"रामकथा की पात्र कैकेयी" लेखक: स्नेह ठाकुर / विचार: देवी नागरानी

SHARE:

उपन्यास को परिपक्व मस्तिष्क के चिंतन की परिणीति माना जाता है। किसी विद्वान ने लिखा है नॉवेल इंसान के हक़ीक़ी जीवन की काल्पनिक कहानी है। यह इन्...

उपन्यास को परिपक्व मस्तिष्क के चिंतन की परिणीति माना जाता है। किसी विद्वान ने लिखा है नॉवेल इंसान के हक़ीक़ी जीवन की काल्पनिक कहानी है। यह इन्सान के जीवन की भीतरी और बाह्य मन की कशमकश का, उनके इर्द-गिर्द के माहौल और हालातों का सजीव चित्रण है। जीवन के गुनागूं हक़ीक़तों से रूबरू करना कराना तो एक नॉवेल नवीस की खूबी होती है, काल्पनिक होते हुए भी ये यथार्थ के बहुत करीब होतीं हैं। जीवन की सच्चाइयों के इज़हार का दस्तावेज़ है नॉवल।

मनोवैज्ञानिक विश्लेषण ने यह साबित कर दिया है कि हर इंसान में कुछ अच्छाइयां और कुछ बुराइयां जरूर होतीं हैं। उन्हीं के आसपास से कहानियां बुनी जातीं हैं, और ऐसी ही अनेक कहानियों की बुनियाद पर नॉवल का निर्माण होता है। कहानी के सिवाय नॉवल का वजूद महत्वहीन हो जाता है, संभवत यही कारण है कि कहानी नॉवल का अहम हिस्सा है। उसी संदर्भ में किरदार भी नॉवल का अहम अंग है। कभी-कभी कहान पढ़ कर भूल जाना स्वाभाविक होता है पर कुछ किरदारों में ऐसे गुण दोष होते हैं कि उनकी शख्सियत को भुला पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होता है, जैसे शरद का ‘देवदास’, टोल्स्तोय की ‘अना’ और रामायण की ‘कैकेयी’।

कैनेडा निवासी, सुश्री स्नेह ठाकुर किसी परिचय की मोहताज नहीं, वे ‘वसुधा’ त्रिमाही पत्रिका की संपादक व प्रकाशक हैं. प्रस्तुत नॉवल कैकेयी’-चेतना शिखा” उनका पहला उपन्यास है जिस के भाव-बीज महारानी कैकेयी के चरित्र, उनके मातृत्व के उन पक्षों पर है जो अतीत के गर्भ के इतिहास के पन्नों में दर्ज दफ़न हुआ है। इतिहास के पन्नों का मनोविश्लेषण तथा गहन चिंतन ही इस बेलौस लेखन को ऐसी धरातल पर ले आया है.

रामायण की जब जब बात आती है तो तसव्वुर की दीवारों पर कई तेवरी यादों के बिम्ब उतर आते हैं जैसे अयोध्या नगरी का वैभव, राजा दशरथ, उनकी तीन पत्नियां कौशल्या-सुमित्रा-कैकेयी और हृदय-पटल पर कैकेयी के कांड का सारा दृश्य जीवित हो उठता है, जहां उनके चरित्र का एक विकृत रुप सामने आता है। उनके चरित्र के अनेक पक्ष-पुत्र मोह, सौतेलेपन के भेद-भाव, षड़यंत्र रचने वाली नारी के रुप में उभर आते हैं। और उसी कुचक्र का अंजाम भी यादों में दोहराया जाता है-राम का बनवास, राजा दशरथ की मृत्यु, सीताहरण तथा लंका का ध्वंस होना।

रामायण का एक और सकारात्मक पहलू भी है जो कैकेयी के इस बर्ताव को दोष के कटघरे में खड़ा नहीं करता। संभवता कैकेयी की भूमिका में रामावतार का उद्देश्य शामिल रहा, जिसकी पूर्ति के लिए राम का वन गमन आवश्यक व महत्वपूर्ण क़दम था। इसमें मनोवैज्ञानिक दृष्टि से कैकेयी के अत्यंत कलंकित चरित्र पर, उसके माता- विमाता- कुमाता पक्ष पर शोध पूर्ण रुप से उल्लेख किया गया है।

O -मुंशी प्रेमचंद ने भी इस बात की गवाही देते हुए नॉवल के संदर्भ में कहा है-“ मैं नॉवल को इन्सानी जीवन का चित्र मानता हूँ। लेखक किरदार निगारी से इंसानी चरित्र पर रोशनी डाल कर उन पोशीदा रहस्यमयी गांठों को खोलने का प्रयत्न करता है। यही नॉवेल का मूल मक़सद है।“ O

