वर्तमान साहित्य में नवोदित रचनाकारों का स्थान और स्थिति सुशील शर्मा

SHARE:

वर्तमान साहित्य में नवोदित रचनाकारों का स्थान और स्थिति सुशील शर्मा साहित्य समाज का सशक्त अंग होता है। मनुष्य को बनाने एवं सँवारने में साहित...

वर्तमान साहित्य में नवोदित रचनाकारों का स्थान और स्थिति

सुशील शर्मा

साहित्य समाज का सशक्त अंग होता है। मनुष्य को बनाने एवं सँवारने में साहित्य का विशेष योगदान होता है। साहित्य अर्थात् सबका हित। ’’साहित्य और समाज एक ही सिक्के के दो पहलू होते है। एक के बिना दूसरे के अस्तित्व की परिकल्पना का कोई अर्थ ही नहीं रह जाता है। साहित्य  उसी रचना को कहेंगे। जिसमें कोई सच्चाई और अनुभूति प्रकट की गई हो, जिसकी भाषा प्रौढ़, परिमार्जित, सुंदर हो और जिसमें दिल-दिमाग पर असर डालने का गुण हो, साथ ही जब जीवन की सच्चाइयों का दर्पण हो। ’साहित्य के दीपक में साहित्यकार को खुद जल कर प्रकाश फैलाना पड़ता है एक शब्द उसके अंदर की किरण है । हम सभी साहित्यकार अपने भीतर न जाने कितनी किताबों को समेटे हैं। लेकिन आखिर में यह किताबें  किस प्रारूप में दिखाई देती है, वह सब प्रासंगिक नहीं है। प्रासंगिक है तो बस  शब्द, पात्र और कथा।  

लेखन का आरम्भ स्वान्तः सुखाय होता है | रचनाकार की साहित्यिक अभिव्यक्ति वास्तव में उसका भोगा हुआ यथार्थ होता है जो एक सुनिश्चित स्वरुप और शिल्प में सामने आता है | यह गढना और गढ़ने की क्षमता ही उस व्यक्ति को आम से अलग बनाती है | दरअसल, साहित्य का समाज से सीधा संवाद बेहद जरूरी है। आमतौर पर साहित्य के विषय यथार्थ और कल्पना के कैनवास पर रचे जाते रहे हैं। यहां यह भी जरूरी है कि साहित्य से गुजरने के बाद पाठकों को चिंतन-मनन का मौका मिले। वर्तमान में रचे जा रहे साहित्य में मिट्टी की महक शिद्दत से महसूस होती हैं। मध्य वर्ग व निम्न वर्ग को केंद्र में रखकर विपुल साहित्य रचा जा रहा है। उसमें परंपरा व आधुनिकता का सम्मिश्रण भी है।

समय के साथ विषयवस्तु में बदलाव जरूर आया है। वैश्वीकरण व उदारीकरण ने हमारे समाज को गहरे तक झकझोरा है। उसकी प्रतिछाया साहित्य में शिद्दत से उभरती है। यह प्रवृत्ति स्वाभाविक  भी है। संक्रमणकालीन समाज का अक्स साहित्य में उभरता है। इक्कीसवीं सदी के पहले दशक में हिन्दी साहित्य में युवाओं की रचनाशीलता के विस्फोट को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए। यह विस्फोट कितना गुणात्मक है और कितना परिमाणात्मक, बहस तलब बात है। इसी कालखण्ड में हाशिए- दलित और स्त्री - की रचनात्मक भागीदारी में पर्याप्त इजाफा हुआ है। बहरहाल, इन नए रचनाकारों को सामने लाने में साहित्यिक पत्रिकाओं का अहम योगदान है। किसी भी साहित्यिक पत्रिका और संपादक के मूल्यांकन की एक कसौटी अपने दौर के नए रचनाकारों को सामने लाना हो सकता है। नए रचनाकारों, नयी रचनाशीलता की खासियत को पहचानना, उसके साथ कदम-ताल मिलाते हुए उसकी सीमाओं को रेखांकित करना संपादक का एक मुख्य दायित्व होता है। दरअसल, वर्तमान की नयी/युवा रचनाशीलता ही भविष्य की मुख्य रचनाशीलता का स्थान लेती है। मुझे लगता है कि हार्डकॉपी धीरे-धीरे गायब हो सकती है। छोटे पाठकों के लिए कहानी चित्र किताबें और शायद सुरुचिपूर्ण कॉफी टेबल किताबें आकर्षित कर रहीं है । बेशक यह संक्रमण का समय है और भविष्य की भविष्यवाणी कौन कर सकता है? निश्चित रूप से एक उभरते लेखक के रूप में, साहित्यिक घटनाओं में भाग लेना आपके साहित्य और लेखन को सशक्त बनाता है। साहित्य के पाठ्यक्रम के इन हिस्सों को शिल्प सीखने के समान ही महत्व के साथ माना जाना चाहिए ; लेखन, और लेखन को बेचने की तकनीकों के बारे में जानना, स्पष्ट रूप साहित्य आज एक तेजी से डिजिटलीकृत और प्रतिस्पर्धी क्षेत्र बन कर उभरा है ।जो लोग अपने साहित्य को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं। उनके लिए सोशल नेटवर्किंग महत्वपूर्ण है, इसलिए मैं फेसबुक का उपयोग करने, ट्वीट करने और अन्य ब्लॉगों में लॉगिंग करने की सलाह देता हूं। यू ट्यूब पर प्रचार करना भी उपयोगी है।

