देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–7 : 7 वर्मवुड // सुषमा गुप्ता

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7 वर्मवुड [1] यह कहानी बहुत बार कही गयी है। आज हम इसे एक बार फिर लिख रहे हैं। यह कहानी कुछ ऐसे है कि एक बार एक राजा और रानी थे। पर इस राजा औ...

7 वर्मवुड[1]

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यह कहानी बहुत बार कही गयी है। आज हम इसे एक बार फिर लिख रहे हैं। यह कहानी कुछ ऐसे है कि एक बार एक राजा और रानी थे। पर इस राजा और रानी के महल में जब भी रानी किसी बच्चे को जन्म देती तो वह एक लड़की को ही जन्म देती।

राजा को एक बेटे की जरूरत थी जो उसके बाद उसका राज्य सँभाल सकता। जब राजा का धीरज छूट गया तो उसने रानी से कहा — “रानी जी बस अब बहुत हो गया। अगर तुमने अब एक और लड़की को जन्म दिया तो मैं उसको मार दूँगा।”

और जैसा कि रानी को डर था इस बार उसने फिर से एक लड़की को जन्म दिया पर उसकी यह लड़की बहुत सुन्दर थी। कहीं राजा उसको मार न दे इसलिये उसने उसकी गौडमदर[2] से कहा — “इस बच्ची को तुम ले लो और जैसे तुम चाहो इसको वैसे रखो नहीं तो राजा इसको मार देंगे।”


गौडमदर ने उस बच्ची को ले तो लिया पर वह यही सोचती रही कि वह उसका क्या करे। फिर वह उसको खेतों में ले गयी और उसको एक वर्मवुड[3] की झाड़ी के नीचे रख दिया।

उन्हीं खेतों के पास एक साधु रहता था। उसकी गुफा में एक हिरनी रहती थी जिसके कुछ छोटे छोटे छौने[4] थे जिनको वह दूध पिलाती थी।

वह हिरनी खाना खाने के लिये रोज बाहर जाती थी। एक दिन जब वह बाहर से खाना खा कर लौटी तो उसके बच्चों ने उसका दूध पीने की कोशिश की पर उसके थन खाली थे। उनमें दूध नहीं था सो उसके बच्चे भूखे रह गये।

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उसके अगले दिन भी यही हुआ और उसके अगले दिन भी और उसके अगले दिन भी। इस तरह से उसके अपने बच्चे भूख से कमजोर होने लगे।

साधु ने जब यह देखा तो उसको उस हिरनी के बच्चों पर बहुत दया आयी सो वह उस हिरनी के साथ यह देखने के लिये बाहर गया कि हिरनी के दूध का क्या होता है। जब वह गया तो उसको पता चला कि वह एक वर्मवुड की झाड़ी की तरफ जाती है और एक बच्ची को अपना दूध पिलाती है।

साधु ने उस बच्ची को उठा लिया और उसे अपनी गुफा में ले आया। उसने हिरनी से कहा — “लो अब तुम इस बच्ची को अपना दूध यहाँ पिलाओ और अपने दूध को अपने बच्चों और इस बच्ची दोनों में बाँटो।”

बच्ची धीरे धीरे बड़ी होती गयी। जैसे जैसे वह बड़ी होती गयी वह बहुत सुन्दर और प्यारी होती गयी। वह उस साधु के घर का काम करती और साधु भी उसको इतना प्यार करता जैसे वह उसकी अपनी बेटी हो। उसने उस बच्ची का नाम भी वर्मवुड की झाड़ी के नाम पर वर्मवुड ही रख दिया।

एक दिन एक और राजा शिकार खेलते खेलते उधर आ निकला। बीच में ही बहुत ज़ोर का तूफान आ गया। बहुत तेज़ हवा चलने लगी, बिजली चमकने लगी और गरज के साथ बहुत तेज़ बारिश होने लगी।

उस तूफान से बचने के लिये उस समय उसको केवल साधु की गुफा ही दिखायी दी सो वह उस साधु की गुफा में चला गया। एक राजा को भीगे हुए अपनी गुफा में आते देख कर साधु ने आवाज लगायी — “वर्मवुड, वर्मवुड। राजा के बैठने के लिये एक कुरसी ले कर आ।”

“वर्मवुड? अरे साधु, यह किस तरह का नाम है?”

