देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–9 : 10 शेरों की घास // सुषमा गुप्ता

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10 शेरों की घास [1] एक बार एक बढ़ई [2] था जिसकी एक बहुत ही सुन्दर बेटी थी पर वे लोग बहुत गरीब थे। बेटी का नाम मारियोरसोला [3] था और क्योंकि...

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10 शेरों की घास[1]

एक बार एक बढ़ई[2] था जिसकी एक बहुत ही सुन्दर बेटी थी पर वे लोग बहुत गरीब थे। बेटी का नाम मारियोरसोला[3] था और क्योंकि वह बहुत सुन्दर थी उसका पिता कभी उसको घर से बाहर नहीं जाने देता था। यहाँ तक कि वह उसको खिड़की के बाहर भी नहीं झाँकने देता था।

इस बढ़ई के सामने वाले घर में एक सौदागर रहता था। यह सौदागर बहुत अमीर था और इसके एक ही बेटा था। उसके बेटे ने सुना कि उसके सामने वाले घर में रहने वाले बढ़ई की बेटी बहुत सुन्दर है।

बस वह उस बढ़ई के घर जा पहुँचा और उससे बोला — “मिस्टर ऐन्थोनी[4]? क्या आप मेरे लिये दो मेजें बना देंगे?”

बढ़ई बोला — “जनाब, अगर आप मुझे लकड़ी ला देंगे तो। क्योंकि मेरे पास लकड़ी खरीदने के लिये पैसे नहीं हैं। जैसे ही मुझे लकड़ी मिल जायेगी मैं आपके लिये दो मेजें बना दूँगा।”

वह चालाक लड़का उसके लिये लकड़ी ले तो गया पर यह लकड़ी उसके माता पिता की थी और उसके माता पिता यह बिल्कुल नहीं चाहते थे कि उनका बेटा जो हमेशा उस बढ़ई की लड़की को देखने की कोशिश करता रहता था उस गरीब आदमी के घर जाये।

एक दिन मारियोरसोला ने सोचा कि शायद वह लड़का अब वहाँ से चला गया होगा सो वह सीढ़ियों से उतर कर नीचे आयी पर वह लड़का तो तब तक भी वहाँ से नहीं गया था सो पैपीनो[5] ने उसको देख लिया और देखते ही उसको चाहने लगा।

उसने बढ़ई से कहा — “मिस्टर ऐन्थोनी, मैं आपसे अपनी शादी के लिये मारियोरसोला का हाथ माँग रहा हूँ।”

बढ़ई बोला — “मेरे बच्चे, मेरे साथ मजाक मत करो। मारिायोरसोला बहुत गरीब है आपके माता पिता उसको अपनी बहू नहीं बनायेंगे।”

पैपीनो बोला — “मैं मजाक नहीं कर रहा मिस्टर ऐन्थोनी। आप मेरे माता पिता की चिन्ता न करें। मारियोरसोला मुझे बहुत अच्छी लगती है और मैं अगर शादी करूँगा तो बस उसी से शादी करूँगा और किसी से नहीं।”

सो पैपीनो के माता पिता को बताये बिना ही दोनों की शादी की बात पक्की हो गयी। पैपीनो की माँ को यह बात शहर वालों से पता चली कि उसके बेटे ने अपनी शादी पक्की कर ली है। मालूम पड़ते ही यह बात उसने अपने पति से कही।

सौदागर बोला — “अब क्या करें, हमको तो अब इसे घर से बाहर निकलना ही पड़ेगा।”

जब रात को पैपीनो घर वापस आया तो उसके पिता ने उससे कहा — “तुम देख रहे हो कि मैं बूढ़ा हो रहा हूँ इसलिये अब तुमको जहाज़ में सामान ले कर व्यापार के लिये जाना चाहिये और व्यापार सीखना चाहिये।”

बेटा बोला — “ठीक है पिता जी। मुझे बता दीजियेगा कि कब जाना है मैं तभी चला जाऊँगा।”

अगले दिन पैपीनो ने मारियोरसोला से कहा — “मुझे बाहर व्यापार करने जाना है।”