अब प्रश्न उठता है कि नया लेखन शुरू करते समय सबसे महत्वपूर्ण बात क्या है?

मेरी राय में, सबसे पहले उस लेखन का एक चरित्र का सृजन ऐसा हो जो हर उस विषय से सम्बंधित को अपनी और आकृष्ट करने में सक्षम हो सके। वो चरित्र जीवित होकर हम सबके आसपास महसूस हो। नया लेखन करने वालों को उस लेखन के मुख्य चरित्र की एक प्रोफ़ाइल बनाना चाहिए । एक ऐसी संरचित प्रोफाइल जिसमें उस चरित्र का हर अंश परिलक्षित हो आप उस चरित्र की पसंद / नापसंद / संघर्ष / परिवार आदि से पूर्ण परिचित हों।

एक लेखक के लिए सचेत होना लेखन की प्रथम शर्त है । जब आप सचेत ,सादगी और वास्तविकता से लिखते हैं, तो आपके पास उस रोशनी को अपने पाठक के ह्रदय में सम्प्रेषित करने की क्षमता होती है। वह जो चित्र आप अपने लेखन से चित्रित करते हैं, उसमें वह अपने जीवन और सत्य को ढूंढ़ने की कोशिश करता है। युवा लेखकों के लिए सलाह है की वो  अपने फैसले पर भरोसा करना सीखें, आंतरिक स्वतंत्रता सीखें, उस समय भरोसा करना सीखें जब वो बुरे दौर से गुजर रहे हों।

"अगर आप लिखना चाहते हैं, तो आपको पागलपन की हद तक किताबों से प्यार करना होगा ,आपको अपने जीवन के हर दिन को  लिखना होगा। आप जितने विभिन्न विषयों की किताबें  पढ़ेंगे आपके अंदर लिखने का उतना जुनून पैदा होगा।  आपको पुस्तकालयों में रहना चाहिए और इसमें से अच्छी कहानियां - विज्ञान कथा या अन्य विषयों का खूब अध्ययन करना चाहिए ।

अपने शिल्प पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित करें। व्यापक रूप से पढ़ें, अपने लेखन को पूरी तरह से समर्पित करें और अपनी रचनात्मकता का पता लगाने की खुद को स्वतंत्रता दें। जब आप एजेंटों, प्रकाशकों, पत्रिकाओं आदि के साथ काम साझा करना शुरू करते हैं, तो संभावना है कि आपको सलाह, राय, रचनात्मक आलोचना, संपादन आदि सभी साहित्यिक क्रियाओं से निपटना पड़ सकता है । इसका स्वागत किया जाना चाहिए और आखिरकार (यदि आपको सही मैच मिल जाए) तो आपको बेहतर लेखक बनने में मदद मिलेगी। जैसे ही आप प्रक्रिया में आगे बढ़ते हैं, आपको अनिवार्य रूप से अपने दर्शकों के बारे में अधिक सोचना शुरू करना होगा। तो प्रक्रिया के प्रारंभिक दिनों के दौरान सुनिश्चित करें कि आप स्वयं को लेखन का आनंद लेने का मौका दें। जब मैंने रचनात्मक लेखन का अध्ययन किया, तो मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि लिखने के अलावा, लिखने के लिए और भी बहुत कुछ था। पाठ्य सूचियों के माध्यम से अपेक्षित कार्यों के बीच, साहित्य लिखना उसको सही जगह सबमिट करना और साहित्यिक तकनीकों की पहचान , मुझे नेटवर्किंग के महत्व और साहित्य में सही और गलत की पहचान का पता चला। 

