फ़ैरैयैल और जादूगरनी डैब्बे एँगल// पश्चिमी अफ्रीका की लोककथाएँ // सुषमा गुप्ता

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देश विदेश की लोक कथाएँ — पश्चिमी अफ्रीका–1 : पश्चिमी अफ्रीका की लोक कथाएँ–1 बिनीन, बुरकीना फासो, केप वरडे, गाम्बिया, गिनी, गिनी बिसाऔ, आइवरी...

देश विदेश की लोक कथाएँ — पश्चिमी अफ्रीका–1 :

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पश्चिमी अफ्रीका की लोक कथाएँ–1

बिनीन, बुरकीना फासो, केप वरडे, गाम्बिया, गिनी, गिनी बिसाऔ, आइवरी कोस्ट, लाइबेरिया,


संकलनकर्ता

सुषमा गुप्ता


3 फ़ैरैयैल और जादूगरनी डैब्बे एँगल[1]

जादूगरनी की यह लोकप्रिय लोक कथा हमने तुम्हारे लिये पश्चिमी अफ्रीका के गाम्बिया देश से ली है।

बहुत पुरानी बात है कि एक जादूगरनी थी जिसका नाम था डेब्बे एँगल[2]। उसके 10 बहुत सुन्दर बेटियाँ थीं। वह उनके साथ गाँव से बहुत दूर एक बहुत बड़े घर में रहती थी।

उसकी बेटियों की सुन्दरता के चर्चे सब जगह थे। हर शादी की उमर वाला आदमी उनमें से किसी एक से शादी करना चाहता था।

कभी कभी वे आदमी जो उतनी दूर जा सकते थे उनमें से किसी एक से शादी करने के लिये उनके घर तक गये भी। पर अजीब सी बात यह थी कि वे वहाँ गये तो पर कोई भी वहाँ से वापस लौट कर नहीं आया।

इसलिये किसी का भी यह पता नहीं चला कि उन्होंने उनमें से किसी एक से शादी की या नहीं, और या फिर वे वहीं रह गये। या फिर वे उन लड़कियों के घर तक भी पहुँचे या नहीं या उनका क्या हुआ।

पर इस बात ने उन लड़कियों से शादी करने की इच्छा रखने वालों के उत्साह में कोई कमी पैदा नहीं की क्योंकि वे सब लड़कियाँ सुबह के सूरज की तरह सुन्दर थीं और हर आदमी उनका प्यार पाना चाहता था।

डैब्बे एँगल के गाँव से बहुत दूर के एक गाँव में एक औरत अपने 10 बेटों के साथ रहती थी। उसके बेटे भी शादी के लायक थे और डेब्बे एँगल की बेटियों से शादी करना चाहते थे।

उनमें से सबसे बड़े बेटे ने सोचा कि यह केवल अल्लाह की मरजी है अगर उन सबकी शादी उन सब लड़कियों से हो जाये।

वह बोला — “यह तो अल्लाह की मरजी है कि हमारी शादी उन लड़कियों से हो। वे भी 10 हैं और हम भी 10 हैं इससे हमारे परिवारों को अलग भी नहीं होना पड़ेगा। ”

उसके बाकी भाई भी इस बात पर राजी थे सो सबने डैब्बे एँगल और उसकी बेटियों के घर जाने के लिये उस लम्बी यात्र के लिये अपना मन पक्का कर लिया।

उनकी माँ उनके इस विचार से कुछ खुश नहीं थी। उसने उनको बहुत कहा कि वे अपनी पत्नियाँ वहीं किसी पास के गाँव से चुन लें पर उन्होंने साफ मना कर दिया कि वे ऐसा नहीं करेंगे और अपना विचार भी नहीं बदला। उनको तो वे लड़कियाँ ही चाहिये थीं।

माँ ने कहा — “मेरे बच्चों, मुझे तुम लोगों के लिये बहुत डर लगता है क्योंकि उस गाँव जो भी गया है वह वहाँ से कभी वापस लौट कर नहीं आया। वह गाँव तो बहुत बुरा है। ”

पर उसके बेटों ने उसको विश्वास दिलाया — “तुम चिन्ता न करो माँ, हम सब बिल्कुल ठीक रहेंगे। ”

माँ ने फिर कहा — “ऐसा भी तो हो सकता है कि पहिले तुममें से कोई एक या दो चले जाओ फिर जब वे वहाँ से लौट आयें तब बाकी भाई अपनी अपनी पत्नियों को लाने चले जायें। ”

“नहीं माँ हम सबको साथ ही जाना चाहिये और हम सब साथ साथ ही जायेंगे। हमारा विश्वास है कि डैब्बे एँगल अपनी सब बेटियों को एक ही परिवार में देना चाहती है और वह भी हमारे जैसे सुन्दर लड़कों को। ”

