tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post137646446596388697..comments2024-03-25T10:13:31.176+05:30Comments on रचनाकार: अपर्णा की कविता : पूस की रात (एक भूली-बिसरी कहानी जो चल रही है .....)रवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-69045925738605108482010-08-27T08:36:18.664+05:302010-08-27T08:36:18.664+05:30पूस की रात अच्छी लग रही है, अच्छी चल रही है। बधाई।...पूस की रात अच्छी लग रही है, अच्छी चल रही है। बधाई।ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttps://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-77333568931624235622010-08-26T22:55:58.333+05:302010-08-26T22:55:58.333+05:30पूस की रात अच्छी लग रही है , अच्छी चल रही है।पूस की रात अच्छी लग रही है , अच्छी चल रही है।ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttps://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-22206361401666934032010-08-26T22:52:55.185+05:302010-08-26T22:52:55.185+05:30पूस की रात अच्छी लग रही है, अच्छी लग रही है।पूस की रात अच्छी लग रही है, अच्छी लग रही है।ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttps://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-34564149424252089622010-08-26T12:17:33.689+05:302010-08-26T12:17:33.689+05:30आदमी सिक्के को, सिक्के आदमी को
खोटा बनाते हैं, वो ...आदमी सिक्के को, सिक्के आदमी को<br />खोटा बनाते हैं, वो एकदूसरे को छोटा बनाते हैं।<br />आजकल सिक्के टकसाल में नहीं <br />आदमी की हथेली पर ढल रहे हैं,<br />और बच्चे मां की गोद में नहीं सिक्के की परिधि में पल रहे हैं।Anonymousnoreply@blogger.com