एस. के. पाण्डेय का व्यंग्य : ड्रेस कोड

SHARE:

ड्रेस कोड आज जहाँ देखो वहीं ड्रेस कोड का चलन है। बहुत से स्कूलों में बच्चों तथा अध्यापकों के लिए भी ड्रेस कोड चलता है। किताबें न हों तो को...

ड्रेस कोड

आज जहाँ देखो वहीं ड्रेस कोड का चलन है। बहुत से स्कूलों में बच्चों तथा अध्यापकों के लिए भी ड्रेस कोड चलता है। किताबें न हों तो कोई खास दिक्कत नहीं होती। लेकिन यदि ड्रेस नहीं है तो स्कूल में प्रवेश ही नहीं दिया जाता है। ऐसे में जिनके पास ड्रेस और किताब दोनों खरीदने कि कूबत नहीं है, वे बच्चे किताब लेकर ही क्या करें ? ड्रेस में होने से कम से कम स्कूल में तो जा सकेंगे। बहुत से स्कूलों में ड्रेस बेचा भी जाता है। बाहर से लाने पर मैच न करने का खतरा जो होता है तथा जो पैसा दुकानदार ऐंठता है, उसे स्कूल वाले ही ऐंठे तो क्या बुरा है ? स्कूल और बच्चों की बात न भी करें तो नेता, अभिनेता, पुलिस, वकील, जज, नर्स, डॉक्टर तथा साधु-सन्यासियों का भी अपना बिशेष ड्रेस होता ही है।

कुछ बिशेष अवसरों के लिए भी ड्रेस का प्रावधान है ही। जैसे दूल्हे का ड्रेस, दुल्हन का ड्रेस व मुर्दे का ड्रेस इत्यादि। ड्रेस की एक खास बात होती है कि इससे पहचान बनती है। बिगड़ती भी है। पहचानने वाला कोई भी न हो तो भी। इसी पहचान की वजह से कुछ लोग ड्रेस का नाजायज फायदा भी उठा लेते हैं। लोग ड्रेस देखकर गुमराह हो जाते हैं। कुछ को कुछ समझ बैठते हैं। जैसे चोर को पुलिस और पुलिस को चोर। ड्रेस को देखकर पहले मूर्ख ही भूलते थे, अब ज्ञानी भी भूल बैठते है। शायद मूर्ख और ज्ञानी के बीच का अंतर कम हुआ है। आज पढ़े-लिखे लोग और आधुनिक पढ़ाई बढ़ जो रही है। ड्रेस का बहुत बड़ा महात्म्य है। इसके बहुत फायदे हैं। अतः तरह-तरह के ड्रेस आने ही चाहिए। आ भी रहे हैं और आयेंगे भी।

एक अलग पहचान बनाने के लिए आधुनिकादेवी भी अपनी साथी महिलाओं व लड़कियों के हित में ‘यूडीसी’ यानी ‘यूनीफोर्म ड्रेस कोड’ लागू करने के लिए बचनबद्ध हैं। इस पर आम सहमति बनाने के लिए वे काफी काम कर रहीं हैं। साथ ही कई बैठकें भी कर चुकी हैं। इनका नारा है-

“परिवर्तन हम लायेंगे, दुनिया को दिखलायेंगे”।

लाख कोशिस के बाद भी सबको साथ लेकर चलने वाली दिक्कत आती है। ज्यादा निराशा गांवों से होती है। जैसे नेता कहते हैं कि हम सबको साथ लेकर चलेंगे। लेकिन यह भूल जाते हैं कि न कोई कुछ लाता है और न ही ले जाता है। सब कुछ यहीं का यहीं रह जाता है। इसलिए जिसको जहाँ रहना होता है, रहता है। नेता लाख कोशिस क्यों न करते रहें ?

आधुनिकादेवी खुश हैं, लेकिन ज्यादा खुश नहीं हैं। इनका मानना है कि ड्रेसों में अभूतपूर्व परिवर्तन हुए तो हैं। जो कि अच्छा संकेत है। लेकिन मूल समस्या यूडीसी की है। खैर देर-सबेर लागू हो ही जायेगा। इनका कहना है कि देश के गरीब जैसे गरीबी रेखा से वर्षों से चिपके हैं। उसी तरह आज महिलाएं घुटने से ऊपर व कमर के नीचे तथा पेट व गले के बीच वर्षों से मामूली बस्त्र चिपकाएँ हुए हैं। न ही देश के गरीब आगे बढने की सोचते है और न ही ये लोग।

