उपन्यास - रात 11 बजे के बाद - भाग 5 - राजेश माहेश्वरी

SHARE:

उपन्यास रात  11 बजे के बाद - राजेश माहेश्वरी भाग 1 || भाग 2 || भाग 3 || भाग 4 || भाग 5 आज की स्थिति में हरीश जी मैं अत्यंत दुविधा में फँ...

image

उपन्यास

रात  11 बजे के बाद

- राजेश माहेश्वरी


भाग 1 || भाग 2 || भाग 3 || भाग 4 ||


भाग 5

आज की स्थिति में हरीश जी मैं अत्यंत दुविधा में फँसा हुआ हूँ आनंद की पल्लवी के नाम की वसीयत मेरे पास है यदि इसे मैं उसे दे दूँ तो वह पूरी संपत्ति की मालिक बन सकती है आनंद इस वसीयत को समाप्त करके दूसरी वसीयत मेरे सुझाव के अनुसार अपने दोनों बेटों के नाम पर करना चाहता था। मैं उसके घर से जब वापस आ रहा था तो मुझे रास्ते में उसने फोन पर बताया कि उसने वकील को बुलाया है और वह वसीयत को रद्द करके अपने बेटों के नाम पर वसीयत बना रहा है। इससे स्पष्ट है कि वह अपनी जायदाद पल्ल्वी को नहीं देना चाहता था परंतु वकील आया या नहीं यह मुझे नहीं पता। वह किस वकील को बुलाना चाहता था यह भी मुझे नहीं पता और उसके बेटों के नाम पर उसने नई वसीयत उस रात बना दी थी या नहीं इसकी भी जानकारी मुझे नहीं हैं।

हरीश इस जानकारी को देने हेतु गौरव का शुक्रिया अदा करता है और कहता है कि अभी तक किसी ने भी आकर यह नहीं बताया है कि वसीयत किसके पास हैं। ऐसी परिस्थिति में तुम्हारी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है यदि तुम पल्लवी की वसीयत सामने नहीं लाते हो तो उसे कोई जायदाद प्राप्त नहीं होगी और किसी वसीयत के ना रहने के कारण उसकी सारी संपत्ति उसके बेटों और उसकी पत्नी को मिलेगी। आज के समय में तुम्हारे जैसा ईमानदार, निष्ठावान एवं समर्पित व्यक्ति मिलना मुश्किल है। तुम्हारे मन में यदि कपट या लालच होता तो तुम यह वसीयत पल्ल्वी को देकर करोडों रूपये हजम कर सकते थे। मैं तो तुम्हें शक के दायरे में लेता हुआ तुम्हें हिरासत में लेने आया था, तुम्हारे घर के बाहर पुलिस फोर्स खडी है और वह जेब से निकालकर उसके नाम क वारंट उसे बताता है परंतु मैं अब खाली हाथ वापस जा रहा हूँ तुम यह बात धोखे से भी किसी के मत बताना। क्योंकि यदि यह पल्लवी को पता हो गया तो वह वसीयत को प्राप्त करने के लिये तुम्हारे साथ येन केन प्रकारेण कैसा भी व्यवहार कर सकती है।