इस तरह उन दसों बेटों ने माँ का डर दूर किया और हँस कर बोले कि क्योंकि वह स्त्र्ी थी इसलिये आदमियों की इच्छाओं को नहीं समझ सकती थी।

उन्होंने अपनी माँ से पूछा — “माँ वे दस लड़कियाँ हम दस लड़कों से कैसे मैच कर सकतीं हैं?” और उन्होंने यात्र पर जाने के लिये अपना सामान बाँध लिया।

अगले दिन बहुत सुबह, मुर्गे की बाँग देने से भी पहले उठे, उन्होंने अपनी माँ को विदा कहा और डैब्बे एँगल और उसकी बेटियों के गाँव चल दिये।

उनके गाँव का रास्ता बहुत ही तंग और लम्बा था। सबसे बड़ा भाई सबसे आगे था और उसके बाकी सब भाई उसके पीछे पीछे चल रहे थे। वे सब गाते हुए चले जारहे थे। वे सब बहुत खुश थे और अपनी इच्छा पूरी होने के बारे में सोचते जा रहे थे।

उधर जैसे ही उन दसों लड़कों ने अपना गाँव छोड़ा और तब तक सूरज भी नहीं निकला था कि उनकी माँ ने अपने ग्यारहवें बेटे को जन्म दिया।

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वह बच्चा इतना छोटा था कि वह अपनी माँ को भी मुश्किल से दिखायी दे रहा था। उसकी माँ ने घबरा कर इधर उधर देखा तो वह कूद कर बोला — “मैं यहाँ हूँ माँ, मेरे बड़े भाई कहाँ हैं?”

वह बेचारी तो कुछ बोल ही नहीं सकी। आँखें फाड़े देखती रह गयी। जब वह कुछ होश में आयी तो बोली — “वे लोग तो डैब्बे एँगल और उसकी बेटियों के घर गये हैं उसकी बेटियों से शादी करने। ”

उस छोटे से बच्चे ने कहा — “मुझे जा कर उन्हें बचाना चाहिये माँ। वे बहुत बड़े खतरे में हैं। ” और वह तुरन्त ही अपने भाइयों को पकड़ने भाग गया।

उसने कुछ और कहने के लिये अपना मुँह खोलना चाहा पर उसके मुँह से कोई शब्द ही नहीं निकला। वह तो खतरे के नाम से ही बहुत घबरा गयी थी।

वह खुद ही बड़बड़ाता जा रहा था — “वह नीच जादूगरनी। वह केवल जवान आदमियों का शिकार करती है।

वह उनके लिये एक स्वागत वाली चटाई बिछाती है। फिर वह उनको बहुत बढ़िया बढ़िया खाना खिलाती है और शराब पिलाती है।

वह उनको इतना पिलाती है कि वे बेहोश से हो जाते हैं। फिर जब वे उसकी बेटियों से बात करते हैं तो वे भूल जाते हैं कि वे कहाँ हैं। और तब तक रात हो जाती है।

तब वह कहती है — “ओह अब तो रात हो गयी तुम यहीं मेरे घर क्यों नहीं ठहर जाते? अब यहाँ से जाने में बहुत खतरा है। तुम मेरे घर में आराम से सोओ कल सुबह चले जाना। ”

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वे जवान आदमी तुरन्त ही राजी हो जाते हैं। फिर जब वे सो जाते हैं तो वह नीच जादूगरनी अपनी म्यान में से एक खंजर निकालती है, उसको तेज़ करती है और उन आदमियों के कमरे में जा कर उन सबको मार डालती है।

ये जादूगरनियाँ, ये आदमी के माँस पर ही क्यों जीती हैं? और अगर जीना चाहती हैं तो वे किसी और का माँस खा कर जियें, पर मेरे भाइयों के माँस पर नहीं , , ,। मुझे जा कर अपने भाइयों को बचाना चाहिये। ”

उसने अपने आगे देखा तो उसको अपने भाई जाते दिखायी दे गये। उसने उनको पुकार कर उसका इन्तजार करने के लिये कहा तो वे आश्चर्य में पड़ गये क्योंकि उनको उम्मीद ही नहीं थी कि कोई उनको इस तरह रास्ते में पकड़ भी सकता था।

फिर उन्होंने अपने चारों तरफ देखा कि वह आवाज़ कहाँ से आ रही थी पर उनको कोई दिखायी भी नहीं दिया। वे उस आवाज को अनसुना कर के आगे चलने ही वाले थे कि वह छोटा लड़का सबसे आखीर में चलने वाले भाई की टाँगों से लिपट गया और बोला — “मैं यहाँ हूँ भैया। ”

जब उन्होंने उस छोटे से लड़के को देखा तो वे आश्चर्य में पड़ गये। उनको पता नहीं था कि वे उसको क्या कहें – आदमी या कुछ और। क्योंकि देखने में वह आदमी जैसा लगता तो था पर एक आदमी कहलाने के लिये वह बहुत ही छोटा था।

उन्होंने उससे पूछा — “तुम कौन हो और क्या हो?”