जनतंत्र में जहाँ देखो वहीं तन्त्र होता है। शहर से लेकर गांव तक नेता अपना तन्त्र बिछाए रहते हैं। इसी तरह आधुनिका देवी से कोई कोना अछूता नहीं है। सभी जगह इनका तन्त्र फैला है। गांवों के दूर-दराज क्षेत्रों में भी इनकी पकड़ बढती जा रही है। इनके अपने एजेंट हर जगह सक्रिय हैं। जो खुशी नेता को उसकी सरकार बनने पर होती है। वही खुशी इन्हें यूडीसी लागू होने पर होगी। तब अपने को तथा अपने संगी-साथियों को ये और आधुनिक साबित कर सकेंगी। जो दुःख नेता को उसकी अपनी सरकार डूबने पर होता है, वैसा ही दुःख यूडीसी में इतना विलम्ब क्यों ? यह सोचकर आधुनिका देवी को होता है। किसी भली महिला या लड़की को पूरे बस्त्र में देखकर इनका मन वैसे ही डूब जाता है। जैसे घूस लेते हुए पकड़े जाने पर किसी अधिकारी का या चुनाव हारे नेता का डूबता है। भले ही थोड़े समय के लिए। आवेश में कह उठती हैं-

अब मुक्ति मिलेगी नारी को।

पूरी कर लो तैयारी को ।।

फेको उतार के सारी को।

चेतो ! छोड़ो लाचारी को।।

युग आया मोल-बजारी को।

अब मुक्ति मिलेगी नारी को।।

आज सारी उतारने वाले दुर्योधन तो बहुत हैं। हर जगह, हर कोने में। लेकिन चीर देने वाले मोहन यहाँ नहीं हैं। जाहिर सी बात है कि आधुनिका देवी के इन क़दमों से आज के दुर्योधनों को काफी खुशी होगी। मुश्किलें आसान होने से खुशी किसे नहीं होती ?

गांवों में काम करने वाली इनकी एक मित्र हैं कल्याणी देवी। इन्होंने ही इन्हें यह नाम दिया है। महिलाओं के उत्थान यानी कल्याण की इनकी योजनाओं को देखते हुए ही इन्हें यह नाम मिला। ये दावे के साथ कहती हैं कि कितने ही लड़कियों को हमने गांव के दलदल से निकालकर शहर भेज दिया है। दीगर है न इन्हें ठीक से पता है और न किसी और को कि वे लडकियां कहाँ हैं ? सुनने में आता है कि गाँवों की कुछ लड़कियाँ भी शहरों के स्वच्छ जल में गोते लगाने के लिए बेताब रहती है। उन्हें क्या मालूम कि वहाँ पीने को भी स्वच्छ जल के लाले हैं ? दलदल तो ऐसा कि उसमें फंसकर कोई बिरला ही वो भी बहुत मुश्किल से निकल सकता है। खैर दलदल किसे भाता है ? कमल या फिर गर्मियों में भैसों को। कुछ भी हो कौन देखने जाता है कि दलदल से महादलदल में जा पहुँचती हैं। और कोई न देखे तो कुछ नही हुआ जो वैज्ञानिक भी है। आज देश-समाज के हर कोने में यह वैज्ञानिक सिद्धांत लागू है। इसी वैज्ञानिक सत्य के धरातल पर आज कितनों के पैर टिके हैं। चाहे वह नेता-अभिनेता, अफ़सर-साहूकार, संत-महंत, प्रेमी-प्रेमिका, पति-पत्नी इत्यादि कोई भी क्यों न हो ?

सर्वप्रथम जब दोनों लोगों की मुलाकात हुई तो महिला उत्थान में सक्रिय होने से बहुत जल्दी घनिष्ठता हो गई। ड्रेस कोड के बारे में जब आधुनिका देवी ने बताया। तो बहुत ही उत्तम योजना कहते हुए साथ-साथ मिलकर काम करने के लिए राजी हो गयीं। लेकिन जब गांवों की स्थिति बयान करते हुए बताया कि वहाँ तो महिलाएं अभी अपना मुंह भी ढककर चलती हैं। तो आधुनिका देवी को बहुत ही आश्चर्य हुआ। पूछ बैठी क्या दिखाने लायक नहीं होता ? वहाँ पार्लर तो होंगे नहीं। कल्याणी ने बताया कि ऐसा नहीं है एक से एक हैं कि देखती रह जाओ। लेकिन पुराने ख्यालात की हैं। वे सबको देखने व दिखाने योग्य ही नहीं मानती। कुछ तो मोटे-मोटे बोरे जैसे कपड़े पहनती है। आधुनिका देवी यह सुनकर हँस पड़ी। बोलीं कब सुधरेगीं ये सब। जब उन्हें अपने ही बारे में पता नहीं है कि उनके पास दिखाने को बहुत कुछ है तो दुनिया क्या देखेंगी और कैसे जानेंगी कि दुनिया में अब कहाँ क्या और कैसे हो रहा है ?