तब साधु ने उसको उस बच्ची के वर्मवुड की झाड़ी में पाने और उस झाड़ी के नाम पर उसका नाम रखने के बारे में बता दिया।

जैसे ही राजा ने उस लड़की को देखा तो राजा बोला — “ओ साधु, क्या तुम मुझे इस लड़की को मेरे महल ले जाने की इजाज़त दोगे? तुम तो अब बूढ़े हो रहे हो। तुम्हारे बाद यह लड़की अकेली रह जायेगी तब यह कैसे करेगी? मैं उसको पढ़ाने के लिये टीचर रखूँगा उसको पढ़ना लिखना सिखाऊँगा।”

साधु बोला — “मैजेस्टी। मैं इस बच्ची को बहुत प्यार करता हूँ सो इसकी खुशी के लिये मैं इसको आपको महल में ले जाने की इजाज़त देता हूँ। जो शिक्षा आप इसको देंगे वह मेरे जैसे साधु के लिये तो इसको देना बिल्कुल ही नामुमकिन है।”

राजा ने उस लड़की को अपने साथ अपने घोड़े पर बिठाया और अपने महल चल दिया। महल पहुँच कर उसने उसको दो स्त्रियों के हवाले कर दिया।

जब राजा को उस लड़की के गुणों का पता चला तो उसने सोचा कि वह खुद ही उससे शादी करके उसको अपनी रानी बना लेगा। सो उसने वर्मवुड से शादी कर ली और इस तरह से वर्मवुड उस राज्य की रानी बन गयी। राजा उससे पागलपन की हद तक प्यार करता था।

एक दिन राजा को कहीं बाहर जाना था सो उसने रानी से कहा — “वर्मवुड, मुझे कहीं जाना है। पर मुझे चाहे कितनी भी कम देर के लिये जाना पड़े फिर भी मुझे तुमको यहाँ अकेले छोड़ने में बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता पर क्या करूँ।”

कह कर राजा वहाँ से चला गया।

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एक शाम राजा को अपने राज्य के बाहर कुछ राजकुमार और नाइट्स[5] मिल गये। वहाँ सबने संग साथ में अपनी अपनी पत्नियों की तारीफ करनी शुरू की।

राजा बोला — “करते रहो, तुम लोग जितनी चाहो अपनी अपनी पत्नियों की तारीफ करते रहो पर तुममें से किसी की भी पत्नी मेरी पत्नी जैसी नहीं हो सकती।”

यह सुन कर एक नाइट बोला — “मैजेस्टी, मैं शर्त लगाता हूँ कि मैं अगर आपकी गैरहाजिरी में पलेरमो गया तो मैं आपकी पत्नी साथ कुछ समय गुजार कर जरूर आऊँगा।”

राजा बोला — “नामुमकिन, यह नामुमकिन है।”

नाइट बोला — “क्या हम इस बात पर शर्त लगा लें?”

राजा बोला — “हाँ हाँ, लगा लेते हैं।”

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उन्होंने जायदाद पर शर्त लगायी। उन्होंने एक समय भी निश्चित किया – एक महीना। और वह नाइट पलेरमो चला गया।

पलेरमो पहुँच कर वह सुबह शाम राजा के महल की खिड़की के नीचे चक्कर काटने लगा। दिन निकलते चले गये पर उसको रानी की एक झलक भी देखने को नहीं मिली। महल की खिड़की हमेशा बन्द ही रहती थी।

एक दिन जब वह वहाँ बहुत ही नाउम्मीदी से घूम रहा था तो वहाँ एक बुढ़िया आयी और उससे भीख माँगने लगी। गुस्से में उसने कहा — “चली जा यहाँ से। मुझे तंग न कर।”

बुढ़िया बोली — “सरकार, आप इतना क्यों परेशान है? क्या चीज़ आपको इतना उदास कर रही है?”

