देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–9 : 5 सींगों वाली राजकुमारी // सुषमा गुप्ता

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5 सींगों वाली राजकुमारी [1] ऐसा कहा जाता है कि एक बार एक पिता के तीन बेटे थे और उसके पास पैसे के नाम पर केवल एक घर था। वह घर भी गरीबी की वजह...

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5 सींगों वाली राजकुमारी[1]

ऐसा कहा जाता है कि एक बार एक पिता के तीन बेटे थे और उसके पास पैसे के नाम पर केवल एक घर था। वह घर भी गरीबी की वजह से इस समझौते के साथ बेच दिया गया था कि उस घर की एक दीवार के बीच में लगी तीन ईंटें उस घर को बेचने के बाद भी उसी आदमी की रहेंगी।

जब वह आदमी मरने लगा तो उसने अपनी वसीयत करने की सोची। उसके पड़ोसियों ने पूछा — “पर तुम अपनी वसीयत में दोगे क्या? तुम्हारे पास तो कुछ है ही नहीं।” उसके बेटे भी इस छोटे से काम के लिये नोटरी[2] को नहीं बुलाना चाहते थे।

पर नोटरी आया और मरते हुए उस आदमी ने उसको अपनी वसीयत बतायी — “अपने सबसे बड़े बेटे को मैं अपनी पहली ईंट देता हूँ। अपने दूसरे बेटे को मैं अपनी दूसरी ईंट देता हूँ और अपने सबसे छोटे बेटे को मैं अपनी तीसरी ईंट देता हूँ।”

और उसके बाद वह आदमी मर गया। पिता के मरने के बाद ही वे तीनों गरीब बेटे जान पाये कि भूख और कमी क्या होती है।

पिता के मरने के बाद सबसे बड़ा बेटा बोला — “अब मैं इस शहर में नहीं रह सकता। मैं अपने पिता की दी हुई ईंट इस मकान की दीवार में से निकालता हूँ और उसको साथ ले कर मैं यहाँँँ से चलता हूँ।”

जब वह मकान की दीवार में से अपनी ईंट निकालने गया तो उस स्त्री ने जिसने उसके पिता का यह मकान खरीदा था उससे बहुत कहा कि अगर वह ईंट वहीं छोड़ दे जहाँ वह थी तो वह उसके बदले में उसको कुछ दे देगी क्योंकि इससे उसकी कम से कम दीवार खराब नहीं होगी।

लड़का बोला — “नहीं मैम, मेरे पिता ने मेरे लिये वही एक ईंट छोड़ी है और मैं उसको यहाँ नहीं छोड़ सकता।” कह कर उसने वह ईंट दीवार में से निकाल ली और उसको ले कर शहर की तरफ चल दिया। रास्ते में उसने उसे तोड़ा तो उसमें उसको एक बहुत ही छोटा सा बटुआ मिला।

रास्ते में उसको भूख लगी तो उसने अपना वह बटुआ निकाला और बोला — “ओ बटुए, मुझे दो पैनी दो ताकि खाने के लिये मैं कुछ डबल रोटी खरीद सकूँ।” यह कह कर उसने अपना बटुआ खोला तो उसमें दो पैनी थीं।

यह देख कर उस लड़के ने सोचा कि वह उस बटुए से कुछ ज़्यादा पैसे माँगने की कोशिश करके देखे।

सो उसने कहा — “ओ बटुए, मुझे 100 क्राउन[3] दो।” और बटुए ने उसको 100 क्राउन दे दिये। इस तरह उसने बटुए से जितना पैसा माँगा उसने उसको उतना ही पैसा दे दिया।

कुछ ही समय में उसके पास इतना पैसा हो गया कि उसने वहाँ के राजा के महल के सामने अपना एक महल बनवा लिया। उसने अपने महल की खिड़की से बाहर झाँका तो उसे दिखायी दिया राजा का महल और उस महल की खिड़की पर बैठी हुई राजकुमारी।

