नारायणी साहित्य अकादमी एवं फाफाडीह स्थित विवेक कान्वेंट हायर सेकेंडरी स्कूल के संयुक्त तत्वावधान में स्कूल के सभागार में दिनांक 29 नवम्बर को छात्रों के भीतर *साहित्यिक लेखन की आदत* विकसित करने के उद्देश्य से एक साहित्यिक आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में शाला के छात्रों ने पूरे उत्साह के साथ भाग लिया।
कार्यक्रम में शाला की छात्रा कुमारी सिमरन कौर ने "माँ" पर कविता सुनाते हुए कहा "कितने ख़ुशनसीब है हम पास हमारे है माँ, होते बदनसीब वे कितने जिनके पास न होती मां" ।कुमारी ओज शर्मा ने "मिल जाये मेरा देश मुझे, नदियों की कल -कल धारा में, हर एक खेत खलिहानों में" के द्वारा देश प्रेम की बात कही। सादिया खान ने प्रकृति पर अपनी रचना का पाठ करते हुए प्रकृति संरक्षण का संदेश दिया। निधि सिंह ने "प्यारी जिंदगी" पर अपना मार्मिक एवं प्रेरणादायक निबंध पढ़ते हुए कहा कि" बार बार करवट बदलती जिंदगी हमें अंदर से हिम्मती और धैर्यशील बनाती है"। कुमारी अल्वीरा बानो ने "पिता मुझे कभी रोने नहीं देते, बेटा कहकर बुलाते हैं" जैसी रचना प्रस्तुत की। कुमारी सिमरन ने सुनाया "जीने दो मुझे, जीता हूँ तेरे लिए" कहते हुए वृक्ष पर अपनी रचना प्रस्तुत की। अल्फीया ने कहा- "मेरे माता-पिता है अल्लाह का सबसे बड़ा तोहफा मेरे लिए"। "मुस्कुराहट" पर अपनी बात कहते हुए कुमारी दिशा अग्रवाल ने कहा "मुस्कुराहट दुनिया की सबसे अनमोल चीज है।"
अकादमी की प्रांतीय अध्यक्ष श्रीमती मृणालिका ओझा ने कहा कि छात्रों में साहित्यिक अभिरुचि को बढ़ाना एवं उनमें लेखन की क्षमता को विकसित करना ही इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है। एक कथा सुनाते हुए उन्होंने छात्रों को साहित्यिक लेखन के लिए प्रेरित किया। श्री राजेश जैन "राही" ने प्रेरित वक्तव्य देते हुए "खा कर थप्पड़ गाल पर, होना नहीं अधीर, तुमको पिता बना रहे, धीर, वीर, गंभीर" दोहा सुना कर पिता के प्रति सम्मान व्यक्त किया । श्रीमती जयश्री शर्मा ने भी "नहीं मुझे किसी खत का इंतजार" में पिता का बच्चों के प्रति समर्पण बताया। श्री के. पी. सक्सेना ने शिक्षा से वंचित बच्चों पर इन शब्दों में अपनी बात कही - "पालीथीन बिनता बच्चा, अगर ठिठक कर देख रहा हो स्कूलों को जाता रेला, मुझको विद्यालय के घंटे बजते रास नहीं आते"। श्री लक्ष्मी नारायण लाहोटी ने देश प्रेम पर अपनी बात रखते हुए कहा कि " आओ हम सब मिलकर, सुन्दर भारत का निर्माण करें, ईश्वर के आदर्शों को अपनाकर, धरती स्वर्ग समान करें।" शाला के प्राचार्य श्री अशोक दुबे ने "हमें चलते रहना है, कभी रुकना- झुकना नहीं है, मंजिल जरूर मिलेगी" जैसे शब्दों से बच्चों को प्रेरणा दी एवं इस कार्यक्रम को छात्रों के लिए उपयोगी भी बताया।
कार्यक्रम का संचालन शाला की शिक्षिका श्रीमती वंदना शर्मा एवं धन्यवाद ज्ञापन श्री राजेंद्र ओझा द्वारा किया गया।
राजेंद्र ओझा
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