इस पर नाइट ने उसको अपनी शर्त के बारे में बता दिया और कहा कि वह महल में अन्दर जाना चाहता था ताकि वह यह देख सके कि रानी कैसी दिखायी देती थी।

बुढ़िया बोली — “आप शान्त हो जायें सरकार, मैं देखती हूँ कि क्या करना है।”

कह कर उस बुढ़िया ने एक टोकरी में अंडे और फल भरे और उनको ले कर महल की तरफ चली। महल के दरवाजे पर जा कर उसने रानी से मुलाकात की इच्छा जाहिर की। उसको इजाज़त मिल गयी।

जब वह रानी के साथ अकेली थी तो उसने रानी को गले लगाया और उसके कान में फुसफुसायी — “मेरी बेटी, तुम मुझे नहीं जानती पर मैं तुम्हारी एक रिश्तेदार हूँ। और मुझे बहुत खुशी है कि मैं तुम्हारे लिये ये कुछ चीज़ें ला सकी।”

रानी को अपने किसी रिश्तेदार के बारे में बिल्कुल पता नहीं था। उसने सोचा शायद यह बुढ़िया उसकी कोई रिश्तेदार रही होगी।

उसने उसके ऊपर विश्वास कर लिया और उसको महल में रहने के लिये बुला लिया। उसने सबको उसकी इज़्ज़त करने के लिये भी कह दिया।

अब रानी के कमरे में वह कभी भी आ जा सकती थी और महल में कहीं भी कुछ भी कर सकती थी।

एक दिन जब रानी सो रही थी तो वह बुढ़िया रानी के कमरे में घुसी। उसके बिस्तर के पास पहुँची और उसकी चादर के नीचे झाँका तो उसने देखा कि उसकी नंगी कमर पर एक मस्सा[6] था। उसने बड़ी सावधानी से कैंची से उसके मस्से के कुछ बाल काट लिये और वहाँ से चल दी। वह अपने काम से बहुत खुश और सन्तुष्ट थी।

वे बाल ला कर उसने नाइट को दे दिये। जब नाइट के हाथ में रानी के मस्से के बाल आ गये और उसने उस बुढ़िया के मुँह से रानी का वर्णन सुन लिया तो उसने उस बुढ़िया को इनाम में बहुत सारे पैसे दिये और वहाँ से तुरन्त ही चल दिया।

निश्चित दिन पर वह राजा और दूसरे नाइट्स के पास पहुँचा। वे सब लोग यह जानने के लिये बहुत उत्सुक थे कि शर्त कौन जीतेगा।

वहाँ पहुँच कर वह नाइट बोला — “योर मैजेस्टी, जो मैं अब आपसे कहने जा रहा हूँ मुझे उसके लिये बहुत अफसोस है। पर अब आप यह बताएं कि यह सच है या नहीं – आपकी पत्नी ऐसी है कि नहीं . . .।” और उसने उसके चेहरे का बहुत ही थोड़ा सा वर्णन दे दिया।

राजा बोला — “यह बिल्कुल ठीक है। पर इससे तो कुछ साबित नहीं होता क्योंकि यह सब तो तुम बिना उसको देखे किसी से सुन कर भी बता सकते हो।”

“तो मैजेस्टी फिर आप ध्यान से सुनें। यह सच है या नहीं कि आपकी पत्नी बाँये कन्धे पर एक मस्सा है?”