वह छोटा लड़का बोला — “मैं फ़ैरैयैल हूँ, तुम्हारा भाई। ”

उनमें से एक भाई बोला — “तुम हमारे भाई कैसे हो सकते हो? तुम तो कोई चालबाज हो क्योंकि हमारी माँ के तो हम केवल 10 ही बेटे हैं। तुम कहाँ से आ गये? तुम चले जाओ यहाँ से और हमको अकेला छोड़ दो हमें अभी बहुत दूर जाना है। ”

फ़ैरैयैल बोला — “इसी लिये तो मैं यहाँ आया हूँ। तुम जिस यात्र पर जा रहे हो वह बहुत खतरनाक है और मैं तुम सबको उस खतरे से बचाने के लिये आया हूँ। ”

सारे भाई उस छोटे बच्चे की ये बातें सुन कर उन्हें मजाक समझ कर हँस पड़े। जितना ज़्यादा वे इस बच्चे की बातों को अनसुना करते रहे उतना ही ज़्यादा वह बच्चा अपनी बात पर अड़ा रहा।

उन्होंने उसको बहुत पीटा और मरा हुआ समझ कर वहीं छोड़ कर डैब्बे एँगल के घर की तरफ चले गये।

काफी रास्ता पार करने के बाद जब सूरज उनके सिर के ऊपर से गुजर गया तो एक भाई को रास्ते में एक बहुत ही सुन्दर कपड़े का टुकड़ा पड़ा मिला।

उसने उस कपड़े को उठा लिया और उसको सबको दिखाते हुए बोला — “खुशी मनाओ मेरे भाइयो, अब हमारी यात्र बहुत ही अच्छी रहेगी। यह देखो।

लगता है कि यह कपड़ा डैब्बे एँगल की बेटियों ने हमारे लिये यहाँ जान बूझ कर छोड़ा है ताकि हम उनके घर आसानी से पहुँच सकें। ” और यह कह कर उसने वह कपड़ा अपने कन्धे पर डाल लिया।

पर वे थोड़ी ही दूर और आगे गये थे कि उस भाई को लगा कि उसका कन्धा उस कपड़े के बोझे से कुछ भारी सा लगने लगा है सो उसने अपने भाइयों से कहा कि वे उस कपड़े को ले चलने में उसकी सहायता करें।

उनमें से एक भाई ने हँसते हुए कहा — “क्या? तुमको एक कपड़े को ले चलने में भी सहायता की जरूरत है? माँ ठीक कहती थी कि तुम एक लड़की हो जो वह कभी नहीं चाहती थी। ”

उसके एक भाई ने उससे वह कपड़ा ले लिया और अपने कन्धे पर डाल लिया। यह देख कर उसके दूसरे भाई हँस पड़े। पर वे फिर कुछ ही दूर चले थे कि उस भाई को भी उस कपड़े का बोझ ज़्यादा लगने लगा सो उसने भी वह कपड़ा अपने दूसरे भाई को दे दिया।

कुछ देर बाद उसको भी वह कपड़ा बोझ लगने लगा। यह सिलसिला तब तक चलता रहा जब तक कि दसवाँ भाई भी उसको उठा कर नहीं चल सका।

जैसे ही उसने वह कपड़ा अपने कन्धे पर से उतारा तो एक आवाज आयी — “हा हा हा। यह मैं हूँ फ़ैरैयैल, तुम्हारा सबसे छोटा भाई। ” यह कहते हुए वह कपड़े में से कूद कर बाहर आ गया।

बाहर आ कर वह बोला — “मैं कपड़े के अन्दर बैठा था और इतनी देर तक तुम लोग मुझे उठाये ला रहे थे। इसी लिये वह कपड़ा इतना भारी था। ”

यह सुन कर उसके भाई लोग बहुत गुस्सा हुए। उन्होंने उसको पकड़ कर फिर से बहुत पीटा।

एक भाई ने कहा — “यह उसको सबक सिखाने के लिये काफी है इसे वह इतनी जल्दी नहीं भूल सकता। ” उन्होंने उसको फिर से मरा समझ कर छोड़ दिया और आगे अपनी यात्र पर चल दिये।

जल्दी ही उनमें से एक भाई का पैर किसी सख्त चीज़ पर पड़ा तो उसने नीचे देखा तो देखा कि वहाँ तो एक चाँदी की अँगूठी पड़ी थी।

