देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–9 : 3 जियोवानूज़ा लोमड़ी // सुषमा गुप्ता

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3 जियोवानूज़ा लोमड़ी [1] एक बार की बात है कि एक बहुत ही गरीब आदमी था जिसके एक ही बेटा था। उसका यह बेटा बहुत सीधा था और दुनियाँ की बहुत सारी बा...

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3 जियोवानूज़ा लोमड़ी[1]

एक बार की बात है कि एक बहुत ही गरीब आदमी था जिसके एक ही बेटा था। उसका यह बेटा बहुत सीधा था और दुनियाँ की बहुत सारी बातों से अनजान था। उसके इस बेटे का नाम था जोसेफ[2]

जब उसका पिता मरने लगा तो उसने अपने बेटे जोसेफ से कहा — “बेटा, अब मैं मर रहा हूँ पर मेरे पास तुमको देने के लिये कुछ भी नहीं है। बस यह मकान है और यह नाशपाती का पेड़ है जो इस मकान के पास लगा है।” और यह कह कर वह मर गया।

अब जोसेफ उस मकान में अकेला रहता था और अपने घर के नाशपाती के पेड़ की नाशपातियाँ तोड़ कर बेचा करता था। उसी से उसकी रोजी रोटी चलती थी।

जब नाशपाती का मौसम खत्म हो जाता तो ऐसा लगता था कि जैसे अब वह भूखा मर जायेगा क्योंकि उसको रोटी कमाने का और कोई तरीका आता ही नहीं था।

पर आश्चर्य की बात तो यह थी कि जब नाशपाती का मौसम खत्म हो जाता था तभी भी उस पेड़ की नाशपाती खत्म नहीं होती थीं। जब वे सारी नाशपाती तोड़ ली जाती थीं तो उनकी जगह दूसरी नाशपातियाँ आ जाती थीं।

इस तरह जाड़े के मौसम में भी वह एक सुन्दर रसीली नाशपाती का पेड़ बना रहता था और सारे साल नाशपातियों से लदा रहता था।

एक सुबह जब जोसेफ रोज की तरह उस पेड़ से नाशपाती तोड़ने गया तो उसने देखा कि उससे पहले उनको कोई और ही तोड़ कर ले गया है।

उसने सोचा अब मैं क्या करूँ। अगर लोग मेरी नाशपाती इस तरह चुरा कर ले जाते रहेंगे तो मेरा क्या होगा। मैं आज सारी रात जागता हूँ और देखता हूँ कि यह काम किसने किया।

शाम को जब अँधेरा हुआ तो वह नाशपाती के पेड़ के नीचे अपनी बन्दूक ले कर बैठ गया। पर बहुत जल्दी ही उसको नींद आ गयी और वह सो गया। जब वह जागा तो किसी ने उसकी सारी पकी नाशपातियाँ तोड़ ली थीं।

वह अगले दिन फिर पहरे पर बैठा पर बीच में ही फिर सो गया और उसकी नाशपातियाँ फिर से चोरी हो गयीं। तीसरी रात अपनी बन्दूक के साथ साथ वह चरवाहे वाला बाजा भी अपने साथ ले गया।

जब वह नाशपाती के पेड़ के नीचे बैठा तो जागते रहने के लिये वह बाजा बजाने लगा। कुछ देर तक तो उसने अपना वह बाजा बजाया पर बाद में उसे बजाते बजाते वह थक गया सो उसने उसे बजाना बन्द कर दिया।

clip_image003जब जोसेफ के बाजे की आवाज आनी बन्द हो गयी तो जियोवानूज़ा लोमड़ी ने जो अब तक जोसेफ की नाशपातियाँ चुराती रही थी सोचा कि जोसेफ शायद सो गया है। वह दौड़ी दौड़ी आयी और नाशपाती तोड़ने के लिये नाशपाती के पेड़ पर चढ़ गयी।

जोसेफ ने तुरन्त अपनी बन्दूक उठायी और उसको मारने के लिये उसकी तरफ निशाना साधा कि वह लोमड़ी बोली — “मुझे मत मारो जोसेफ। अगर तुम मुझे एक टोकरी नाशपाती दे दोगे तो मैं तुमको बहुत अमीर बना दूँगी।”

“पर जियोवानूज़ा, अगर मैं तुमको एक टोकरी नाशपाती दे दूँगा तो फिर मैं क्या खाऊँगा?”