यह सुन कर राजा तो पीला पड़ गया। वह बोला — “हाँ है तो।”

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तब उस नाइट ने एक लाकेट निकाला और कहा — “मैजेस्टी, मुझे यह कहते में अच्छा तो नहीं लग रहा पर यह लाकेट यह साबित करता है कि मैं यह शर्त जीत गया।” काँपते हाथों से उसने वह लाकेट खोला और उसमें से रानी के मस्से के बाल निकाले और राजा को दिखाये। उन बालों को देख कर तो राजा का सिर लटक गया।

तुरन्त ही राजा अपने महल लौटा। काफी दिनों की गैरहाजिरी के बाद में जब राजा घर आया तो वर्मवुड हँसती हुई उससे मिलने आयी पर राजा ने न तो उसे गले लगाया और न ही उससे बात की।

उसने अपने नौकरों से अपनी घोड़ा गाड़ी तैयार करने के लिये कहा और फिर अपनी पत्नी से कहा “चलो बैठो इसमें।” रानी उसमें बैठ गयी उसके बाद राजा भी उसके बराबर में बैठ गया और गाड़ी की रास[7] अपने हाथ में ले ली।

रानी ने आश्चर्य से राजा की तरफ देखा भी कि आज राजा उसके साथ इस तरह से क्यों बरताव कर रहा था पर राजा तो बिल्कुल चुपचाप बैठा था।

जब वे लोग पैलैग्रिनो पहाड़[8] की तलहटी में पहुँचे तो राजा ने घोड़ों की रास खींची, गाड़ी रोकी और रानी से कहा “उतरो।” रानी बेचारी उतर गयी।

राजा ने गाड़ी से बिना उतरे उसको एक कोड़ा मारा जिससे वह गिर पड़ी। उसको वहीं उसी हालत में छोड़ कर वह वहाँ से चला गया।

इत्तफाक से उस दिन एक डाक्टर और उसकी पत्नी उधर से सेन्ट रोज़ैली के मन्दिर[9] जा रहे थे। उन्होंने अपने बेटे के जन्म से पहले एक मन्नत मानी थी वे उसी को पूरा करने के लिये वहाँ जा रहे थे। उनके पीेछे उनका एक नौकर अली उनके उस बेटे को ले कर आ रहा था।

जब वे पैलैग्रिनो पहाड़ की तलहटी के पास पहुँचे तो उन्होंने किसी के कराहने की आवाज सुनी। डाक्टर ने सोचा “यहाँ इस सूनी जगह में यह कौन हो सकता है।” सो वह उसी तरफ चल दिया जिधर से वह कराहने की आवाज आ रही थी।

वहाँ जा कर उसने देखा कि वहाँ तो एक घायल और अधमरी स्त्री पड़ी हुई है। डाक्टर ने तुरन्त ही उसकी जितनी अच्छे तरीके से मरहम पट्टी कर सकता था उसकी मरहम पट्टी की और फिर अपनी पत्नी से कहा — “अब हम रोज़ैली के मन्दिर फिर कभी चलेंगे पहले हम इस स्त्री की सहायता कर लें। हम इसको घर ले चलते हैं और वहाँ इसको ठीक करने की कोशिश करेंगे।”

सो वे उसको अपने घर ले गये और वहाँ उसकी देखभाल की। डाक्टर की देखभाल में वर्मवुड जल्दी ही ठीक हो गयी।

डाक्टर ने उससे कितने ही सवाल पूछे पर रानी ने अपने बीते हुए दिनों के बारे में उनको कोई भी बात नहीं बतायी। न ही उनको यह बताया कि यह घटना उसके साथ कैसे हुई।

इस सबके बाद भी डाक्टर की पत्नी ने जब देखा कि वह स्त्री तो बहुत गुणों वाली है तो वह उसको पसन्द करने लगी और उसने उसको अपने घर में नौकरानी रख लिया। अब वह उनकी छोटी बच्ची को सँभालती थी।

एक दिन डाक्टर बोला — “प्रिये उस दिन तो हम इस स्त्री की वजह से अपनी मन्नत पूरी नहीं कर पाये थे तो अब हम अपनी छोटी बेटी को इस स्त्री के पास छोड़ते हैं और अली के साथ अपनी उस मन्नत को पूरी करने के लिये सेन्ट रोज़ैली के मन्दिर चलते हैं।

