tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post8051628949517523569..comments2024-03-25T10:13:31.176+05:30Comments on रचनाकार: पाद टिप्पणी // डॉ. सुरेन्द्र वर्मारवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-23642667261521785872018-11-24T19:55:03.741+05:302018-11-24T19:55:03.741+05:30कहीं भी पाद देना अनुचित हैं ऐसा कहना ही सर्व वेदों...कहीं भी पाद देना अनुचित हैं ऐसा कहना ही सर्व वेदों और चिर कालिक मानव परंपरा का विरोध हैं | पाद वैज्ञानिक तरीके से देखा जाये तो h2so4 नामक एक रसायन के कारण होता हैं जो की हमारे पेट में पल बढ़ रहे अरबों बैक्टीरिया के द्वारा छोड़ा जाता हैं | चीन में तो लोग पाद सूंघना एक रोजगार हैं जिससे तकरीबन ५०००० डॉलर सालाना आप कमा सकते हैं अगर विश्वास न हो तो नीचे दी गयी लिंक पर आप पढ़ सकते हैं https://www.thecrazyfacts.com/professional-fart-smeller-actual-job-china-can-make-50000-year/ | <br /><br />पादने को पश्चिनी सभ्यता में ही हास्य का विषय बनाया गया जबकि वायु मुक्त करना भारतीय संस्कृति में कहीं भी वर्जित नहीं हैं | शायद महान इतिहासकारों ने इसे तवज्जो नहीं दिया जिसके कारण हम महान व्यक्तियों की पाद-गाथा न सुन सके अगर इतिहास में कहीं लिखा होता की फलाना राजा "पौं पौं फूस " पादता था तो शायद आज ये व्यंग न होता| योगासन में कई क्रियाये हैं (जैसे वज्रासन ) जिसका मुख्य उद्देश्य ही पादने की क्षमता को बढ़ाना हैं| हमारे घर में तो आज भी पापा या दादाजी बिना किसी संकोच के पादते हैं हाँ ये माहौल में बदबू आने से थोडा असहज जरूर महसूस होता हैं मगर पाद की तासीर ही ऐसी हैं| पादना एक गंभीर क्रिया हैं इसके लिए हिम्मत, साहस, धैर्, निडरता एवं अनुभव की अव्यशकता होती हैं गंभीर मुद्दों में पाद देने में जहां धैर्य की जरूरत होती हैं वहां पर ही भरी भीड़ में पादने के लिए हिम्मत चाहिये| <br /><br />पादने के प्रकारों को लेकर भी मुझे यहाँ तकलीफ हैं क्यूंकि पाद व्यक्तिगत होता हैं इसे अनेक संभागों में बांटा जा सकता हैं यहाँ जो भाग हुए हैं वो केवल ध्वनि एवं महक को ही लेकर किये गए जबकि इसका लेना देना हमारे उदार रोगों से भी हैं अथवा मनोवैज्ञानिक स्तिथि से भी उदाहरण के तौर पर अगर देखा जाए तो घर के बड़े नि:संकोच पादते हैं जबकि नयी नवेली दुल्हन इस आजादी का चाह कर भी लाभ नहीं उठा सकती| हैजे से पीड़ित के पाद पान में अलग महक होती हैं जबकि साधारणत: ये अलग होती हैं| पाद को लेकर बहुत पुरानी कहावत हैं "बड़ों का पाद आशीर्वाद", "पाद के हँसे उसका घर कभी न बसे ", "राजा न पड़ेगा तो क्या प्रजा पादेगी " या "जो भरपूर हो वो ही पादेगा " अगर हम सोचे तो क्या खुद कभी पादकर हमें असल में मजा आया हैं?? नहीं न वो मजा तब ही आएगा जब किसी ने उस का रसपान किया हो और अपनी नाक भों सीकोडा हो | <br /><br />पाद एक अनोखी कला हैं जिसमे निपूर्ण होना कोई छोटी बात नहीं हैं| मैंने कई कहानी सुनी हैं जैसे "मन में आई बात, और पेट से आई पाद कभी नहीं रोकना चाहिए " | पाद पद प्रतिष्ट एवं सम्मान के साथ आता हैं| विश्व में आज भी ऐसी कई सभ्यताएं हैं जो इसे केवल एक क्रिया मान कर ही रह जाती हैं | साहित्य अगर देखे तो पाद गाथाओं से भरा पड़ा हैं | <br /><br />यदि किसी की भावनाए आपके पाद दान से आहात होती हैं तो होने दे, कोई राष्ट्र या कोई सभ्यता हमें पादने से नहीं रोक सकती इसीलिए जीता हो सकें पादें, खुल कर पादे बैठकर पादे सोये हुए पादे ... मगर पादें जरूर| <br /><br />आपका अपना <br />किशन शर्मा <br />crazykane2000@gmail.com Catpops Designs | Web Development Tutorialshttps://www.blogger.com/profile/15276882049898422136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-37402727850906580032018-04-18T22:13:52.962+05:302018-04-18T22:13:52.962+05:30सादर पादस्ते!
मनोरंजक रचना हेतु शुभकामनाएं स्वीकार...सादर पादस्ते!<br />मनोरंजक रचना हेतु शुभकामनाएं स्वीकारें।सुमित प्रताप सिंहhttp://www.sumitpratapsingh.comnoreply@blogger.com