आज के संदर्भ में भक्ति साहित्य में विश्व बंधुत्व की भावना को लेकर कई पहलू सामने आ रहे हैं। भारत में ही नहीं विदेश में भी इन पुरातन संदर्भों की चर्चा, परिचर्चा है, कैकेयी के माता-विमाता-कुमाता पक्ष को लेकर-कई सवाल सामने ले आती है। जैसे राम को अपने जाए पुत्र भरत से भी अधिक स्नेह करने वाली एक आदर्श माता का चरित्र अचानक ही कुछ क्षणों में संसार की कुटिल कुमाता के रुप में कैसे परिवर्तित हो गया? उनके चरित्र में आए इस बदलाव के पीछे क्या कोई गूढ़ रहस्य है जो एक साधारण मनुष्य की बुद्धि व नज़रिए को आंक पाने में असक्षम है?

शोधर्थियों ने भी अपने अपने कोणों से इस विषय वस्तु को गहराइयों तक खंगाला है और उतर पाने की संभावना को अर्थपूर्ण और तर्कपूर्ण बनाया है। विदेश में भी मंदिरों में, मठों में, स्वाध्याय बैठकों में इस विस्मयकारी चरित्र पर वाद विवाद करते है. स्वाध्याय class, में कभी गीता, रामचरित मानस पर कोई चर्चा परिचर्चा. और कभी उनके पात्रों कैकेयी, राम, भारत, रावन आदि के चरित्र का विश्लेषण.

सवालों के जवाबों की तलाश में शोधार्थी कुछ निष्कर्ष निकालते हैं, पर हर धारणा के जवाब के सामने एक नया सवाल खड़ा हो जाता है, जिससे सोचों को एक दिशा मिलती है जो कैकई के संपूर्ण चरित्र, उनके मातृत्व की भावना को, उन पर लगाए गए लांछनों को शोध का विषय बनाती है। ये रहस्यमई सवाल क्या उनके मातृत्व को एवं विमाता-कुमाता के घृणित चरित्र को एक कटघरे में लाकर खड़ा करते हैं? शायद इसीलिए श्री रामकथा के ग्रंथों से कैकेयी का न्याय संगत मूल्यांकन करना अत्यंत आवश्यक हो गया है।

o-एक शोधार्थी वक्ता ने लिखा है-“ हमारा लेखन ऐसा नहीं होना चाहिए कि पाठक हमें समझ पाए, बल्कि ऐसा होना चाहिए कि वह किसी भी तरह हमें गलत न समझें।“ 0-

यह एक माना हुआ सत्य है कि नारी की पूर्णता मात्रत्व में है, पर ऐसी सर्वगुण संपन्न राम की विमाता-कुमाता बनने का सौभाग्य चारों युगों में सिर्फ कैकेयी को ही प्राप्त हुआ। ऐसे पद पर पदासीन प्रतिष्ठित नारी ने एक ही दृष्टांत से चारों युगों में स्वयं को सबसे अधिक नीच कुमाता होने का श्रेय लिया। उसने अपने चरित्र को रसताल की गहराइयों में जानते हुए धंसने दिया, आखिर क्यों? क्यों वह मूक रहकर इन लांछनों को सहन करती रही? क्या वह मोह ही था जिसने कैकेयी को इतना नीचे गिरा दिया था कि उसने अपने सद्गुणों की छवि पर लांछन की कालिख पोत कर सदा-सर्वदा के लिए अपने चरित्र को इतिहास के अंधेरों में धकेल दिया? क्या मंथरा जैसी मंदबुद्धि, कुबुद्धि की सोच के एवज़ बहकावे में आकर, पुत्र मोह में डूबी एक दुर्बल माँ इतना बड़ा कलंक लेने को तैयार हो गई?

यह लेखक की कसोटी है और बड़प्पन भी कि वह अपने पात्र का रक्षक बन जाए, उसे बदनाम होने से बचा ले और हालातों के करवट बदलने पर उसे दोषी होने से भी दूर रखे! पूजा श्री की कविता के ये शब्द एक ऊर्जामाय संग्राम की मानिंद एक सार्थक ऐलान करते हुए कह रहे हैं--

“शब्द नहीं केवल गूंगे का संबोधन / खड़े हुए हैं--

खंडहर से बस्ती में हम / पत्थर की प्रतिभा में कितना आकर्षण जलते बुझते रहे अगरबती से हम!”