गौरव हरीश को धन्यवाद देता हुआ पूछता है कि अब तो आपको मैंने इतनी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है आप पल्लवी को गिरफ्तार क्यों नहीं कर लेते। हरीश कहता है कानून अंधा होता है हम बिना किसी ठोस सबूत के हम उसके ऊपर कोई भी कार्यवाही करते है तो दूसरे दिन ही उसे न्यायालय से उसे जमानत मिल जाएगी और वह छूट जाएगी। हम पल्लवी के खिलाफ कोई भी कार्यवाही ठोस सबूत प्राप्त होने के बाद ही करेंगे। उसके पति रिजवी का भी कोई क्रिमिनल रिकार्ड नहीं है। मेरे पास अभी दो घंटे पहले ही पिछले माह के मोबाइल एवं लैंडलाइन से किये गये टेलीफोन नंबरों का विवरण प्राप्त हुआ जिसका अवलोकन मेरी टीम के सदस्य कर रहे है। इसमें मसूरी का एक नंबर जो कि रंजना का है उस पर प्रतिदिन चार से पाँच बार बातचीत की गई है यह फोन आनंद ने ही किये हैं रंजना की ओर से एक भी टेलीफोन नहीं आये। यह एक आश्चर्यजनक बात है कि आनंद को क्या आवश्यकता थी जो इतने फोन वह करता था। और ऐसी क्या बात थी जिसके लिये फोन किये गये। क्या तुम कुछ बता सकेगे ? गौरव कहता है कि यह बात तो मुझे भी आनंद ने कभी नहीं बताई परंतु आपकी इस बात से यह मालूम होता है कि उसकी एक माह से परेशानी का कारण कुछ ना कुछ गंभीर मामला रहा होगा और उससे वह वाकिफ नहीं है। यह तो आप रंजना से मिलकर ही मालूम कर सकते हैं। हरीश कहता है कि मेरा तुमसे निवेदन है कि तुम तुरंत मसूरी जाओ और रंजना से पूछकर प्रयास करो कि क्या मामला है क्योंकि पुलिस के जाने से इसका समाधान नहीं होगा। यह कोई ना कोई ऐसा व्यक्तिगत महत्वपूर्ण मामला है जो कि आनंद को परेशान किये हुये था। मुझे नहीं मालूम कि रंजना को आंनद की मृत्यु की सूचना है या नहीं।

हरीश के अनुरोध को गौरव स्वीकार करके उसी दिन मसूरी रवाना हो जाता है। मसूरी पहुँचकर वह सीधे रंजना के पास जाता हैं उसके कुछ कहने के पहले ही रंजना की आँखें में आँसू आ जाते है और वह गौरव से पूछती है कि यह कैसे हो गया। वह यह भी बताती है कि उसे यह सूचना रवि ने उसी रात लगभग 12 बजे दे दी थी। कुछ देर वार्तालाप के बाद गौरव उससे पूछता है कि विगत एक माह से आनंद तुम्हें प्रतिदिन तीन चार बार फोन पर बात करता था। ऐसी क्या बात है जिसके लिये इतनी बार बात करना पड रहा था। रंजना ने भी उसे साफ बताया कि वह उसके बच्चे की माँ बनने वाली है। आनंद गर्भपात के लिये पिछले एक माह से दबाव दे रहा था। मैं गर्भपात के हमेशा खिलाफ रही हूँ मुझे लगता है इससे बडा पाप जीवन में और दूसरा नहीं होता। मुझे एक सप्ताह के अंदर ही अंतिम निर्णय लेना होगा। आपकी इस बारे में क्या सलाह है गौरव कुछ देर सोचने के बाद कहता है जिसकी याद आप संजोए रखना चाहती है जब वही इस दुनिया में नहीं रहा तो इसको जन्म देकर क्या फायदा है। यह आगे जाकर आपके लिये बहुत दुखदायी भी हो सकता है और यदि इसका जन्म होता है तो निश्चित रूप से आपके पति को आपके प्रति संदेह हो ही जाएगा। इन परिस्थितियों में आपका भविष्य अंधकारमय हो सकता हैं। अभी आपके माता पिता को इसकी जानकारी नहीं है यदि उन्हें पता हो गया तो उनका आपके प्रति कैसा व्यवहार रहेगा यह कहना बहुत मुश्किल है। हमारे समाज में अभी यह स्वीकार नहीं है इसलिये मेरी सलाह तो वही है जो आनंद ने आपको दी थी। रंजना भी सोचकर गर्भपात के लिये मानसिक रूप से तैयार हो जाती हैं। वह गौरव से कहती है कि मेरे पिताजी मेरे पति के साथ कल से एक सप्ताह के लिये बाहर जा रहे है मुझे एक रात अस्पताल में रहना होगा। यही उचित समय है कि मैं दुखी मन से इस कार्य को संपन्न करा लूँ। वह दूसरे दिन गर्भपात करा लेती है।

