tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post6896000065194474823..comments2024-03-25T10:13:31.176+05:30Comments on रचनाकार: गोविन्द शर्मा का व्यंग्य - मेरा गुस्सा मेरा हैरवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-57326590158498519922011-01-31T08:14:42.666+05:302011-01-31T08:14:42.666+05:30अच्छा व्यंग।अच्छा व्यंग।ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttps://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-66632763213931177672011-01-30T06:25:17.680+05:302011-01-30T06:25:17.680+05:30बढिया व्यंग.बढिया व्यंग.Sushil Bakliwalhttps://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-74893461052996086992011-01-29T17:38:45.169+05:302011-01-29T17:38:45.169+05:30आप का गुस्सा जायज है शर्मा जी!...जब हमारे देश में ...आप का गुस्सा जायज है शर्मा जी!...जब हमारे देश में हीरे,मोती और नकदी उगालने वाले लौकर बिखरे पडे हो...और हम जमीन में गड्डे खोदते फिरें,यह कहां का न्याय हुआ!...लगता है 'मेरे देश की धरती..'गाने के बोल बदलने पडेंगे!..इस काम के लिए किसी बैंक मैनेजर से बढिया कवि कोई नही मिलेगा!Aruna Kapoorhttps://www.blogger.com/profile/02372110186827074269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-43293113402694521402011-01-29T17:11:39.874+05:302011-01-29T17:11:39.874+05:30ऐसा लोकर मिल जाये तो हमें भी बताइयेगा एक हम भी ले ...ऐसा लोकर मिल जाये तो हमें भी बताइयेगा एक हम भी ले लेंगे :) अच्छा व्यंग्य हैLearn By Watchhttps://www.blogger.com/profile/06971233278329456015noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-69029526811346688992011-01-29T11:55:59.539+05:302011-01-29T11:55:59.539+05:30वाह बहुत खूब.... लाकर ही लेना था तो स्विट्ज़र लैंड ...वाह बहुत खूब.... लाकर ही लेना था तो स्विट्ज़र लैंड का लेते ... कम से कम सरकार का संरक्षण तो मिलता ....:)पद्म सिंहhttp://padmsingh.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-19926001556413780792011-01-29T11:35:52.686+05:302011-01-29T11:35:52.686+05:30इस व्यंग पर एक चुटकुला याद आ गया
राजा-- देखो कैसा ...इस व्यंग पर एक चुटकुला याद आ गया<br />राजा-- देखो कैसा जमाना आ गया है सिफारिश से आज कल सम्मान मिलते हैं।<br /> शाम -- वो कैसे?<br /> हमारे पडोसी ने किसी महिला पर कुछ कवितायें लिखी। उसे पुरुस्कार मिला।<br /> उसी महिला पर मैने रचनायें लिखी मुझी नही मिला<br />तुम्हें कैसे पता है कि जिस महिला पर रचना लिखी वो एक ही महिला है? <br />राजा--- क्यों कि वो हमारे घर के सामने रहता है लान मे बैठ जाता और मेरी पत्नि को देख देख कर कुछ लिखता रहता था। लेकिन मै उसके सामने नही लिखता मैं अन्दर जा कर लिखता था। सब से बडा दुख तो इस बात का है कि मेरी पत्नी उस मंच की अध्यक्ष थी और उसके हाथों से ही पुरुस्कार दिलवाया गया था। <br />शाम-- अरे यार छोड तु7म्हें कैसे पुरुस्कार मिलता क्या सच को कोई इतने सुन्दर ढंग से लिख सकता है जितना की झूठ को। उसने जरूर भाभी जी की तारीफ की होगी और तुम ने उल्टा सुल्टा लिखा होगा। फाड कर फेंक दे अपनी कवितायें नही तो कहीं भाभी के हाथ लग गयी तो जूतों का पुरुस्कार मिलेगा।<br /> बहुत अच्छा लगा व्यंग । गोविन्द शर्मा जी को बधाई।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.com