सो अगले दिन वे अपनी बच्ची और उस स्त्री को सोता छोड़ कर घर से जल्दी ही निकल पड़े। थोड़ी दूर जाने के बाद ही अली ने अपने माथे पर हाथ मारा और बोला — “मालिक, मैं खाने की टोकरी तो घर ही भूल आया।”

डाक्टर बोला — “अरे, तो जाओ और उसे जल्दी से ले कर आओ।”

खाने की टोकरी भूलने का तो उसका एक बहाना था। असल में तो इस नौकर को लग रहा था कि उसके मालिकों को यह नौकरानी बहुत पसन्द आ गयी थी सो उसको उस बेचारी के प्रति बहुत ही नफरत पैदा हो गयी थी।

वह तुरन्त घर की तरफ दौड़ा। वहाँ पहुँच कर उसने देखा कि वह स्त्री और बच्ची तो अभी भी सो ही रहे थे।

उसने कसाई वाला एक बड़ा सा चाकू लिया और उससे उस छोटी बच्ची का गला काट दिया। गला काट कर वह वापस डाक्टर के पास चला गया।

जब वह स्त्री जागी तो वह खून में भीगी हुई थी। उसने इधर उधर देखा तो देखा कि बच्ची का तो गला ही कटा हुआ है। देखते ही वह चिल्लायी — “ओ मेरे भगवान। बेचारे इसके माता पिता। मैं क्या करूँ। मैं उनको क्या जवाब दूँगी।”

परेशान हो कर उसने एक खिड़की खोली और वहाँ से कूद कर जितनी तेज़ भाग सकती थी बाहर भाग गयी।

भागती भागती वह एक खुले मैदान में आयी जहाँ टूटा फूटा एक महल खड़ा हुआ था। वह उस महल के अन्दर चली गयी। उस महल के अन्दर कोई नहीं था। वहाँ उसको एक सोफा दिखायी दे गया सो वह उस सोफे पर जा कर लेट गयी और डर और थकान की वजह से लेटते ही सो गयी।

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अब हम रानी को यहीं सोता हुआ छोड़ते हैं और उस राजा के पास चलते हैं जो कोई लड़की नहीं चाहता था।

कुछ समय बाद उसकी रानी ने अपने पति को बताया कि उस समय उसने जिस लड़की को जन्म दिया था वह मरी नहीं थी बल्कि उसने उसको उसकी गौडमदर को दे दिया था। पर फिर उसने उसके बारे में कुछ नहीं सुना।

इसको सुन कर तो राजा बहुत बेचैन हो गया और एक दिन रानी से बोला — “प्रिये, मुझे बहुत अफसोस है कि मैंने ऐसा फैसला किया और उस फैसले की वजह से तुमको ऐसा करना पड़ा।

मैं घर छोड़ कर जा रहा हूँ और अब मैं तभी लौटूँगा जब मुझे अपनी बेटी की कोई खबर मिल जायेगी।” और यह कह कर वह घर छोड़ कर चला गया।

वह चलता रहा चलता रहा। काफी दूर जाने के बाद जब रात हुई तो वह एक अकेली खुली जगह में खड़ा था। वहाँ एक टूटा फूटा महल खड़ा था। वह उस महल के अन्दर चला गया।

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अब हम इस राजा को भी यहीं इस महल में छोड़ते हैं और उस राजा के पास चलते हैं जो अपनी रानी को पैलैग्रीनो पहाड़ की तलहटी में छोड़ कर चला गया था। वह राजा जितना अपनी पत्नी के बारे में सोचता था उसको उतना ही बुरा लगता था।

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उसने उस नाइट से वह सब कुछ सुना तो था पर उसका मन नहीं मान रहा था कि वह सच था क्योंकि वह उसको बहुत प्यार करता था।