गौरव मानवीयता के नाते दो दिन के लिये वहाँ रूक जाता है और उसके अस्पताल से छूटने के बाद उसे घर पहुँचाकर उससे विदा लेकर वापिस दुखद स्मृतियों के साथ रवाना हो जाता हैं। इसी बीच हरीश का फोन आता है तो वह उसे विनम्रतापूर्वक कहता है कि मैं वापिस आकर सारी बात बता दूँगा। वह वापिस आकर सबसे पहले राकेश को यह बात बताता है और उससे पूछता है कि क्या मैं यह बात जाँच अधिकारियों को बता दूँ। राकेश कहता है कि जरूर बता दे परंतु ऐसे किसी बयान पर हस्ताक्षर मत करना। राकेश की सलाह के अनुसार वह इस सच्चाई को हरीश रावत को इस शर्त पर बताता है कि वह आनंद के परिवारजनों को कभी भी इससे अवगत नहीं कराएगा।

हरीश रावत का ध्यान चौकीदार के उस कथन पर जाता है जिसमें उसने कहा था कि रात में 10ः30 बजे के आसपास उसने दीवार फाँदकर भागते हुये किसी को देखा था। अब जाँच अधिकारी हरीश रावत एवं आनंद के परिवारजनों की एक मीटिंग होती है जिसमें यह प्रश्न सभी के दिमाग में रहता है कि मृतक क्या आनंद ही था या कोई और ? यदि कोई और था तो वह बेडरूम तक कैसे पहुँचा। उसका उद्देश्य क्या था और क्या आनंद जीवित है इन प्रश्नों का जवाब किसी के पास नहीं था एवं सभी आश्चर्यचकित थे कि यह कैसा विचित्र मामला है ? इसका निदान कैसे हो ? आनंद के परिवार के सदस्यों से भी सलाह मशवरा लिया जा रहा था। उनके बेटों ने पुनः इस बात का ध्यान दिलाया कि घडी बदली हुई थी और हीरे की अंगूठी गायब थी।

वे इस बात से प्रसन्न भी हो रहे थे कि आनंद के जीवित रहने की संभावनाएं हैं और धोखे में किसी दूसरे शरीर का दाह संस्कार हो गया यह खबर ना जाने कैसे किसके माध्यम से पत्रकारों तक पहुँच जाती है और अब तो इस खबर के समाचार पत्रों में प्रकाशित होने से शहर में हड़कम्प मच जाता है। हरीश रावत अपनी पूरी टीम के साथ सारी बातों का पुनः विश्लेषण करता है। वह सोचता है कि एक बार इससे संबंधित सभी लोगों की पुनः जाँच की जाए परंतु इससे क्या लाभ होगा इसके प्रति वह आशान्वित नहीं था इसलिये वह इसे छोड़ देता है यदि यह माना जाए कि आनंद का कोई हमशक्ल था तो वह कौन था, कहाँ से आया था, क्यों आया था किसने भेजा था और इससे पहले वह कभी क्यों नहीं आया। कोई भी व्यक्ति अपनी मृत्यु के लिये नहीं आता इसलिये यह साफ था कि वह जो भी था उसकी वहाँ पर मृत्यु हो जाएगी इससे वह वाकिफ नहीं था क्योंकि उसे जहर दिया गया था। यदि वह अपनी मृत्यु से वाकिफ होता तो वह कभी नहीं आता। जिस चाय में जहर का होना पाया गया उसका कप टूटा हुआ कचरे के ढेर में खोजी कुत्ते ने खोजा था। उस दिन उस समय वहाँ सिर्फ एक नौकर था रमेश जो कि पिछले बीस साल से कार्यरत है। वह चाय बनाने से इंकार कर रहा था तब चाय किसने बनाई और कप बदल दिये गये। चाय में जहर की बात छिपाने के लिये चाय का कप कचरे के ढेर में छिपाने की कोशिश की गई। यह किसी होशियार और चालाक व्यक्ति का काम होना चाहिये तब क्या वहाँ पर आनंद के अलावा दो और व्यक्ति थे। डॉक्टर का झूठ बोलना कि मृत्यु हृदयाघात से हुई है और वह डॉक्टर कौन था इसका किसी को मालूम ना होना। सीसीटीवी कैमरे का बंद होना एवं अन्य घटनायें ये बताती हैं कि यह बहुत सोची समझी साजिश के तहत किया गया है और अभी तक हम सभी जाँच में भटक रहें हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से साफ हो गया है कि आनंद के स्थान पर किसी दूसरे का क्रिया कर्म संपन्न हुआ है और पुलिस की जाँच को सभी मजाक बनाकर हँसी का पात्र बना रहें हैं। पुलिस विभाग के सभी जॉंच अधिकारी दुविधा में थे कि यह कैसा विचित्र मामला है जिसका कोई सुराग नहीं मिल रहा है इसमें सभी संदेह के घेरे में है परंतु किसी के भी खिलाफ कोई सबूत नहीं।