बेचारी मारियोरसोला तो यह सुन कर रो पड़ी। पैपीनो ने उसको कुछ पैसे दिये और कहा — “खुश रहना और चिन्ता नहीं करना मैं जल्दी ही घर वापस लौटूँगा। और हाँ देखो मुझे कभी भूलना नहीं।”

अगले दिन जब वह अपनी यात्रा पर जा रहा था तो मारियोरसोला ने अपनी खिड़की से झाँका और पैपीनो को सड़क पर खड़े लोगों से कहते हुए सुना — “अच्छा विदा, मैं चलता हूँ और अब मैं एक साल बाद लौटूँगा।”

पैपीनो की आवाज सुन कर मारियोरसोला तो बेहोश सी हो गयी। उसको बिस्तर में लिटा दिया गया और उस दिन के बाद से तो वह बस ज़िन्दगी और मौत के बीच झूलने लगी।

एक साल बाद पैपीनो टौरैस के बन्दरगाह[6] पर उतरा और तुरन्त ही अपने घर सन्देश भेजा कि वह अपनी यात्रा से सही सलामत वापस आ गया है और उसके लिये एक गाड़ी भेज दी जाये ताकि वह वह सामान जो ले कर आया है उस गाड़ी में भर कर घर ला सके।

उसके माता पिता और दोस्त लोग सब उससे मिलने आये। उन सबसे मिलने के बाद उसने अचानक पूछा — “हमारी गली में और सब कैसे हैं?”

उसको बताया गया — “सब लोग ठीक हैं सिवाय ऐन्थोनी की बेटी मारियोरसोला के। अगर वह अभी मर नहीं गयी है तो वह बहुत जल्दी ही मर जायेगी। वह तो जबसे तुम गये हो तभी से बिस्तर में पड़ी है।” यह सुन कर पैपीनो तो वहीं बेहोश हो गया।

लोगों ने पैपीनो को उठा कर गाड़ी में रखा और घर ले गये। डाक्टर बुलाया गया। असल में मारियोरसोला के बारे में सुन कर उसका दिल टूट गया था पर डाक्टर को तो यह पता ही नहीं था कि उसको क्या हुआ है। पैपीनो की माँ भी बहुत परेशान थी।

व्यापार पर जाने से पहले पैपीनो ने केवल अपने दो करीब के दोस्तों को ही अपनी छिपी हुई शादी के बारे में बताया था।

उसके ये दोस्त डाक्टर के पास गये और बोले — “डाक्टर, ऐसा हुआ है कि इसने अपने माता पिता को बताये बिना ही शादी कर ली थी। फिर यह व्यापार करने चला गया।

इसकी पत्नी तभी से बहुत ज़्यादा बीमार है जबसे यह व्यापार करने गया। इसकी बीमारी यही है। जब तक इसकी पत्नी ठीक नहीं होगी तब तक यह भी ठीक नहीं हो सकता।”

डाक्टर ने यह सब पैपीनो की माँ से कहा तो पैपीनो के पिता ने पैपीनो की माँ से कहा — “अब हम क्या करें?”

उसका पिता इस बात से बहुत ज़्यादा परेशान था कि उसके बेटे ने एक गरीब की लड़की से शादी कर ली थी।

पैपीनो की माँ बोली — “बजाय इसके कि हम अपने बेटे को मरने दें अच्छा तो यही होगा कि हम उसको उस बढ़ई की लड़की से शादी की इजाज़त दे दें।” और उसने तुरन्त ही किसी को यह पता करने के लिये भेज दिया कि मारियोरसोला कैसी थी।

मारियोरसोला की माँ ने जवाब दिया — “मारियोरसोला तो मरने वाली है। इतने समय तक जब तक वह बीमार थी तब तो तुम किसी ने उसके बारे में कभी पूछा नहीं और अब जब तुम्हारा अपना बेटा मर रहा है तब तुम लोग उसके बारे में पूछ रहे हो?”

