tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post4329428814964826907..comments2024-03-25T10:13:31.176+05:30Comments on रचनाकार: वीरेन्द्र सरल का व्यंग्य - मुर्गे का प्रेम चौदसरवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-4593190003045317402014-02-15T21:09:11.613+05:302014-02-15T21:09:11.613+05:30मुर्गा मुर्गी के माध्यम से वीरेन्द्र जी ने एक...मुर्गा मुर्गी के माध्यम से वीरेन्द्र जी ने एक सत्य को उजागर करने की कोशिश की हैकि आज हम स्वाभाविक और सरल प्यार प्रक्रिया को भूल आधुनिकता और कृतिमता के जाल में फँस प्यार<br />और प्रीत के असाधारण और बहुमूल्य अवसरों को गवां रहे हैं उत्तम लेखन के लिये बधाईअखिलेश चन्द्र श्रीवास्तवnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-28384668575336010992014-02-15T13:59:20.308+05:302014-02-15T13:59:20.308+05:30बहुत खूब वीरेन्द्र जी...मजा आ गया पढ़कर...बढ़िया लेख...बहुत खूब वीरेन्द्र जी...मजा आ गया पढ़कर...बढ़िया लेखन के लिए बधाई..प्रमोद यादव pramod yadavhttps://www.blogger.com/profile/02131897194684582884noreply@blogger.com