उसने उस अँगूठी को उठाते हुए कहा — “लगता है कि आज मेरा दिन अच्छा है। किसी की अँगूठी खो गयी है और अब यह मेरी है। ” कह कर उसने वह अँगूठी अपने हाथ में पहन ली और वे फिर आगे चल दिये।

कुछ देर बाद उस भाई ने महसूस किया कि उसकी वह अँगूठी उसकी उँगली में बहुत भारी हो गयी है और वह इतनी भारी हो गयी थी कि वह उसको और नहीं पहन सकता सो उसको उसने अपने दूसरे भाइयों को दे दिया जैसा कि उन्होंने उस कपड़े के टुकड़े के साथ किया था।

एक भाई से दूसरे भाई के हाथों से गुजरती हुई वह अँगूठी आखीर में सबसे बड़े भाई के पास पहुँची और जब वह भी उसको नहीं पहन सका तो फ़ैरैयैल उस अँगूठी में से कूद कर बाहर आया और बोला — “अब तक तुम सबको मालूम हो जाना चाहिये था कि इसमें मैं बैठा था। ”

सब भाइयों ने फिर से उसको इतना पीटने का निश्चय किया कि वह मर जाये पर इस बार सबसे बड़े भाई ने उन सबको यह करने से रोक दिया।

वह बोला — “इस छोटे से बच्चे ने हमारा इतना ज़्यादा समय लिया है तो इसको अपने साथ चलने दो और फिर यह हमारे साथ चलने के लिये इतना पक्का इरादा ले कर आया है तो हमें इसे नाउम्मीद भी नहीं करना चाहिये। इससे अब हमको इतना परेशान होने की जरूरत भी नहीं है। ”

इस तरह अब ग्यारह भाई अपनी यात्र पर चल पड़े। वे अब पहले से कहीं ज़्यादा तेज़ जा रहे थे। फ़ैरैयैल उन सबके पीछे चल रहा था।

वे लोग जल्दी ही डैब्बे एँगल के गाँव आ गये। जब वे वहाँ पहुँचे तो वह जादूगरनी उनके स्वागत के लिये बाहर आयी। उसकी बेटियाँ उसके पीछे थीं।

उन लड़कियों की सुन्दरता देख कर तो सारे भाइयों की बोलती ही बन्द हो गयी थी। उन्होंने ऐसी सुन्दरता पहिले कभी नहीं देखी थी। उन्होंने तो यह कभी सोचा ही नहीं था कि इतनी सुन्दर लड़कियाँ धरती पर थीं भी।

उनको तो अपनी माँ की कहानियाँ याद थीं जो वह उनको सुनाया करती थी जिनमें बहुत सुन्दर लड़कियाँ पानी में रहा करती थीं, या फिर वे बहुत दूर किसी ऐसी जगह रहती थीं जहाँ अब तक कोई गया ही नहीं था।

उनकी माँ के अनुसार अगर कोई लड़की इतनी सुन्दर थी कि अगर कोई लड़का सड़क पर उसके पास से गुजर जाता और पीछे मुड़ कर नहीं देखता था तो इसका यह मतलब था कि वह जरूर ही किसी बीमारी का शिकार था।

और अगर कोई आदमी किसी ऐसी सुन्दरता को शाम को देखे तो उसको उस लड़की से कोई बात नहीं करनी चाहिये क्योंकि वह जरूर ही कोई भूत रही होगी।

उस लड़की को उसे अपनी आँखों के कोनों से यह देखते हुए कि वह उसे कहीं देख तो नहीं रही, गुजर जाने देना चाहिये था। उसको झुक कर यह भी देखना चाहिये था कि उसकी एड़ियाँ तो जमीन से नहीं छू रहीं थीं और उसके पैर भी जमीन पर निशान छोड़ते जा रहे थे या नहीं।

क्योंकि अगर उसकी एड़ी जमीन से नहीं छू रही थी तो उसको वहाँ से जितनी तेज़ वह भाग सकता था उतनी तेज़ भाग जाना चाहिये था क्योंकि तब तो वह निश्चित रूप से भूत थी।

उन लड़कियों को देख कर उन लड़कों ने सोचा कि वे इतनी सुन्दर लड़कियाँ केवल उनका सपना ही थीं। फिर भी वे वहाँ उन दसों लड़कों के सामने कम से कम खड़ी तो थीं, आमने सामने। उनको लगा कि वे मर गये हैं और स्वर्ग में खड़े हैं।

डैब्बे एँगल बोली — “आओ मेरे बच्चों। अब जबकि तुम लोगों ने मेरी बेटियों को देख लिया है मैं चाहूँगी कि तुम उनको जान भी लो। उनको यकीन है कि वे तुमको यहाँ आराम से ठहरायेंगी। ”