“उसकी तुम चिन्ता न करो। अगर जैसा मैं कहती हूँ वैसा तुम करोगे तो तुम यकीनन अमीर बन जाओगे।”

सो जोसेफ ने उसको एक टोकरी अपनी सबसे अच्छी नाशपातियाँ दे दीं। वह उन नाशपातियों को राजा के पास ले गयी। वहाँ जा कर वह उनसे बोली — “मैजेस्टी, मेरे मालिक ने आपके लिये यह नाशपाती की टोकरी भेजी है और आपसे यह प्रार्थना की है कि आप इनको स्वीकार करें।”

राजा आश्चर्य से बोला — “नाशपाती? और साल के इस मौसम में? यह तो पहली बार है कि इतनी सुन्दर नाशपाती मैं साल के इस मौसम में देख रहा हूँ। तुम्हारा मालिक कौन है?”

जियोवानूज़ा ने जवाब दिया — “काउन्ट पीयर ट्री[3]।”

राजा ने पूछा — “पर साल के इस समय में उसको नाशपाती मिलती कहाँ से हैं?”

लोमड़ी बोली — “उनके पास ऐसी आश्चर्यजनक बहुत सारी चीज़ें हैं। वह तो दुनियाँ के सबसे अमीर आदमी हैं।”

राजा ने उत्सुकता से पूछा — “क्या मुझसे भी ज़्यादा?”

“जी मैजेस्टी, आपसे भी ज़्यादा।”

राजा बहुत ही न्यायपूर्ण था सो उसने लोमड़े से पूछा — “तो मैं इसके बदले में उनको क्या दूँ?”

लोमड़ी बोली — “उसकी आप चिन्ता न करें। उनके लिये तो आप सोचें भी नहीं। वह तो खुद ही बहुत अमीर हैं। आप जो भेंट भी उनको देंगे वह उनको बहुत छोटी ही लगेगी।”

राजा कुछ हिचकते हुए बोला — “तो काउन्ट पीयर ट्री को इन नाशपातियों के लिये मेरी तरफ से बहुत बहुत धन्यवाद देना।”

जियोवानूज़ा वहाँ से वापस लौट आयी और जोसेफ के पास आयी। जोसेफ ने जब उसको देखा तो उससे कहा — “तुम तो कह रही थीं कि तुम मुझे अमीर बना दोगी पर तुम तो उन नाशपातियों के बदले में कुछ लायी ही नहीं।”

लोमड़ी बोली — “तुम बिल्कुल चिन्ता न करो। सब कुछ मुझ पर छोड़ दो। मैं फिर कहती हूँ कि तुम बहुत अमीर हो जाओगे।”

अगले दिन वह फिर एक नाशपाती की टोकरी ले कर राजा के पास गयी और बोली — “मैजेस्टी, क्योंकि आपने पहली नाशपाती की टोकरी स्वीकार कर ली थी इसलिये मेरे मालिक काउन्ट पीयर ट्री ने आपके लिये नाशपाती की यह दूसरी टोकरी भेजी है।”

राजा बोला — “अरे मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा कि ये नाशपातियाँ इस मौसम में आ रही हैं और ये तो रखी हुई भी नहीं लग रही हैं लगता है कि जैसे अभी अभी तोड़ी गयी हैं।”

लोमड़ी बोली — “यह तो कुछ भी नहीं है। मेरे मालिक के लिये नाशपाती की कोई खास कीमत नहीं है क्योंकि उनके पास तो और भी ज़्यादा कीमती चीजें. हैं।”

राजा कुछ हिचकिचाते हुए बोला — “पर मैं उनके इन अहसानों का बदला कैसे चुकाऊँगा जो उनकी हैसियत के मुताबिक हो?”

लोमड़ी बोली — “यह कोई मुश्किल काम नहीं है। आपकी बेटी शादी के लायक है। आप उसकी शादी मेरे मालिक से कर दीजिये।”

राजा की आँखें तो आश्चर्य से फैल गयीं। वह बोला — “यह तो मेरे लिये बड़ी इज़्ज़त की बात होगी क्योंकि वह तो मुझसे भी ज़्यादा अमीर हैं। क्या वह मेरी बेटी को स्वीकार करेंगे?”

