एक वादा -देश पहले (सेवानिवृत सैनिक पर लघु कहानी ) // सुशील शर्मा

SHARE:

एक वादा -देश पहले (सेवानिवृत सैनिक पर लघु कहानी ) सुशील शर्मा मनोहर अस्पताल में पड़ा सुधीर का इंतजार कर रहा था सुधीर फौजी अफसर बन कर प्रशिक्ष...

एक वादा -देश पहले

(सेवानिवृत सैनिक पर लघु कहानी )

सुशील शर्मा


मनोहर अस्पताल में पड़ा सुधीर का इंतजार कर रहा था सुधीर फौजी अफसर बन कर प्रशिक्षण में था। मनोहर की हालत काफी गंभीर थी एक एक कर  मनोहर को अपने जीवन के सारे लम्हे याद आ रहे थे। मनोहर के पिता बहुत खुश थे क्योंकि आसपास के गांव में सिर्फ वही सीमा पर लड़ने गया था ,हालाँकि माँ ने दबे स्वर में विरोध किया था लेकिन पिता ने माँ को डांटते हुए समझाया था "तू शेर की माँ है या गीदड़ की मेरा मनोहर देश की सेवा में जा रहा है हंस कर विदा कर उसको " मनोहर हज़ारों की भीड़ में भी अलग ही दिखाई देता था ।

पिता ने सीमा पर जाते हुए मनोहर से  कहा था "सुन बेटा एक फौजी का व्यक्तित्व बहुत ही प्रभावशाली होता है। उसे बहुत ज्यादा अनुशासनप्रिय होना चाहिए। फौजी नियमों के पक्के होते हैं और समय पर अपने लक्ष्य को पूरा करने की क्षमता रखते हैं और यह उनकी आदत में शुमार होता है। इसलिए तुम  निडर और निर्भीक बनो देश हित में अपने प्राण निछावर करने से पीछे मत हटना।

पिता के ये शब्द मनोहर के लिए गीता के समान थे उन्होंने कहा था "तुम सेना में सिर्फ रोजी-रोटी कमाने के उद्देश्य से ही भर्ती नहीं हुए हो अपितु जीवन में कुछ कर दिखाने के जोश-जुनून, कर्तव्य पालन और उससे भी बढ़कर देश की अस्मिता की रक्षा करने की दृढ़ इच्छा तुम्हारे मन में होनी चाहिए। देशप्रेम की भावना से ओत-प्रोत मातृभूमि पर अपना सर्वस्व न्योछावर कर भारतीय सेना की दशकों पुरानी परंपरा का निर्वहन तुम्हें अपने प्राण चुका कर करना है।"

सेना में प्रशिक्षण के दौरान उसको समझाया गया था कि देश की खातिर मर मिटने का ये जज्बा, चुनौतीभरी जीवनशैली, अनुशासन से ओतप्रोत पल

एक प्रभावी व्यक्तित्व के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।  और ऐसा तभी संभव होता है जब निरंतरता और नौकरी की सुरक्षा का आश्वासन बना रहें। सेना को संरचित किया गया है ताकि सुनिश्चित किया जा सकें कि इसके कर्मी, निर्बाध गरिमा के साथ काम करते हैं।

मनोहर ने सेना में अपनी बहादुरी के परचम लहरा दिए जम्मू कश्मीर में सबसे खतरनाक अभियानों में उसने अपनी दिलेरी और बहादुरी से आतंकवादियों और पाकिस्तानी सेना से लोहा लिया। सरकार ने उसे बहादुरी के लिए अशोक चक्र एवं अन्य वीरता पुरुष्कारों से नवाजा इसी मध्य उसकी शादी हुई एवं सुधीर का जन्म हुआ। माता पिता की मृत्यु के बाद एवं अपना कमीशन अवधि पूरा करने के बाद मनोहर ने फौज से  रिटायरमेंट ले लिया एवं अपने परिवार के साथ जबलपुर में शिफ्ट हो गया।