वह सोचता रहा — “क्या हो अगर वह नाइट झूठ बोल रहा हो। क्या हो अगर मेरी पत्नी वाकई बेकुसूर हो। क्या वह अभी भी ज़िन्दा होगी या फिर वह मर गयी होगी? यहाँ इस महल में उसके बिना मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता। मैं उसको सारी दुनियाँ में ढूँढूँगा और अब मैं तभी वापस लौटूँगा जब मुझे उसकी कोई खबर मिल जायेगी।”

सो वह भी अपनी पत्नी को ढूँढने के लिये महल से निकल पड़ा और चलते चलते वह भी एक अकेली खुली जगह में आ गया जहाँ टूटा फूटा एक महल खड़ा था।

वह उस टूटे महल के अन्दर चला गया तो उसने देखा कि एक और राजा वहाँ एक आराम कुरसी पर बैठा आराम कर रहा था। वह भी वहीं पास ही एक दूसरी कुरसी पर जा कर बैठ गया।

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अब हम इस राजा को भी यहीं इसी महल में छोड़ते हैं और उस डाक्टर के पास चलते हैं जिसने वर्मवुड को बचाया था। जब वह अपनी यात्रा से वापस आया तो घर में इस आशा से घुसा कि वह अपनी छोटी बेटी को देखेगा पर उसको तो वह मरी हुई दिखायी दी। उसका गला कटा हुआ था।

तो सबसे पहले उसके दिमाग में यही आया कि वह उस नौकरानी को ढूँढे क्योंकि वह उसको उसी के पास छोड़ कर गया था।

सो वह बोला — “अली, हमको उस नीच स्त्री को अगर जरूरत हो तो दुनियाँ भर में ढूँढना चाहिये और उसको उसी तरह से मारना चाहिये जैसे उसने हमारी बेटी को मारा है।”

सो वह भी अली को साथ ले कर उस स्त्री की खोज में निकल पड़ा। उसको ढूँढते ढूँढते वह भी एक अकेले खुले मैदान में आ पहुँचा जहाँ एक टूटा फूटा महल खड़ा था और वह भी उस महल में घुस गया।

अन्दर जा कर उसने इधर उधर देखा तो वहाँ दो राजाओं को बराबर बराबर दो आराम कुरसियों पर बैठे आराम करते पाया। वह डाक्टर और उसका नौकर अली दोनों ही उनके सामने वाली कुरसियों पर जा कर बैठ गये।

clip_image008अब चारों वहाँ बैठे थे – चुपचाप। हर एक अपने अपने विचारों में खोया हुआ था। कमरे के बीच में एक लालटेन जल रही थी जिसको तेल की जरूरत थी।

तभी वहाँ एक तेल डालने वाली कुप्पी[10] आयी और उसने लालटेन से कहा — “ज़रा सा नीचे हो जाओ तो मैं तुम्हारे अन्दर तेल डाल दूँ।”

यह सुन कर लालटेन थोड़ा नीचे को हो गयी और तेल डालने वाली कुप्पी ने उसमें तेल डाल दिया।

तेल डालने के बाद कुप्पी ने लालटेन से पूछा — “क्या तुम्हारे पास मुझे बताने के लिये कोई मजेदार बात है?”

लालटेन बोली — “तुम मुझसे क्या सुनना चाहोगी? मेरे पास तुम्हें बताने के लिये कुछ मजेदार बात तो है।”

“तो बताओ न।”

लालटेन बोली — “तो सुनो। एक राजा था जो लड़की नहीं चाहता था। उसने अपनी पत्नी से कहा कि अगर उसने एक और लड़की को जन्म दिया तो वह उस लड़की को मार डालेगा।

इत्तफाक से रानी ने अगली बार भी एक लड़की को जन्म दिया। रानी अपनी बच्ची को मरने देना नहीं चाहती थी सो उसने उसको बचाने के लिये उसको तुरन्त ही वहाँ से कहीं और भेज दिया।

आगे सुनो। जब यह बच्ची बड़ी हुई तो एक राजा ने उससे शादी कर ली। कुछ नाइट्स ने इस राजा को धोखा दिया और यह राजा उसको पैलैग्रीनो पहाड़ की तलहटी में ले गया, उसको मारा और उसको वहीं जमीन पर बेहोश पड़ा छोड़ कर वहाँ से चला गया।