लोमड़ी बोली — “हाँ हाँ क्यों नहीं। और जब यह बात मेरे मालिक को बुरी नहीं लग रही तो फिर यह बात आपको तो बुरी लगनी ही नहीं चाहिये। काउन्ट पीयर ट्री को तो बस आपकी बेटी चाहिये।

उनको इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि दहेज बड़ा है या छोटा। क्योंकि आप कितना भी बड़ा दहेज देंगे वह उनको अपनी बड़ी दौलत के सामने छोटा ही लगेगा। बस उनको तो आपकी बेटी चाहिये”

राजा बोला — “बहुत अच्छे। तो तुम उनको बोलना कि वह यहाँ आये और हमारे साथ खाना खायें।”

सो जियोवानूज़ा लोमड़ी वापस जोसेफ के पास गयी और बोली — “मैंने राजा से कहा है कि तुम काउन्ट पीयर ट्री हो और तुम उसकी बेटी से शादी करना चाहते हो।”

जोसेफ बोला — “बहिन, यह तुमने क्या किया? अब जब राजा मुझको देखेगा तो वह तो मेरा सिर ही काट देगा।”

लोमड़ी बोली — “यह सब तुम मेरे ऊपर छोड़ दो। तुम इसकी बिल्कुल चिन्ता मत करो। वह ऐसा कुछ नहीं करेगा।”

यह कह कर वह एक दरजी के पास गयी और बोली — “मेरे मालिक काउन्ट पीयर ट्री को सबसे बढ़िया पोशाक चाहिये तो तुम्हारे पास जो भी सबसे बढ़िया पोशाक हो वह मुझे दे दो। मैं तुम्हें उसकी कीमत बाद में दे दूँगी।” दरजी ने लोमड़ी को एक काउन्ट के पहनने लायक कपड़े दे दिये।

उसके बाद वह लोमड़ी एक घोड़ा बेचने वाले के पास गयी और उससे बोली — “क्या तुम मुझे मेरे मालिक काउन्ट पीयर ट्री के लिये एक सबसे बढ़िया घोड़ा दोगे? हमको कीमत से कोई मतलब नहीं है। हम उसकी कीमत तुमको कल दे देंगे।” उसने लोमड़ी को एक सबसे अच्छा घोड़ा दे दिया।

इस तरह से वह लोमड़ी जोसेफ के लिये एक बहुत बढ़िया सूट और एक बहुत बढ़िया घोड़ा ले कर जोसेफ के घर पहुँची और वह अगले दिन उस सूट को पहन कर और उस घोड़े पर सवार हो कर राजा के यहाँ चल दिया। लोमड़ी उसके आगे आगे थी।

जोसेफ पीछे से चिल्लाया — “जियोवानूज़ा, अगर राजा मुझसे कुछ बात करेगा तो मैं क्या जवाब दूँगा। मुझे तो किसी बड़े आदमी से एक शब्द बोलने में भी बहुत डर लगता है।”

लोमड़ी बोली — “तुमको बोलने की जरूरत ही नहीं है। तुम बस मुझको बोलने देना। तुमको तो बस इतना कहना है “गुड डे” और “मैजेस्टी”। बाकी मैं सँभाल लूँगी।”

वे राजा के महल आ पहुँचे थे सो राजा काउन्ट पीयर ट्री को अन्दर ले जाने के लिये बाहर आया। उसने काउन्ट को बड़ी इज़्ज़त के साथ नमस्ते की। तो जोसेफ भी थोड़ा झुक कर बोला —“मैजेस्टी”।

राजा उसको खाने की मेज पर ले गया। वहाँ उसकी सुन्दर बेटी पहले से ही बैठी हुई थी। जोसेफ ने उससे कहा — “गुड डे।”

वे सब वहीं बैठ गये और उन्होंने आपस में बातें करनी शुरू कर दीं। पर काउन्ट पीयर ट्री जब बिल्कुल नहीं बोला तो राजा लोमड़ी के कान में फुसफुसाया — “बहिन जियोवानूज़ा? क्या तुम्हारे मालिक की जीभ बिल्ली ले गयी है?”

जियोवानूज़ा बोली — “मैजेस्टी आपको तो मालूम है जब किसी के पास बहुत सारी जमीन और दौलत होती है तो वह उसके बारे में ही सोचता रहता है। इसी लिये।” सो उस मुलाकात में राजा ने काउन्ट से बात न करने की बहुत ही ज़्यादा सावधानी बरती।

अगली सुबह जियोवानूज़ा ने जोसेफ से कहा — “मुझे एक टोकरी नाशपाती और दो ताकि मैं उसे राजा को दे सकूँ।”

जोसेफ बोला — “जैसा तुम चाहो बहिन। पर अगर अब मैं अमीर न हुआ तो मेरी गरीबी शुरू हो जायेगी।”