मनोहर ने हमेशा अनुशासित जीवन जिया था अतः उसे ये सिविलियन जीवन बहुत कष्टमय प्रतीत हो रहा था और कभी कभी तो जब वह अन्याय होते देखता तो अपना आपा खो देता और अन्याय करने वाले से लड़ बैठता था। उसकी पत्नी सुमित्रा उसको बहुत समझाती की अब आप फौज में नहीं हो कुछ सिविलियन तौर तरीकों में ढल जाओ किन्तु मनोहर अपने आदर्शों पर अडिग था। वह कहता "जो बदल जाये वो फौजी नहीं। "

सरकार ने मनोहर को शहर में  एक प्लाट दिया था उस पर मनोहर एक मकान  बनाना चाह रहा था इसकी अनुमति के लिए उसने नगर निगम में आवेदन दिया था किन्तु तीन माह होने के बाद भी अधिकारी और बाबू उसे टरका देते थे ,मनोहर बहुत परेशान था उसके दोस्त जो संख्या में बहुत कम थे उन्होंने उसे समझाया की कुछ ले दे कर मामला सुलटा लो जल्दी अनुमति मिल जाएगी किन्तु मनोहर अडिग था कि मैंने हमेशा सत्य पर आधारित जिंदगी को जिया है मैं भ्रष्टाचार को बढ़ावा नहीं दे सकता।

आखिर एक दिन गुस्सा में वह नगर निगम के कार्यालय में अधिकारिओं से लड़ बैठा फलस्वरूप उसके आवेदन पर कई आपत्तियां लगा दी गईं मसलन उस जगह का डायवर्सन नहीं हैं उस जगह मकान  के निर्माण की अनुमति नहीं हैं आदि आदि। मनोहर खून का घूँट पीकर रह गया वह सोच रहा था की सैनिक सीमा पर अपने जान की बाजी लगा कर इन भ्रष्टाचारियों की रक्षा क्यों करता है। उसे अपने सेनाध्यक्ष का वो भाषण याद आ रहा था जिसमें उन्होंने कहा था "सेवानिवृत्ति के बाद भी सेना के अधिकारी, देश के सबसे सम्‍मानजनक नागरिकों में से एक होते हैं। यह, उनमें अंतर्निहित आचार संहिता और नैतिक मूल्‍यों को जोड़ता है जो उन्‍हें समाज में एक विशेष सामाजिक आला पाने के लिए उन्‍हें सक्षम बनाता है। जब तक वह अधिक स्‍वस्‍थ और फिट है, तब तक उसके लिए एक दूसरे कैरियर या समानांतर में अन्‍य कार्यों को करने का विकल्‍प संभव है। उसका करो या मरो वाला रवैया और मानसिक चपलता सुनिश्चित करती है कि वह कभी उम्रदराज़ नहीं होने वाला, लेकिन उसे समाज में एक महत्‍वपूर्ण सदस्‍य बने रहना होगा और अपना सहयोग देते रहना होगा।"

मनोहर ने ठान लिया कि वह इस भ्रष्ट सिस्टम से लड़ेगा और इसे बदलेगा वह अनुमति लेकर नगर निगम के बाहर धरने पर बैठ गया उसके साथ ही अन्य पीड़ित व्यक्ति भी धरने पर बैठे धीरे धीरे वह धरना आमरण अनशन में बदल गया। चार दिन बाद आमरण करने वाले दो व्यक्तियों की हालत गंभीर हो गई मनोहर तो फौजी था उसपर उतना असर नहीं हुआ किन्तु उसके साथ जो पीड़ित थे उनका स्वास्थ्य ख़राब होने लगा मिडिया ने भी ये खबर उछाली तो शहर के जितने भी राजनेता और पीड़ित थे वो सभी एकत्रित होकर अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने लगे बात सेना के अधिकारीयों और मंत्रियों तक गई ,मनोहर पर आमरण अनशन छोड़ने का दबाब भी बनाया गया किन्तु मनोहर अडिग रहा एवं आखिर में प्रश्न को झुकना पड़ा और उन्होंने निगम कमिश्नर की कहा की कल ही सभी पीड़ित व्यक्तियों की सुनवाई कर उन्हें अनुमति प्रदान की जावे। अगले ही दिन कमिश्नर ने धरना स्थल पर ही सभी हितग्राहियों को माकन की अनुमति प्रदान कर जूस पिला कर सब का अनशन तुड़वाया।