हरीश रावत ने खोजी कुत्ते को वापिस बुलाकर उसे बगीचे में छोड़ दिया वह वापिस उसी स्थान पर जाकर कुछ सूंघने का प्रयास कर रहा था जहॉं पर वह पहले भी गया था। अब जॉंच अधिकारियों के निर्देशन पर वहॉं पर खुदाई की गई जिसमें कुछ गहराई पर ही आनंद का रिवाल्वर मिल गया इसकी जॉंच करने पर इसमें से तीन गोलियॉं चलने का प्रमाण मिला और किसी ने बड़ी होशियारी से अपने हाथ व उंगलियों के निशान मिटाए हुये थे इसकी गंभीरता से जॉंच करने पर रवि के हाथों से कुछ निशान मिलते थे इसलिये रवि को संदेह के घेरे में लेकर उससे कडाई से पूछताछ की गई परंतु वह इतना पक्का था कि उससे पुलिस कुछ भी नहीं उगलवा पाई। यहॉं पर एक बात तो निश्चित हो रही थी कि दीवार फांदकर भागने वाला आनंद ही था और कोई उसकी जान लेने के लिये आतुर था जिसने पहला प्रयास आनंद के बेडरूम में किया जहॉ उन्हें खाली खोका प्राप्त हुआ था दूसरा प्रयास उसके भागकर तेजी से सीढी उतरते हुये किया गया जिसका खोका सीढी के पास पडा था और तीसरा वह अंतिम प्रयास उसके दीवार फांदने के समय किया गया जिसका खोका बगीचे में मिला था यह आनंद का सौभाग्य था कि निशाना चूक जाने के कारण कोई भी गोली उसे नहीं लगी और वह अपनी आत्मरक्षा हेतु भागने में सफल हो गया।

रवि के घर की जाँच होने पर आनंद का मोबाइल एवं पेन जमीन के नीचे गड़ा हुआ पाया गया जिसे जब्त कर पुलिस ने रवि से पूछा यह सामान तेरे घर में कैसे आ गया ? इसे छिपा कर क्यों रखा गया था। तुम सच सच बताओ अन्यथा तुमको गिरफ्तार करके सच उगलवा लेना हमारा रोज का काम है। अब रवि घबरा गया और उसने बताया कि यह दोनों चीज मैंने चुपचाप अपने आप इसलिये रख ली थी कि मुझे विश्वास था कि आनंद का विदेश में खाता जरूर होगा और इसका नंबर इन्हीं से प्राप्त हो सकेगा।

