tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post2773524405915735366..comments2024-03-25T10:13:31.176+05:30Comments on रचनाकार: रवीन्द्र अग्निहोत्री का आलेख - 300 रामायण : कथ्य और तथ्यरवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-7932730140829165272012-09-13T16:04:50.618+05:302012-09-13T16:04:50.618+05:30अग्निहोत्री जी ने केवल रामानुजन जी के निबन्ध की ब...अग्निहोत्री जी ने केवल रामानुजन जी के निबन्ध की बातें दोहराई हैं, कुल निचोड यह है कि रामकथा पर कामिल बुल्के का शोध ही सर्वश्रेष्ठ है। रामानुजन जी का कुल परिश्रम विभिन्न रामकथाओं की चर्चा करने और उनकी तुलना करने में ही व्यय हुआ है। उसमें तथ्यात्मक निष्कर्ष कुछ भी उभरकर सामने नहीं आता।जीवन और जगत https://www.blogger.com/profile/05033157360221509496noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-79809571080282684142012-09-13T11:29:37.474+05:302012-09-13T11:29:37.474+05:30लेख के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया, दिल्ली विश्ववि...लेख के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया, दिल्ली विश्वविद्यालय में कुछ बवाल चल रहा था रामानुजम के इस लेख को लेकर लेकिन असल बात क्या थी उसका कुछ अता पता नहीं था, आपके लेख से ही अब पता चल रहा है, असल में मुख्य बात क्या थी? रामानुजम के इतिहास के बारे में जब रिसर्च करेंगे तो कुछ खास नहीं मिलेगा लेकिन जाने क्यों आधी अधूरी जानकारी के साथ इतिहास को लांछित करने का दुस्साहस उन्होंने किया. मेरी समझ से नेम और फेम के चक्कर में उन्होंने ये कृत्य किया होगा.<br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/12631954335317470587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-24764550791707306402012-09-13T10:27:37.513+05:302012-09-13T10:27:37.513+05:30अग्निहोत्री जी ने इतना कुछ कहने के पश्चात भी कुछ न...अग्निहोत्री जी ने इतना कुछ कहने के पश्चात भी कुछ नहीं कहा है सिवाय एक तथ्य के कि फाथर कामिल-बुल्के की रामकथा ही सत्य है ..तथ्य है...<br />---जहांतक निम्न कथन की बात है..<br />"इस लेख में यह तो स्पष्ट किया गया है कि रामकथा कहने वाले वाल्मीकि एकमात्र कवि नहीं हैं , पर यह नहीं बताया कि " रामायण " के सभी उद्गाता ( चाहे वे वाल्मीकि हों या कंबन आदि ) " कवि " हैं , " साहित्यकार " हैं , “ कलाकार “ हैं ; “ इतिहासकार " नहीं|"<br />---- साहित्य एक प्रकार का इतिहास ही होता है| वास्तविक इतिहास एकांगी दृष्टि से व पक्षपात पूर्व लिखा जाता है सामयिक राजनीति के अनुसार परन्तु साहित्य में शाश्वत बीज उपस्थित होता है...कवि, कलाकार, साहित्यकार ही वास्तविक इतिहासकार होता है...<br /><br /> shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.com