tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post6962249725475171034..comments2024-03-25T10:13:31.176+05:30Comments on रचनाकार: रमेश उपाध्याय की कहानी - प्रेम की कहानीरवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-36722922978967139902013-03-16T16:10:36.085+05:302013-03-16T16:10:36.085+05:30प्रेम और धर्म पूर्णतः भिन्न चीजें हैं। प्रेम की धर...प्रेम और धर्म पूर्णतः भिन्न चीजें हैं। प्रेम की धर्म से तुलना करना या धर्म की जगह देना गलत है। इस कहानी प्रेम द्वारा जो धर्म का निरादर हुआ है अनुचित है। प्रेम अपने आप में बड़ी चीज है तो धर्म भी अपने आप में बड़ी चीज है। कोई भी धर्म प्रेम का विरोध नहीं करता। प्रेम धार्मिक रहते हुए भी किया जा सकता है। धर्मवाद बहुत पुरानी व्यवस्था है इसमें अरबों लोगों की आस्था निहित है इसे इतनी आसानी से तोड़ा नहीं जा सकता। कोई भी बड़ा तंत्र जब टूटता है तो असंतुलन पैदा होता है और जब आप धर्म जैसी बड़ी व्यवस्था को तोड़ने का प्रयास करेंगे तो भयानक असंतुलन पैदा होना लाजमी है। जहाँ प्रेम एक महान अनुभूति है जो दिलों को जोड़ती है वहीं धर्म एक मार्गदर्शन है जो हमें उचित तरीके से जीवन निर्वाह के तरीके बताता है हमें एक पहचान देता है हमारे सामने जीवन के आदर्श रखता है उन्हीं आदर्शों में से एक आदर्श है प्रेम....| Anonymousnoreply@blogger.com