इसके बाद उस जादूगरनी ने उन सबका अपनी बेटियों से परिचय कराया और फिर उनको अपने मेहमानों वाले घर में ले गयी। तब तक उसने फ़ैरैयैल को नहीं देखा था जो अपने सबसे बड़े भाई के पैरों के पीछे ही खड़ा था।

उसने उन लड़कों को मेहमानों वाले घर में ले जा कर खूब अच्छा खाना खिलाया और खूब शराब पिलायी। आखीर में उसने फ़ैरैयैल को देखा तो उसे उसका साइज देख कर उसे बड़ा आनन्द आया।

उसने उससे कहा — “ए तुम, इधर आओ। तुम मेरे साथ मेरे घर में आओ। तुम तो बहुत ही प्यारे हो। मैं तुमको अपने घर में आराम से ठहराऊँगी। ”

जैसा कि डैब्बे एँगल ने सोच रखा था वे लड़के उसकी बेटियों के साथ आनन्द करते रहे और उन लड़कों के वहाँ रहते रहते ही रात होगयी।

उन लड़कों को वहाँ रोकने में उसको कोई खास परेशानी नहीं हुई। वह लड़के वहाँ रुकने में बहुत खुश थे। उसने उनको और खाना और और शराब परसी। सब लोगों ने खूब खाया और खूब नाचा।

डैब्बे एँगल ने जब देखा कि बीसों लड़के लड़कियाँ खा पी कर धुत हो गये हैं और एक दूसरे के ऊपर सो रहे हैं तो वह आ कर बोली — “सब चीज़ों का कहीं तो अन्त होता ही है। ”

उसने उनके बिस्तर बिछाये। आदमियों को उसने सफ़ेद कपड़े ओढ़ाये और अपनी बेटियों को नीले कपड़े ओढ़ाये। फिर वह अपने घर चली गयी।

फ़ैरैयैल के सोने के लिये उसने एक बहुत ही अच्छी जगह तैयार की। उसने फ़ैरैयैल से “गुड नाइट, मेरे छोटे आदमी” बोला तो फ़ैरैयैल बोला “गुड नाइट, मेरी बड़ी औरत। तुम कैसे सोती हो?”

डैब्बो एँगल बोली — “जब मैं सो जाती हूँ तो खर्राटे मारती हूँ, ऐसे –

हू हू हू हू अब मैं सुबह उठूँगी, हू हू हू हू अब मैं सुबह उठूँगी

और तुम कैसे सोते होÆ”

फ़ैरैयैल ने झूठ बोला — “मैं तो जंगली सूअर की तरह सोता हूँ। हं हं हं हं। ”

डैब्बो एँगल बोली — “ठीक है, ठीक से सोना। ” और फिर वह खुद भी सोने चली गयी।

पर फ़ैरैयैल सोया नहीं, वह बस चुपचाप पड़ा रहा और सोने का बहाना करता रहा — “हं हं हं हं। ”

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जब डैब्बे एँगल ने उसको जैसे उसने उसको बताया था खर्राटे मारते सुना तो वह बिना आवाज किये अपने बिस्तर से उठी और कमरे के उस कोने में गयी जहाँ उसका खंजर रखा था।

उसने खंजर को उसकी म्यान से निकाला ही था कि फ़ैरैयैल जाग गया और बोला — “यह तुम क्या कर रही हो?”

उसने तुरन्त ही खंजर म्यान में रख दिया और परेशान सी होती हुई बोली — “कुछ नहीं। मुझे अफसोस है कि मैंने तुम्हें जगा दिया, मेरे छोटे आदमी। लाओ मैं तुम्हारा तकिया ठीक कर दूँ। ”

उसने उसका तकिया ठीक किया और उसे फिर से सो जाने के लिये कहा और वह खुद भी अपने बिस्तर पर जा कर सो गयी।

काफी देर बाद फ़ैरैयैल ने फिर से अपने खर्राटे मारने शुरू किये तो डैब्बे एँगल फिर से उठी और अपना खंजर लेने गयी पर फ़ैरैयैल फिर उठ गया और उसने फिर उससे पूछा — “अब तुम क्या कर रही हो?”

