tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post1670536569438241603..comments2024-03-25T10:13:31.176+05:30Comments on रचनाकार: गैब्रियल गार्सिया मार्खेज़ का उपन्यास - उस मौत का रोजनामचा (1)रवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-42974355684468996632014-08-03T21:09:16.613+05:302014-08-03T21:09:16.613+05:30संपादकीय टिप्पणी -
स्वयं एक अनुवादक के रूप में, मै...संपादकीय टिप्पणी -<br />स्वयं एक अनुवादक के रूप में, मैं सूरज जी की टिप्पणी से सहमत हूँ. सही अनुवाद शब्द-दर-शब्द या वाक्य-दर-वाक्य नहीं होता, संपूर्णता में होता है, और यथासंभव सरल, ग्राह्य. गीता की सैकड़ों-हजारों प्रकाशित-अप्रकाशित टीकाएं इसकी गवाह हैं.<br /><br />रहा सवाल यह प्रश्न कि प्रकाशन से पहले संपादक को जांच कर लेनी चाहिए थी, तो इस तरह के प्रश्न अव्यावहारिक हैं - यथा : जर्मनी या रूसी से कोई अनुवाद आता है तो संपादक के पास न तो ऐसी कोई व्यवस्था होती है और न ही समय.<br /><br />राजीव जी से आग्रह है कि वे स्वयं इस पुस्तक का अनुवाद करें. रचनाकार इस अनुवाद को प्रकाशित कर हर्षित महसूस करेगा.रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-44613942088415800672014-08-03T21:06:19.666+05:302014-08-03T21:06:19.666+05:30सूरज प्रकाश की प्रति-टिप्पणी :
आपके पत्र के साथ भा...सूरज प्रकाश की प्रति-टिप्पणी :<br />आपके पत्र के साथ भाई राजीव का पत्र। उन्होंने मेरे अनुवाद में कुछ गलतियां गिनायी हैं। अच्छा लगा कि उन्होंंने कृपा पूर्वक अंग्रेजी अनुवाद से मेरे अनुवाद की तुलना करके कुछ गलतियों की तरफ इशारा किया है। शायद कुछ पन्ने लेकिन अगर वे पूरा उपन्यास तुलना करके देखेंं तो ऐसी कई गलतियां निकाली जा सकती हैं। मैं इससे इनकार नहीं करता लेकिन इतना बताना चाहता हूं कि अनुवाद हर अनुवादक अपनी समझ, अपनी सोच अपने भाषा ज्ञान अौर अपनी पसंद के अनुसार करता है। अनुवाद में गलतियां निकालना बहुत आसासन होता है। अगर मैं date के लिए तारीख लिखूं तो वे कह सकते हैं दिनांक सही होता। अनुवाद विषय ही ऐसा है क्या करें।<br />मुझे कुछ नंहीं कहना।<br />चाहे तों उन तक मेरी बात पहुंचा दें।रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-47968784816017818362014-08-03T21:05:01.620+05:302014-08-03T21:05:01.620+05:30राजीव आनंद की टिप्पणी :
मुझे 11 जुलाई 2014 के रचना...राजीव आनंद की टिप्पणी :<br />मुझे 11 जुलाई 2014 के रचनाकार में प्रकाशित गैब्रियल गार्सिया मार्केज के उपन्यास Chronicle of a death foretold का वरिष्ठ रचनाकार सूरज प्रकाश द्वारा किया गया हिन्दी अनुवाद आपत्तिजनक लगा. मैंने पेगुइन बुक्स द्वारा प्रकाशित ग्रेगोरी रबास द्वारा स्पेनिश से अंग्रेजी में अनुवादित Chronicle of a death foretold मंगवा कर जब पढ़ा तो पाया कि सूरज प्रकाश ने चलताउ ढ़ंग से एक महान कालजयी रचना का अनुवाद कर डाला है जो स्तरीय नहीं है. अनुवाद को स्तरीय बनाने में संशोधन की आवश्यकता है. संपादक महोदय को प्रकाशन से पहले जांच कर लेनी चाहिए थी.<br /> हिन्दी अनुवाद शुरू हुआ है, 'उस दिन विशप पधारने वाले थे.' जबकि उपन्यास की पहली पंक्ति यह है ही नहीं बल्कि पहली पंक्ति की शुरूआत होनी चाहिए थी, ''उस दिन वे लोग उसे मारने जा रहे थे.''