पैपीनो की माँ बोली — “मैं उसको अपने घर ले जा रही हूँ।”

मारियोरसोला की माँ बोली — “मैं कहती हूँ कि उसको तुम यहीं रहने दो वह मर रही है।”

पर पैपीनो की माँ ने बहुत जिद की और वह मारियोरसोला को किसी तरह अपने घर ले गयी। वहाँ जा कर उसने उसको एक सोफे पर लिटा दिया जो पैपीनो के पलंग के सामने ही पड़ा था।

फिर उसने अपने बेटे को पुकारा — “पैपीनो, बेटा देखो कौन आया है। मारियोरसोला आयी है।”

ये शब्द सुन कर पैपीनो के बेजान से शरीर में कुछ जान आयी और वह अपने पलंग से नीचे उतरा। उसने भी पुकारा — “मारियोरसोला।”

उधर पैपीनो को अपने बिस्तर के पास देख कर मारियोरसोला भी धीरे धीरे ठीक होने लगी और धीरे धीरे दोनों ठीक हो गये। जब वे बिल्कुल ठीक हो गये तब शादी का जश्न मनाया गया।

पर कुछ दिनों बाद मारियोरसोला फिर बीमार पड़ गयी। वह बोली — “सुनो पैपीनो, अगर मैं मर जाऊँ तो मेरे मरे शरीर पर “औफिस औफ द डैड”[7] जरूर पढ़ देना।” और लो यह कह कर तो वह मर ही गयी।

सब उसको चर्च ले गये पर पैपीनो उसके ऊपर औफिस औफ द डैड पढ़ना भूल गया।

उसी रात उसने सोचा — “अरे मैं उसके ऊपर औफिस औफ द डैड पढ़ना तो भूल ही गया।” बस वह तुरन्त ही चर्च की तरफ भागा गया और चर्च का दरवाजा खटखटाया।

चर्च के चौकीदार ने पूछा — “कौन है?”

पैपीनो बोला — “मैं हूँ पैपीनो। दरवाजा खोलो”

चौकीदार आया और उसने दरवाजा खोला तो पैपीनो बोला — “उस मरी हुई लड़की की कब्र खोलो मैं तुमको 10 क्राउन दूँगा।”

चौकीदार बोला — “यह मैं कैसे कर सकता हूँ लोगों ने सुन लिया तो?”

पैपीनो बोला — “किसी को पता नहीं चलेगा अभी तो घुप अ‍ँधेरा है।” सो उस चौकीदार ने उस लड़की की कब्र खोद दी और पैपीनो को वहाँ छोड़ दिया। पैपीनो घुटनों के बल बैठा और औफिस औफ द डैड पढ़ने लगा।

जब वह औफिस औफ द डैड पढ़ रहा था तो उसको चिंघाड़ने की आवाज सुनायी पड़ी और उसने दो शेर चर्च में आते देखे। आते ही शेरों ने लड़ना शुरू कर दिया। एक ने दूसरे को काटा और इस तरह एक शेर ने दूसरे शेर को मार दिया।

ज़िन्दा शेर वहाँ से भाग गया और चर्च के मैदान में उगी थोड़ी सी घास उखाड़ कर ले आया और उस मरे हुए शेर के मुँह में ठूँस दी और कुछ घास उसने उसके दाँतों पर भी मल दी। वह मरा हुआ शेर तो ज़िन्दा हो गया और फिर दोनों शेर वहाँ से भाग गये।

इतनी देर में पैपीनो ने औफिस औफ द डैड पढ़ लिया था सो उसने सोचा क्यों न मैं भी इस घास को मारियोरसोला पर आजमा कर देखूँ। शायद उस घास के इस्तेमाल से मेरी मारियोरसोला भी ज़िन्दा हो जाये।

यह सोच कर वह भी चर्च के बाहर गया और वहाँ से थोड़ी सी घास तोड़ लाया और उसको मारियारसोला के दाँतों पर मल दिया। तो लो वह तो ज़िन्दा हो गयी।

clip_image002जिन्दा होते ही उसने पूछा — “पैपीनो, यह तुमने क्या किया? मैं तो अपने हालात से बहुत खुश थी।” पैपीनो ने उसको अपना शाल[8] ओढ़ाया और उसका हाथ पकड़ कर कब्र में से उठा कर घर ले जाने लगा।

तभी चर्च का चौकीदार भी आ गया। वह बोला — “यह सब यहाँ क्या हो रहा है? यह तुम क्या कर रहे हो? इस मरी हुई लड़की को कहाँ ले जा रहे हो?”