इस छोटी सी जीत ने मनोहर के मन में आत्मविश्वास भर दिया की अगर व्यक्ति मन में ठान ले तो वह भ्रष्टाचार से लड़ सकता है।

मनोहर ने निश्चय किया कि वह अपना बाकी का जीवन समाजोपयोगी कार्यों में समर्पित करेगा। एक बार गर्मी की दोपहर में उसने देखा कि गायों का एक समूह बिना पानी के सड़कों पर प्यासा भटक रहा है तथा उस मोहल्ला में एक भी पेड़ नहीं है जिसके नीचे वो गायों का समूह धूप से बच कर खड़ा हो सके मनोहर ने निश्चय किया की वह अपने पूरे मोहल्ले में पेड़ लगाएगा एवं उनकी देखभाल करेगा।

सुबह उठ कर वह बाजार में नर्सरी गया एवं वहां से कुछ पौधे ले आया एवं लुहार की दुकान से उसने कुछ ट्री गार्ड बनवाये और हर दिन सुबह वह मोहल्ले की सड़कों पर गड्ढा करता एवं पौधा रोपण करता धीरे धीरे मोहल्ले के नौजवान एवं बच्चे उसकी इस मुहिम से जुड़े एवं कुछ ही महीनों में पूरे मोहल्ले में चारों और हरे हरे पौधे लहराने लगे। हर दिन मनोहर सुबह बाल्टी लेकर निकल जाता एवं समस्त  पौधों में पानी डालता एवं उनकी देखभाल करता था।

मनोहर के माता पिता नहीं थे उसे उनकी बहुत याद आती थी अतः वह रविवार को वृद्धाश्रम जाकर वहां के बुजुर्ग लोगों के साथ बैठ कर उनके  सुख दुःख बांटता था। जिन वृद्धों के सन्तानों ने उन्हें वृद्धाश्रम में अकारण रखा था उनसे संपर्क साधकर उन्हें समझाता अनुनय विनय कर उन्हें अपने साथ घर रखने की सलाह देता एवं उनके न मानने पर अदालत से स्वयं के खर्चे पर उन वृद्धों को उनके अधिकार दिलाता।

एक फौजी हमेशा देश के बारे में पहले सोचता है मनोहर अपने बेटे प्रवेश के लिए शहर के एक अच्छे निजी स्कूल में गया पहले तो उसे मनाकर दिया गया बाद में जब उसने बताया की हर स्कूल में फौजियों के बच्चों को प्रवेश देना अनिवार्य है तो बहुत आनाकानी के पश्चात उसके बेटे सुधीर को प्रवेश देने को सशर्त तैयार हुए जिसमें स्कूल की फीस के अलावा उसी स्कूल से किताबें ,ड्रेस जूते और न जाने क्या क्या खरीदने पड़ेंगे।

"लेकिन ये तो ज्यादती है "मनोहर ने प्रबंधक  से कहा।

" तो मत लीजिये प्रवेश एक तो आपने हमारी बहुमूल्य सीट खा ली "प्रबंधक ने चिढ़ते हुए कहा।

"खा ली से आपका क्या तात्पर्य है वो मेरा अधिकार है "मनोहर ने गुस्से में कहा।

"इतना खर्च तो आपको लगेगा पढ़ाना हो तो पढ़ाओ वरना .. "प्रबंधक ने गुस्से में कहा।

"क्या आप मनमानी करेंगे एक फौजी जिसने सारे जीवन देश की सेवा की उससे जब आप लूट खसोट कर रहें हैं तो आम आदमी की आप क्या हालत करते होंगे " मनोहर ने अपने गुस्से पर काबू करते हुए लेकिन तेज स्वर में कहा।