जियोवानूज़ा बोली — “तुम अपने दिमाग को शान्त रखो। मैं तुमको विश्वास दिलाती हूँ कि तुम जल्दी ही एक अमीर आदमी बनोगे।”

सो जोसेफ ने एक टोकरी नाशपाती तोड़ी और जियोवानूज़ा को दे दी। जियोवानूज़ा उन नाशपातियों को राजा के पास ले गयी और बोली — “मेरे मालिक काउन्ट पीयर ट्री ने आपके लिये यह नाशपाती की टोकरी भेजी है और अपनी प्रार्थना का जवाब माँगा है।”

राजा बोला — “काउन्ट से कहना कि यह शादी तभी हो जायेगी जब वह चाहेंगे।”

यह सुन कर जियोवानूज़ा तो बहुत खुश हो गयी और तुरन्त ही उछलती कूदती जोसेफ के पास लौट आयी। उसने वापस आ कर जोसेफ को यह खुशखबरी सुनायी।

जोसेफ कुछ परेशान हो कर बोला — “पर बहिन जियोवानूज़ा, मैं अपनी पत्नी को कहाँ ले जाऊँगा? इस छोटे से घर में मैं उसको कैसे ला सकता हूँ?”

जियोवानूज़ा बोली — “वह सब भी तुम मुझ पर छोड़ दो। तुम उसको सोचो भी नहीं। क्या मैंने अब तक तुम्हारे लिये कुछ नहीं किया जो आगे नहीं करूँगी? सो जैसे अब तक किया वैसे ही मैं आगे भी करूँगी।”

जोसेफ की शादी राजा की बेटी से बड़ी धूमधाम से हो गयी और इस तरह काउन्ट पीयर ट्री ने राजा की बेटी को अपनी पत्नी बना लिया।

कुछ दिन बाद जियोवानूज़ा ने राजा को बताया कि मेरे मालिक अब अपनी पत्नी को अपने महल ले जाना चाहते हैं। राजा बोला — “ठीक है। मैं भी उनके साथ जाना चाहूँगा ताकि मैं भी देख सकूँ कि काउन्ट पीयर ट्री के पास क्या क्या है।”

सब लोग घोड़े पर चढ़े। राजा के साथ कई नाइट्स[4] भी थे। वे सब मैदानों की तरफ चले तो जियोवानूज़ा बोली — “मैं पहले वहाँ पहुँचती हूँ और आप सब लोगों के वहाँ पहुँचने की तैयारी करती हूँ।”

clip_image007जैसे ही वह आगे दौड़ कर गयी तो उसको हजारों भेडें मिलीं। उसने उनके चरवाहों से पूछा — “ये भेड़ें किसकी हैं?”

“पापा ओगरे[5] की।”

लोमड़ी बोली — “ज़रा धीरे बोलो। तुम लोग उस कारवाँ को आते देख रहे हो न? वह राजा है जिसने पापा ओगरे से लड़ाई की घोषणा कर रखी है सो जब वह राजा यहाँ आये और तुमसे यह पूछे कि ये भेड़ें किसकी हैं तो अगर तुमने उनको यह कहा कि ये भेड़ें पापा ओगरे की हैं तो राजा के नाइट्स तुमको मार देंगे।”

“तो फिर हम क्या कहें?”

“पता नहीं। पर कह कर देखना कि ये सब भेड़ें काउन्ट पीयर ट्री की हैं।”

तब तक राजा वहाँ तक आ गया तो इतनी सारी भेड़ें देख कर उसने उनके चरवाहों से पूछा — “ये इतनी सारी भेड़ें किसकी हैं?”

सब चरवाहे चिल्लाये — “काउन्ट पीयर ट्री की।”

राजा खुशी से चिल्लाया — “ओह मेरे भगवान। जिस आदमी के पास इतनी सारी भेड़ें हैं यह आदमी तो वाकई बहुत अमीर होगा।”

कुछ दूर और आगे चल कर उस लोमड़ी को हजारों सूअर मिले। लोमड़ी ने उनके चराने वालों से भी पूछा — “ये सूअर किस के हैं?”

