फौलादी गुड़िया // विज्ञान-कथा // विष्णु प्रसाद चतुर्वेदी // विज्ञान-कथा : जुलाई-सितम्बर 2018

SHARE:

फौलादी गुड़िया विज्ञान-कथा विष्णु प्रसाद चतुर्वेदी भा रतीय अन्तरिक्ष यात्री बचेन्द्री को अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन पर आए पाँचवा दिन थ...

फौलादी गुड़िया

विज्ञान-कथा

image


विष्णु प्रसाद चतुर्वेदी

भा रतीय अन्तरिक्ष यात्री बचेन्द्री को अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन पर आए पाँचवा दिन था। कुछ वर्ष पूर्व तक भारत अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष योजना का सदस्य नहीं था। अमेरिका, रूस, जापान, कनाडा व यूरोपीय संघ के 11 देश इसके सदस्य थे। जब मंगल ग्रह पर मानव बस्ती बसाने की योजना बनने लगी तो इस योजना जुड़े देशों ने अनुभव किया कि बड़े अन्तरिक्ष अभियान में भारत व चीन को भी सम्मिलित किया जाना चाहिए। चीन ने अपना अलग अन्तरिक्ष स्टेशन बनाने की शुरुआत कर अकेले चलते रहने का संकेत दे दिया। भारत विश्वबंधुत्व की नीति को आगे बढ़ाने तथा अन्तरिक्ष अभियान पर अपने खर्च को कम सीमित रखने के उद्देश्य से अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन की योजना में सम्मिलित हो गया था। इसी कारण अपने दो पुरुष साथियों के साथ बचेन्द्री अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन पर गई थी।

रविवार होने के कारण अवकाश का दिन था। वैसे तो अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन में भी सप्ताह में 5 दिन ही कार्य होता है मगर कोई न कोई ऐसी स्थिति बनती ही रहती है कि अन्तरिक्ष यात्रियों को शनिवार को भी कार्य करना पड़ जाता है।

उस दिन भी ऐसा ही हुआ था। भोजन, पानी व अन्य कुछ सामान लेकर अन्तरिक्ष शटल अन्तरिक्ष स्टेशन पहुँचा था। अन्य लोगों के साथ बचेन्द्री का भी पूरा दिन शटल को स्टेशन से जोड़ने, सामान उतारने तथा शटल को पुनः रवाना करने के कार्य में बीत गया था। शनिवार को सोने जाते समय ही बचेन्द्री ने तय कर लिया था कि रविवार को 8 बजे से पहले वह बिस्तर से बाहर नहीं आएगी।

अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन पर बचेन्द्री को बहुत ही नियमित दिनचर्या से गुजरना पड़ता था। वह सुबह छः बजते ही बिस्तर छोड़ देती थी। अपने दैनिक कार्यों से निवृत हो बचेन्द्री नाश्ता करती थी। नाश्ते की टेबल पर ही स्टेशन प्रभारी व अन्य साथियों के साथ दिन भर की कार्य योजना पर विचार करती। सुबह सवा आठ तक अन्य साथियों के साथ वह भी कार्य पर जुट जाती थी। सबसे पहला कार्य व्यायाम करना होता था। फिर कई प्रकार के प्रयोग, निर्माण कार्य आदि करने होते थे। दोपहर एक बजे खाने की छुट्टी होती थी। लगभग एक घन्टा तो भोजन करने में ही गुजर जाता था। अन्तरिक्ष में भोजन करना भी आसान काम नहीं होता। भोजन के बाद बचेन्द्री कुछ समय विश्राम करती कि फिर काम में जुटने का समय हो जाता था। दोपहर के बाद के कार्य में प्रमुख भाग कठिन व्यायाम ही होता था। अन्तरिक्ष में अपने आपको चुस्त-दुरस्त रखना सबसे बड़ी चुनौती होती है। रात्रि के भोजन के साथ दिन भर के कार्य की समीक्षा की जाती थी। रात्रि नौ बजे वह सोने चली जाती।

दिनभर के कार्य से इतनी थकान हो जाती थी कि कभी स्वप्न देखने का अवकाश भी उसे नहीं मिल पाया था। उस रविवार को बचेन्द्री के पास अवकाश ही अवकाश था।

