कुकविताएँ // अजित वडनेरकर

SHARE:

तस्वीर सबसे पहले फ्रेम हुआ धराशायी फिर कड़कड़ाकर टूटा काँच गिरी फिर खनखनाकर दीवार में अटकी कील फिर गिरा कुछ चूना, गारा। गिरे कुछ लेवड़े*...

image

तस्वीर

सबसे पहले
फ्रेम हुआ धराशायी
फिर कड़कड़ाकर टूटा काँच
गिरी फिर खनखनाकर
दीवार में अटकी कील

फिर गिरा कुछ चूना, गारा।
गिरे कुछ लेवड़े* पलस्तर के
लटक गए कुछ भीत पर ही धरा ताकते

चौखट के भीतर तसवीर थी सलामत
इस बार फ्रेम में मढ़ने का नहीं
दीवार में ही
जड़ने का मंसूबा था।

#कुकविता #थोकबस

*पलस्तर की पपड़ियाँ
0000000000

image

हम
जा डूबेंगे उसी ताल-कीच में
जहाँ से मृणाल तन्तु
नील गगन को उठते हैं
00000000000


काल वही
बचा रह जाएगा
जो पतझड़ में
हर स्खलन में
हर गलन में
लाल वही

#कुकविता #सतपुड़ा
फोटो- Abir Wadnerk
----

तात
कहूँगा शीघ्र ऐसा कुछ
जो कह न पाए कभी
अरस्तू, फ़लातून, सुकरात

किसी साधु, मुनि, आचार्य, ब्रह्मर्षि,
वज्र, तीर्थंकर, सिद्ध, अर्हत, महर्षि,
धर्मकाय, मुकुन्द, राजर्षि,
धर्मकेतु, श्वेतकेतु, महासिद्धु
संन्यासी, धर्मात्मन, वाक्पति विशुद्धु
किसी मुख से
निकली न होगी ऐसी बात

करें कुछ धीर धारण तात
सुनें कल मन की बात

सर्वसर्वेश्वरसदासर्वोदयीसर्वात्मन
सर्वज्ञाता, सर्वत्राता, सर्वमोचक हैं अपन
सकलजग देख ढिंचक, है मगन
#एकअप्रैल2018 #कुकविता
000000000000

एक कलाकर्मी (चापलूस) की अभिलाषा

शॉल, श्रीफल, प्रशस्ति
अपरिमित भूसम्पदा मिले सस्ती
खुले गुरुकुल, कलाग्राम
गोत्र, गात्र, गोशाल, वैदिक छवि, भव्य
उल्लेख हो अगर, चन्दन, पंचगव्य

प्रशस्त हो उद्यानपाली
चांदनी, बरगद, करंजा
हरसिंगार, महुआ, आम
सुव्यवस्थित वृक्षावली

पटकथाओं में बटुक उल्लेख करें सानी, पानी
प्रातः प्रनामी

मन तृप्त हो
कब यह सब प्राप्त हो
रीतता जाता कलश है आयु का
स्वामी,
सत्ता का कुछ तो अंश दो इधर भी
तन बना
रोगी स्नायु का

जीवन यापन भत्ता दे दो
साल बचा है एक ही साधो
सुन लो ओ सट्टी के माधो
थोड़ी सी तो सत्ता दे दो
कैसा भी अलबत्ता दे दो
साल भर का भत्ता दे दो

#कुकविता
0000000000000


हल्दी नहीं लगवाएगी लखमारानी

लोबिया बघारने के बाद लखमारानी ने
दाल के अदहन की तैयारी शुरू की
तीसरे चूल्हे पर आधी भरी देगची रखी पर ठिए का कोयला दरक गया।
आखिर रात का दिया काम आया। उल्टा किया। तब कही देग टिकाया। अब नहाने की बारी।

लखमारानी रोज यही करती। पहले सब्जी। फिर दाल। इसलिए कि उसे बार बार देखना नहीं पड़ता। इस बीच जाकर नहा लेती।

तुलसी, महादेव और पोपट को पानी। गणेश को तिलक और नीम की जड़ में लोटा खाली कर जब रसोई में लौटती, दाल में अदहन आ चुका होता। पानी का अंदाज़ ऐसा नीक कि एक बूंद हंडी से बाहर नहीं गिरता, बस खदकता रहता भीतर भीतर।

माँ ने सिखाया था बचपन में। उबाल से पहले हांडी में हल्दी छोड़ने से उफान कम आता है।

आठ विधवाओं की गृहस्थी का जिम्मा सम्भालती लखमा ने सोच रखा है, जि़ंदगी बिता देगी 'लसूड़िया बामन' के इसी विधवाधाम में।

सभी की कहानियाँ सुन चुकी है लखमा। रसोई का ही जिम्मा है उसका। सन्तोष से खिलाती है सभी दुखियारियों को। भात, सब्ज़ी, रोटी, बूरा, चूरमा। इतने में ही धाप लेती जीती-जागती शोकान्तिकाएँ। पहले माँ को, फिर इन मुरझाई स्त्रियों की पुराणपोथी बाँचते हुए क्रोध से भर जाती है रानी लखमा।

