यात्रा संस्मरण : चीन में सात दिन - 6

SHARE:

- दिनेश कुमार माली चीन में सात दिन पिछले अध्याय से जारी... छठवाँ अध्याय : छठवाँ दिन (25.08.14) आज सुबह उठते ही,पता नहीं, क्यों भगवान ...

- दिनेश कुमार माली

चीन में सात दिन

पिछले अध्याय से जारी...

छठवाँ अध्याय : छठवाँ दिन (25.08.14)

आज सुबह उठते ही,पता नहीं, क्यों भगवान बुद्ध की याद आने लगी। भारत के भगवान या चीन के भगवान? या फिर पूरे विश्व के? किस तरह भगवान बुद्ध की शिक्षाएँ भारत की सीमाओं को पारकर चीन में आई होगी। किस तरह उनकी शिक्षाओं का अनुवाद हुआ होगा? प्राकृत भाषा, मागधी, अर्द्ध प्राकृत अथवा पाली, जो भी भाषा प्रचलन में रही होगी, उसका चीनी में अनुवाद होना और वहाँ के जन-मानस तक पहुंचना कम बड़ी उपलब्धि नहीं रही होगी। ये ही सारी बातें सोच रहा था कि एक मित्र ने डॉ. सच्चिदानंद द्वारा अनूदित सु-तुंग-पो की एक कविता 'अंधा आदमी जिसने सूर्य खोजा' के माध्यम से चीनी कविता की प्रणाली, शैली और विधि की तरफ मेरा ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया।

 

''सूर्य कैसा होता है?''

अंधे आदमी ने जुलूस में नगाड़ा बजाते हुए आदमी से पूछा-

''चेंगीला की तरह''

अंधे आदमी ने चेंगीला बजाया

जब रात में मृत्यु की घोषणा करती

कांसे की घंटी बजी, उसने सोचा यह है सूर्य

''सूर्य कैसा होता है?''

अंधे आदमी ने जुलूस में मशाल थामे आदमी से पूछा

''मशाल की तरह''

अंधे आदमी ने मशाल छुई

शाम को जब किसी ने उसके चेहरे पर

गरम पानी उंडेल दिया, उसने सोचा यह है सूर्य

''सूर्य कैसा होता है?''

अगले दिन अंधे ने एक मछुआरे से पूछा

''समुद्र की तरह''

अंधा आदमी समुद्र में उतरा

मूँगे की चट्टानों ने उसके हाथ जलाये

समुद्री घोड़े उसे लेकर उड चले

वह समुद्र में परियों के किले में रहा

अंत में, शैवाल और सीपियों की फैलायी

खामोशी की सतह पर जब वह लेटा

उसने सोचा, अब मैं समझा, सूर्य कैसा होता है

लेकिन मैं नहीं दिखा सकता, उन्हे

जिनकी सिर्फ अपनी आँखें हैं।

जो समझा नहीं गया, वह समझाया जा सकता है

जो जाना है अनुभव से, कैसे बताया जा सकता है

आज भी वह अंधा आदमी, समुद्र सतह पर लेटा है।

जहाजियों के स्वागत के लिए।''

क्या चीन ने बुद्ध की शिक्षाएँ इसी तरह अनुभव की होगी ? रामायण,महाभारत में पढे अनेक मिथकों की तरह मेरे मन में कई चीनी मिथक-जगत की मिथ्याओं की ओर ध्यान जाने लगा। मैंने वहाँ के मिथक गत के बारे में यह पढ़ रखा था की आदि काल में स्वर्ग तथा धरती दोनों तक मनुष्य व देवताओं की एक जैसी पहुँच थी। एक छोटा देवता 'चियु' ने वहाँ के बड़े देवता 'शुग-ती' से मानव की सहायता से ताकत छिननी चाही। जब उसकी यह बगावत असफल हो गई तो मानव के लिए स्वर्ग व धरती के बीच एक रुकावट बना दी गई, लेकिन मानव के लिए ड्रेगन, बंदर तथा सूअर इस रुकावट से पार जा सकते थे। उन्हे जादूगर जानवर गिना गया। इसलिए चीनी मिथकों में हर नायक के साथ कोई ऐसा जानवर जरूर होता है। डॉ॰ देवदत्त पटनायक की पुस्तक "मिथक: हिन्दू आख्यानों को समझने का प्रयास" तथा "पशु" में में जीवन और मृत्यु,प्रकृति और संस्कृति,उत्कृष्टता और संभावना के विरोधाभासों के बीच जवाब हिन्दू प्रतिकों और रीति-रिवाजों की गुत्थियाँ सुलझाने का प्रयास किया है। कामधेनू, स्वर्ण-मृग, जामवंत, मनीकंठ, गिलहरी, मकरध्वज, वासुकी, वैनतेय गरुड आदि की कल्पना जिस तरह हिन्दू मिथोलोजी में की गई हैं,शायद उसी तरह मिथकों का चीनी साहित्य के ऊपर भी गहरा प्रभाव अवश्य रहा होगा। 