कल्याणी ने कहा सुधारने का ही काम तो कर रही हूँ। टीवी आदि के जरिये भी गांवों में जागरूकता बढ़ ही रही है। बहुत समझ बूझ से काम लेना पड़ता हैं। वहाँ की बड़ी-बूढियाँ यहाँ जैसी नहीं हैं जो एक हाथ आगे निकल जाने के लिए तत्पर रहती हैं। बल्कि वे महीन-पारदर्शी बस्त्रो को भी देखना नहीं चाहती। आप का ड्रेस देखकर बात करना तो दूर दरवाजे पर खड़ी तक नहीं होने देंगी। वे हमें देखकर राधेश्याम जी की निम्न पंक्तियाँ गाती हैं-

साड़ी महीन हो रेश्मीं पहनावा ऐसा रुचता है।

निर्लज्ज को इतना लाज नहीं तन अर्ध-नग्न सा रहता है।।

ऐसी ही प्रगति रही तो दुर्गति होगी अबलाओं की।

जो जाति शिरोमणि थी अब तक जूती कहाएगी पाओं की।।

कुछ तो भगवान से कहती हैं कि-

नंगापन नारी को भाये।

घूमें अपना गात दिखाए।।

निर्लज को कुछ लाज न आये।

मानो पशु ते होड़ लगाए।।

निर्लज सूपनखा को समुझाये।

द्वापर द्रोपदी लाज बचाए।।

प्रभु ! कलियुग में को समझाए।

करता वह जिसको जो भाए।।

खैर देर-सबेर ढर्रे पर आ ही जाएँगी। जब बड़े-बूढ़े लाख कोशिस के बावजूद मूंछें नहीं बचा पाए, उन्हीं के सामने मूछों का निर्दयता पूर्वक मर्दन जारी रहा और बाद में वो भी इसके आदी हो गए। तब बड़ी-बूढियां कब तक मोर्चा सभालेंगी। जब उन्हीं के सामने बेटियां और बहुएं यूडीसी में निकलेंगी, तब आँखें फाड़-फाड़कर देखेंगी। और धीरे –धीरे वे भी मुख्यधारा में आ जाएंगी। अतः बहुत चिंता की बात नहीं है। देर सही लेकिन काम बिल्कुल दुरुस्त होगा।

उपरोक्त बात तो दशकों पहले की है। आज गाँवों में भी तरह-तरह के ड्रेस हैं और गांवों से हजारों महिलाएं आधुनिका देवी के सम्मेलनों में भाग लेने आती रहती हैं। खैर यूडीसी पर अमल होना अभी बाकी है।

अंततः आधुनिका देवी को कुछ समझौता वादी होना पड़ा। शहरों से कुछ खास दिक्कत तो थी नहीं। लेकिन लाख समझाने के बाद भी गांवों में कुछ लकीर की फकीर वाली महिलाएं बची रहीं। इन्होंने कुछ कड़ा होकर भी एलान कर दिया कि अगर कम्युनिटी में रहना है तो यूडीसी पर अमल करना ही होगा। अन्यथा आधुनिक कहलाने का अधिकार नहीं रहेगा।

आधुनिकादेवी के अनुसार यूडीसी में घुटने तथा कमर के बीच कोई बस्त्र नहीं होगा। बजाय इसके इसमें घुटने के नीचे बस्त्र का प्रावधान किया गया है। इसी तरह पेट तथा गले के बीच कोई बस्त्र नहीं होगा। गले में पतली पट्टी पहनी जा सकती है। इसी ड्रेस को अमल में लाना होगा। अन्यथा आधुनिक होने का ताज छिन जायेगा।

ग्रामीण अंचल की महिलाएं जो अपना मुंह ढककर चलती हैं। उन्हें मुख्यधारा में शामिल करने के लिए थोड़ी सी छूट दी गयी है। आधुनिका देवी का कहना है कि मुझे मुंह ढके रहने से कोई आपत्ति नहीं होगी बशर्ते ड्रेस कोड का पालन हो। यूडीसी सबके लिए समान है। लेकिन मुंह ढकने का प्रावधान भी इसमें शामिल कर लिया गया है। अन्य फेर बदल असंभव है। मुंह का पर्दा चाहो तो करो, लेकिन यूडीसी में रहकर।

हास्यरसिकों को बेसब्री से इंतजार है और विश्वास है कि आधुनिका देवी आमराय बनाने में सफल होंगी तथा यूडीसी शीघ्र ही अमल में आ जायेगा। आधुनिकादेवी अत्याधुनिक बनने के लिए अभी आगे देखो क्या-क्या गुल खिलाती हैं और कौन-कौन सी योजनाएं बनाती हैं ? जो कुछ भी होगा, सब हास्यरसिकों के हित में होगा। इसमें संदेह नहीं है।

डॉ एस. के. पाण्डेय।

समशापुर (उ. प्र.)।।

URL: http://sites.google.com/site/skpvinyavali/

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: एस. के. पाण्डेय का व्यंग्य : ड्रेस कोड
एस. के. पाण्डेय का व्यंग्य : ड्रेस कोड
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2012/02/blog-post_8897.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2012/02/blog-post_8897.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content