tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post5749269971744845902..comments2024-03-25T10:13:31.176+05:30Comments on रचनाकार: महावीर सरन जैन का हिंदी दिवस विशेष आलेखरवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-2101016891964071672014-09-03T08:51:27.436+05:302014-09-03T08:51:27.436+05:30आपका आलेख निःसन्देह हिन्दी भाषा के आबादीबहुल जनमत ...आपका आलेख निःसन्देह हिन्दी भाषा के आबादीबहुल जनमत का नेतृत्व करता है। लेकिन प्रश्न है कि इसकी उपेक्षा के पराक्रम भी कम नहीं हो रहे हैं। आपने हिमाचल प्रदेश का भाषा के बरास्ते ग्राफ खींचा है; वाज़िब तथ्य दिए हैं; लेकिन वहां स्थित हिमाचल केन्द्रीय विश्वविद्यालय ने मुझे यह कहकर निराश किया कि-‘आपकी अकादमिक योग्यता अच्छी है, आपके हिन्दी में प्रस्तुत प्रकाशित सामग्री उम्दा एवं स्तरीय हैं...लेकिन, हमें अच्छी हिन्दी नहीं अच्छी अंग्रेजी चाहिए!’ यह मुझसे तब कहा गया जब सहायक प्राध्यापक पद के साक्षात्कार हेतु बुलाए गए एक भी अंग्रेजीदान आवेदक हिन्दीभाषी विद्यार्थियों से योग्यता/स्तरीयता के मुकाबले बीस नहीं थे। काश! किसी ब्रिटिशियन या अमेरिकन पात्र ने आवेदन किया होता, तो चयनकर्ताओं को अमुक पद को पुनः विज्ञापित करने की नौबत नहीं आती। दूसरी बार इस विज्ञापित पद के सन्दर्भ में मैंने स्पष्ट शब्दों में वाइस-चांसलर प्रो. फुरकन कमर के समक्ष जिरह की भाषा में अपनी बात विस्तारपूर्वक रखा जो आपकी गूंजाइश होने पर निम्नवत प्रस्तुत है....ऐसे हमारी सुनता कौन हैः<br /><br />Rajeev Ranjan<br /> Thu, May 16, 2013 at 7:57 PM<br />To: "vc.cuhimachal" <br /><br />सेवा में<br />कुलपति,<br />हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय।<br /><br />महोदय, 30 अक्तूबर 2012 को मेरी मुलाकात आपसे हुई थी। मैं, राजीव रंजन<br />प्रसाद; आपके विश्वविद्यालय में ‘पत्रकारिता एवं सर्जनात्मक लेखन’<br />पाठ्यक्रम में सहायक प्राध्यापक पद पर नियुक्ति के लिए आयोजित हो रहे<br />साक्षात्कार-कार्यक्रम में साक्षात्कार देने हेतु उपस्थित हुआ था जिसमें<br />अंतिम रूप से मेरा चयन नहीं किया जा सका।<br /><br />महोदय, हिन्दी भाषा आपकी प्राथमिकता में नहीं है। इस तथ्य की पुष्टि आपके<br />विश्वविद्यालय वेबसाइट के हिन्दी संस्करण से स्पष्ट हो जाता है।(रिसर्च<br />मेथडोलाॅजी=शोध प्रविधि; केस विश्लेषण=वैयक्तिक विश्लेषण जैसे सामान्य<br />शब्दावलियों को भी आपके यहाँ अनुप्रयुक्त संचाार के अन्तर्गत शामिल नहीं<br />किया जाता है) आपके विश्वविद्यालय वेबसाइट के हिन्दी संस्करण की स्थिति<br />इतनी दयनीय है कि कोई भी हिन्दीभाषी विद्यार्थी अंग्रेजी की मुख्य<br />वेबसाइट से ही वांछित सूचनाएँ प्राप्त कर लेने में अपने को अधिक सहज<br />महसूस कर सकता है।<br /><br />चूँकि मैं प्रयोजनमूलक हिन्दी पत्रकारिता विषय में परास्नातक<br />उत्तीर्ण(स्वर्ण-पदक प्राप्त) हँू तथा इसी विषय में काशी हिन्दू<br />विश्वविद्यालय में कनिष्ठ शोध अध्येता(JRF) के रूप में वर्ष 2009 से<br />पंजीकृत होकर शोधकार्य कर रहा हँू। अतः हिन्दी भाषा से सहज जुड़ाव-लगाव<br />स्वाभाविक है जैसे आप अपनी आँख ‘प्राग स्कूल’, ‘फ्रैंकफुर्त स्कूल’,<br />‘शिकागो स्कूल’, ‘टोरंटो स्कूल’ इत्यादि के ज्ञान-मीमांसाओं पर टिकाते<br />हैं जो आपकी दृष्टि में आधुनिक ज्ञान-परम्परा में अग्रणी और अपेक्षातया<br />ज्यदा विश्वसनीय एवं स्वीकार्य हो सकता है।<br /><br />महोदय, ‘पत्रकारिता एवं सर्जनात्मक लेखन’ में सहायक प्राध्यापक के पद के<br />लिए विज्ञापन पुनःप्रकाशित हुए हैं। मैं आपसे जानना चाहता हँू कि:<br />1. क्या मैं इस पद के लिए पात्रता रखता हूँ उस स्थिति में जब मैंने राॅबिन<br />जेफ्री(भारत में समाचारपत्र क्रान्ति) या रेमण्ड विलियम्स(संचार माध्यमों<br />का समाज-शास्त्र) जैसे संचाार-शास्त्रियों को भी सिर्फ हिन्दी में पढ़ा और<br />अपनी स्मृति में सुरक्षित-संरक्षित कर रखा है।<br />2. आई.सी.टी., इनोवेशन, कन्वर्जेन्स, सोशल मीडिया, न्यू मीडिया, इम्बेडेड<br />जर्नलिज़्म, पेड न्यूज़, नाॅलेज हेजेमनी, इन्टेलेक्चुअल प्राॅपटी<br />राइट....आदि से सम्बन्धित वस्तुपरक/वस्तुनिष्ठ जानकारियाँ और तत्सम्बन्धी<br />बुनियादी अवधारणाओं को समकालीन परिघटना के सन्दर्भ में पढ़ते-गुनते अवश्य<br />रहे हैं और इस पर सहर्ष बातचीत करने का हर आमंत्रण स्वीकार करते हैं<br />किन्तु अपनी भाषा हिन्दी में।<br />3. वैसे स्थिति में जब मैंने अभी-अभी अंग्रेंजी में अपनी गति-मति,<br />रुचि-अभिरुचि को तीव्र किया है...क्या आप इस सचाई से अवगत होते हुए भी<br />अपने यहाँ सहायक प्राध्यापक के पद पर नियुक्ति के लिए पहलकदमी कर सकते<br />हैं।....<br /><br /> issbaarhttps://www.blogger.com/profile/14842589178871143639noreply@blogger.com