tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post6616752832918261209..comments2024-03-25T10:13:31.176+05:30Comments on रचनाकार: नचिकेता के साथ अवनीश सिंह चौहान की बातचीतरवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-11010004489972866482011-12-26T03:46:25.220+05:302011-12-26T03:46:25.220+05:30माननीय नचिकेता जी के वेबाक उत्तर और खरे खरे वक्तव्...माननीय नचिकेता जी के वेबाक उत्तर और खरे खरे वक्तव्य ध्यातव्य हैन.गीत /नवगीत की चर्चा विमर्श में उनके रूपाकार आदि के साथसाथ उनके बीच भेद -विभेद को उभारा जाता था लेकिन स्री नचिकेता जी ने जनगीत का सन्दःर्भ जोड़क र तथा नवगीत को पूर्णतः यथासिटीत बादी बताकर उसके साथ अन्याय नहीं कियांएरे द्रष्टिकोण से जनवादी विचारधारा नवगीत की एक मुख्य आधारशिला है्आन नवगीत में दुरूहता के तत्वों का समावेश निशचितरूप से उसे जान जीवन और पाठकों से डूर ले जाएगा .मेरे मत में जनगीत /नवगीत यमज हैं.<br />माननीय नचिकेता जी ने जो नवगीतकारों को ,'सारे शनयंत्रों के विरुद्ध जम कर लोहा लेने 'बात कर जो संदेश दिया पूरा कॅया पूरा महत्व पूर्ण है और श्री वीरेन्द्र आस्तिक के विचारों की पुष्टि करता है .यह गीत नवगीत की विकास यात्रा में मील के पत्थर कॅया काम खाऱेघाआ. पूरेनचिकेता जी के विचारों को सबके लिए प्रष्टुत कार बातचीत का भार उठाने बेल की जितनी पीठ ठोकी जाय कम है .शत शत वधाई.<br />डाक्टर जयजयराम आनंद<br />सैंट जॉन कनाडाJaijairam anandhttps://www.blogger.com/profile/12374970648689702763noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-23240230208507270712011-12-26T03:35:00.289+05:302011-12-26T03:35:00.289+05:30माननीय जनमेजय जी के वेबाक उत्तर और खरे खरे वक्तव्य...माननीय जनमेजय जी के वेबाक उत्तर और खरे खरे वक्तव्य ध्यातव्य हैन.गीत /नवगीत की चर्चा विमर्श में उनके रूपाकार आदि के साथसाथ उनके बीच भेद -विभेद को उभारा जाता था लेकिन स्री जनमेजय जी ने जनगीत का सन्दःर्भ जोड़क र तथा नवगीत को पूर्णतः यथासिटीत बादी बताकर उसके साथ अन्याय नहीं कियांएरे द्रष्टिकोण से जनवादी विचारधारा नवगीत की एक मुख्य आधारशिला है्आन नवगीत में दुरूहता के तत्वों का समावेश निशचितरूप से उसे जान जीवन और पाठकों से डूर ले जाएगा .मेरे मत में जनगीत /नवगीत यमज हैं.<br />माननीय जनमेजय जी ने जो नवगीतकारों को ,'सारे शनयंत्रों के विरुद्ध जम कर लोहा लेने 'बात कर जो संदेश दिया पूरा कॅया पूरा महत्व पूर्ण है और श्री वीरेन्द्र आस्तिक के विचारों की पुष्टि करता है .यह गीत नवगीत की विकास यात्रा में मील के पत्थर कॅया काम खाऱेघाआ. पूरेजनमेजय जी के विचारों को सबके लिए प्रष्टुत कार बातचीत का भार उठाने बेल की जितनी पीठ ठोकी जाय कम है .शत शत वधाई.<br />डाक्टर जयजयराम आनंद<br />सैंट जॉन कनाडाJaijairam anandhttps://www.blogger.com/profile/12374970648689702763noreply@blogger.com