पैपीनो बोला — “मुझे जाने दो। यह मेरी पत्नी है और मेरी पत्नी ज़िन्दा है।”

चौकीदार तो यह देख कर बेहोश होते होते बचा। पैपीनो मारियोरसोला को घर ले गया। उसको बिस्तर पर लिटा दिया और उसको एक गरम चादर ओढ़ा दी ताकि उसको थोड़ी गरमी आ जाये। उसके बाद वह भी उसके पलंग के पास बिछे एक पलंग पर सो गया।

अगली सुबह सात बजे जब पैपीनो की माँ ने दरवाजा खटखटाया तो मारियोरसोला ने पूछा — “कौन है?”

मरी हुई लड़की की आवाज सुन कर तो पैपीनो की माँ की साँस ऊपर की ऊपर और नीचे की नीचे रह गयी और वह नीचे दौड़ी। इस परेशानी में वह सीढ़ियों से नीचे गिर पड़ी। उसका सिर जमीन से टकरा गया और वह मर गयी।

कुछ देर बाद एक नौकरानी ऊपर गयी और उसने भी पैपीनो के कमरे का दरवाजा खटखटाया। मारियोरसोला ने फिर पूछा — “कौन है? क्या तुम अभी भी दरवाजा खटखटा रहे हो?”

यह नौकरानी भी मरी हुई लड़की की आवाज सुन कर डर गयी और सीढ़ियों से नीचे भागी। नीचे भागते समय वह भी गिर गयी। उसके सिर में भी चोट लगी और वह भी मर गयी।

कुछ देर बाद पैपीनो की आँख खुलीं तो मारियोरसोला बोली — “इस घर में तो कोई सो भी नहीं सकता। ये लोग हमेशा ही दरवाजा खटखटाते रहते हैं।”

पैपीनो ने आश्चर्य से पूछा — “और तुमने जवाब दिया?”

“हाँ मैंने जवाब दिया।”

पैपीनो परेशान सा बोला — “यह तुमने क्या किया? वे लोग तो यह सोच चुके थे कि तुम मर वुकी हो।”

वह तुरन्त उठा और उसने दरवाजा खोला तो उसने देखा कि उसकी माँ और नौकरानी दोनों सीढ़ियों के नीचे मरी पड़ी हैं। उसके मुँह से निकला — “ओह यह हमारे ऊपर क्या मुसीबत आ पड़ी। पर अभी मुझे इसके बारे में चुप ही रहना चाहिये नहीं तो मेरी पत्नी डर जायेगी।”

यह सोच कर वह तुरन्त ही चर्च भागा गया। वहाँ से वह ज़िन्दा करने वाली घास ले कर आया और अपनी माँ और नौकरानी दोनों को ज़िन्दा किया।

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जब मारियोरसोला बीमार थी तो उसने सेन्ट गवीनो के चर्च[9] जाने की मन्नत माँगी थी कि अगर वह ठीक हो जायेगी तो वह सेन्ट गवीनो के चर्च जायेगी। सो एक दिन उसने पैपीनो से कहा कि वह सेन्ट गवीनो के चर्च जाना चाहती है।

पैपीनो ने कहा — “हाँ हाँ कल ही चलें?”

अगले दिन वे सेन्ट गवीनो के चर्च चल पड़े पर कुछ दूर जाने के बाद मारियोरसोला बोली — “पैपीनो, मैं अपनी अ‍ँगूठी तो खिड़की पर ही रखी भूल आयी हूँ।”

पैपीनो बोला — “अभी तुम उसकी चिन्ता छोड़ो और अभी तुम केवल चर्च चलो।”

मारियोरसोला बोली — “नहीं नहीं, मैं उसको लेने के लिये अभी वापस घर जा रही हूँ क्योंकि अगर कहीं हवा का कोई झोंका आ गया तो वह नीचे गिर जायेगी।”

