tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post9200961934295772460..comments2024-03-25T10:13:31.176+05:30Comments on रचनाकार: गोवर्धन यादव का संस्मरण - शेरों के बीच एक दिनरवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-42772923227786088472012-07-08T20:50:22.920+05:302012-07-08T20:50:22.920+05:30धन्यवाद इस बात के लिए कि आप सभी को मेरी रचना अच्छी...धन्यवाद इस बात के लिए कि आप सभी को मेरी रचना अच्छी लगी.नया अनुभव रोमांच पैदा करता ही है.पुनः धन्यवादगोवर्धन यादवnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-54760451739368740752012-06-29T15:41:50.847+05:302012-06-29T15:41:50.847+05:30बहुत बढ़िया अनुभव है. यह सचमुच ही उस सत्य को प्रति...बहुत बढ़िया अनुभव है. यह सचमुच ही उस सत्य को प्रतिपादित करता है जिसमें हिंसक भी बस्तुतः अहिंसक हो सकते हैं. इसी के सहारे यह समझा जा सकता है की आज की परिस्थितियों को बदलने के लिए क्या जरूरी है हिंसा , द्वेष या प्रेम और सद्भावना. क दीक्षितAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/11025846409970519160noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-60207834733968014832012-06-01T19:59:48.079+05:302012-06-01T19:59:48.079+05:30जहाँ शेरों को देखते ही पसीना छूट जाता वहीं शेर की ...जहाँ शेरों को देखते ही पसीना छूट जाता वहीं शेर की पीठ पर हाथ रखकर फोटो खिचवाना वाकई बहादुरी का काम है| मैं और गोवर्धन यादवजी [इस लेख के लेखक] थाईलेंड गये थे और शेरों के साथ में फोटो खिचवाते रहे| बहुत ही रोमांचकारी अनुभव था|शेरों के साथ उनकी पूँछ पकड़कर चलना बहादुरी का ही काम है|हम लोंगों ने पूरा पूरा आनंद लिया|<br /> प्रभुदयाल श्रीवास्तवAnonymousnoreply@blogger.com