“पापा ओगरे के।”

“श श श श। धीरे बालो। तुम वे सिपाही देख रहे हो न जो इधर ही चले आ रहे हैं। अगर तुमने उनसे यह कहा कि ये सूअर पापा ओगरे के हैं तो वे तुमको मार देंगे। तुम उनसे कहना कि ये सारे सूअर काउन्ट पीयर ट्री के हैं तो वे तुमको नहीं मारेंगे।”

“ठीक है।”

तब तक राजा वहाँ तक आ गया तो हजारों सूअर देख कर उनके रखवालों से पूछा कि ये इतने बढ़िया सूअर किसके हैं तो उन्होंने जवाब दिया “काउन्ट पीयर ट्री के।” यह सुन कर राजा बहुत खुश हुआ कि उसका दामाद[6] तो बहुत अमीर है – इतनी सारी भेड़ें, इतने सारे सूअर।

उसके बाद राजा के लोग एक ऐसी जगह आये जहाँ बहुत सारे घोड़े घास खा रहे थे। राजा ने जब उनकी देखभाल करने वालों से पूछा कि वे घोड़े किसके हैं तो उनके रखवालों ने भी उनको यही कहा कि वे घोड़े काउन्ट पीयर ट्री के हैं।

राजा ने सोचा कि उसकी बेटी कितनी खुशकिस्मत है कि उसको कितना अच्छा पति मिल गया है।

अन्त में जियोवानूज़ा लोमड़ी पापा ओगरे के महल में आ पहुँची। वहाँ वह अकेला ही अपनी पत्नी के साथ रहता था।

माँ ओगरे ने जब जियोवानूज़ा को देखा तो वह तुरन्त पापा ओगरे के पास दौड़ी आयी और बोली — “काश तुम यह जान सकते कि तुम किस मुसीबत में फँस गये हो।”

पापा ओगरे डर गया और बोला — “क्या हो गया?”

“देखो न, वह धूल का बादल उड़ता चला आ रहा है। लगता है कि यह तो राजा की सेना है जो तुमको मारने चली आ रही है।”

दोनों ने बहिन लोमड़ी से कहा — “बहिन लोमड़ी, हमारी सहायता करो।”

लोमड़ी बोली — “मेरी सलाह यह है कि तुम लोग स्टोव में जा कर छिप जाओ। जब वे सब यहाँ से चले जायेंगे तो मैं तुमको इशारा कर दूँगी तब तुम बाहर निकल आना।”

सो पापा और माँ ओगरे ने वही किया। वे दोनों स्टोव में छिप कर बैठ गये। अन्दर जा कर उन्होंने जियोवानूज़ा से कहा कि वह स्टोव का दरवाजा पेड़ की टहनियों से बन्द कर दे ताकि वे लोग उनको देख न सकें।

यही तो वह लोमड़ी भी सोच रही थी सो उसने पेड़ की टहनियाँ स्टोव के दरवाजे पर लगा कर स्टोव को पूरी तरह से बन्द कर दिया। फिर वह जा कर राजा और उसकी बेटी का स्वागत करने के लिये उनके महल के दरवाजे पर खड़ी हो गयी।

जब राजा वहाँ आये तो उसने नम्रता से कहा — “मैजेस्टी, आइये। मेहरबानी करके घोड़े पर से उतरिये। यही काउन्ट पीयर ट्री का महल है।”

राजा और उसकी बेटी और जोसेफ तीनों अपने अपने घोड़ों से नीचे उतरे और उस महल की शानदार सीढ़ियाँ चढ़े। वहाँ उन्होंने काउन्ट पीयर ट्री की बहुत सारी दौलत देखी तो राजा के मुँह से तो एक शब्द भी नहीं निकला।

उसने सोचा — “मेरे महल में तो इससे आधी दौलत भी नहीं है।”

उधर जोसेफ जो एक गरीब आदमी था यह सब देखता का देखता रह गया। उसको अपनी आँखों पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था कि वह सब उसका था।

जब राजा को थोड़ा होश आया तो उसने पूछा — “पर यहाँ कोई नौकर नहीं दिखायी दे रहा।”

लोमड़ी ने तुरन्त ही जवाब दिया — “आज के दिन उन सबको छुट्टी दे दी गयी है क्योंकि मेरे मालिक बिना मालकिन की मरजी के कोई भी इन्तजाम नहीं करना चाहते थे। अब जब वह आ गयी हैं तो अब वह हुकुम करें कि वह क्या चाहती हैं वही किया जायेगा।”

जब उन्होंने सब कुछ देख लिया तो राजा अपने महल को लौट गया और काउन्ट पीयर ट्री वहीं रह गया, राजा की बेटी के साथ, पापा ओगरे के महल में।

इस बीच पापा और माँ ओगरे अभी तक स्टोव में ही बन्द थे। रात को लोमड़ी स्टोव के ऊपर गयी और फुसफुसायी — “पापा ओगरे, माँ ओगरे, क्या तुम लोग अभी यहीं हो?”