 

इस तरह चीनी-दर्शन शास्त्र की मैं भारतीय दर्शन से तुलना करने लगा। चीन की पृष्ठभूमि में ऐसे क्या कारण रहे होंगे,जिसकी वजह से वहाँ के दर्शन के ऊपर कफ्यूशियस, बौद्ध-धर्म तथा माओ-ताओवाद का अधिक प्रभाव पड़ा। माओ की मार्क्सवादी क्रान्ति की सफलता के क्या कारण रहे होंगे? शायद वहाँ पहले से ही मानववाद की जड़ें मजबूत थीं। मानववाद चीन के अवचेतन में था। भारतीय दर्शन में भी पुरुष तथा प्रकृति का संकल्प पैदा हुआ था और तभी से ही मेरे मन में यह प्रश्न उभर रहा था कि 'चीन-यांग' के बीच भी एक द्वंदात्मक रिश्ता है। यह संकल्प अकार्यशीलता तथा कार्यशीलता, क्रिया व अक्रिया के साथ जुड़ा हुआ है। कई लोगों ने इसे प्रकृति व पुरुष के साथ भी जोड़ा है। औरत व मर्द दो धाराओं से भी जोड़ा। 'ताओवाद' भी 'चीन-यांग' फलसफा ही है।

 

बुद्ध ने चीन की संस्कृति को काफी प्रभावित किया। भारत के बुद्ध का चीन में होना इस बात का परिचायक है कि किसी जमाने में भारतीय संस्कृति ने अवश्य चीन को प्रभावित किया होगा अन्यथा शंघाई के म्यूजियम में बुद्ध की प्रतिमा नहीं रखी होती और न ही दीप,अगरबत्ती जलाकर पूजा आराधना की जाती। इंडिया की तरह यहां भी यूआन सिक्के चढ़ाए जाते हैं,साष्टांग दंडवत होकर प्रार्थना की जाती है। भगवान बुद्ध का पूरे चीन में जबरदस्त प्रभाव है। भगवान बुद्ध की शिक्षाएं यहां के जनमानस में आज भी ऊर्जा व प्रेरणा का काम करती हैं। चूंकि भगवान बुद्ध भारत के थे अत: भारतीय संस्कृति व सभ्यता के प्रति भी यहां के नागरिकों में विशिष्ट आदर है। चीनी यात्री ह्वेन सांग ने अपनी भारत यात्रा के बाद लिखित संस्मरणों में अनेक स्थानों पर भारतीय मूल्यों का चीन में प्रभाव होने की बात कही है। जेड बुद्ध मंदिर भी चीन के प्रमुख बौद्ध मंदिरों में से एक है। यहां सफेद जेड (विशिष्ट शैली का बहुमूल्य पत्थर) से बनी बुद्ध प्रतिमाएं हैं। एक प्रतिमा बैठी आकृति में और दूसरी लेटी हुई आकृति में हैं। अरुण कमल की कविता इस मंदिर को देखने के बाद

 

बुद्ध मंदिर में

केवल प्रार्थना है भगवन

कोई तृष्णा

कोई आकांक्षा नहीं

मुझे कुछ चाहिए नहीं प्रभों

इस काष्ठ आसन पर झुककर

अपनी सम्पूर्ण काया एक गांठ की तरह बांधता

तुम्हें अर्पित कर रहा प्रभु –

तुम्हारी जन्मभूमि से आया यह मोहबिद्ध प्राणी

देखता हूँ तुम्हारा भरा हुआ दान-पात्र

इतने सिक्के इतने युआन

मैं क्या डालूँ इस पात्र में प्रभु

रुपया डाल दूँ ?

मेरे पास एक नया नोट है पाँच का

स्वीकार करोगे बुद्ध?रुपया चलेगा चीन में ?