उसने राजकुमारी से बात की और वे दोनों अच्छे दोस्त बन गये और अब वह राजा के महल में कभी भी जा सकता था।

यह देख कर कि वह लड़का उसके अपने पिता से कहीं ज़्यादा अमीर था एक दिन राजकुमारी ने उससे कहा — “अगर तुम मुझे यह बता दो कि यह इतना सारा पैसा तुम्हारे पास कहाँ से आया तो मैं तुमसे शादी कर लूँगी।”

वह लड़का उस बटुए की वजह से अमीर तो हो गया था पर वह था बहुत ही बेवकूफ। उसने राजकुमारी का विश्वास कर लिया और उसको अपना बटुआ दिखा दिया।

राजकुमारी ने उसके बटुए में कोई खास रुचि न दिखाने का बहाना किया और उसकी शराब में बेहोशी की दवा मिला कर उसका वह जादू का बटुआ एक वैसे ही नकली बटुए से बदल दिया।

जब उस बेचारे लड़के को इस बात का पता चला तो उसको अपना काम चलाने के लिये जो कुछ भी उसके पास था वह सब कुछ बेच देना पड़ा। और अब वह फिर से उतना ही गरीब हो गया था जितना कि उस समय था जब वह अपने घर से निकला था।

इस बीच उसको पता चला कि उसका बीच वाला भाई बहुत अमीर हो गया था। उसने उसको ढूँढा और उससे मिल कर उसको गले लगाया। फिर उसने उससे पूछा कि वह इतना अमीर कैसे हो गया।

clip_image004उसके भाई ने बताया कि जब उसके पास पैसे नहीं रहे तो उसने भी उस मकान की दीवार से अपने हिस्से की ईंट हटा ली और उसको तोड़ा तो उसमें से उसको एक शाल[4] मिला। उस शाल को ओढ़ते ही वह दूसरों की निगाह से ओझल हो जाता था।

सो जब वह भूखों मर रहा था तब वह शाल ओढ़ कर गायब हो गया और एक बेकरी की दूकान में घुस कर एक डबल रोटी चुरा लाया। उस शाल को ओढ़े रहने की वजह से कोई उसको देख भी नहीं सका।

उसके बाद उसने कई चाँदी का सामान बेचने वालों को, एक सिलाई का सामान बेचने वाले को, राजा का सन्देश ले जाने वालों को लूटा और तब तक लूटता रहा जब तक कि वह काफी अमीर नहीं हो गया।

यह सुन कर बड़े भाई ने कहा — “अगर ऐसा है तो क्या तुम मेरा एक काम करोगे? मुझे अपना शाल एक खास काम के लिये उधार दोगे? वह काम करके मैं तुमको तुम्हारा शाल तुम्हें वापस कर दूँगा।”

अपने बड़े भाई से प्यार की वजह से उसने वह शाल उसको उधार दे दिया। बड़े भाई ने उस शाल को ओढ़ा और घर छोड़ कर चल दिया। अब उसे कोई नहीं देख सकता था।

तुरन्त ही उसने अपने दाँये और बाँये दोनों हाथों से वह हर चीज़ उठानी शुरू कर दी जो भी उसके सामने आयी और जो उसको अच्छी लगी। जब उसके पास काफी सारा सामान हो गया तो वह राजा के महल आया।

उसको और ज़्यादा अमीर हो कर वापस आया देख कर राजकुमारी ने पूछा — “अरे इतने दिनों तक तुम कहाँ थे और इतनी सारी दौलत तुम्हारे पास कहाँ से आयी? तुम मुझे बताओ तो बस फिर हम तुरन्त ही शादी कर लेते हैं।”

वह लड़का बेवकूफ तो था ही पर लगता है कि कुछ ज़रा ज़्यादा ही बेवकूफ था। क्योंकि उसको पहली बार अपना बटुआ और अपनी इतनी सारी धन दौलत खो कर भी अक्ल नहीं आयी सो उसने फिर से उस राजकुमारी को सब कुछ बता दिया। और उसने उसको वह शाल दिखा भी दिया जो वह अपने भाई से ले कर आया था।