स्नेह ठाकुर जी ने भी अपने पात्र के पक्ष में सुरक्षा के चक्रव्यूह की अनोखी रचना की है जो उसके पात्र को राम के लिए अगाध प्रेम का प्रतीक बनाती है। संदर्भों की पठनीयता यही सिद्ध कर रही है कि इस कांड के अलावा कैकेयी का चरित्र, इस घटना से पहले या इस घटना के बाद कभी कहीं भी दुर्बल नहीं पाया गया।

कैकेयी को विदूषी, बुद्धिमती, शस्त्र व शास्त्र की ज्ञाता, शक्ति संपन्न वीरांगना माना गया है। अतःएक दासी की सलाह पर कैकेयी द्वारा इतना बड़ा निर्णय लेना उचित या संभव प्रतीत नहीं होता। क्या इसकी जड़ में कहीं कोई और कारण है? श्री राम और महारानी कैकेयी के संबंध अत्यंत प्रगाढ़ थे। यह पावन पुनीत बंधन एकतरफ़ा नहीं दोनों की ओर से परिपूर्ण रहा। एक मां अपने पुत्र को देखकर आनंद विभोर हो जाती है, राम को अपने पुत्र भरत से भी अधिक प्यार करते हुए जहां सगे-सौतेलेपन के भेदभाव का कोई अंतर ज़ाहिर नहीं होता, वहाँ अचानक इस परिवर्तन का कारण एक खोज का विषय बन जाता है, और रहेगा। क्यों? कैसे? फिर वही सवाल जवाबों की मांग करते हुए सामने टंगे हुए पाए जाते हैं।

जिस कैकेयी का मातृ प्रेम आकाश की ऊंचाइयों को छूता रहा, जिसने राम को भरत से बढ़कर माना, जिसे जन्म से ही स्नेहिल गोद में पाला पोसा, अपने आंचल के संरक्षण में बड़ा किया, वही कैकेयी उसी राम को बिना किसी दोष के, बिना किसी अपराध के इतना बड़ा दंड देने को तत्पर हो गई? क्यों, क्यों? यह सवाल भी अपने जवाब की तलब में मारा मारा फिर रहा है। श्रीराम खुद त्रिकालदर्शी थे। कैकेयी क्या, कोई भी ज्ञाता श्री राम की इच्छा मात्र के विरुद्ध अणु मात्र भी कार्य करने की क्षमता या सामर्थ्य का हक़दार न था, न ही ऐसी संभावना का कोई अस्तित्व ही था। फिर भी कैकेयी के श्री राम को चौदह वर्ष का बनवास देने के पीछे कौन सा कारण व उद्देश्य था?

क्या यह नियति है? जिसके वश में कैकेयी ने यह सब किया या एक सिद्धि की पूर्ति के लिए उससे करवाया गया?

राम के जन्म का प्रमुख कारण ही देवताओं की प्रार्थना पर राक्षसों व राक्षस राजा रावण को मारने के लिए हुआ। रामावतार एक उद्देश्य की पूर्ति के लिए ही था-

एक, असुरों के सर्वनाश के लिए,

दूसरा, वेदों की मर्यादा की स्थापना के लिए और

तीसरा राक्षस राजा रावण को मार कर धर्म की अधर्म पर विजय पाने के लिए। ये तीनों ही कार्य श्रीराम ने प्रति पादन किए।

कैकेयी का राम को वन भेजना नियति की ओर से एक आयोजन था- विशेष रूप से उस रावण वध हेतु भेजना, जिसे उसके पराक्रमी पति महाराज दशरथ भी न मार सके। यह कार्य किसी भी प्रकार संभव न होता अगर राज्य त्याग कर राम वन न चले जाते, और न ही देवताओं का कार्य सिद्ध होता!

राम कथा में दो बातें सामने आतीं हैं जिससे रामावतार का कारण स्पष्ट हो जाता है। राम नर के रुप में नारायण थे, उनका अवतार ही राक्षसों और रावण के वध के लिए हुआ। ध्येय साफ था-

-असुरों का सर्वनाश करना / -वेदो की मर्यादा को स्थापित करना

-धर्म की अधर्म पर विजय

शायद यही एक विकल्प था। राम को श्रेय दिलाने के लिए कैकेयी ने उन्हें बनवास भेजा जहां उनके द्वारा राक्षसों का वध करते हुए राम राज्य की स्थापना सम्पन्न हुई। श्री राम के लिए शायद पिता की वचनबद्धता में ही देवताओं के प्रति अपनी बद्धता, राक्षसों का संहार, अपने वचन का पालन कर पाने का रहस्य था!

