tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post211068866078135192..comments2024-03-25T10:13:31.176+05:30Comments on रचनाकार: सुदामा पांड़ेय ‘धूमिल’ की काव्य संवेदना का प्रतिनिधित्व करती कविता ‘मोचीराम’ / डॉ. विजय शिंदेरवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-72680048831006881482022-02-11T08:55:16.839+05:302022-02-11T08:55:16.839+05:30सुधा अरोड़ा
साहित्यिक विशेषताओं
अथवा परिचय सुदुमा...सुधा अरोड़ा<br /><br />साहित्यिक विशेषताओं<br /><br />अथवा परिचय सुदुमा पांडेय 'भूमिल'<br /><br />हुए उनकी काव्यगत<br /><br />पर प्रकाश डालिए?Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02176718413464884762noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-68508925088809773482017-04-08T21:56:21.152+05:302017-04-08T21:56:21.152+05:30समीक्षा को और सफल और सार्थक बनाने के लिए दो आकृतिय...समीक्षा को और सफल और सार्थक बनाने के लिए दो आकृतियां बनाई हैं। साथ ही उन आकृतियों के अनुरूप विवरण में उसका विश्लेषण और वर्णन भी है। यह आकृतियां मैंने मेरे ब्लॉग पर जोडी है आपको इसके बारे में जानना है तो इस लिंक पर जाए - http://drvtshinde.blogspot.in/2017/04/blog-post.html साहित्य और समीक्षा डॉ. विजय शिंदेhttps://www.blogger.com/profile/18249451298672443313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15182217.post-34521029592045823172017-04-05T09:16:15.386+05:302017-04-05T09:16:15.386+05:30सुदामा पाँडे धूमिल की सर्जना पर सार्थक, सटीक और प्...सुदामा पाँडे धूमिल की सर्जना पर सार्थक, सटीक और प्रभावी आलेख द्वारा विजय शिंदे ने कवि की समग्रता को विवेचित करते हुए धूमिल की जनपक्षधरता को सही रुप में रेखांकित किया है। उत्तम आलेख केलिए समालोचक विजय शिंदे बधाई के पात्र हैं। - जगदीश पंकजजगदीश पंकजhttps://www.blogger.com/profile/10707282603931469979noreply@blogger.com