डैब्बे एँगल फिर यही बोली कि वह कुछ नहीं कर रही थी। उसने फिर से फ़ैरैयैल का तकिया ठीक किया और उसको सोने के लिये कहा।

काफी देर बाद, सुबह होने के करीब के समय में जब सब शान्त था, कोई मकड़ा भी नहीं बोल रहा था, फ़ैरैयैल अपनी यात्र के बारे में सोच रहा था तो उसने जादूगरनी के खर्राटे सुने –

हू हू हू हू अब मैं सुबह उठूँगी, हू हू हू हू अब मैं सुबह उठूँगी

उसके खर्राटे सुन कर फ़ैरैयैल चुपचाप से अपने बिस्तर से उठा और उस मेहमानों वाले घर में पहुँच गया जहाँ उसके भाई और वे सुन्दर लड़कियाँ सोयी हुई थीं।

उसने बड़ी सावधानी से अपने भाइयों के ऊपर से सफेद कपड़े हटा कर उन्हें लड़कियों के ऊपर डाल दिया और उन लड़कियों के नीले कपड़े हटा कर अपने भाइयों के ऊपर डाल दिये।

यह सब करके वह अपने उस घर में आ गया जहाँ वह और डैब्बे एँगल सो रहे थे। धीरे से वह अपने बिस्तर में घुस गया और अपनी चादर ओढ़ ली। वह फिर से उस जादूगरनी को धोखा देने के लिये खर्राटे भरने लगा।

जब डैब्बो एँगल ने फिर से फ़ैरैयैल के खर्राटे सुने तो वह फिर चुपचाप से उठी और अपने कमरे के कोने में अपना खंजर निकालने गयी।

उसने अब की बार बड़ी धीरे से अपनी म्यान में से उसे निकाला, चुपचाप ही उसको तेज़ किया और मेहमानों वाले कमरे में चली गयी।

उसने पहचाना कि कौन कौन है और फिर सफेद कपड़े से ढके लोगों को बड़ी सफाई से मार दिया। अपने काम से सन्तुष्ट हो कर वह अपने कमरे में आ कर सो गयी।

काफी देर बाद उसने भी खर्राटे मारना शुरू कर दिया। फ़ैरैयैल को पता चल गया कि अब वह गहरी नींद सो गयी है।

तुरन्त ही फ़ैरैयैल अपने बिस्तर से उठा और अपने भाइयों को जगाने गया। उसने उनको पहले समझाया और फिर दिखाया कि वहाँ क्या हुआ था कि डैब्बे एँगल ने अपनी ही बेटियों को मार दिया था।

यह देख कर तो वे सब बहुत आश्चर्य में पड़ गये। उन्होंने वहाँ से अपना सामान उठाया और भाग लिये।

अभी वे लोग जंगल में बहुत दूर नहीं जा पाये थे कि डैब्बे एँगल जाग गयी। उसने देखा कि फ़ैरैयैल अपने बिस्तर पर नहीं है तो वह मेहमानों वाले घर की तरफ भागी जिसमें वे नौजवान और उसकी बेटियाँ सोये हुए थे।

वहाँ जा कर उसने देखा कि उसने तो गलती से अपनी ही बेटियों को मार दिया था और वे नौजवान भी वहाँ से भाग गये थे।

यह सब देख कर तो वह गुस्से से लाल पीली हो गयी। उसने तुरन्त ही हवा को बुलाया और उस हवा पर सवार हो कर वह उन नौजवानों का पीछा करने चली।

फ़ैरैयैल ने देख लिया कि उनके पीछे आने वाली हवा में वह जादूगरनी थी। उसने अपने भाइयों को सावधान किया भी पर उसके भाइयों को तो पता ही नहीं था कि उनको क्या करना है।

लेकिन फ़ैरैयैल ऐसा नहीं था। उसने तुरन्त ही झाड़ियों में से एक अंडा निकाला और उसे अपने भाइयों और हवा के बीच में तोड़ दिया।

तुरन्त ही उस हवा और भाइयों के बीच में एक बहुत चौड़ी नदी बन गयी जो वह जादूगरनी पार नहीं कर सकती थी। यह देख कर जादूगरनी ने हवा में से एक कैलेबाश पैदा किया।

वह उस कैलेबाश में नदी का पानी भर भर कर नदी को खाली करने लगी। जल्दी ही वह नदी खाली हो कर सूख गयी और डैब्बे एँगल फिर से उन भाइयों का पीछा करने लगी।

फ़ैरैयैल ने फिर देखा कि वह जादूगरनी अभी भी हवा में आ रही थी सो उसने फिर से अपने भाइयों को सावधान किया। पर उसके भाइयों को तो पता ही नहीं था कि उनको क्या करना था।

अब की बार फ़ैरैयैल ने नीचे से एक पत्थर उठाया और उसको अपने और डैब्बे एँगल के बीच में उड़ा दिया। वह पत्थर तुरन्त ही एक पहाड़ में बदल गया और उसने उन दोनों के बीच का रास्ता ही बन्द कर दिया।

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इस पर डैब्बो एँगल ने हवा से जादू की एक कुल्हाड़ी बुलायी और उससे पहाड़ खोदने लगी। पर जब तक उसने पहाड़ में से जाने का रास्ता बनाया तब तक तो वे भाई लोग ज़िन्दा आदमियों और जादूगरों की दुनिया के बीच की हद पार कर चुके थे।

