चंद्रेश कुमार छतलानी की दशहरा विशेष कहानी - फिर कट गया राम का इकलौता शीश

SHARE:

चंद्रेश कुमार छतलानी फिर कट गया राम का इकलौता शीश उसका नाम राम चन्द्र था ! पेशे से वो एक ईमानदार क्लर्क था और शहर के एक विद्यालय में कार...

चंद्रेश कुमार छतलानी

फिर कट गया राम का इकलौता शीश

उसका नाम राम चन्द्र था ! पेशे से वो एक ईमानदार क्लर्क था और शहर के एक विद्यालय में कार्य करता था ! तनख्वाह के नाम पर १०-१२ हजार रूपए महीना कमा लेता था !

उसके सहकर्मी जब कभी ईमानदारी का राग अलापते हुए विद्यालय में अपने कार्य का समय व्यतीत करते तो उनको खुद की प्रशंसा का लड्डू खाते हुए देख वो मंद मुस्कान के साथ अपने काम में लगा रहता !

वहां हर व्यक्ति ईमानदार था स्वयं के अनुसार, और पीठ पीछे बाकी सभी को बेईमान साबित करता रहता ! राम चन्द्र जी अपने कार्य पर आते ईश्वर का नाम लेते, और अपने कार्य में लग जाते..... चुपचाप अपना कार्य समाप्त कर शाम को घर चले जाते... खाली समय मिलने पर ज्ञान - ध्यान की कोई पुस्तक पढ़ते रहते....

उनके ईमानदार साथी उनके आने पर इशारों-इशारों में नारा लगाते "बोलो श्री राम चन्द्र की जय" उन सहित उनके विभाग में ११ व्यक्ति कार्यरत थे! यानी की वो एक और बाकी दस !

शाम को राम चन्द्र जी एक कंपनी में अकाउंट्स का कार्य करने जाते थे, उनका कार्य काफी अच्छा होने की वजह से उन्हें पार्ट टाईम में भी काफी अच्छी कमाई हो जाती थी और उनके घर का खर्च आराम से चल जाता था!

उनके ईमानदार साथी उनके पीछे बातें करते कि रामचंद्र जी कहीं ना कहीं रिश्वत खाते हैं जिससे वो इतना अच्छा जीवन व्यतीत कर लेते हैं ! ईर्ष्या कार्यालय में काम करने वाले लगभग हर मनुष्य का स्वभाव है ! रामचंद्र जी से उनके वरिष्ठ कर्मचारी खुश थे, जिसे उनके साथी कर्मचारी उन्हें -- राम जी माखन चोर, माखन लगाए हर ओर --- की संज्ञा देते थे.... लेकिन पीठ पीछे!!

दसों ईमानदार साथी धन के प्रति ईमानदार थे कार्य के प्रति नहीं ! अर्थात धन कमाने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ना बशर्ते उसमें मेहनत ना हो ! रामचंद्र उनकी भाषा नहीं समझते थे और ना ही उन्हें आवश्यकता थी, वो अपने जीवन से संतुष्ट थे !

रामचंद्र जी के पास उस वर्ष विद्यार्थियों के पते संशोधित करने का और उनकी फीस जमा करने का कार्य आया था जिसे वो निपटा रहे थे ! उनके दसों साथी उनकी ओर ललचाई जुबान से देखते रहते क्योंकि ये दोनों ही कार्य ऐसे थे जिनसे धन कमाया जा सकता था ! पते और फोन नंबर बाहर की प्राइवेट शिक्षण संस्थाओं को देकर एवं फीस में गड़बड़ घोटाले कर के काफी धन कमाया जा सकता था ! रामचंद्र जी को ऐसे पेच खोलने नहीं आते थे और ना ही वो इस बारे में सोचते थे !