अपने लिखे साहित्य का  संपादन आसान नहीं  है, यह असंगत रूप से मुश्किल है। जब आप सब कुछ भाव लिखते हैं तो उसमें आप अपना  रक्त, पसीना  आंसू और प्यार डाल देते हैं,हर शब्द हम को प्रासंगिक लगता है किन्तु जब हम उसे समग्रता में देखते हैं तो उसके कई  अनुभागों को हटाने, बदलने, और संशोधित करने की आवश्यकता होती है। अब प्रश्न उठता है कि साहित्यकार स्वयं को प्रेरित करते हुए  लगातार लिखते जाएँ या कोई  शुरुआती मसौदा तैयार करें जिसमें कुछ मुख्य बिंदु हों जिन्हें बाद में विस्तारित किया जावे। इस सम्बन्ध में  मेरी लेखन प्रक्रिया 'घोंघा जैसी' है। कभी-कभी ऐसा लगता है कि मुझे हर शब्द को निचोड़ना है। फिर इसे बहुत सारे संपादन की जरूरत है। मार्क ट्वेन ने एक बार कहा था कि उन्होंने एक पूरी दोपहर एक अल्पविराम को  लगाने में बिताई और एक और दोपहर इसे बाहर करने में बिताई । कोई शुरुआती ड्राफ्ट कभी भी सही नहीं रहा है।

संपादन के बाद एक बार जब आप अपना लेखन  साझा करने के लिए तैयार होते हैं तो आपको लगता है कि कड़ी मेहनत खत्म हो गई है लेकिन सच्चाई यह है कि यह कड़ी मेहनत तो  अभी शुरू हो रही है। अपने लेखन के साथ न्याय को करने का सही तरीका है उसे सही जगह से प्रकाशित कराया जाए या उसे वो मंच मिले जो आपकी रचनात्मक दृष्टि को समझता है। अपने आदर्श मंच को खोजने का सबसे अच्छा तरीका है अपने विकल्पों (एजेंटों सहित) का शोध करना। यह प्रदर्शित करने का सबसे अच्छा तरीका भी है कि आप जिस मंच पर आ रहे हैं उसके लिए आप सही क्यों हैं।

प्रत्येक लेखक के लेखन की एक अलग प्रक्रिया होती है। कुछ लेखकों के लिए, लेखन एक नियमित नियम है जैसे एक निश्चित  समय में या एक निश्चित मात्रा में लिखने की आदत या  किसी विशेष स्थान पर या किसी विशेष कलम में या कपड़ों के एक विशेष सेट में लिखने से उनमें  रचनात्मक के रस बहते हैं।  सच्चाई यह है कि आप कई अलग-अलग तरीकों से सृजन कर सकते हैं कोई सही या गलत तरीका नहीं है। आपको बस अपना खुद का अद्वितीय दृष्टिकोण ढूंढना होगा जो आपके लिए काम करता है।

लेखन और पढ़ना दोनों काफी अकेले अनुभव माने जाते हैं। लेकिन अपने विचार, भावनाओं, ज्ञान, सहानुभूति को साझा करना ही सही साहित्यकार की निशानी है जिसके लिए आपको पाठकों का प्रबंध करना होगा और पाठक ही साहित्यिक रचना का अंतिम लक्ष्य है उसे आपको खोज कर अपनी रचना से जोड़ना होगा । लेखन के प्रति समर्पण और दृढ़ता मायने रखती है। ऐसा कहा जाता है कि प्रेरणा केवल 10% है और कड़ी मेहनत 90% है।

यह जरूर है कि वर्तमान के नवोदित साहित्यकार नहीं समझ पाते कि साहित्य की प्रत्येक विधा के अपने कुछ नियम होते हैं, व्याकरण होती है यहाँ तक कि अपनी शब्दावली होती है। अतुकान्त कविता में जिस तरह लेखक एक वाक्य को लिख कर कुछ अंशों में बाँट कर उसे कविता मान लेते हैं, उसी तरह लघुकथा और आपबीती या संस्मरण में अन्तर नहीं समझते। एक घटना को ज्यों का त्यों लिख देने से वह लघुकथा नहीं बन जाती। कहानी के नियम लघुकथा पर भी लागू होते हैं – बल्कि लघुकथा को मैं कहानी लेखन से अधिक कठिन विधा मानता हूँ, क्योंकि लेखक को शब्दों की सीमा का ध्यान रखना पड़ता है।