उसे खूब गुस्सा आता है। वह सबको खूब सुनाती है। किसी भी बात पर। स्त्री-पुरुष सम्बन्ध, स्त्रियों के दुख, पुरुषों की मूर्खता, उनका अहंकार, उनकी स्त्रैणता, उनकी कापुरुषता इन सब विषयों का जो भी अर्जित ज्ञान है, उस पर गर्व है लखमारानी को। वह सब पर चिल्लाती है, व्यंग्य बाण चलाती है। एक खदबदाती हाँडी है लखमारानी जो अक्सर उफान पर ही रहती है। उफनती चलती है।

माँ ने सिखाया था बचपन में। हाँड़ी में हल्दी छोड़ने से उफान कम आता है।

लखमारानी ने तय किया है वह अपनी काया पर हल्दी न लगने देगी।
वह अपना उफान कम न होने देगी।

#कुकविता
000000000


▪️बुतपरस्त-बुतशिकन

जि़ंदा लोगों को दफ़ना दिया, टांग दिया सूली पर, पिला दिया ज़हर
विचार तब भी ज़िंदा है।

प्रतिमाओं का ढहाना असभ्यता है
पर इन्सानी फ़ितरत ही कही जाएगी।

बुद्ध ही बुत होकर प्रतिमाओं का पर्याय हो गए
बुतपरस्त भी बुतशिकन निकले तो अचरज कैसा!!
विचारधारा
जब हो सियासी क़िलों का ग़ारा
तब दुर्ग बचाना अहम बात है।

क़िलों के ढहने पर बुतों के धराशायी होने का सोग कैसा !!
बन जाएँगे बुत
बहुत

पहले खुद सम्भल जाएं, जिन्हें बनना था सहारा
ग़फ़लत में खुद हो गए पाषाण
जिसमें अब नहीं तराशी जाती छवियाँ

उम्मीदें इन्सान से होती हैं
प्रतिमाओं से भी रहती
उन शिलाओं का क्या
जिनमें कोई आकृति नहीं उभरती

#कुकविता #थोड़ा_कहा_बहुत_समझना
0000000000

सूरज ▪पत्नी▪ प्याज ▪वाशिंग मशीन

शाम तक था सूरज गगन में
चला गया टहलने
शाम तक थी पत्नी साथ
लौट गई
नौकरी करने
शाम तक था टोकरी में प्याज
खप गया पोहे में

अभी जाऊँगा बाजार, ले आऊँगा
मीडियम साइज़
किलोभर
सूरज भी सुबह लौट आएगा ओट से
पत्नी भी आ ही जाती शनिवार को
धुले कपड़े लेकर
पर शुक्र को मुझे दिल्ली जाना है
दो दिन तो लग ही जाएँगे
जानती है, सो न आएगी। स्थगित रहा मिलना।

कह गई है, अगली बार जरूर लेनी है वाशिंग मशीन
8500 वाली
अकेले की गिरस्ती में ज़रूरी है
भरोसा है 500 तो कम करवा ही लेगी।
बस, मैं खिसक लूंगा काउंटर से

ये तय है, धोएगी वही गात्र मेरे।
देखेगी, मुग्ध होकर। अपनी गृहस्थी की
पांचवी या शायद छठी वाशिंग मशीन।

#कुकविता #एक_अरमानी_गद्यांश_जो_इस_रूप_में_याद_आया
000000000

Post-mortem ब्यौहार

जीते जी और मरणोपरांत
सब पूरे हों अनुष्ठान
साहित्य जगत
की
लगत भगत
नई नहीं
नामवर भी कई नहीं।

दर्ज हर बात इतिहास में होगी
धड़कन बंद होते ही
शुरू हो जाती है
इतिहास की घड़ी
सब भाग के लेखे
काल के लेखे
देखेगी दुनिया तब
सचमुच ईमान से देखे

#कुकविता
0000000000000

छद्म युद्धाभ्यास !!

इस देश की बौद्धिक ताक़तें एक समय कुंद हो गईं, जब उन्होंने पाया कि उनकी मनचीती पार्टी और मनचीते व्यक्ति के हाथ तक नहीं पहुँची सर्वोच्च सत्ता की रास।
पंचवर्षीय कार्यकाल के चार बरस बीत चुके थे
पाँचवाँ चल रहा था।

कवियों, लेखकों, विद्वानों ने कुछ नया नहीं रचा।
पर वे सक्रिय दिखे कुछ यूँ मानों क्रान्ति हो रही हो। अलबत्ता अपनी दीवार पर गोबर से तत्कालीन सत्ता और उसके प्रमुख पर चुटकुले गढ़ने में उन्होंने लगा दी सारी ताक़त
[फिर याद करें, इस भ्रम में मानों आपात्काल लगा हो और वे क्रान्ति रच रहे हैं]