बचेन्द्री का जन्म एक साधारण घर में हुआ था।

बचेन्द्री तीन वर्ष की भी नहीं हुई जब उसके पिता एक सड़क दुर्घटना में चल बसे थे। उसी दिन से माँ ने पिता की जिम्मेदारी भी निभाने लगी थी। बचेन्द्री ने कभी माँ को तकदीर को कोसते नहीं देखा। पिता की मृत्यु के बाद माँ घर में बैठ कर मुहल्ले भर के कपड़े सिलने लगी थी। उससे इतना मिल जाता कि उनके तीन सदस्यों के परिवार का काम चल जाता था। बचेन्द्री का एक भाई भी था। भाई ने तो पिता को कभी देखा ही नहीं था। पिता मृत्यु के एक माह बाद उसका जन्म हुआ था। बचेन्द्री मुहल्ले के सरकारी स्कूल में पढ़ने लगी थी। बचेन्द्री की पढ़ने में बहुत रुचि थी। माँ ने उसे एक ही बात सिखाई कि दृढ़ता से उद्देश्य पाने की कोशिश में लगे रहो। बचेन्द्री स्कूल में सदैव प्रथम स्थान प्राप्त करती रही थी।

बचेन्द्री बिस्तर छोड़ और चाय लेकर पृथ्वी की ओर खुलने वाली खिड़की के पास आ बैठी। पृथ्वी के अनेकों मनोरम दृष्य उसके सामने थे। पृथ्वी की ओर देखते हुए उसे माँ की याद आ गई। माँ ने कभी उसे कुछ बनने का लक्ष्य नहीं दिया था। माँ ने सदैव एक ही शिक्षा दी कि ईमानदारी व पूर्ण क्षमता से कार्य करो। तुम्हें कभी सफलता के पीछे नहीं दौड़ना पड़ेगा अपितु सफलता तुम्हारे पीछे दौड़ेगी। आज बचेन्द्री को लग रहा था कि माँ की बात कितनी सही निकली। बचेन्द्री लोगों के संघर्ष की कथाएं सुनती तो चकित रह जाती। क्योंकि बचेन्द्री को ऐसा कुछ नहीं करना पड़ा जिसे लोग संघर्ष कहते हैं। बचेन्द्री सोच रही थी कि खुलजा सिम सिम की कहानी उसके जीवन पर सही उतरी है। वह जिधर भी बढ़ी उधर उसे द्वार खुला मिला। उस दिन तो पूरा अन्तरिक्ष ही बचेन्द्री के लिए खुला था। वह एक दिन में दुनिया के 18 चक्कर लगा रही थी।

चाय का एक बड़ा घूंट भरने के बाद बचेन्द्री ने अपने अन्तरिक्ष कक्ष में दृष्टि डाली। सामने की दीवार पर प्रथम भारतीय अन्तरिक्ष यात्री राकेश शर्मा की तस्वीर टंगी थी।

तस्वीर को देखकर बचेन्द्री को भारत में हुई अन्तरिक्ष विज्ञान के विकास की कहानी याद आ गई। तेजी से हुए विकास को याद कर बचेन्द्री अभिभूत हो गई। बचेन्द्री को याद आया कि भारतीय वायुसेना का अधिकारी राकेश शर्मा अप्रैल 1984 में अन्तरिक्ष की ओर उड़ा था। लगभग 8 दिन अन्तरिक्ष में रह कर वह सकुशल पृथ्वी पर लौट आया था। बचेन्द्री की प्रसन्नता का कारण यह नहीं था कि वह भी राकेश शर्मा की तरह अन्तरिक्ष में चक्कर लगा रही थी। बचेन्द्री राकेश शर्मा व अपनी यात्रा के अन्तर के कारण प्रसन्न थी। राकेश शर्मा रूसी अन्तरिक्षयान सोयूज में बैठ कर रुसी कॉस्मोनॉट के साथ अन्तरिक्ष में गया था। अन्तरिक्ष में रुसी अन्तरिक्ष कक्ष सल्यूट-7 में रुसियों के मेहमान की तरह रहा था। बचेन्द्री भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन के यान आकाशदूत में बैठ कर अन्तरिक्ष में आई थी। अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन में उसे किसी अन्य देश के कक्ष में मेहमान नहीं बनना पड़ा था, बचेन्द्री भारत द्वारा स्थापित वायुयुक्त कक्ष त्रिशंकु में आराम कर रही थी। बचेन्द्री को गर्व था कि सबसे पीछे अन्तरिक्ष की ओर कदम बढ़ाने वाला भारत आज सबके बराबर चल रहा था।