पैपीनो ने उसको तसल्ली दी — “ठीक है। मैं उसको उठा कर ले आऊँगा पर इस बीच तुम समुद्र के पास नहीं जाना क्योंकि वहाँ मसकोवी के राजा[10] की नाव है।” कह कर पैपीनो मारियोरसोला की अ‍ँगूठी लाने चला गया।

पैपीनो के जाने के बाद मारियोरसोला उसके मना करने पर भी समुद्र की तरफ चल दी। वहाँ मसकोवी के राजा की नाव खड़ी थी। बस उन लोगों ने उसको देखा तो उसको पकड़ कर वहाँ से ले गये।

जब पैपीनो उसकी अ‍ँगूूूठी ले कर वापस आया तो उसको मारियोरसोला कहीं दिखायी नहीं दी। उसने चारों तरफ देखा भी पर फिर भी वह उसको कहीं दिखायी नहीं दी तो वह समुद्र में कूद पड़ा और तैर गया। थोड़ी दूर जा कर उसको एक नाव दिखायी दी तो उसने एक सफेद कपड़ा उसको दिखा कर हिलाया[11]

नाव के मालिक ने कहा — “जल्दी करो। एक आदमी समुद्र में डूब रहा लगता है।” वे नाव वाले जल्दी जल्दी पैपीनो के पास आये और उसको समुद्र में से निकाल कर अपनी नाव पर चढ़ा लिया।

पैपीनो ने उनसे पूछा — “क्या तुम लोगों ने मसकोवी के राजा की नाव देखी है?”

वे बोले — “नहीं, हमने तो नहीं देखी।”

पैपीनो बोला — “तो मेहरबानी करके मुझे मसकोवी ले चलो।” सो वे उसको मसकोवी ले गये।

वहाँ मसकोवी में तो मारियोरसोला रानियों की तरह सजी बैठी थी। जब पैपीनो ने उसको देखा तो वह उसकी तरफ देख कर मुस्कुराया पर मारियोरसोला ने उसकी तरफ से मुँह फेर लिया।

उसके पास तक पहुँचने का कोई रास्ता नहीं था सो वह वहाँ के राजा के पास गया और अपने आपको खाना परसने वाला बता कर अपना परिचय दिया। राजा ने उसको एक खाने की मेज पर काम करने की नौकरी दे दी।

जब उसने मारियोरसोला को मेज पर अकेला बैठा देखा तो उससे बोला — “अगर तुम मेरी मारियोरसोला हो तो तुम मुझे क्यों नहीं पहचानतीं?”

उसने बुरा सा मुँह बनाया और अपना मुँह दूसरी तरफ को घुमा लिया। उसने उसको तंग करने का पहले से ही एक प्लान बना रखा था। उसने राजा के एक नौकर से पैपीनो की तरफ इशारा करते हुए कहा — “ये सारी चाँदी की चम्मचें उठाओ और उस आदमी की जेब में डाल दो।”

जब उस नौकर ने वे चाँदी की चम्मचें पैपीनो की जेब में डाल दीं तो उसने उसे फिर हुकुम दिया — “इस आदमी की जेबों की तलाशी लो।”

पैपीनो की जेबों की तलाशी ली गयी तो उसकी जेबों में वे चम्मचें मिल गयीं जो उसकी जेबों में रखवायी गयी थीं।

वह बोली — “तो यह है वह चोर जिसने हमारी चम्मचें चुरायी हैं। इसे अभी जेल में डाल दो। फिर इसको हमारी खिड़की के सामने फाँसी लगा देना।”

पैपीनो के पास अभी भी वह शेरों वाली घास थी सो जब वह फाँसी के तख्ते की तरफ ले जाया जा रहा था तो उसने पादरी को थोड़ी सी वह घास दी और उससे कहा — “पादरी जी, मैं बिल्कुल बेकुसूर हूँ मैने कोई चम्मच आदि नहीं चुरायी है।

