tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post6913643776210373059..comments2024-03-25T10:13:31.176+05:30Comments on रचनाकार: अर्जुन प्रसाद की कहानी - जुड़वांरवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-91075656666748025272013-01-22T12:30:48.590+05:302013-01-22T12:30:48.590+05:30ओह ह्रदयविदारक कुछ कहने मे असमर्थओह ह्रदयविदारक कुछ कहने मे असमर्थvandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-91539579422023991812013-01-22T08:51:44.384+05:302013-01-22T08:51:44.384+05:30भाई के गम में भाई मर गया , पर दोनों बेटों के मरने ...भाई के गम में भाई मर गया , पर दोनों बेटों के मरने के गम के बावजूद माता-पिता जीवित रहे ।कहानी बहुत अच्छी लगी मगर दूसरे भाई का मर जाना एक नकारात्मक संदेश छोड़ गया ।उसे संभलना था , शेष जिम्मेदारियों को पूरा करना था ।उसे अग्रज बन जाना था ।सुरेन्द्र कुमार पटेल https://www.blogger.com/profile/14157881582746879070noreply@blogger.com