tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post7864976107048712089..comments2024-03-25T10:13:31.176+05:30Comments on रचनाकार: तांका की महक (समीक्षा) // डॉ. सुरेन्द्र वर्मारवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-30523322475413889602018-05-20T19:36:41.486+05:302018-05-20T19:36:41.486+05:30इस समीक्षा मे 1912 और1918 को कृपया 2012 और 2018 पढ...इस समीक्षा मे 1912 और1918 को कृपया 2012 और 2018 पढें ।भूल के लिए खेद है । सुरेन्द्र वर्मा ।<br />Dr. Surendra Vermahttps://www.blogger.com/profile/13753374658019625358noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-72871570633541986532018-05-20T14:39:31.949+05:302018-05-20T14:39:31.949+05:30 हाइकू हमलोग २००६ से लिखना आरंभ कर चुके थे । नवभार... हाइकू हमलोग २००६ से लिखना आरंभ कर चुके थे । नवभारत दीपावली ।<br />अंक २००६ में हमारी हाइकू प्रकाशित हुई।फिर २००७ में हमारी छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह २००७ में ३६ हाइकू सम्मलित हैं। <br />एक बानगी द्रष्टव्य हैं-<br /> <br /><br /><br />कोन बांधही <br />बि ल ई धेंच धाटी <br />रे फकचोटी <br /><br />करलई हे <br />जान कइसे बाचही <br />महगंई हे सत- संधानhttps://www.blogger.com/profile/16533668926895127083noreply@blogger.com