अब वह उन पर अपना कोई असर नहीं डाल सकती थी। उन लोगों को भी अपना घर दिखायी दे गया था सो वे दौड़ कर अपने घर के अन्दर घुस गये।

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अगले दिन इन भाइयों को गाँव के लिये लकड़ी काटने जंगल जाना था पर वे अभी भी डरे हुए थे कि कहीं उनका सामना डैब्बे एँगल से न हो जाये। पर उनको तो लकड़ी लाने जाना ही था सो वे जंगल तो गये पर वे बहुत सावधान थे और हमेशा पीछे देखते रहते थे।

डैब्बे एँगल ने उन लोगों को देख लिया तो वह एक लठ्ठे का रूप रख कर वहीं रास्ते में पड़ गयी। फ़ैरैयैल ने जब एक अजीब सा लठ्ठा रास्ते में पड़ा देखा तो उसने पहचान लिया कि यह तो डैब्बो एँगल है।

उसने फिर अपने भाइयों को सावधान किया कि वह वहाँ लठ्ठा नहीं था बल्कि वह तो जादूगरनी थी तो इससे पहले कि वह जादूगरनी उनको किसी और रूप में बदल पाती वे वहाँ से जल्दी ही अपने घर भाग गये।

पर डैब्बे एँगल भी उनको छोड़ने वाली नहीं थी। उसने अपने आपको कई चीज़ों में बदला ताकि गाँव वाले उसे पहचान न सकें पर उसकी कोई तरकीब काम नहीं की।


कई दिनों बाद एक बार उन भाइयों को जंगल से आलूबुखारा[3] लाने के लिये भेजा गया। तब तक वे सब तो उस जादूगरनी को भूल ही गये थे पर फ़ैरैयैल नहीं भूला था।

जब वे सब अपने प्रिय आलूबुखारों के पेड़ों के पास आये तो उन्होंने देखा कि करीब करीब सारे आलूबुखारे खराब हो चुके थे सिवाय एक पेड़ पर एक गुच्छे के।

उस पेड़ की पत्तियाँ गहरे हरे रंग की थीं और उसके फल रसीले और सुन्दर लग रहे थे। सारे भाई यह देख कर बहुत खुश हुए।

वे उन फलों को तोड़ने के लिये दौड़े कि फ़रैयैल ने महसूस किया कि यह तो डैब्बो एँगल की चाल है सो उसने उनको सावधान कर दिया। इससे वे उसकी पकड़ में आने से बच गये।

अगली सुबह जब वे भाई सो कर उठे तो उन्होंने देखा कि एक गधा बाहर मैदान में चर रहा है। वे उस गधे पर चढ़ गये और उसको दौड़ाने के लिये “अइ अइ अइ” करने लगे।

पर वह तो चला भी नहीं और फ़ैरैयैल की तरफ देखने लगा। तो उसके भाइयों ने उससे कहा — “आओ, तुम भी इस गधे पर चढ़ जाओे। ”

फ़ैरैयैल बोला — “हालँकि मैं बहुत छोटा हूँ पर वहाँ मेरे बैठने के लिये तो कोई जगह ही नहीं है। ” यह सुन कर गधा और लम्बा हो गया और उसने उसके लिये भी जगह बना दी।

फ़ैरैयैल बोला — “तुम्हारी ज़िन्दगी ले कर नहीं। मैं और उस गधे पर चढ़ूँ जो मुझे सुन सकता है और मुझे सुन कर अपनी लम्बाई बढ़ा सकता है? नहीं नहीं कभी नहीं। ” यह सुन कर गधा फिर से अपनी पुरानी लम्बाई में आ गया।

फ़ैरैयैल जान गया था कि यह गधा नहीं था बल्कि डैब्बे एँगल खुद थी सो वह उस पर हँसने लगा और अपने भाइयों से बोला — “तुम लोग फिर से धोखा खा गये हो। यह गधा नहीं है बल्कि डैब्बे एँगल खुद है क्योंकि एक गधा कैसे तो दस आदमियों को बिठा सकता है और कैसे आदमी की बात सुन सकता है?”