इसलिये जब वे मुझे फाँसी लगायें तो आप ज़रा यह खयाल रखें कि वे मेरी गरदन न तोड़ें। फाँसी लगा कर वे मुझे आपके घर ले जायें और जब वे मुझे आपके घर में छोड़ कर चले जायें तो वहाँ आप यह घास मेरे दाँतों पर मल देना इससे मैं ज़िन्दा हो जाऊँगा।”

सो जब फाँसी लगाने का समय आया तो पादरी ने फाँसी लगाने वाले से कहा कि इसको ध्यान से फाँसी लगाना इसकी गरदन न टूटने पाये।

फिर उसने राजा से इस बात की इजाज़त भी ले ली कि फाँसी के बाद वह उसके शरीर को अपने घर ले जायेगा।

फाँसी लगाने वाले ने फाँसी लगाते समय इस बात का ध्यान रखा कि उसकी गरदन न टूटने पाये।

फाँसी के बाद पादरी उसके शरीर को अपनी मोनैस्टरी[12] ले गया। वहाँ जा कर पादरी ने उसकी दी हुई घास उसके दाँतों पर मल दी तो वह ज़िन्दा हो गया। पैपीनो ने पादरी को बहुत बहुत धन्यवाद दिया और अपने रास्ते चल दिया।

फिर वह सात राजाओं के राजा के देश[13] गया। इत्तफाक की बात कि उस देश के राजा की पत्नी तभी तभी मरी थी सो सारा महल दुख में डूबा हुआ था।

पैपीनो के लिये राजा को प्रभावित करने का यह बहुत अच्छा मौका था सो वह राजा के महल की तरफ चल दिया। वह महल पहुँचा और उसने महल के चौकीदार से कहा — “मैं महल के अन्दर जाना चाहता हूँ और राजा से मिलना चाहता हूँ।”

चौकीदार ने पूछा — “क्या तुम सोचते हो कि इस समय उनको तुम्हारी जरूरत है?”

पैपीनो ने फिर कहा — “मैंने कहा न कि उनको बोलो कि मैं अन्दर आना चाहता हूँ।”

चौकीदार तो उसको अन्दर नहीं जाने देना चाहता था पर जब पैपीनो ने बहुत ज़िद की तो वह उसको महल के अन्दर ले गया। वहाँ जा कर पैपीनो ने राजा से कहा — “मैजेस्टी, अगर आप मुझे रानी जी के साथ कुछ देर के लिये अकेला छोड़ दें तो आपकी बड़ी मेहरबानी होगी।”

राजा उसकी यह अनोखी बात सुन कर कुछ परेशान सा हो गया और तुरन्त ही कुछ बोल नहीं सका। पर इसमें अपना कुछ नुकसान न देखते हुए उसने सबको वहाँ से बाहर निकाल दिया और फिर खुद भी बाहर चला गया।

अब पैपीनो रानी की लाश के साथ बिल्कुल अकेला रह गया।

clip_image004उसने कमरे का दरवाजा बन्द किया, रानी के शरीर को ताबूत[14] में से बाहर निकाला और उसको पलंग पर लिटा दिया। उसने थोड़ी सी वह शेरों वाली घास निकाली और रानी के होठों के बीच में रख दी। कुछ पल में ही रानी ज़िन्दा हो गयी।

पैपीनो ने कमरे का दरवाजा खोल दिया और राजा को अन्दर बुला कर कहा — “मैजेस्टी, यह रही आपकी रानी।”

रानी को ज़िन्दा देख कर वहाँ मौजूद सारे लोग रोना तो भूल गये और खुशियाँ मनाने लगे।

उस दिन के बाद से राजा पैपीनो को हमेशा अपने साथ रखता था।

एक दिन राजा ने पैपीनो से कहा — “पैपीनो, मैं तो अब बूढ़ा हो रहा हूँ और तुम तो हमारे बेटे की तरह ही हो सो अपने सात ताज मैं तुमको देता हूँ।”

पैपीनो बोला — “कौन कौन राजा लोग इस सात ताजों के राजा बनने की रस्म में आयेंगे?”