"आप को आम आदमी से क्या लेना देना और आप फौज़  में हो तो कोई भगवान नहीं हो "प्रबंधक का रुखा व्यवहार जारी रहा।

"नहीं आप इस तरह से पालकों को नहीं लूट सकते " मनोहर ने गुस्से में कहा।

"आप बाहर जा सकते हैं "प्रबंधक ने बाहर की और इशारा करके कहा।

मनोहर ने ठान लिया कि वह पालकों का शोषण नहीं होने देगा दूसरे दिन उसने पालकों को इकठ्ठा करके उस निजी स्कूल के सामने धरना दिया। स्कूल प्रबंधन ने उसे बहुत लालच दिया की वह उसके बच्चे की पूरी फीस माफ़ कर देंगे साथ ही उसे अच्छे अंको से पास करवा देंगे लेकिन मनोहर ने स्पष्ट कह दिया कि जब तक प्रबंधन समस्त पालकों के लिए  नियमानुसार फीस का निर्धारण नहीं करता तब तक उसका धरना प्रदर्शन जारी रहेगा ,आखिर तीन दिन के बाद उच्च शिक्षा अधिकारी के हस्तक्षेप के बाद स्कूल ने नियमानुसार फीस का निर्धारण किया साथ ही स्कूल से किताबें एवं अन्य सामग्री खरीदने की बाध्यता समाप्त की। मनोहर के मन में एक आत्म संतोष हो गया की वह आज भी एक लड़ाई लड़ रहा है भले ही वह सीमा की लड़ाई नहीं हैं किन्तु सीमा के भीतर भ्रष्ट  तंत्र से लड़ना ज्यादा मुश्किल है।

उसने निश्चय कर  लिया था कि वह अपने इकलौते बेटे सुधीर को सेना में जरूर भेजेगा। उसने  अपने बेटे सुधीर से वादा लिया था कि वह अपने देश की सेवा करने सेना में जरूर जायेगा। उच्च शिक्षा प्राप्ति के बाद सुधीर का चयन सेना में एक अधिकारी के रूप में हुआ।

सुधीर के प्रशिक्षण के दौरान ही मनोहर को हार्ट अटैक आया बहुत कोशिशों के बाद भी मनोहर को बचाया नहीं जा सका। मरने से पहले उसने अपने बेटे सुधीर को पास बुलाया वर्दी में सजे-धजे फौजी अफसर बेटे सुधीर को देख कर मनोहर का सीना गर्व से तन गया। फौजी वर्दी में सजा सुधीर मनोहर को अपना ही प्रतिरूप लगा आज से 30 साल पहले जब फौज में चयन हुआ था। मनोहर ने उसके सर पर हाथ रख कर कहा "बेटा देश  सर्वोपरि है उसके बाद कोई और है सीमा पर कभी भी पीठ मत दिखाना गोली खाना तो अपने सीने पर खाना।"

"पिताजी आप से वादा करता हूँ मेरी आखिरी साँस सिर्फ देश की सेवा करते हुए ही निकलेगी ..... अभी सुधीर अपना वाक्य पूरा ही नहीं कर पाया था कि मनोहर इस संसार से विदा हो चुका था लेकिन उसके मुंह पर एक शहीद का तेज था जो कह रहा था की उसके जीवन का एक एक क्षण देश के काम आया।

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: एक वादा -देश पहले (सेवानिवृत सैनिक पर लघु कहानी ) // सुशील शर्मा
एक वादा -देश पहले (सेवानिवृत सैनिक पर लघु कहानी ) // सुशील शर्मा
https://lh3.googleusercontent.com/-ZSb6ACXpB7E/VqXnjjcBnDI/AAAAAAAAqso/wus_uBW_li4/image_thumb%25255B2%25255D.png?imgmax=200
https://lh3.googleusercontent.com/-ZSb6ACXpB7E/VqXnjjcBnDI/AAAAAAAAqso/wus_uBW_li4/s72-c/image_thumb%25255B2%25255D.png?imgmax=200
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/07/blog-post_38.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/07/blog-post_38.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content