पाठक को साहित्य अनुभव करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए, उन्हें अनुमति हो कि वह चित्रण करें, पाठ्य सामग्री से जुड़े, महसूस करें, विचार-मंथन करें ताकि वह साहित्य के साथ सामंजस्य स्थापित कर सके व अपने जीवन में साहित्य के महत्त्व को महसूस कर सकें।

आज के प्रायः अधिकाँश वरिष्ठ साहित्यकार स्व विद्वता  में फंसे हैं और उन्हें अपने सिवाय कुछ दिखाई नहीं दे रहा | प्रकाशन से मंच तक मठ ,गुट और गढ़ बने हैं |दस - बीस वर्षों के लेखन के बाद अपने अपने कारणों और प्रोत्साहनों के ज़रिये जब हम समाज के समक्ष आते हैं तो हमें अपेक्षा रहती है कि कुछ सार्थक समालोचना प्राप्त होगी मार्गदर्शन मिलेगा खास कर अपने से वरिष्ठ रचनाकारों का | परन्तु अक्सर हर स्तर पर हमें और हमारे भीतर के रचनाकार के अस्तित्व को ही नकारा जाता है। आप किसी भी शहर में जाईये वहाँ वही दस बीस साहित्यकार आपको हर जगह दिख जायेंगे | उनकी एक ही कविता इतनी प्रसिद्ध है कि उसे वे दस वर्षों से हर मंच पर सुना रहे होंगे और आपकी दस रचनाओं को जगह नहीं मिलेगी | मेरा किसी बड़े साहित्यकार से कोई दुराव नहीं उन्हें पढ़ - सुनकर ही हमने कुछ कहना - लिखना सीखा है , पर बात सिर्फ इतनी है कि वे समाज के प्रति अपने दायित्व का निर्वहन करें और उसके समक्ष नए लोगों को भी सामने लाएं | आज नवोदित युवा लेखक हैं-कुछ वे जो आहिस्ता-आहिस्ता बिना प्रचार की कामना लिए पूरे दायित्वबोध के साथ रचना-कर्म कर रहे हैं, कुछ वे जिन्हें अपने रचना-कर्म की तुलना में अभी ही ज्यादा पहचान मिल चुकी है, कुछ वे जो समान तरह का लेखन कर रहे लेखकों की एक छोटी-सी दुनिया का हिस्सा बने हुए हैं और जिन्हें नयी कहानी दौर की लेखक-त्रायी जैसी किसी स्थिति का स्वप्न अभिभूत किए हुए है, कुछ वे जिन्हें आत्ममुग्धता बाँधे हुए है। मेरा मानना है साहित्य मनोरंजन का साधन नहीं है। यह स्वविद्वता का प्रदर्शन तो बिल्कुल नहीं है। अगर ऐसा हो जाता है तो पाठक साहित्य से अलग हो जाता है। रचना पाठक को छूनी चाहिए। साहित्य जीवन में  एक सूचना, विशिष्ट पाठ, लेखक व शब्दावली के ढाँचे के रूप में न हो कर एक जीवंत परंपरा के रूप में हो जिसमें पाठक प्रवेश कर सकता है और उसे पुनः जीवित कर सकता है। साहित्य एक अनुभव है, सूचना मात्र नहीं है और पाठक को इसमें प्रतिभागी बनने के लिए आमंत्रित किया जाना चाहिए। पाठक की भूमिका साधारण रूप में बाह्य अवलोकनकर्ता मात्र की नहीं होनी चाहिए।

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: वर्तमान साहित्य में नवोदित रचनाकारों का स्थान और स्थिति सुशील शर्मा
वर्तमान साहित्य में नवोदित रचनाकारों का स्थान और स्थिति सुशील शर्मा
https://lh3.googleusercontent.com/-ZSb6ACXpB7E/VqXnjjcBnDI/AAAAAAAAqso/wus_uBW_li4/image_thumb%25255B2%25255D.png?imgmax=200
https://lh3.googleusercontent.com/-ZSb6ACXpB7E/VqXnjjcBnDI/AAAAAAAAqso/wus_uBW_li4/s72-c/image_thumb%25255B2%25255D.png?imgmax=200
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/07/blog-post_68.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/07/blog-post_68.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content