tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post4299686998992168379..comments2024-03-25T10:13:31.176+05:30Comments on रचनाकार: अशोक गुजराती की 2 लघुकथाएँरवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-70076153130557145752021-09-14T17:57:13.758+05:302021-09-14T17:57:13.758+05:30लेकिन सर, अब जब भी कोई ऐसा हादसा होते देखता हूं ,म...लेकिन सर, अब जब भी कोई ऐसा हादसा होते देखता हूं ,मेरे पैर ब्रेक को दबाने में नाक़ामयाब हो जाते हैं...'<br />सही कहा निर्दोष होकर भी इतने समय तक बेवजह कानूनी कार्यवाही में फँसे रहना किसे पसंद है इसीलिये मदद करने से पीछे हटते हैं लोग।<br />बहुत ही सुन्दर लघुकथाएं।Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.com