इसी समय अचानक ही भाग्य से ऐसी घटना घटित हो गई कि उससे जॉंच की दिशा निर्धारित हो गई और रवि का अपराधी होना मालूम हो गया। एक दिन दोपहर के समय हिमाचल की एक महिला पुलिस स्टेशन आई और एक फोटो दिखाकर बोली कि यह मेरे पति है और पिछले कुछ दिनों से इनका कोई पता नहीं है। यह जाते समय मुझे पचास हजार रू दे गये थे और बोले थे कि वापस आने पर एक लाख रू और दे दूंगा मुझे रवि ने बुलाया है इसलिये वहाँ जा रहा हूँ। रवि को मुझसे क्या काम आ गया है जिसके लिये वह यह रकम मुझे दे रहा है इसका पता वहाँ पर जाने पर ही पडेगा। पुलिस विभाग उस फोटो को देखकर चौंक गया यह हूबहू आनंद से मिलता जुलता चित्र था जिसका दाह संस्कार किया जा चुका था। अब अधिकारीगण उस महिला का बिना बताए कि उसके पति की मृत्यु हो चुकी है उसकी संतानों के बारे में पूछताछ करती है। वह बताती है कि उसका बीस साल एक लड़का है जो कि अभी पढ़ रहा है अब पुलिस विभाग मसूरी फोन करके उसके लड़के को तुरंत बुलाने के लिये खबर करते है और दूसरे दिन वह आ जाता है।

रवि को हिरासत में ले लिया जाता है। उसके अपराधी होने से इंकार करने पर उसे उस महिला के सामने शिनाख्त हेतु बुलाया जाता है तो उसके चेहरे पर हवाइ्र्रयां उड़ने लगती हैं। उस महिला के पूछने पर कि उसका पति कहाँ है वह रो पड़ा और बोला भौजी अब वह इस दुनिया में नहीं रहा। धोखे से जहरीली चाय पीकर उसकी मृत्यु हो गयी। यह सुनते ही महिला और उसके लड़के के करूण रूंदन से वहाँ शोक का वातावरण निर्मित हो गया। हरीश रावत उसके बेटे को समझाकर बताता है कि धोखे से तुम्हारे पिताजी का अंतिम संस्कार हो गया है अब उनकी अस्थियों संगम में विर्सजित करके तुम अपना फर्ज पूरा करो ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके।

रवि अपना सारा भेद खुल जाने के बाद अपना अपराध स्वीकार कर लेता है एवं विस्तारपूर्वक पुलिस को सब-कुछ बताता है।

वह कहता है कि आनंद एक उद्योगपति व संपन्न व्यक्ति है। उन्होंने पाँच वर्ष पूर्व एक बंगला मसूरी में खरीदा था। जिसमें वे साल के तीन चार माह रहते थे। मसूरी क्लब में उनकी मुलाकात शमशेर सिंह नामक एक नामी गिरामी व्यक्ति से हुई थी जिनके सेब के बगीचे थे वे आपस में एक दूसरे के करीबी मित्र बन गये और दोनों का एक दूसरे के यहाँ आना जाना होने लगा। मुझे आनंद के बंगले पर केयर टेकर की नौकरी शमशेर सिंह जी ने दिलवाई थी।

एक दिन गौरव नाम के एक चित्रकार भी आनंद जी के साथ मसूरी आये थे। वे उनके साथ शमशेर सिंह जी के यहाँ गये और बातों ही बातों में उन्होंने उनकी बेटी रंजना का एक पोट्रेट बनाने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने रंजना से अनुरोध किया कि वह दो तीन दिन के लिये तीन चार घंटे प्रतिदिन आकर अपने पोट्रेट बनाने में सहयोग दे जिसे रंजना ने सहर्ष स्वीकार कर लिया और प्रतिदिन आनंद के बंगले में गौरव से मिलने हेतु जाने लगी। गौरव ने भी उसका पोट्रेट बना दिया और उसे अंतिम रूप देने के पहले आनंद से कहा कि देखो मैंने तुम्हारा काम कितना आसान कर दिया है जब तक पोट्रेट पूरा नहीं होगा तब तक रंजना यहाँ आती रहेगी तुम उसके साथ मित्रता करके उसका फायदा उठा लो, रंजना एक खुले विचारों वाली लड़की थी। उसके कई लोगों से संबंध थे। आनंद ने अवसर को बिना गंवाए रंजना से दोस्ती करके उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित कर लिये।

