tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post12849587424248418..comments2024-03-25T10:13:31.176+05:30Comments on रचनाकार: राजेन्द्र परदेसी की कहानियों का साहित्यिक और समाजशास्त्रीय अध्ययनरवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-59485116408925641382015-05-13T21:17:10.065+05:302015-05-13T21:17:10.065+05:30परदेशी जी का कहानी-संग्रह 'दूर होते रिश्ते...परदेशी जी का कहानी-संग्रह 'दूर होते रिश्ते' मैंने पढ़ी नहीं है लेकिन रघुवीर जी द्धारा इसका साहित्यिक और समाजशास्त्रीय विवेचन इस पुस्तक की कहानियों में निहित गॉव, कस्बे और शहर में बसने वालों बांशिंदों के आपसी रिश्तों की पड़ताल करता है। एक संवेदनशील रचनाकार उन बातों को सामने ला देता है जो कि सरकारी आंकड़े, विकास के दावे, भड़कीले विज्ञापन और राजनीतिक प्रचार नहीं कर सकता है। अलग-अलग पृष्ठभूमि में बुनी गई विस्तृत कथानक की रचनाओं का आस्वाद व पठनीयता जरुर विशिष्ट होगा।-<br />मनीष कुमार सिंहAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-40543021521131731982015-05-13T21:16:36.127+05:302015-05-13T21:16:36.127+05:30परदेशी जी का कहानी-संग्रह 'दूर होते रिश्ते...परदेशी जी का कहानी-संग्रह 'दूर होते रिश्ते' मैंने पढ़ी नहीं है लेकिन रघुवीर जी द्धारा इसका साहित्यिक और समाजशास्त्रीय विवेचन इस पुस्तक की कहानियों में निहित गॉव, कस्बे और शहर में बसने वालों बांशिंदों के आपसी रिश्तों की पड़ताल करता है। एक संवेदनशील रचनाकार उन बातों को सामने ला देता है जो कि सरकारी आंकड़े, विकास के दावे, भड़कीले विज्ञापन और राजनीतिक प्रचार नहीं कर सकता है। अलग-अलग पृष्ठभूमि में बुनी गई विस्तृत कथानक की रचनाओं का आस्वाद व पठनीयता जरुर विशिष्ट होगा।-<br />मनीष कुमार सिंहAnonymousnoreply@blogger.com