tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post8424086309976740383..comments2024-03-25T10:13:31.176+05:30Comments on रचनाकार: दामोदर लाल 'जांगिड़‘ की कविताएँ व ग़ज़लेंरवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-74519178016098239262010-08-14T08:08:43.304+05:302010-08-14T08:08:43.304+05:30पहली रचना की अभिव्यक्ति अच्छी है पर बे-बहर है । ग़ज़...पहली रचना की अभिव्यक्ति अच्छी है पर बे-बहर है । ग़ज़ल के उस्ताद बे-बहर रचनाओं को ख़ारिज़ कर देते हैं।ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttps://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-42420476312959137422010-08-07T15:33:34.318+05:302010-08-07T15:33:34.318+05:30हर पंक्ति.............लाजवाब है
आपकी रचनाएं पढ़ कर....हर पंक्ति.............लाजवाब है<br />आपकी रचनाएं पढ़ कर. दिल ये गदगद हो गया। <br />जिन ख़्यालों से था, लौटा फिर उन्हीं में खो गया॥<br />सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवीडॉ० डंडा लखनवीhttps://www.blogger.com/profile/14536866583084833513noreply@blogger.com