कैकेयी सर्वगुण संपन्न गुणवंती, सौभाग्यशाली माता क्या कलंकनी हो सकती है? कैकेयी न होती तो रामकथा का यह स्वरूप कभी भी उजगार न होता, और रामायण के हर पात्र का चरित्र यूँ आदर्शमय पूर्णता के साथ सामने मुखर कर न आता। फिर भी एक सवाल मन में कुनमुनाता है- क्या कैकेयी का ध्येय धर्म की पुनर्स्थापना करना था? राम को विजयी व यशस्वी बनाना था? क्या राम के लिए बनवास का वर मांगना कैकेयी का राम के प्रति प्रेम और श्रद्धा थी? भक्ति साहित्य के हर युग में ये सवाल बार-बार अपना जवाब पाने के लिए दोहराए जाएंगे। जब जब धर्म की पुर्न स्थापना का प्रसंग उठेगा, कैकेयी का अविस्मरणीय पात्र आंखों के सामने रामायण को, उनके पात्रों के साथ पुनः जीवित करता रहेगा।

जयहिंद

--

समीक्षक: देवी नागरानी

22 अप्रैल 2016

उपन्यास: कैकेयी-चेतना शिखा, लेखिका: स्नेह ठाकुर, पन्ने 200, मूल्य: 250 रु, प्रकाशक: स्टार पब्लिकेशन, 4/5 बी. आसिफ़ अली रोड, नई दिल्ली 110022

देवी नागरानी जन्म: 1941 कराची, सिंध (पाकिस्तान), हिन्दी, तथा अंग्रेज़ी में समान अधिकार लेखन, हिन्दी- सिंधी में परस्पर अनुवाद। 8 ग़ज़ल-व काव्य-संग्रह, एक अंग्रेज़ी काव्य-The Journey, 2 भजन-संग्रह, 8 सिंधी से हिंदी अनुदित कहानी-संग्रह प्रकाशित। श्री नरेन्द्र मोदी के काव्य संग्रह ‘आंख ये धन्य है का सिन्धी अनुवाद, चौथी कूट (साहित्य अकादमी प्रकाशन), अत्तिया दाऊद, व् रूमी का सिंधी अनुवाद. NJ, NY, OSLO, तमिलनाडू, कर्नाटक-धारवाड़, रायपुर, जोधपुर, महाराष्ट्र अकादमी, केरल व अन्य संस्थाओं से सम्मानित। साहित्य अकादमी / राष्ट्रीय सिंधी विकास परिषद से पुरुसकृत। contact: dnangrani@gmail.com

COMMENTS

BLOGGER: 1
  1. नमस्कार.
    स्नेह ठाकुर जी तो हार्दिक बधाइयां इस वि‍षय पर उपन्यास लिखने के लिए..भले ही कैकई ने अपने आपको खलनायिका के रुप में पेष किया और उसे यह करना भी चाहिए था. यदि वह ऐसा नहीं कर पाती तो राम केवल और केवल अयोध्या तक सीमित हो कर रह जाते. न रावण का नाश होता और न ही धरती पर रामराज्य नहीं आ पाता. दुनिया उसे चाहे जो भी कहे, लेकिन वह दूरदृ‍ष्टा थी, जिसने बहुत कुछ सहकर भी रामजी को उस स्थान पर स्थापित किया जिसके वे असली हकदार थे....सुश्री देवीजी को भी हार्दिक धन्यवाद...बधाइयां.
    ...गोवर्धन यादव...छिन्दवाड़ा (म.प्र.) 480001

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: "रामकथा की पात्र कैकेयी" लेखक: स्नेह ठाकुर / विचार: देवी नागरानी
"रामकथा की पात्र कैकेयी" लेखक: स्नेह ठाकुर / विचार: देवी नागरानी
https://3.bp.blogspot.com/-qE0D968fiHY/XKxSoj2yunI/AAAAAAABOyY/WsaBLoOT0bw-RyfBnctRirOb8aA0Ml3CwCK4BGAYYCw/s320/Sneh%2BThakore%2BC-714999.jpg
https://3.bp.blogspot.com/-qE0D968fiHY/XKxSoj2yunI/AAAAAAABOyY/WsaBLoOT0bw-RyfBnctRirOb8aA0Ml3CwCK4BGAYYCw/s72-c/Sneh%2BThakore%2BC-714999.jpg
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2019/04/blog-post_9.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2019/04/blog-post_9.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content