एक डाक्टर उधर से जा रहा था जिसने उसके कराहने की आवाज सुनी।”

जैसे जैसे लालटेन अपनी कहानी आगे बढ़ाती जा रही थी वहाँ बैठे अधसोये लोगों की ऑखें खुलती जा रही थीं। उन्होंने एक दूसरे की तरफ देखा और अपनी अपनी कुरसियों से उछल पड़े। अली तो यह सब सुन कर पत्ते की तरह काँपने लगा।

लालटेन ने अपनी कहानी आगे बढ़ायी — “अब तुम जरा यह सुनो। उस डाक्टर ने क्या किया जब उसने वहाँ एक लड़की को घायल पड़े देखा तो वह उसको अपने घर ले गया और बाद में उसको अपनी बेटी की आया बना दिया।

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उनके घर में उनका एक नौकर भी था जो उस आया से बहुत जलता था सो उसने उस छोटी बच्ची को मार दिया और सारा जुर्म उस बेचारी आया पर आ पड़ा।”

तेल डालने वाली कुप्पी एक लम्बी आह भर कर बोली — “वह बेचारी आया। पर वह आया अब है कहाँ? क्या वह ज़िन्दा है या मर गयी?”

लालटेन बोली — “श श श श। वह ऊपर वाले कमरे में सोफे पर सो रही है। यहाँ उसका राजा पिता और राजा पति बैठे हैं जो अपने किये पर पछता रहे हैं और उसको ढूँढ रहे हैं।

और वह डाक्टर भी यहीं बैठा है जो उससे बदला लेने की इच्छा से उसको ढूँढ रहा है। वह समझता है कि उसकी बच्ची का खून उसी ने किया है।”

तभी राजा पिता, राजा पति और डाक्टर अपनी अपनी कुरसियों से उठे। इससे पहले कि अली वहाँ से बच कर भागता डाक्टर ने तुरन्त ही अली को पकड़ लिया। तीनों ने मिल कर उसको मार दिया।

फिर वे सब ऊपर दौड़े और उस काउच के पास घुटनों पर बैठ गये जिस पर वौर्मवुड सो रही थी।

राजा पिता बोला — “यह मेरी है। यह मेरी बेटी है।”

राजा पति बोला — “यह मेरी है। यह मेरी पत्नी है।”

डाक्टर बोला — “यह मेरी है। मैंने इसकी जान बचायी है।”

आखीर में वह उस राजा के पास चली गयी जो उसका पति था। फिर उसने वर्मवुड के पिता राजा और डाक्टर को अपनी पत्नी के लौट आने की खुशी मनाने के लिये बुलाया। उसके बाद वे सब एक खुश परिवार की तरह से रहे।


[1] Wormwood (Story No 157) – a folktale from Italy from its Palermo area.

Adapted from the book : “Italian Folktales”, by Italo Calvino”. Translated by George Martin in 1980.

Wormwood is a kind of bitter bush plant.

[2] A godmother is a female godparent in the Christian tradition. A Godmother may also refer to: a female arranged to be legal guardian of a child if an untimely demise is met by the parents.

[3] Wormwood is a kind of woody plant, grown as bush, bitter in taste, native to Eurasia. It is used in medicine but at some places it is used as tea also. See its picture above.

[4] Translated for the word “Fawns” – means the children of a deer.

[5] A knight is a person granted an honorary title of knighthood by a monarch or other political leader for service to the Monarch or country, especially in a military capacity. See its picture above.

[6] Translated for the word “Mole”

[7] Translated from the word “Reins”

[8] Pellegrino Mountain

[9] The Sanctuary of St Rosali

[10] Translated for the “Oil Cruest:”. See its picture above.

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पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi 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रचनाकार: देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–7 : 7 वर्मवुड // सुषमा गुप्ता
देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–7 : 7 वर्मवुड // सुषमा गुप्ता
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