राजकुमारी ने पहले की तरह पहले तो उस शाल में कोई रुचि नहीं दिखायी पर फिर उसकी शराब में बेहोशी की दवा मिला कर उसको बेहोश कर दिया और उसका वह जादुई शाल एक दूसरे वैसे ही नकली शाल से बदल दिया।

जब वह उठा तो उसने अपना शाल ओढ़ा और यह सोचते हुए कि अब तो उसे कोई देख नहीं रहा वह आराम से महल में अपना बटुआ ढूँढने के लिये इधर उधर घूमने लगा।

पर चौकीदारों ने उसको देख लिया और चोर समझ कर उसको बहुत मारा और महल से बाहर फेंक दिया।

अब आगे क्या करना है यह सोचते हुए वह बड़ा भाई अपने घर लौट आया और वहाँ वह जो कुछ कर सकता था करने लगा। वहाँ पहुँच कर उसको पता लगा कि उसका सबसे छोटा भाई भी बहुत अमीर हो गया है और वह एक बड़े महल में रह रहा है। और उसके पास भी बहुत सारे नौकर चाकर हैं।

उसने सोचा अब मैं अपने सबसे छोटे भाई के पास जाता हूँ और उससे सहायता माँगता हूँ। मुझे यकीन है कि वह मुझे खाली हाथ वापस नहीं भेजेगा। यह सोच कर वह उसके पास गया।

उधर जब बहुत दिनों तक सबसे छोटे भाई को अपने सबसे बड़े भाई की खबर नहीं मिली तो उसने सोचा कि शायद वह मर गया होगा पर जब उसने उसको देखा तो वह बहुत खुश हुआ और उसने उसका बड़े उत्साह से स्वागत किया।

उसने उसको यह भी बताया कि वह इतना अमीर कैसे हो गया। उसने उससे कहा — “अब तुम यह सुनो जो मैं कह रहा हूँ। यह तो तुमको मालूम ही है कि पिता जी हमारे लिये तीन ईंटें छोड़ गये थे और मेरे हिस्से में आखिरी वाली ईंट आयी थी।

clip_image006एक बार जब मुझे पैसों की बहुत जरूरत हुई तो मैंने उस ईंट को इस इरादे से वहाँ से निकाला कि मैं उसको बेच कर कुछ पैसे कमा लूँगा पर जैसे ही मैंने उसको वहाँ से निकाला तो मुझे उस ईंट के पीछे एक सींग दिखायी दिया।

उस सींग को देखते ही मुझे उसको बजाने की इच्छा हुई। मैंने उसे बजाया तो उसमें से बहुत सारे सिपाही निकल पड़े और मुझसे बोले — “जनरल, हमारे लिये क्या हुकुम है?”

यह सुन कर वह सींग मैंने अपने होठों से हटाया तो वे सब सिपाही गायब हो गये। इससे मेरी समझ में आ गया कि मुझे क्या करना चाहिये।

मैं अपने उन सिपाहियों के साथ कई शहरों में गया और वहाँ जा कर मैंने कई लड़ाइयाँ लड़ीं और वहाँ की जनता से बहुत सारे पैसे एंठे।

जब मैंने देखा कि मेरे पास मेरी ज़िन्दगी के लिये काफी पैसा हो गया तो मैं यहाँ वापस आ गया और अपना यह महल बनवा कर यहाँ आराम से रहने लगा।”

बड़े भाई ने जब यह सुना तो उसने उससे वह सींग उसको देने की प्रार्थना की और कहा कि जैसे ही उसका काम हो जायेगा वह उसको उसी समय वापस कर देगा। छोटे भाई ने भी उसको वह सींग दे दिया और वह बड़ा भाई उस सींग को ले कर वहाँ से चला गया।