उन्होंने बड़ी कमजोर सी आवाज में कहा — “हाँ हम लोग अभी यहीं हैं।”

लोमड़ी बोली — “ऐसा करो तुम लोग अभी यहीं रहो मैं अभी आती हूँ।”

कह कर उसने स्टोव के सामने रखी टहनियों में आग लगा दी। पापा ओगरे और माँ ओगरे दोनों उस आग में जल कर मर गये।

clip_image009लोमड़ी काउन्ट पीयर ट्री से बोली — “अब तुम अमीर और खुश हो पर तुम मुझसे एक वायदा करो कि जब मैं मरूँ तो मुझे एक बहुत सुन्दर ताबूत[7] में लिटाना और मुझे पूरी इज़्ज़त के साथ दफनाना।”

राजा की बेटी ने जिसको उस लोमड़ी से प्यार हो गया था उससे कहा — “ओह बहिन जियोवानूज़ा, तुम इस खुशी के मौके पर ऐसी मरने की बात क्यों कर रही हो?”

कुछ समय बाद जियोवानूज़ा ने उन दोनों का इम्तिहान लेना चाहा। सो उसने मरने का बहाना किया। जब राजा की बेटी ने लोमड़ी को अकड़ा पड़ा देखा तो वह चिल्लायी — “अरे देखो जियोवानूज़ा तो मर गयी। ओह हमारी प्यारी दोस्त। हमको इसके लिये तुरन्त ही एक बहुत ही बढ़िया ताबूत बनवाना चाहिये।”

काउन्ट पीयर ट्री बोला — “ताबूत? एक जानवर के लिये? हम तो इसको खिड़की से ऐसे ही बाहर फेंक देंगे।”

कह कर उसने उसको पूँछ से पकड़ लिया और बाहर फेंकने ही वाला था कि वह लोमड़ी उसके हाथ से निकल कर कूद गयी और चिल्लायी — “ओ बिना पैसे के आदमी, नीच, बेवफा, क्या तुम इतनी जल्दी सब कुछ भूल गये?

भूल गये कि तुम्हारी यह सब दौलत मेरी वजह से है। अगर मैं न होती तो तुम अभी भी दान पर ज़िन्दा रह रहे होते। तुम बहुत ही कंजूस, बेवफा और नीच हो।”

काउन्ट पीयर ट्री ने उससे प्रार्थना की — “मेहरबानी करके मुझे माफ कर दो। न तो मैं तुम्हें कोई नुकसान पहुँचाना चाहता हूँ और न ही तुम्हारा दिल दुखाना चाहता हूँ। यह तो बस मेरे मुँह से ऐसे ही निकल गया। मैंने सोचा ही नहीं था कि मैं क्या कह रहा हूँ।”

“बस अब तुम मुझे आखिरी बार देख रहे हो।” कह कर वह लोमड़ी दरवाजे की तरफ भाग गयी।

काउन्ट पीयर ट्री ने उससे बहुत प्रार्थना की कि वह उसके साथ ही रहे पर उसने नहीं सुना। वह सड़क पर भागी चली गयी और गायब हो गयी और फिर कभी दिखायी नहीं दी।

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[1] Giovannuza Fox (Story No 185) – a folktale from Italy from its Catania area.

Adapted from the book “Italian Folktales”, by Italo Calvino. Translated by George Martin in 1980.

[2] Joseph – name of the son

[3] Count Pear Tree – Count (male) or countess (female) is a title in European countries for a noble of varying status, but historically deemed to convey an approximate rank intermediate between the highest and lowest titles of nobility.

[4] A knight is a person granted an honorary title of knighthood by a monarch or other political leader for service to the Monarch or country, especially in a military capacity. See its picture above.

[5] Ogre – An ogre (feminine ogress) is a being usually depicted as a large, hideous, manlike monster that eats human beings.

[6] Sone-in-law – daughter’s husband

[7] Translated for the word “Coffin”. See its picture above.

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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का  विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से क्रमशः  - रैवन की लोक कथाएँ,  इथियोपिया इटली की  ढेरों लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.

(क्रमशः अगले अंकों में जारी….)

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पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi 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रचनाकार: देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–9 : 3 जियोवानूज़ा लोमड़ी // सुषमा गुप्ता
देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–9 : 3 जियोवानूज़ा लोमड़ी // सुषमा गुप्ता
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