tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post112739603759867543..comments2024-03-25T10:13:31.176+05:30Comments on रचनाकार: कथाकार-उपन्यासकार हृदयेश का हृदय को बींधता संस्मरणरवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-37393807799852304352013-02-11T22:41:19.921+05:302013-02-11T22:41:19.921+05:30yeh unki aatmakatha jokhim se liya gaya hai.yeh unki aatmakatha jokhim se liya gaya hai.चन्दन रायhttps://www.blogger.com/profile/15161518656765942481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-11573932041886350822013-02-11T22:40:26.728+05:302013-02-11T22:40:26.728+05:30yeh unki aatmakatha jokhim se liya gaya hai.yeh unki aatmakatha jokhim se liya gaya hai.चन्दन रायhttps://www.blogger.com/profile/15161518656765942481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-1127454155495868142005-09-23T11:12:00.000+05:302005-09-23T11:12:00.000+05:30यह संस्मरण कथाक्रम के जुलाई-सितम्बर 2005 में छपा ह...यह संस्मरण कथाक्रम के जुलाई-सितम्बर 2005 में छपा है.रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-1127414034537332072005-09-23T00:03:00.000+05:302005-09-23T00:03:00.000+05:30पता नहीं भइया ये संस्मरण कहां छपा लेकिन खटकता है। ...पता नहीं भइया ये संस्मरण कहां छपा लेकिन खटकता है। अगर यह हृदयेशजी ने लिखा है तब हम कुछ कह नहीं सकते। लेकिन जिस तरह भगवान सिंह का जिक्र है उससे लगता है कि जैसे हृदयेश जी परेशान रहे हों अपने बारे में लिखवाने के लिये। मैं हृदयेशजी के संपर्क में करीब आठ साल रहा। पूरा शाहजहांपुर उनका सम्मान करता है।<BR/>जिस उपन्यास का जिक्र यहां नहीं आया वह है हृदयेशजी का उपन्यास 'सफेद घोड़ा काला सवार'। भारतीय न्याय-व्ववस्था पर इससे बढ़िया उपन्यास कोई नहीं आया। हृदयेशजी कचहरी में काम करते थे। वहां के अनुभवों के उपर आधारित यह उपन्यास<BR/>भारतीय न्याय-व्ववस्था के बारे में तमाम बाते बताता है। यह सच है कि हृदयेशजी की शिक्षा-दीक्षा शायद मात्र इन्टरमीडियेट तक हुई लेकिन इससे उनकी कहानी कला कहीं प्रभावित नहीं हुयी। छोटे शहर के बड़े लेखक के रूप में जाने जाने वाले हृदयेश जी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं । अनुरोध है कि इस बातचीत का विवरण बतायें ताकि जो यह लेख बताता है कि हृदयेशजी अपने बारे में लिखाने के लिये इतने परेशान रहे उसके बारे<BR/>में सच जान सकूं।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com