वह उस सींग को ले कर एक दूसरे ऐसे शहर में पहुँचा जहाँ बहुत अमीर लोग रहते थे। वहाँ जा कर उसने अपना सींग बजाया तो उसने देखा कि उसमें से तो बहुत सारे सिपाही निकल रहे थे।

जब वह सारा मैदान सिपाहियों से भर गया तब उसने उनको सारा शहर लूटने के लिये कहा। उन सिपाहियों ने तुरन्त ही शहर वालों से उनका सोना चाँदी और बहुत सारे तरीके का खजाना लूट लिया।

वह खजाना ले कर वह फिर से उसी राजकुमारी के पास जा पहुँचा। हालाँकि वह उस राजकुमारी के जाल में दो बार फँस चुका था पर अपनी बेवकूफी से एक बार फिर वह उसके जाल में फँसने पहुँच गया।

उसने उसको फिर से अपनी अमीरी का भेद बता दिया। राजकुमारी ने एक बार फिर उसकी शराब में बेहोशी की दवा मिला कर उसको बेहोश कर दिया और उसके जादुई सींग को एक दूसरे सादे सींग से बदल दिया।

जब वह खाना खा कर उठा तो राजा और रानी ने उसको इस लिये महल से निकाल दिया क्योंकि वह पिये हुए था। बड़े बेइज्जत हो कर उसने अपनी बची हुई दौलत ली और एक दूसरे शहर को चल दिया।

चलते चलते वह एक जंगल से गुजरा जहाँ उसको 12 डाकू मिल गये। उसने इस उम्मीद में अपना सींग बजाया कि उसमें से सिपाही निकल आयेंगे और वे उसकी उन डाकुओं से रक्षा करेंगे पर वह सींग तो नकली था सो उससे कुछ भी नहीं हुआ।

डाकू उसका सारा सामान ले गये और उसको बहुत मार पीट कर अधमरा करके वहीं छोड़ गये। पर उसका सींग उसके मुँह में ही रहा और वह उसे बजाता ही रहा। काफी देर के बाद उसको समझ में आया कि उसका वह सींग तो नकली था।

फिर उसको लगा कि उसने तो अपने दोनों भाइयों को भी धोखा दिया क्योंकि उसने दोनों से उनकी चीज़ें ले लीं और खो दीं।

यह सोच कर उसको बहुत बुरा लगा और उसने एक पहाड़ की चोटी से कूद कर अपनी जान देने की सोची। सो उसने एक पहाड़ की चोटी ढूँढी और उसके काई[5] वाले किनारे पर जा कर वहाँ से नीचे कूद गया।

clip_image008पर जाको राखे साँइयाँ मार सके ना कोय। इत्तफाक की बात कि उसके गिरने के रास्ते के बीच में एक अंजीर[6] का पेड़ उगा हुआ था और बाहर की तरफ को निकला हुआ था। गिरते समय वह उस पेड़ की शाखाओं में अटक कर रह गया और लटक गया।

उस पेड़ पर बहुत सारी काली अंजीरें लगी हुई थीं। उसने सोचा कि मैं ये अंजीरें खा लेता हूँ तो कम से कम भर पेट खाना खा कर ही मरूँगा। सो वह वहाँ लटका लटका अंजीरें तोड़ तोड़ कर खाने लगा।

उसने 10 अंजीर खायीं, फिर 20 खायीं, फिर 30 खायीं। अंजीर खाते खाते उसको लगा कि उसके सिर पर सींग उग रहे हैं। जितनी वह अंजीर खाता जा रहा था उसके शरीर पर उतने ही सींग उगते जा रहे थे।

पहले वे उसके सिर पर उगे, फिर चेहरे पर, फिर नाक पर और फिर उसके सारे शरीर पर उग आये। अब उसके शरीर पर उस अंजीर के पेड़ की शाखों से भी ज़्यादा शाखें थीं जो उसको उस पेड़ से गिरने से बचाये हुए थीं।

