tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post1837014195788428954..comments2024-03-25T10:13:31.176+05:30Comments on रचनाकार: व्यंग्य // राष्ट्रीय व्यंजन // डा.सुरेन्द्र वर्मारवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-982781650052407842017-11-05T11:56:49.063+05:302017-11-05T11:56:49.063+05:30बढ़िया व्यंग.... राजीनीति बिना खिचड़ी के नहीं होती औ...बढ़िया व्यंग.... राजीनीति बिना खिचड़ी के नहीं होती और खिचड़ी राजनीति ही सही राजनीति है.. इसी कारण से ही खिचड़ी को राष्ट्रीय व्यंजन घोषित कर देना चाहिए... हा हा.. बढ़िया व्यंग...विकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.com