तब उनके दसों साथियों में से एक के मस्तक में विचार आया कि क्यों ना रामचंद्र जी को अपने साथ मिला लिया जाए ! वो श्रीमान सपत्नीक रामचंद्र जी के घर पर गए, उनके लिए कुछ मिठाई और उनके बच्चों के लिए महंगे चॉकलेट लेकर ! रामचंद्र जी उस समय बाहर अकाउंट्स के काम पर गए हुए थे ! उनकी पत्नी की बनायी हुई चाय एवं मठरी की मुक्त कंठ से प्रशंसा करके उनके साथी एक महिला का विश्वास जीतने में सफल रहे ! बच्चे के तो वो पहले ही चॉकलेट देखते ही उनके प्यारे चाचा हो गए थे !

बातों बातों में उन्हें पता चल गया कि रामचंद्र जी पार्ट टाईम कार्य करके रुपया कमा लेते हैं, तो उन्होंने उनकी पत्नी को विश्वास में लेकर कहा कि भाभी जी ये क्या बात हुई? क्या रामचंद्र जी अपने परिवार को समय नहीं दे पाते हैं, ऐसा भी क्या पैसा कमाने का जुनून है जो परिवार से दूर कर दे? उनकी पत्नी ने भी उनकी हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा कि मेरे पति तो परिवार को पूरा समय देते हैं, अगर नहीं दें तो मेरे बच्चे पढ़े कैसे? ये तो पति की जिम्मेदारी होती है!!

रामचंद्र जी की भोली पत्नी उनकी बातों में आ गयी और फिर जब रामचंद्र जी घर लौटे तो अपनी पत्नी का रौद्र सहित करूण रूप देख कर घबरा से गए!  जब सब बातों का पता चला तो रामचंद्र जी समझ गए कि ये सीता हरण किस रावण और शूर्पणखा ने मिल कर किया है !

इधर उनके साथी जो घर पर आये थे, उन्होंने पता किया तो उन्ही के विभाग के दूसरे साथी, रामचंद्र जी जहां पार्ट टाईम काम करने जाते थे, उस कंपनी के मालिक को पहचानते थे...उन दोनों ने मिल कर एक योजना बनायी और रामचंद्र जी के पार्ट टाईम कंपनी के मालिक को कहा कि रामचंद्र जी हमारे यहाँ काफी घोटाले करते रहते हैं, आप उनसे अकाउंट्स का काम करवाते हो तो थोड़ा सावधान रहें!

मालिक थोड़े समझदार किस्म के थे, उन्होंने इस बात पर गौर नहीं किया क्योंकि उन्होंने रामचंद्र जी की निष्ठा देखी थी, लेकिन अगर कोई बात बोलो तो कहीं ना कहीं दिमाग के न्यूरोन में स्थाई स्मृति में टिक जाती है और कभी ना कभी वहां से बाहर आ कर टकराती है !रामचंद्र जी का उनकी पत्नी के मन के सीता हरण के पश्चात खराब समय आ गया था ! उनके पार्ट टाईम कंपनी में उस महीने का ट्रायल बेलेंस मिलाने में काफी समय लग रहा था तब मालिक के मन में रामचंद्र जी के सह कर्मियों की बातें गूंजी, वो पता करने रामचंद्र जी के पूर्ण कालिक कार्य क्षेत्र (विद्यालय) चले गए, उनके बारे में पता करने !

दस शीश रामचंद्र जी से ईर्ष्या करते थे! उन दसों ने रामचंद्र जी की बेईमानी की उनकी खुद की बनायी हुई गाथा ऐसे सुनाई कि उनके मालिक कि आत्मा पुकारती ही रह गयी और मालिक के मस्तिष्क के न्यूरोन जीत गए! अगले दिन उन्होंने रामचंद्र जी को चलता कर दिया!

रामचंद्र जी परेशान से घर पहुंचे और पत्नी के साथ यह परेशानी बांटी, लेकिन पत्नी जी तो बहुत खुश थी... वो तो रामचंद्र जी के परिवार को समय देने के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर रही थे, उसे लगा ये तो ईश्वर का प्रसाद है ! उस भोली को पता नहीं था कि घर का खर्च चलेगा कैसे?