यह सब देख कर तो अब उसको और ज़्यादा लगने लगा कि उसको मर ही जाना चाहिये। सो उसने उस अंजीर के पेड़ को छोड़ दिया और वह अपने सींगों के साथ फिर नीचे गिरने लगा।

पर उसकी किस्मत तो देखो कि रास्ते में एक और अंजीर का पेड़ लगा हुआ था वह उसमें जा कर अटक गया।

clip_image010इस पेड़ में पहले पेड़ के मुकाबले में और ज़्यादा अंजीरें लगी हुई थीं। और यह पेड़ काली अंजीरों का नहीं बल्कि सफेद अंजीरों का पेड़ था।

उसने सोचा कि अब इससे ज़्यादा और कितने सींग मेरे ऊपर उगेंगे क्योंकि अब तो मेरे शरीर पर सींग उगने की कहीं जगह ही नहीं रह गयी है सो मैं ये सफेद अंजीर और खा लेता हूँ तभी मरूँगा। यह सोच कर उसने उस पेड़ की सफेद अंजीरें खानी शुरू कर दीं।

उसने मुश्किल से तीन अंजीर खायी होंगी कि उसको लगा कि उसके तीन सींग कम हो गये हैं। यह देख कर वह वे अंजीरें खाता रहा तो उसने देखा कि हर एक अंजीर खाने के बाद उसका एक सींग कम हो जाता था।

वह इतनी अंजीर खा गया जिससे उसके शरीर पर उगे सारे सींग गायब हो गये। और अब उसकी खाल भी पहले से भी ज़्यादा साफ सुन्दर और चिकनी हो गयी थी।

जब उसके सारे सींग गायब हो गये तो तो वह उस सफेद अंजीर के पेड़ से नीचे उतर आया और फिर से पहाड़ की चोटी पर चढ़ गया।

वह फिर उस काली अंजीर के पेड़ पर आया और वहाँ से उसने काफी सारी काली अंजीरें तोड़ लीं और उनको अपने मफलर में बाँध लिया और शहर चल दिया।

उसने एक किसान का वेश बनाया और अपनी उन काली अंजीरों को एक टोकरी में रख कर शाही महल में बेचने के लिये ले चला।

साल का यह समय ऐसा था कि इस समय अंजीरों का मौसम नहीं था सो महल के चौकीदारों ने जब एक किसान को अंजीरें बेचते हुए देखा तो उसको बुलाया और राजा ने उससे उन अंजीरों की पूरी टोकरी खरीद ली।

किसान राजा के घुटने चूम कर अपनी अंजीर बेच कर तुरन्त ही वहाँ से चला गया।

दोपहर को राजा ने अपने परिवार को बुलाया और सब लोग अंजीर खाने बैठे। राजकुमारी को अंजीर बहुत पसन्द थीं सो वह जल्दी जल्दी कई सारी अंजीरें खा गयी। वे सब लोग उन अंजीरों को खा खा कर बहुत खुश हो रहे थे।

पर जब उन्होंने अंजीर खा कर खत्म कर लीं तब उन्होंने एक दूसरे की तरफ देखा तो पाया कि सारे लोगों के शरीर पर सींग उग आये हैं। और राजकुमारी के शरीर पर तो सबसे ज़्यादा सींग थे क्योंकि सबसे ज़्यादा अंजीरें तो उसी ने खायी थीं।

यह सब देख कर तो वे बहुत डर गये। वे शहर के हर डाक्टर के पास गये पर किसी को यह पता नहीं चल सका कि शाही परिवार को यह क्या हो गया था। राजा ने तुरन्त ही अपने सारे राज्य में यह मुनादी पिटवा दी कि जो कोई भी उनके सींग ठीक करेगा उसकी वह हर इच्छा पूरी करेगा।