पृथ्वी से लगभग 400 किलोमीटर दूर, मानव द्वारा निर्मित अद्भुत आवास अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन में बैठ कर पृथ्वी को निहारना बचेन्द्री के लिए एक अद्भुत अनुभव था। पृथ्वी के गुरुत्वीय प्रभाव से मुक्त क्षेत्र में विचरण करने में हर क्षण जीवन का खतरा बना रहता है मगर मानवता के उत्कर्ष के लिए उस खतरे को उठाने में बहुत आनन्द है। यही कारण है कि अन्तरिक्ष उड़ानों के दौरान दर्जनों लोगों को मारे जाने के बावजूद अन्तरिक्ष में जाने के इच्छुक नौजवानों की कतार कभी छोटी नहीं हुई थी।

राकेश शर्मा, कल्पना चावला व सुनिता विलयम्स के कारण भारत के अन्य बच्चों की तरह बचेन्द्री भी अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन से परिचित हुई थी। उस परिचय के समय बचेन्द्री ने यह कल्पना नहीं की थी कि बहुत जल्दी ही वह भी उन्हीं की तरह अन्तरिक्ष में विचरण करेगी। अमेरिकी महिला अन्तरिक्ष यात्री डॉ. मेरी एलन वेबर के अनुभव पढ़ कर बचेन्द्री को लगा कि वह भी अन्तरिक्ष में जा सकती है। दृढ़ निश्चय व ईमानदार प्रयास के कारण अवसर दौड़ कर बचेन्द्री के सामने आने लगे थे। बचेन्द्री ने ज्यो हीं इंजीनियर की उपाधि प्राप्त की भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अन्तरिक्ष में जाने के इच्छुक युवाओं से प्रार्थना पत्र आमंन्त्रित किए थे। बचेन्द्री ने आवेदन किया, कठोर चयन प्रक्रिया को बचेन्द्री ने पार कर लिया था। कठिन प्रशिक्षण को बचेन्द्री ने जिस सहजता से पूरा किया उसे देख प्रशिक्षक बचेन्द्री को ‘फौलादी गुड़िया’ कहने लगे थे।

उन पाँच दिनों में बचेन्द्री पृथ्वी की 90 परिक्रमा कर चुकी थी। कार्य में व्यस्त रहने के कारण बाहर के दृश्यों की सुन्दरता रस तब तक नहीं ले सकी थी। जब फुर्सत मिली तो उसे लगा कि जिस पृथ्वी को हम इतना बड़ा मानते हैं वह आकाश के अनन्त महासागर में एक छोटे द्वीप से अधिक महत्व नहीं रखती। वायुमण्डल व जीवन की उपस्थिति ने पृथ्वी के पृष्ठ पर जो रंग भरे हैं वैसे रंग अन्तरिक्ष में अन्यत्र दिखाई नहीं देते। बचेन्द्री जब बच्ची थी तब ऊपर से गुजरते बादलों के कारण उभरते धूप-छांव के दृश्य उसे बहुत रोमांचित करते थे।

कुछ वैसे ही दृश्य उस दिन बचेन्द्री के सामने बार-बार उपस्थित हो रहे थे। पृथ्वी की हर परिक्रमा के आधे भाग में उसे रात, आधे में दिन का दृश्य दिखाई दे रहा था। बचेन्द्री यह देख कर भी रोमांचित थी कि दिन वाले भाग से गुजरने पर जो पृथ्वी निर्जन दिखाई देती है, वही पृथ्वी रात वाले भाग में जगमगाते प्रकाश पुंजों के कारण मानवता की महानता का बखान करने लगती है।

माँ से बात करने का समय समीप आने के साथ ही बचेन्द्री की दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी। बचेन्द्री की पृथ्वी की 93 वीं परिक्रमा के समय अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन के भारत पर से गुजरते समय 10 मिनट के संयोजन समय के लिए एक स्वयं सेवी संस्था ने माँ व स्थानीय लोगों की बचेन्द्री के साथ विडियो कोन्फ्रेशिंग की व्यवस्था की थी।

‘‘हेलो हेलो पाली राजस्थान हियर... ‘‘.................................... ‘‘हेलो हेलो पाली राजस्थान हियर.... ................................... ‘‘मैं बचेन्द्री बोल रही हूँ, माँ आप कैसी है, स्क्रीन पर माँ का चेहरा देखते ही खुशी से चीख पड़ी बचेन्द्री।