या केवल युआन ?

डॉलर तो हरगिज नहीं बुद्ध को!

 

यहां कुछ चीनी दैविक राजाओं की मूर्तियां भी दर्शनीय है। मंदिर दर्शन के बाद हम नॉनजिंग रोड पर गए,जहां बांस की कॉटन से तरह-तरह की घरेलू वस्तुएँ बनाई जाती है, जैसे टी-शर्ट,, टॉवल, रुमाल, फ्रॉक, स्कार्फ, टूथ-ब्रश, साबुन, कैंडी आदि। शो-रूम में वास्तुकला से संबन्धित कुछ चीजें भी रखी हुई थीं। सभी ने यथाशक्ति कुछ न कुछ खरीददारी अवश्य की।फिर दोपहर का भोजन और शंघाई म्यूजियम की ओर प्रस्थान। प्राचीन चीनी कला का सबसे बड़ा म्यूजियम। तरह-तरह के आर्टिफेक्ट। इस म्यूजियम में ग्यारह गैलेरी और तीन एक्जिबिशन हाल हैं। शंघाई म्यूजियम जहां अपनी और कलाओं के लिए प्रसिद्ध है चीन की कैलिग्राफी या हस्तलेखन की लिपियों का इतिहास भी यहीं संभाला हुआ है। यहाँ सबसे प्राचीन हस्तलिखित लिपि का जो नमूना पड़ा है, यह तीन हजार वर्ष पुराना है तथा यह लिपि जानवरों की हड्डियों तथा कछुकुम्मे की पीठ की हड्डी के ऊपर लिखी हुई है। एक अन्य हस्तलिखित लिपि ग्यारहवीं से सोलहवीं पूर्व ई. की है, जो कांसे के ऊपर है। इस प्रकार हस्तलिखित कई और नमूने वहाँ मौजूद हैं। कई ऐसी मोहरें हैं जो 221 पू. ई. की हैं, जब यहाँ 'शिन' शहंशाह थे जिन्होंने मोहरे की लिपि को बहुत सादा बनाया यह मोहरे बहुत सीधी-सादी व मजबूत हैं। इस प्रकार ऐसी हस्तलिखित लिपियों के नमूने भी पड़े हैं, जब इस लिपि को बड़ी तेजी के साथ लिखा जाने लगा। यह वह पड़ाव था जब पंक्ति की तरतीब का भी ख्याल रखा जाने लगा था। सातवीं से नौवीं शताब्दी तक इस लिपि में बहुत सुधार आए तथा इस समय में कई प्रसिद्ध लिपिकार भी सामने आए, जिनके नाम पर लिपि की व्यक्तिगत शैलियां प्रसिद्ध हुई। इस तरह इस अजायबघर में चीनी लिपि के अब तक के विकास को देखा जा सकता है। यह केवल लिपि के नमूने ही नहीं हैं, बल्कि इसमें कई प्राचीन कविताएँ तथा साहित्य के और नमूने भी लिखे गए हैं। कई लिखतें जो चीन के कई मंदिरों में लिखी गई हैं, उनकी नकल भी यहाँ संभाली हुई है।

 

चीन के पिछले समय में कांसे पर कला के बहुत नमूने बनाए जाते थे। वह जिम्मेदार नमूने इस अजायबघर में सुरक्षित हैं। चीन का लकड़ी का फर्नीचर पहले समय में दूर-दूर तक जाता था, क्योंकि इस फर्नीचर के ऊपर बहुत बारीक नक्काशी, खुदाई की कला की जाती थी जैसे हमारी कश्मीरी  कला में कढ़ाई व लकड़ी के ऊपर नक्काशी का काम होता है। चीन में इस फर्नीचर को 'मिंग' तथा 'चिंग' फर्नीचर कहा जाता है। यह फर्नीचर अनगिनत रूपों में इस अजायबघर में सुरक्षित हैं।