बौद्धिक प्रतिष्ठानों की सत्ता चुनौती पर थी। सत्ता जिनकी भी थी, जैसी भी थी, उससे पहले भी
उन्होंने सम्भाली थी, जैसी भी सम्भाली थी। मुद्दा एक व्यक्ति विशेष के प्रति, कुछ व्यक्तियों-विचारधाराओं से जुड़े गतिहीन विचारकों की ठहरे पानी जैसी सोच का था। उनके लिए आम जनता, आम चुनाव, लोकतन्त्र जैसे शब्दों का कोई अर्थ नहीं था। उनकी प्रिय चुनी हुई सरकार के दशकों के शासनोपरान्त
जनता के परिवर्तन-समर्थक निर्णय को भी वे चार साल तक नकारते रहे।

कोई आपात्काल नहीं लगा, कोई क्रान्ति नहीं हुई, जिसने अच्छे भले लेखकों, कवियों, आलोचकों, अध्यापकों, को चुटकुलेबाजों से होड़ करते देखा। अनेक लोगों नें हर वर्ग में बेहतरीन लतीफ़े भी गढ़े नतीजे में जनता के दिल से उतर गए।

ऐसी अनहोनी, जो हुई नहीं, उसके विरोध में पूरे पाँच साल चलती रही कुतर्क क्रान्ति। बौद्धिकों ने यूँ गँवाए पूरे पाँच साल। कुछ इस तरह कि जो भी हो, सब मूर्ख मतदाताओं का फ़ैसला होगा, जिसे पिछली बार की तरह वे नकार देंगे। अनुकूल हुआ तो 'जनता-जनार्दन' कहेंगे।

अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए इस पद्धति से किया छद्म युद्धाभ्यास

#थोड़ा_कहा_बहुत_समझना #कुकविता
000000

परजीवी

वे मार चुके है। हर उस शै को जिस पर पले।
अब मरते हुए डर रहे हैं।
वे फिर जन्मेंगे। किसी और नाम से। इस आसन्न सन्त्रास के साथ कि नहीं
डरता कोई उनसे। विदूषक से
ज़्यादा भाव पर, तौला नहीं किसी ने
दरअसल वे ऊसर खेत के
बिजुके हैं। जहाँ न कुछ उगेगा, न पनपेगा
उगा भी तो कौन चुगेगा !!
अस्तित्व संकट से जूझते वे अतीत से
परजीवी हैं
हर काल में होते हैं

#कुकविता
00000000

इज्जतदारी

कुछ टीवी पर बिक गए, कुछ रेलवे के
ठेके पर। कुछ सस्ते प्लाट पर
और कुछ बेनामी सौदों पर।
सबसे आसान बिकना
सरकारी मकान पर
होता है
इनमें विराजते टाइपराइटरों के
होते हैं दो मुँह, चार कान
कई मकान
कॉर्नर पे दुकान
तब भी छूटता नहीं सरकारी
मकान, जिसका गैरेज
काम वाली का आशियाना है, बेगार के बदले।
भाई साहब तब भी रहते तनाव में
स्साला, जितनी मिलनी चाहिए
मिलती नही इज्जत इन सब के बदले

#थोड़ा_कहा_बहुत_समझना #कुकविता
0000000000

सब ईश्वर तुम्हारी महिमा

तुम तक पहुंचना
संघर्ष बना,
जो कि होना नहीं था,
हुआ
अनुष्ठानों की वजह से,
जिन्हें रचा पुरोहितों ने, तुमने नहीं।

और जब तुम मिले,
बड़ी सहजता से
यूँ कि किसी अनीश्वरवादी ने ही
मेरे घर का पता
दिया हो तुम्हें
या खुद ही घर तक छोड़ गया हो।
और लौट गया हो बाहर ही से
कुछ इस तरह कि
अजित भाई से कल मिल लेंगे
आज उन्हें प्रभु से मिल लेने दें जी भर।
बड़े परेशान रहे बीते दिनों।

तो ऐसे मित्र भी सदा से प्रभु तुम्हारी ही कृपा से रहे हैं।
ऐसे अवसरों पर,
मैं कभी मार्क्सवाद को बीच में नहीं लाता
और वाम जैसे अधोराजनीतिक पद को भी वर्जित समझें।

#कुकविता
00000000000000

(अजित वडनेरकर के फ़ेसबुक वाल [ https://www.facebook.com/ajit.wadnerkar ]से संकलित व साभार पुनर्प्रकाशित)

COMMENTS

BLOGGER: 1
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: कुकविताएँ // अजित वडनेरकर
कुकविताएँ // अजित वडनेरकर
https://lh3.googleusercontent.com/-NnOHypMv-1A/WvPo5HAGpVI/AAAAAAABBJ8/m_uAGSnY1FcUOL9LPhV3rKYbeZUG6CPHgCHMYCw/image_thumb%255B1%255D?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-NnOHypMv-1A/WvPo5HAGpVI/AAAAAAABBJ8/m_uAGSnY1FcUOL9LPhV3rKYbeZUG6CPHgCHMYCw/s72-c/image_thumb%255B1%255D?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/05/blog-post_58.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/05/blog-post_58.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content