<br /> हिन्दी अनुवाद में सूरज प्रकाश ने जो तीसरी पंक्ति लिखा है, ''उस अभागे को क्या मालूम था कि वह उस दिन आखिरी बार उठ रहा है और वे दोनों उस दिन उसकी हत्या कर डालेंगे.'' यह पक्ति मार्केज के अंग्रेजी अनुवाद में है ही नहीं.<br /> चौथी पंक्ति में 'इमारती लकड़ी वाले घने जंगलों' की जगह 'इमारती लकड़ी के उपवन' होना चाहिए था क्योंकि Grove का अर्थ 'उपवन' होता है न कि 'घने जंगलों' होता है.<br /> छठे पंक्ति में अनुवादक ने लिखा है कि 'किसी परिंदे ने उसके पूरे बदन पर बीट कर दी है' की जगह होना चाहिए था कि 'उसे लगा कि परिंदे के बीट का छिड़काव उसके पूरे शरीर पर है.'' दूसरे पाराग्राफ (कंड़िका) को दो पंक्तियों में बांटने की कोई आवश्यकता नहीं थी बल्कि होना चाहिए था, ''वह हमेशा दरख्तों के सपने देखा करता, प्लेसिडा लिनेरो, उसकी माँ ने मुझे सताइस वर्षों बाद उस भंयकर सोमवार की घटनाओं के ब्यौरे को याद करते हुए बताया था.''<br /> उसके बाद के पंक्ति में 'टिन के पतरे वाले जहाज में' की जगह 'हवाईजहाज' होगा तथा आगे 'चमगादड़ की तरह' तो होगा ही नहीं क्योंकि 'चमगादड़' शब्द उपन्यास में आया ही नहीं है.<br /> दूसरे ही पाराग्राफ के पांचवी पंक्ति में 'एक घंटे बाद चाकुओं से गोद दिए जाने से पहले' की जगह पर 'सुअर की तरह काट दिए जाने से पहले' होना चाहिए था क्योंकि लातिन अमरिका में सुअरों को काटने की एक परम्परा है लेकिन अनुवादक सुअर की तरह काटे जाने की बात लिखा ही नहीं है.<br /> नवें पंक्ति में 'फरवरी' के पहले 'खुशगवार' लगाना आवश्यक था. दूसरे पाराग्राफ की अंतिम पंक्ति में 'जैसे सैंतिएगो नासार ने अपने सपने में बगीची में होती देखी थी' की जगह 'सपने में उपवन को गिरते-उजड़ते देखा था.'<br /> तीसरे पाराग्राफ में 'एलेक्जैंद्रीना सर्वांतीस की नरम गुदगुदी गोद में' की जगह 'मारिया एलेक्जैंद्रीना सर्वांतीस के अंशावतारी गोद में' होना चाहिए क्योंकि apostolic lap का अर्थ 'नरम गुदगुदी गोद' कतई नहीं हो सकता.<br /> चौथे पाराग्राफ के तीसरी पंक्ति में 'खाकी डंगरी और घुड़सवारी वाले जूते ही पहना करता था' की जगह होना चाहिए था कि 'खाकी डंगरी और घुड़सवारी वाले जूते ही पहनता जैसा कि वह सोमवारों को चर्च जाने के लिए पहनता था.' छठी पंक्ति में 'मैग्नम .037' की जगह 'मैग्नम .357' तथा 'मैग्नम 300 राइफल जिसमें दोहरी ताकत वाली दूरबीन लगी थी' की जगह होना चाहिए था, 'एक हार्नेट .22 जिसमें दोहरी ताकत वाली दूरबीन लगी थी.' चौथे पाराग्राफ का अंत 'उसने गोलियां निकाल ली थी' पर नहीं होकर उसके आगे जोड़ना था, 'उसने गोलियां निकाल ली थी और रात को प्रयोग में लाने वाले टेबल के दराज में रख छोड़ा था.'<br /> सातवां पाराग्राफ के अंतिम पंक्ति में 'भीतर तक हिला दिया था' की जगह 'अचम्भित कर दिया था' होना चाहिए था क्योंकि startled का यही अर्थ होता है जैसा कि अनुवादक ने लिखा है 'हिला दिया था' तो शब्द आता shaken.<br /> नौवां पाराग्राफ की पहली पंक्ति 'मैं सैंतियागो नासार के बारे में उसकी माँ की जुबानी ही जान पाया' की जगह होना चाहिए था, 'मैं सैंतियगो नासार को उसकी माँ की जुबानी ही देख सका था.''<br /> इसी तरह के गलतियों से भरा पड़ा है अनुवाद जिसे फिर से संशोधित करने की आवश्यकता है तभी अनुवाद स्तरीय बन सकेगी.<br /><br />धन्यवाद<br />राजीव आनंद<br />प्रोफेसर कॉलोनी, न्यू बरगंड़ा<br />गिरिडीह-815301<br />झारखंड़रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.com