tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post6374343525557098344..comments2024-03-25T10:13:31.176+05:30Comments on रचनाकार: संजय दानी की ग़ज़लें - मेरी तनहाई के हक़ मे दुआ कर दे…रवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-43305986092827882802010-09-09T23:10:08.748+05:302010-09-09T23:10:08.748+05:30आदरणीय विजय तिवारी जी, महेन्द्र वर्मा जी और आदरणीय...आदरणीय विजय तिवारी जी, महेन्द्र वर्मा जी और आदरणीया संगीता स्वरूप्र जी को टिप्पणियों के लिये शत शत धन्यवाद। साहित्य कार की यही तो एक पूंजी है जिसके कारण वो औरों से जुदा है।इन दोनों ग़ज़लियात में एक-एक छोटी छोटी ग़लती है। "या इस दिल के फ़लक" के बाद "कुछ" शब्द छूट गया है जिससे बहर में दोष पैदा हो रहा है। "सब्र का शिक्छा" की जगह "सब्र की शिक्छा"होनी चाहिये। जिन्हें मैं जानते हुवे भी सुधार नहीं पा रहा हूं। बहरहाल शुक्रिया to every body.ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttps://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-60818258518408847402010-09-09T15:34:26.441+05:302010-09-09T15:34:26.441+05:30वाह ...दोनों गज़लें शानदार ...वाह ...दोनों गज़लें शानदार ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-72786730295880048782010-09-09T14:12:12.036+05:302010-09-09T14:12:12.036+05:30तसव्वुर में न आने का तू वादा कर
मेरी तनहाई के हक़ ...तसव्वुर में न आने का तू वादा कर<br />मेरी तनहाई के हक़ मे दुआ कर दे।<br /><br />ये एक शे‘र एक उपन्यास के बराबर है।....बहुत खूब।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-50987169705898472952010-09-09T12:00:07.801+05:302010-09-09T12:00:07.801+05:30दोनों रचनायें सुंदर है.
घर के भीतर राम की हम बातें...दोनों रचनायें सुंदर है.<br />घर के भीतर राम की हम बातें करते,<br />घर के बाहर पूजते हैं रावणों को।<br />विजय तिवारीविजय तिवारी " किसलय "https://www.blogger.com/profile/14892334297524350346noreply@blogger.com