राजा बोला — “स्पेन, इटली, फ्रांस, पुर्तगाल, इंगलैंड, आस्ट्रिया और मसकोवी के राजा आयेंगे। ये सात राजा हैं जो सात राजाओं के राजा को ताज पहनायेंगे।”

“तब मैं यह ताज स्वीकार करता हूँ।”

सब राजाओं को बुलावा भेज दिया गया। मसकोवी का राजा अपनी पत्नी के साथ आने के लिये तैयार हुआ। उसकी पत्नी मारियोरसोला ने इस खास मौके के लिये एक खास पोशाक बनवायी थी।

ताजपोशी की रस्म के बाद एक दावत का इन्तजाम था। इस दावत के बाद सात ताजों के ताज वाला राजा पैपीनो बोला — “अब हम सब एक एक कहानी सुनायेंगे।”

सो हर एक ने कोई न कोई कहानी सुनायी। आखीर में पैपीनो बोला — “अब मैं एक कहानी सुनाता हूँ पर यह कहानी नहीं है सच है। जब तक मैं अपनी कहानी पूरी न कर लूँ कोई इस मेज पर से उठेगा नहीं।”

तब पैपीनो ने अपनी पूरी कहानी सुनायी – मारियोरसोला से मुलाकात से ले कर, अपनी शादी से ले कर, अब तक की। कहानी सुन कर मारियोरसोला तो बहुत बेचैन हो गयी।

उसने सिर दर्द का बहाना किया और वहाँ से जाने की इजाज़त माँगी पर पैपीनो ने उसको हाथ हिला कर बैठने का इशारा किया और बोला — “नहीं, कोई यहाँ से नहीं उठेगा।”

अपनी कहानी के आखीर में उसने मसकोवी के राजा से पूछा — “ऐसी स्त्री को क्या सजा मिलनी चाहिये?”

मसकोवी का राजा बोला — “उसको तो सबसे पहले फाँसी पर चढ़ा देना चाहिये, फिर उसे जला देना चाहिये और फिर उसकी राख को हवा में उड़ा देना चाहिये।”

पैपीनो ने हुकुम दिया “ऐसा ही किया जाये। मसकोवी के राजा की पत्नी को पकड़ लो।”

मसकोवी के राजा की पत्नी को पकड़ लिया गया और पैपीनो के लोग उसको फाँसी के फन्दे की तरफ ले चले।

पैपीनो अब सात ताजों का बादशाह था।


[1] The Lions’ Grass (Story No 194) – a folktale from Italy from its Nurra area.

Adapted from the book : “Italian Folktales”, by Italo Calvino. Translated by George Martin in 1980.

[2] Translated for the word “Carpenter”

[3] Mariorsola – name of the carpenter’s daughter

[4] Mr Anthony – name of the carpenter

[5] Peppino – the name of the son of the merchant

[6] Port Torres

[7] “Office of the Dead” – The Office of the Dead or Office for the Dead is a prayer cycle of the Canonical Hours in the Catholic Church, Anglican Church and Lutheran Church, said for the repose of the soul of a decedent. It is the proper reading on All Souls' Day (normally November 2) for all souls in Purgatory, and can be a votive office on other days when said for a particular decedent. The work is composed of different psalms, scripture, prayers and other parts, divided into The Office of Readings, Lauds, Day time Prayers etc.

[8] Translated for the word “Cloak” – see its picture above.

[9] Church of Saint Gavino

[10] The King of Muscovy

[11] Waving the white cloth is the symbol of Peace. This shows that he was not an enemy and wanted some help from the boat.

[12] A monastery is the building or complex of buildings comprising the domestic quarters and workplace(s) of monastics, whether monks or nuns, and whether living in communities or alone (hermits).

[13] King of the Country of the Seven Crowns

[14] Translated for the “Coffin” – in which Christians keep their dead body to be buried. See its picture above.

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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का  विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से क्रमशः  - रैवन की लोक कथाएँ,  इथियोपिया इटली की  ढेरों लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.

(क्रमशः अगले अंकों में जारी….)

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पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi 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रचनाकार: देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–9 : 10 शेरों की घास // सुषमा गुप्ता
देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–9 : 10 शेरों की घास // सुषमा गुप्ता
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रचनाकार
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