tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post2827613453165809118..comments2024-03-25T10:13:31.176+05:30Comments on रचनाकार: यशवन्त कोठारी का आलेख - देह व्यापार-विवेचनरवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-72394088638735225522012-06-02T15:36:09.998+05:302012-06-02T15:36:09.998+05:30धन्यवाद कोठारी जी आपने वेश्याओं का जो चित्रण किया ...धन्यवाद कोठारी जी आपने वेश्याओं का जो चित्रण किया है और जो जानकारियां साझा की है इसकेलिये आप बधाई के पात्र हैं। कोठारी जी वेश्याओं के मूल चरित्र में कहीं धोखा, झूठ, फरेब नहीं होता इसलिए वह सम्मान की पात्र हैं मैने उन्हें अब तक उन्हंे सम्मानजक नजरियें से ही देखा है। आपके द्वारा दी गयी जानकारियों से अवगत होने के बाद तो उनका सम्मान मेरे नजर मे और बढ़ चुका है। <br /> राजेश विश्वकर्मा (हथौड़ा)adarsh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/01917602978038896725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-69838329180049424452012-06-02T15:26:05.732+05:302012-06-02T15:26:05.732+05:30धन्यवाद कोठारी जी आपने वेश्याओं का जो चित्रण किया ...धन्यवाद कोठारी जी आपने वेश्याओं का जो चित्रण किया है और जो जानकारियां साझा की है इसकेलिये आप बधाई के पात्र हैं। कोठारी जी वेश्याओं के मूल चरित्र में कहीं धोखा, झूठ, फरेब नहीं होता इसलिए वह सम्मान की पात्र हैं मैने उन्हें अब तक उन्हंे सम्मानजक नजरियें से ही देखा है। आपके द्वारा दी गयी जानकारियों से अवगत होने के बाद तो उनका सम्मान मेरे नजर मे और बढ़ चुका है। <br /> राजेश विश्वकर्मा (हथौड़ा)adarsh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/01917602978038896725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-64057798400981632562011-09-03T11:48:46.662+05:302011-09-03T11:48:46.662+05:30सर!!!!
वाकई आपकी इस मेहनत को क्या कहे,
इतने अथक प...सर!!!!<br />वाकई आपकी इस मेहनत को क्या कहे, <br />इतने अथक प्रयास और परिश्रम के बावजूद अगर पाठक गण को ऐसा लगता है की जायज क्या है और नाजायज क्या है तो सारे किये कराये पर ............................Sanjay Saroj "Raj"https://www.blogger.com/profile/16832226426487762428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-60027433683665720392011-03-26T00:10:42.483+05:302011-03-26T00:10:42.483+05:30श्री यशवन्त कोठारी जी!
आपका परिश्रम इस लेख में झलक...श्री यशवन्त कोठारी जी!<br />आपका परिश्रम इस लेख में झलक रहा है। सामाजिक विज्ञान के गंभीर अध्येयताओं के लिए यह अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा। मेरा मानना है कि कोई भी शिक्षित नारी वैश्या बनने की सहज स्वीकृति नहीं देती है। इस सामजिक बुराई का मूल अशिक्षा और गरीबी है। नारी को वैश्या बनाने के पीछे ’माईट इज राइट’ का सिद्धान्त पहले भी कार्य करता रहा है और आज भी कार्य कर रहा है। क्रिकेट मैचों में चियर्स-गर्लों का भोड़ा प्रदर्शन इस का टेलर मात्र था। यह कहना अनुचित न होगा कि बाजारवाद इस वृत्ति पर लगाम कसने के बजाय उसे हवा देने का कार्य करता है। सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवीडॉ० डंडा लखनवीhttps://www.blogger.com/profile/14536866583084833513noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-23281522711014914342011-03-25T21:18:21.490+05:302011-03-25T21:18:21.490+05:30मगर किसी भी दशा में वेश्यावृत्ति को जायज़ नहीं कहा...मगर किसी भी दशा में वेश्यावृत्ति को जायज़ नहीं कहा जा सकता. और जो जायज़ कहलाना पसंद करते हैं वे नासमझ हैं ! अगर वे अपने आप को नासमझ न कहलाना पसंद करें तो पहले अपने घर से ही इस वृत्ति की शुरुआत करें !?Saleem Khanhttps://www.blogger.com/profile/17648419971993797862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-57835853923445407882011-03-25T20:46:16.408+05:302011-03-25T20:46:16.408+05:30कमाल है सर ! आपने तो पूरी थीसिस ही लिख दी.
वैसे ज...कमाल है सर ! आपने तो पूरी थीसिस ही लिख दी. <br />वैसे जानकारी वृहद् है और बड़े परिश्रम से जुटाई गयी है. वेश्याओं के प्रति मेरे मन में हमेशा एक सम्मान का भाव रहा है ..मैंने कभी उन्हें हेय दृष्टि से नहीं देखा......उनके प्रति समाज की सोच में परिवर्तन की आवश्यकता है.बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.com