एक दिन मैंने पर्दे की आड़ से सब कुछ देख लिया था रंजना आनंद से आलिंगनबद्ध होकर एक दूसरे के साथ जीने और मरने की कसमें खा रही थी आनंद उसे अपने दोनों हाथों से जकड़ कर उसका चुंबन लेता हुआ उसके सौंदर्य रस में डूबा हुआ था। यह देखकर मेरे तन बदन में आग लग गयी कि मेरे पूर्व मालिक की बेटी अपने परिवार की मान मर्यादा एवं प्रतिष्ठा की परवाह किये बिना सहवास का आनंद ले रही है। आनंद उसके वक्षस्थल पर अपना सिर रखकर कह रहा था कि वह उसके बिना नहीं रह सकता। वह उसके सिर पर हाथ फेरती हुई सहमति व्यक्त कर रही थी कि इतने में उनकी प्रेमलीला गौरव की आवाज सुनकर बंद हो गई और वे बिस्तर से उठकर तैयार होकर बाहर आ गये। थोड़ी देर बाद रंजना दोनों से विदा लेकर अपने घर वापस चली जाती है। यह क्रम प्रतिदिन की दिनचर्या में शामिल हो गया था और उसे सबकुछ देखते हुये भी अनदेखी करना पड़ता था।

इसके कुछ दिनों बाद रंजना के आनंद से शादी के अनुरोध पर दोनों में मतभेद हो गये और आनंद मसूरी छोडकर भाग खडा हुआ। शमशेर सिंह को जब डॉक्टर से रंजना के गर्भपात का पता हुआ तो उन्हें बहुत सदमा पहुँचा। उन्होंने एक ना एक दिन आनंद से बदला लेने का मन में निश्चय कर लिया था। आनंद साहब ने मुझे अपने गृहनगर अपने पास बुला लिया था और मुझे उनका विश्वासपात्र होने के कारण पूरे घर में कहीं भी आने जाने की छूट थी।

शमशेर सिंह का व्यवसाय भी आनंद ने अपने संपर्कों के माध्यम से चौपट कर दिया था और इस संबंध में वे चर्चा करने हेतु आनंद के पास आये थे। मेरी उनसे मुलाकात के दौरान मैंने उन्हें पल्लवी के साथ आनंद जी के संबंधों के विषय में उन्हें अवगत कराया था। उनके पल्लवी एवं उसके होने वाले पति रिजवी से मुलाकात करवाई थी। उन दोनों ने भी अपना दुखड़ा शमशेर सिंह को बताया कि पल्ल्वी का नाम आनंद ने अपनी वसीयत से हटा दिया। अब किसका नाम डाला गया है इससे वे अनभिज्ञ थे क्योंकि इसकी जानकारी केवल गौरव को थी परंतु गौरव कुछ भी बताने को तैयार नहीं था।

