkx_cbf4oI/Wh6PAnMjsoI/AAAAAAAA80Y/dx-9cyWD36YO4Jzj4UwEDHzOjm5Y6mscACHMYCw/clip_image002_thumb%255B1%255D?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-RJkx_cbf4oI/Wh6PAnMjsoI/AAAAAAAA80Y/dx-9cyWD36YO4Jzj4UwEDHzOjm5Y6mscACHMYCw/s72-c/clip_image002_thumb%255B1%255D?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2017/11/7-4-italy-ki-lokkatha-matar-vyapari.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2017/11/7-4-italy-ki-lokkatha-matar-vyapari.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content