अगले महीने १५ तारीख तक जो धन रामचंद्र जी ने दिया था वो ख़त्म हो गया और पत्नी जी परेशान.... बच्चों का खान पान बदल गया... उनके रहन सहन का स्तर कम हो गया.... रामचंद्र जी फिर भी ईश्वर का शुक्र कर रहे थे कि इसी बहाने पत्नी को समझ आ जाए किअंश कालीन कार्य की क्या आवश्यकता है !

रामचंद्र जी के सहकर्मी फिर उनके घर आये और बातों बातों में उनकी पत्नी को कहा कि जब ऑफिस से ही कमा सकते हैं तो बाहर जाने की क्या ज़रुरत है? और तरीके बता दिए!! रामचंद्र जी ने इसका पुरजोर प्रतिकार किया लेकिन पत्नी को उनकी बात नहीं वरन उनके सहकर्मी बात समझ में आ गयी !! अब वो बार बार अपने पति को भर रही थी कि --- कमाओ --- कमाओ नहीं तो बच्चे कैसे रहेंगे, कैसे अच्छा पढेंगे, आदि आदि ! रामचंद्र जी ने तो ईमानदारी की कसम खा रखी थी, उन्होंने पत्नी को झिड़क दिया और कह दिया कि बेईमानी के पकवानों से अच्छा है कि ईमानदारी की दाल खाई जाए!

जब राम चन्द्र जी बात नहीं माने तो सहकर्मियों ने दूसरी योजना बनाई और एक सहकर्मी ने उनके बॉस की आवाज़ बना कर उन्हें फोन किया कि रामचंद्र जी कृपा करके सारे विद्यार्थियों के नाम पते और फोन नंबर की फोटो कोपी करें और मैं एक चपरासी को भेज रहा हूँ उन्हें दे दें ! और एक चपरासी को उनके पास भेज दिया, रामचंद्र जी ने अपने बॉस का कहना मान कर चपरासी के हाथ वो कागज़ भेज दिए !

उनके सहकर्मियों के हाथ दस्तावेज लग गए थे, जो कि वो दूसरी शिक्षण संस्थाओं को बेच रहे थे! सहकर्मियों ने उन दस्तावेजों की दूसरी कोपी बनायी और एक कोपी अपने पास रख कर दूसरी कोपी को विद्यालय के प्रिंसिपल के पास गुमनाम नाम से मय पत्र भेज दिया कि रामचंद्र जी ये दस्तावेज बेच रहे हैं और उनके संतोषपूर्ण जीवन का कारण इस तरह के दस्तावेज बाहर बेचना है !

और फिर कट गया रामचन्द्र जी का इकलौता शीश और बच गए वो दसों शीश जिन्हें कटना चाहिए था !

धन्यवाद!!

चंद्रेश कुमार छतलानी

परिचय

जन्म - २९ जनवरी १९७४
जन्म स्थान  - उदयपुर (राजस्थान)

शिक्षा - एम. फिल. (कंप्यूटर विज्ञान), तकरीबन १०० प्रमाणपत्र (ब्रेनबेंच, स्वीडन से)
भाषा ज्ञान - हिंदी, अंग्रेजी, सिंधी

लेखन - पद्य, कविता, ग़ज़ल, गीत, कहानियाँ

पता - ३ प ४६, प्रभात नगर, सेक्टर - ५, हिरण मगरी, उदयपुर (राजस्थान)
ई-मेल - chandresh.chhatlani@gmail.com
यू आर एल - http://chandreshkumar.wetpaint.com

कार्य - १३ वर्षों से कंप्यूटर सोफ्टवेयर एवं वेबसाईट डवलपमेंट का कार्य
अभी एक विश्वविद्यालय (जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ) में सहायक आचार्य (कंप्यूटर विज्ञान)

COMMENTS

BLOGGER: 1
  1. प्रमेश दवे12:32 am

    बहुत खूबी के साथ सत्य का चित्रण किया है | चंद्रेश छतलानी जी बधाई|

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: चंद्रेश कुमार छतलानी की दशहरा विशेष कहानी - फिर कट गया राम का इकलौता शीश
चंद्रेश कुमार छतलानी की दशहरा विशेष कहानी - फिर कट गया राम का इकलौता शीश
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2012/10/blog-post_3257.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2012/10/blog-post_3257.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content