जब बड़े भाई ने यह घोषणा सुनी तो अब की बार उसने सफेद अंजीरों के पेड़ से सफेद अंजीरें तोड़ीं और उनको ले कर वह शाही महल चल दिया। इस बार उसने एक डाक्टर का वेश बना लिया था

वहाँ जा कर वह बोला — “मैं आप सबको इन सींगों से छुटकारा दिला सकता हूँ और मैं इनको बहुत जल्दी ही हटा दूँगा।”

यह सुन कर राजकुमारी चिल्ला कर अपने पिता से बोली — “पिता जी, पहले मेरे सींग निकलवा दीजिये।”

राजा ने उस डाक्टर को पहले राजकुमारी के सींग निकालने के लिये कहा। डाक्टर राजकुमारी को एक अकेले कमरे में ले गया और वहाँ जा कर उसने अपना डाक्टर का वेश उतार दिया और फिर उससे पूछा — “क्या तुम मुझे पहचानती हो? हाँ या न?”

राजकुमारी कुछ झिझकते हुए बोली “हाँ।”

“अच्छा तो अब तुम मेरी बात सुनो जो मुझे तुमसे कहनी है। जब तुम मेरा बटुआ जिसमें से पैसे निकलते हैं, वह शाल जो अपने पहनने वाले को दूसरों से छिपा देता है और वह सींग जिसमें से सिपाही निकलते हैं वापस कर दोगी तभी मैं तुम्हारे शरीर पर से ये सींग हटाऊँगा।

पर अगर तुम इनको देने से मना करोगी तो मैं तुम्हारे शरीर पर इससे कहीं ज्यादा सींग लगा दूँगा।”

राजकुमारी को वे सींग एक मिनट के लिये भी अच्छे नहीं लग रहे थे और किसको पता था कि इस लड़के के पास कुछ और भी जादुई चाल हों सो उसने उसके ऊपर विश्वास कर लिया और वे सब चीजेें. उसे वापस दे दीं।

उसने राजकुमारी को उतनी ही सफेद अंजीर खिलायीं जितने सींग उसके शरीर पर थे। उन सफेद अंजीरों के खाते ही उसके शरीर पर से सारे सींग गायब हो गये और वह बिल्कुल ठीक हो गयी।

वही इलाज उसने राजा रानी और दूसरे लोगों का भी किया जिनके शरीर पर काली अंजीर खाने से सींग उग आये थे। वे भी सब ठीक हो गये। राजा ने उसके बाद राजकुमारी की शादी उससे कर दी।

बटुआ तो उसका अपना था वह उसने अपने पास रख लिया पर वह शाल और सींग उसके दोनों छोटे भाइयों के था सो उनको उसने अपने दोनों भाइयों को वापस कर दिये।

अब तो वह राजा का दामाद[7] था सो वह ज़िन्दगी भर राजा का दामाद ही बन कर रहा। अब उसको किसी चीज़ की कोई कमी नहीं थी।

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[1] The Princess With the Horns (Story No 189) – a folktale from Italy from its Acireale area.

Adapted from the book : “Italian Folktales”, by Italo Calvino. Translated by George Martin in 1980.

[2] A notary public of the common law is a public officer constituted by law to serve the public in non-contentious matters usually concerned with estates, deeds, powers-of-attorney, and foreign and international business.

[3] Crown – the then currency in European countries

[4] Translated for the word “Cloak”. See the picture above.

[5] Translated for the word “Moss”

[6] Translated for the word “Fig”. See its picture above.

[7] Translated for the word “Son-in-law” – daughter’s husband.

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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का  विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से क्रमशः  - रैवन की लोक कथाएँ,  इथियोपिया इटली की  ढेरों लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.

(क्रमशः अगले अंकों में जारी….)

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तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया 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पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi 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रचनाकार: देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–9 : 5 सींगों वाली राजकुमारी // सुषमा गुप्ता
देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–9 : 5 सींगों वाली राजकुमारी // सुषमा गुप्ता
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