इससे कुछ दिनों के पश्चात अकस्मात ही मुझे आनंद के बेडरूम में उसका दस्तखत किया हुआ स्टेम्प पेपर प्राप्त हो गया। मैंने सोच विचार कर इसका उपयोग वसीयत के रूप में करके आनंद के बाद उसकी सारी संपत्ति हथियाने के लिये करने का निश्चय कर लिया था और मैं येन केन प्रकारेण आनंद की मृत्यु चाहता था। रवि बताता है कि उसकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी और उसके ऊपर बहुत कर्ज हो गया था जिसके कारण उसके परिवार को गांव में कर्जदार बहुत उलाहना सुननी पड़ती थी। वह रातों रात करोड़पति बनने की लालसा रखता था और इसी सोच ने उसके दिमाग में वसीयत की बात आ गयी और वह अपराधीकरण की ओर बढ़ गया। शमशेर सिंह ने रिजवी से कहा कि आप वसीयत को क्यों महत्व दे रहे हैं इसका उपयोग तो मृत्यु के बाद होता है यदि स्वाभाविक रूप से आनंद अपना जीवन जीता जाता है तो वसीयत के पन्नों का क्या आप अचार डाल कर चाटेंगे और वसीयत तो कभी भी बदली जा सकती है। इसलिये इससे अच्छा तो यह है कि आनंद का अपहरण करके आप और हम दस दस करोड़ रूपये मांग ले जिसका अपने त्वरित उपयोग कर सकते हैं आनंद की जान लेने से हमारा कौन सा लाभ हो जायेगा।

मुझे ध्यान आया कि आनंद का एक हमशक्ल मसूरी में उसके गांव के पास एक दूसरे गांव में रहता है। जो कि अपनी खेती किसानी करता था मैं छुट्टी लेकर उसके पास गया उसको मैंने पचास हजार रू दिये और एक लाख रू बाद में देने का वादा किया। मैंने उससे वचन ले लिया था कि मैं जब बुलाऊँगा वह मेरे पास शहर आ जायेगा मैंने उसे उसका काम बताया था कि उसे एक घर में रात भर रहना है और सुबह उसको वहाँ से वापिस अपने घर चले जाना है उसे ना किसी से मिलना है ना किसी से बात करना है ना ही किसी को कुछ बताना है इस काम के डेढ लाख रू उसे मिल रहे थे और वह यह करने के लिये तैयार हो गया मैंने आनंद की जीवनलीला समाप्त करने का पूरा प्लान बना लिया था और शमशेर एवं रिजवी को यही बताता रहा कि आनंद को बेहोश करके पिछले दरवाजे से बाहर कर दिया जाएगा जहाँ पर उसके आदमी रहेंगे जो उसे वाहन में बैठाकर अनजाने गंतव्य की ओर ले जायेंगे। मेरी इच्छा आनंद की जीवनलीला समाप्त करने की थी क्योंकि मैं स्टेम्प पेपर के ऊपर वसीयत बना चुका था।

अपने मास्टर प्लान के अनुसार आनंद के हमशक्ल को वह अपने पास शहर बुला लेता है जिस दिन आनंद के नौकर के यहाँ शादी का दिन रहता है उस रात आनंद का अपहरण करने का निश्चय कर लिया जाता है। रवि को मालूम था कि उस रात आठ बजे आनंद अपने कर्मचारी के यहाँ शादी में जाकर नौ बजे तक वापस आ जायेगा। इस समय उपयोग करते हुये वह हमशक्ल को घर में प्रवेश करा आनंद के घर के ऊपर वाले ड्राइंग रूम तक पहुँचा देगा उस दिन अचानक ही आनंद ने गौरव को रात्रि आठ बजे बुला लिया और नौ बजे तक उसके साथ वार्तालाप करके उसे नीचे छोड़कर शादी में शामिल होने चला गया। रवि ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार हमशक्ल को ऊपर ले जाकर बैठा दिया। अब वह दो कप चाय बनाकर जिसमें एक हमशक्ल को देने और एक आनंद को उसके वापिस आने पर देने के लिये बनाता है जिसमें आनंद के कप में जहर मिला देता है वह दोनों कप उसके सामने रखकर नाश्ता लाने वापिस जाता है और इशारा कर देता है कि कौन सा कप हमशक्ल के लिये है। वह इशारे को नहीं समझ पाता और धोखे से आनंद का जहर वाला कप पी जाता है। रवि जब वापिस आता है तब तक हमशक्ल का जीवन समाप्त होकर सोफे पर लुढ़क जाता है यह देखकर रवि के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगती है कि यह क्या हो गया और वह अब क्या करे ? उसे आनंद के आने की आवाज सुनाई देती है। वह यह सोचता है कि यदि आनंद ने यह देख लिया तो वह क्या जवाब देगा कि यह कौन और यहाँ तक कैसे आ गया ? रवि के पास उससे बचने का कोई जबाव नहीं था। वह घबडाकर आनंद का रिवाल्वर निकालकर तुरंत जल्दी जल्दी तीन गोलियां भर लेता है और आनंद को खत्म करने का निश्चय करके छिप कर उसका इंतजार करने लगता है। आनंद तेजी से ऊपर आने के बाद सीधे अपने कमरे की ओर बढ़ जाता है। रवि मौका देखकर आनंद पर गोली चला देता है जो कि उसकी बांह से छूती हुयी छिटक जाती है आनंद पीछे देखता है तो रवि के हाथ में रिवाल्वर देखकर तुरंत भाग हैं। सीढियों से उतरते समय रवि दूसरा शॉट चलाता है जो आनंद को नहीं लग पाता और आनंद तेजी से दौड़ता हुआ गार्डन को पार करके बाउन्ड्र्री वाल के ऊपर से कूद जाता है। रवि गार्डन में उसे मारने का तीसरा प्रयास करता है परंतु दूरी ज्यादा होने के कारण गोली वहाँ नहीं पहुँच पाती।

