tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post5843672091238062029..comments2024-03-25T10:13:31.176+05:30Comments on रचनाकार: क्या आप भी अपनी रचना को ब्लाग/ईपत्रिकाओं पर खपने या उसे छपवाने की शीघ्रता और उत्सुकता में उसका नख- शिख नहीं संवारते?रवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-31760935268577754752013-07-02T22:18:45.208+05:302013-07-02T22:18:45.208+05:30आदरणीया सुधाजी,
आपका यह आलेख मेरे बहुत काम...आदरणीया सुधाजी, <br /> आपका यह आलेख मेरे बहुत काम आयेगा ऐसा मेरा विश्वास है ,<br />और इसके लिए आप को शतस: धन्यवाद ।<br />मेरी ये पुरानी आदत है कि मैं लिख तो जाता हूँ पर अपने लिखे को दुहरा <br />नहीं पाता और ढेरों अशुद्धियाँ रह जाती हैं । ये लिंग , ह्रस्व दीर्घ या फ़िर <br />समय पर शुद्ध भाषा नहीं सूझने से अक्सर हो जाता है , और मैं साहस <br />नहीं जुटा पाताकि उन्हें कहीं प्रकाशनार्थ भेज सकूँ ।<br />तब गोस्वामी तुलसीदास को याद कर के रह जाता हूँ " स्वान्त: सुखाय "<br /> लिखने का ॥......अचल.......Achalhttps://www.blogger.com/profile/16712814641077479839noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-38924351194006066192012-01-22T20:48:33.754+05:302012-01-22T20:48:33.754+05:30सुधा ओम ढींगरा जी,
उम्मीद करता हूँ कि आपके इस लेख...सुधा ओम ढींगरा जी, <br />उम्मीद करता हूँ कि आपके इस लेखकोपयोगी लघु लेख से लेखकगण कुछ सीख अवश्य लेंगे... आपको साधुवाद कि आपने साहसपूर्वक लिखा।<br /><br />संभवतः आप सहमत होंगी कि हिन्दी में बहुत से ऐसे भी लेखक सक्रिय हैं, जो उच्च सरकारी पद का अनुचित लाभ उठाकर साहित्य में मन बहलाने में सफल हो रहे हैं। उनमें साहित्य-सृजन की कोई प्रतिभा नहीं होती है...मात्र बुद्धि-विलास। हाँ, यदि वे समर्पित होकर कुछ सीखना चाहें, तो उनका लेखन कमोवेश निखर भी सकता है। ऐसे लेखकों के लेखन (वस्तुतः बौद्धिक व्यायामयुक्त शब्द-संयोजन) का साहित्यिक क़द उनके रिटायरमेण्ट (पद-मुक्ति) के बाद ‘शून्य’ पर आकर ठहर जाता है...फिर भले ही उन्होंने अपने लड़खड़ाहट-भरे लेखन पर चाहे जितने भी शोध या आलेख अथवा ग्रंथ छपवा लिए हों...‘स्व’ पर केन्द्रित चाहे जितने भी विशेषांक पैसे देकर अथवा किसी पत्रिका को कोई अन्य लाभ दिलवाकर छपवा लिए हों। वे पदासीनता के समूचे कालखण्ड में पूर्णतः मुग़ालते में रहते हैं। यह मुग़ालता उन्हें इस सत्य का भी एहसास नहीं होने देता कि देश के अधिंकांश लेखक एवं सही साहित्यिक समझ रखने वाले पाठकगण उनके नाम की हँसी उड़ाते हैं...। ये लोग किसी अन्य लेखक/साहित्यकार से अपने लिखे पर आलेख लिखवाने के लिए फोन आदि पर सुबह-दोपहर-शाम नाक में दम कर देते हैं। पिण्ड छुड़ाने के लिए उन बेचारों को थोड़ी-बहुत शब्दारती उतार देनी पड़ती है। यह शब्दारती उन छद्म लेखकों को मुग़ालते में डाले रहती है।<br /><br />इन्हीं उच्च आधिकारियों के बीच कुछेक गिने-चुने जेनुइन लेखक भी हैं। अधिकारी-वर्ग से आने वाला यह अत्यल्पसंख्यक ‘जेनुइन’ लेखक-वर्ग पहले साहित्यकार होता है, बाद में अधिकारी। ऊपर मैंने जिस अधिकारी-वर्ग की ओर संकेत किया है, वह साहित्यकार बाद में है, अधिकारी पहले। यदि उनके नाम के साथ ‘अधिकारी’ पद न जुड़ा हो, तो शायद ही कोई संपादक/प्रकाशक उनकी रचना प्रकाशित करे। पैसे देकर छप जाये, तो वह अलग बात है। इस बिन्दु पर कई पत्रिकाओं की साहित्य-निष्ठा पर भी प्रश्न-चिह्न आकर चिपक जाता है। <br /><br />ख़ैर...हे मुग़ालता, तुझे सलाम!जितेन्द्र ‘जौहर’ Jitendra Jauharhttps://www.blogger.com/profile/06480314166015091329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-27088472739600763632012-01-11T18:00:59.599+05:302012-01-11T18:00:59.599+05:30बिलकुल सही कहा है आपने सुधा जी...आपकी राय हमेशा ही...बिलकुल सही कहा है आपने सुधा जी...आपकी राय हमेशा ही हमारे लिए कीमती है....सादरडॉ अनीता कपूरhttp://bikharemotee.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-35503139036667508892012-01-11T02:02:33.462+05:302012-01-11T02:02:33.462+05:30SUDHA OM DHEENGRA KE BEBAAQ LEKHAN KEE MAIN
TAAREE...SUDHA OM DHEENGRA KE BEBAAQ LEKHAN KEE MAIN<br />TAAREEF KARTAA HUN . UNKEE LAGAN ,IMAANDAAREE<br />AUR UNKE PARISHRAM SE HINDI CHETNA KAA RANG -<br />ROOP KHOOB NIKHRA HAI AUR AAJ USKEE LOKPRIYTA<br />SARV VIDIT HAI .pran sharmahttps://www.blogger.com/profile/14658673113780007596noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-77550842350777122912012-01-11T01:48:55.513+05:302012-01-11T01:48:55.513+05:30sudha ji aapki baat ek dam sahi hai .aapne bahut h...sudha ji aapki baat ek dam sahi hai .aapne bahut hi sahi baat sunder tarike se kahi hai<br />saader<br />rachanaRachanahttps://www.blogger.com/profile/15249225250149760362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-57867498686094084442012-01-08T23:41:50.141+05:302012-01-08T23:41:50.141+05:30RACHANAKAR WEBSITE MUJHE BAHUT ACHACHHA LAGA. MAI ...RACHANAKAR WEBSITE MUJHE BAHUT ACHACHHA LAGA. MAI BHI CHAHTA HU KI RACHAKAR PAR MAI LAGATAR JAU. MERA EMAIL rambalaksahara@gmail.com<br />blog biharblogerassociation.blogspot.comRam Balak Royhttps://www.blogger.com/profile/13256156780807307302noreply@blogger.com