उस गधे ने तुरन्त ही उन दसों भाइयों को नीचे गिरा दिया। वे सब उठे और उठ कर वहाँ से भाग गये। डैब्बे एँगल ने भी अपने आपको गधे से डैब्बे एँगल में बदल लिया और उनके पीछे पीछे भागी।

फिर उसने सोचा — “मैंने हर तरकीब लड़ायी पर मेरी हर कोशिश नाकामयाब रही, केवल इस छुटके की वजह से। पहले मुझे इस छुटके से निपटने की कोई तरकीब सोचनी चाहिये उसके बाद मैं उन दसों को तो अपने मुठ्ठी में कर ही लूँगी। ”

सो अगले दिन, दिन निकलने के काफी देर बाद, एक बहुत सुन्दर लड़की फ़ैरैयैल के पास आयी। वह लड़की बहुत सुन्दर थी। इतनी सुन्दरता तो उसने पहले कभी देखी नहीं थी।

वह बोली — “मैं तुमसे मिलने आयी हूँ। ” फ़ैरैयैल उसको देख कर बहुत खुश था। वह उस लड़की को अपने घर ले गया और वहाँ उसने उसकी बहुत खातिरदारी की।

उसकी माँ ने उस लड़की के लिये बहुत ही स्वादिष्ट खाना बनाया और उनको पीने के लिये बढ़िया शराब भी दी। जब शाम हो गयी तो वह लड़की बोली कि अब वह अपने माता पिता के पास जाना चाहती थी।

फ़ैरैयैल बोला — “ठीक है, अच्छा विदा। उम्मीद है कि हम लोग फिर जल्दी ही मिलेंगे। ”

वह लड़की बोली — “क्या तुम मुझे मेरे घर तक छोड़ने भी नहीं चलोगे? और यह इसलिये नहीं है कि दोस्त लोग अपने घर का रास्ता नहीं जानते बल्कि इसलिये भी कि किसी दोस्त को छोड़ने जाना दोस्ती की भी निशानी है और तौर तरीका भी है। ”

फ़ैरैयैल ने अपने सिर पर अपना दाँया हाथ मारा और उससे माफी माँगते हुए बोला — “उफ, मुझे अफसोस है। मैं तो भूल ही गया था। सचमुच मुझे बहुत ही अफसोस है कि मैं तो अपने तौर तरीके ही भूल गया था। ”

जैसे ही वे दोनों अँधेरे में घर से बाहर निकले फ़ैरैयैल की माँ ने भी उस लड़की को विदा कहा। उस रात चाँद आधा ही था सो चारों तरफ बहुत ही कम रोशनी फैल रही थी।

लड़की आगे आगे जा रही थी और फ़ैरैयैल उसके पीछे पीछे चल रहा था पर उसको 10–15 फीट से आगे का भी मुश्किल से ही दिखायी दे रहा था।

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अचानक उस लड़की ने अपने कदम बढ़ाये और एक बड़े से पेड़ के तने के पीछे छिप गयी। इससे पहले कि फ़ैरैयैल कुछ कहता वह फिर से वापस आ गयी। पर इस बार वह लड़की के रूप में नहीं थी बल्कि एक बहुत बड़े भयानक अजगर के रूप में थी।

वह फ़ैरैयैल की तरफ बढ़ी तो फ़ैरैयैल बोला — “मुझे मालूम था कि यह तुम हो डैब्बे एँगल। तुम उसके साथ चालें नहीं खेल सकतीं जो खुद ही भगवान से बात करने वाला[4] हो। ”

और यह कहते के साथ ही फ़ैरैयैल एक नरक की आग के रूप में बदल गया। अजगर तब तक अपनी लम्बी कुंडली नहीं खोल सका ताकि वह उस आग से बच कर भाग सके सो जब तक वह उस नरक की आग का सामना करता तब तक तो वह आग के चपेटे में आ गया था।

अजगर आग में जल कर मर गया था। फ़ैरैयैल अपने गाँव अपने घर लौट आया और अपने भाइयों और सब गाँव वालों को बताया कि क्या हुआ था। सारे गाँव में खूब खुशियाँ मनायी गयीं। खूब अच्छा खाना पीना नाचना हुआ कि डैब्बो एँगल जादूगरनी मर गयी थी।

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[1] Fereyel and Debbe Engal, The Witch – a Fulani folktale from The Gambia, West Africa.

Adapted from the Book “The Orphan Girl and the Other Stories”, by Offodile Buchi. 2011.

[2] Debbe Engal – the name of the witch

[3] Translated for the word “Plums”. See its picture above.

[4] Diviner

[5] Horse With the Golden Dung – a folktale from The Gambia, West Africa. Adapted from the Book :

“The Orphan Girl and the Other Stories”, by Offodile Buchi. 2011.

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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का  विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से सैकड़ों लोककथाओं के पठन-पाठन का आनंद आप यहाँ रचनाकार के  लोककथा खंड में जाकर उठा सकते हैं.

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रचनाकार: फ़ैरैयैल और जादूगरनी डैब्बे एँगल// पश्चिमी अफ्रीका की लोककथाएँ // सुषमा गुप्ता
फ़ैरैयैल और जादूगरनी डैब्बे एँगल// पश्चिमी अफ्रीका की लोककथाएँ // सुषमा गुप्ता
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