अब रवि के होश उड़ जाते हैं एवं चेहरा पीला पड़ जाता है उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि अब क्या करें। ड्राइंगरूम में बहुरूपिये की लाश पडी हुई थी और असली आनंद बाहर भाग गया था। रवि ने बहुरूपिये की लाश को खींचकर आनंद के बेडरूम में राइटिंग टेबल की कुर्सी पर ऐसे बैठा दिया जैसे वह कुछ सोच रहा हो और लिफ्ट से नीचे आ गया। इसके पंद्रह मिनिट बाद रात्रिकालीन नौकर रमेश प्रतिदिन की भांति चाय लेकर बेडरूम में आता है और सामने चाय रखकर अपने मालिक को आवाज देकर कहता है कि साहब चाय आ गई। परंतु उसकी बात का कोई जबाव नहीं मिलता तो वह पास जाकर देखता है तो उसे कुछ अजीब सा महसूस होता है वह उनको हिलाता है तो लाश लुढ़क जाती है यह देखकर वह चीख पड़ता है और कारीडोर से नीचे आवाज देकर सबको बुलाता है। रवि भी भागता हुआ ऊपर आता है। उसी समय रमेश पारिवारिक डाक्टर को फोन करता है वहाँ पता होता है कि डाक्टर विदेश गये हुये हैं। तभी गेट का चौकीदार ऊपर खबर करता है कि डॉक्टर आ गये हैं। रवि तुरंत नीचे जाकर दूसरे डाक्टर को लेकर लिफ्ट से ऊपर आता है जो जांच के बाद हृदयाघात के कारण उसे मृत बताकर वापिस चला जाता है।

(क्रमशः अगले भाग में जारी)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: उपन्यास - रात 11 बजे के बाद - भाग 5 - राजेश माहेश्वरी
उपन्यास - रात 11 बजे के बाद - भाग 5 - राजेश माहेश्वरी
https://lh3.googleusercontent.com/-eH9YjJoC3MQ/W35k1Qnp8II/AAAAAAABD-k/DRJgtHasBSw0qsEquyGtD1XzKpUci-TxACHMYCw/image_thumb%255B1%255D?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-eH9YjJoC3MQ/W35k1Qnp8II/AAAAAAABD-k/DRJgtHasBSw0qsEquyGtD1XzKpUci-TxACHMYCw/s72-c/image_thumb%255B1%255D?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/08/11-5.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/08/11-5.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content