‘‘मैं बहुत खुश हूँ। जब बहादुर बेटी अन्तरिक्ष में विचरण कर रही हो तब माँ खुश होने के अतिरिक्त कर भी क्या सकती है। तुम बताओ अन्तरिक्ष में कैसी गुजर रही है. ...... माँ ने पूछा। खुशी के कारण माँ के चेहरा गुलाबी आभा से दमकने लगा था।

‘‘माँ आज तो आप बहुत सुन्दर लग रही हो..... बचेन्द्री ने कहा।

‘‘अरे वहाँ अन्तरिक्ष में भी तुझे हंसी मजाक सूझ रहा है। देख नहीं रही यहाँ कितने लोग जमा है। क्या कहेंगे, चल बता अन्तरिक्ष से भारत कैसा दिखाई देता है.... माँ ने बात बदलने की दृष्टि से कहा।

‘‘माँ आप तो घबरा गई। आपने वही प्रश्न पूछ लिया जो इंदिरा जी ने राकेश शर्मा से पूछा था। जवाब में राकेश जी ने पहले से तय पंक्ति - सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ता हमारा, सुनाई थी। माँ, भारत से मुझे भी बहुत प्रेम है, मगर सच कहूं तो यहाँ से किसी भी देश की सीमा दिखाई नहीं देती। पूरी पृथ्वी एक ईकाई दिखाई देती है।’’ बचेन्द्री ने कहा। इस पर उसे तालियों की आवाज सुनाई दी। बचेन्द्री को लगा उसका जवाब वहाँ उपस्थित कई लोगों को पसन्द आया था।

‘‘अच्छा बता तेरी जन्मतिथि क्या है।’’ माँ ने फिर विषय बदल दिया।

‘‘23 मई 1984, माँ इस समय यह प्रश्न क्यों पूछ रही हो,’’ बचेन्द्री ने आश्चर्य से पूछा।

‘‘इस प्रश्न को पूछने का सही समय आने का इन्तजार मैं इतने वर्षों से करती रही हूँ। आज वह समय आ गया है। इस तिथि को बचेन्द्री पाल ने हिमालय की चोटी पर चढ़ने में सफलता पाई थी। उसने हिमालय पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला का खिताब प्राप्त किया था। उसी दिन तू पैदा हुई तो मैंने तेरा नाम बचेन्द्री इस इच्छा से रखा कि तू भी कभी ऐसा ही कुछ कर दिखाएगी। तेरे पर मानसिक दबाव नहीं पड़े इस कारण यह बात मैंने तुझको कभी नहीं बताई। तूने अन्तरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला बन कर अपना मुकाम प्राप्त कर लिया है। तेरे पापा को यह बात पता थी।

आज मैं उनसे यह बात शेयर करने की स्थिति में नहीं हूँ, इसी कारण तुझसे कर रही हूँ।’’ माँ ने कुछ भावुक होते हुए कहा।

‘‘माँ तुम सचमुच महान हो,’’ माँ की बात सुन फौलादी गुड़िया की आँखे भीग गई थी। वह एक वाक्य भी बड़ी मुश्किल से बोल पाई थी। इतने में यान से सम्पर्क कट गया।

अन्तरिक्ष स्टेशन शायद सम्पर्क सीमा से आगे बढ़ गया था।

❒ ई मेल : vishnuprasadchaturvedi20@gmail.com

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: फौलादी गुड़िया // विज्ञान-कथा // विष्णु प्रसाद चतुर्वेदी // विज्ञान-कथा : जुलाई-सितम्बर 2018
फौलादी गुड़िया // विज्ञान-कथा // विष्णु प्रसाद चतुर्वेदी // विज्ञान-कथा : जुलाई-सितम्बर 2018
https://lh3.googleusercontent.com/-3jTZhz2wvr8/Wyylv27V4lI/AAAAAAABC04/x9vyTZd_Ip8MW24zVrg-3R6KQJ2-X77FgCHMYCw/image_thumb%255B3%255D?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-3jTZhz2wvr8/Wyylv27V4lI/AAAAAAABC04/x9vyTZd_Ip8MW24zVrg-3R6KQJ2-X77FgCHMYCw/s72-c/image_thumb%255B3%255D?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/06/2018_74.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/06/2018_74.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content