चीन की क्लासिकी कला में कपड़ों के नमूने तथा उन पर की गई कढ़ाई बहुत दूर-दूर तक प्रसिद्ध रही है, तथा प्राचीन समय में एशिया में इन कपड़ों का खूब व्यापार होता था। इस म्यूजियम  में वे सारे नमूने तो पड़े ही हैं, जिनके ऊपर भांति-भांति के ड्रेगन बड़ी बारीक कढ़ाई को विशेष कर राजशाही परिवार पसंद करते थे। इसी प्रकार पुराने चीनी बर्तन, आभूषण, मूर्तिकला को यहाँ विशेष तौर पर देखा जा सकता है। बुद्ध के पुराने बूत या अन्य बौद्ध मुद्राएँ तथा उन मुद्राओं में अंकित बौद्ध, जेड पत्थर से बनी अनेक प्रतिमाएँ तथा आभूषण, पुराने चीन की चित्रकला में अधिकतर फूलों तथा प्रकृति का चित्रण, चीन के अन्य राज्यों के राजाओं की शाही वस्तुएं, फर्नीचर लकड़ी पर किए खुदाई का काम आदि बहुत कुछ विस्तृत रूप से प्रदर्शित व यहाँ सुरक्षित पड़ा है, परंतु यह सब बातों की जानकारी के लिए यहाँ हमें किसी दुभाषिया की जरूरत न पड़ी।

 

म्यूजियम देखने के बाद हम चल पड़े हुयांगपू नदी में सैर करने के लिए। नदी के दोनों तरफ अभ्रांकष इमारतें और उन इमारतों पर रंग-बिरंगी झिलमिलाती रोशनियाँ। चीन यात्रा में ऑरियंट पर्ल टीवी टॉवर भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। इसे ‘फोटोग्राफिक ज्वेल’ भी कहा जाता है। पुडोंग पार्क में बना यह टॉवर यांगपू पुल से घिरा है। दूर से देखने पर ऐसा लगता है जैसे दो ड्रेगन मोतियों से अठखेलियां कर रहे हों। 468 मीटर ऊंचा यह टॉवर विश्व का तीसरा सबसे ऊंचा टॉवर है। रात की रोशनी में इसकी आभा देखते ही बनती है। बहुत बड़े जहाज में हमारे साथ-साथ जगह-जगह के लोगों का जुटना। ऊपर में सतरवें एशियन खेलकूदों को प्रमोट करने के लिए दक्षिण कोरिया के छात्रों का एक दल जहाज के ऊपरी माले पर संगीत की धुन पर थिरक रहा था और उनके नृत्य में वे शामिल कर रहे थे हाथ पकड़-पकड़कर डॉ जय प्रकाश मानस जी को,डॉ सुधीर शर्मा जी को, मुमताज़ और गिरीश पंकज को बारी-बारी। हमारे ग्रुप की बच्ची स्मार्की पटनायक उन बच्चों के डांस का एक हिस्सा बन गई। जीवन में नृत्य है, जीवन में संगीत है। यद्यपि बरसात हो रही थी ,मगर इतनी चमकदार रोशनी चारों तरफ मानो चाँदनी रात हो। मुझे ओडिया भाषा के महान कवि मायाधर मानसिंह की प्रसिद्ध कविता 'महानदी में ज्योत्स्ना विहार' याद आनी लगी। हुयांगपू मेरे लिए महानदी बन गई और वह तटिनी "बाली-यात्रा" का प्रतीक।

 

पत्थर के घर में, अंधेरे में, रहने वाला मैं, जननी !
पता नहीं था, तुम्हारे अद्भुत रूप की लीला ,हे धरणी !
चांदनी रात में महानदी में चलाने से पहले  तरणी
आहा ! कितनी विपुल शोभा मेरी आँखों के सामने
कैसे करुँ मैं वर्णन मेरे आकर्षक अनुभव का  ?
चौंधिया गई मेरी आँखें इस धवल-चाँदनी में
बंद हो गया मेरा पराभव मुँह इस चपल-चाँदनी में
रजनी- वधू  सफेद चादर की तरह
फैला रही चाँदनी  दिगचक्र तक
नीचे धरती-तल की प्राकृतिक मधुरता
तुम्हारे संस्पर्श से और मधुर ।
आकाश के समान महानदी का जल
चंद्रिका चुंबन से धवल -चपल
तरल दर्पण जैसे बिछा दिया हो किसी ने
देखेंगे उसमे अपने बदन, नभ की सुहागिनें ।
दूरवाही नाविक का सुगम संगीत
छूता नदी का वक्ष अक्षत
चांदनी में नदी के पानी का किनारों से टकराना
मानो लाखों चांदी के फूलों का एक साथ खिल जाना
इस भव्य चित्रगृह में मैं एक दीन-हीन अतिथि
देख रहा हूँ मुग्ध होकर महिमा मंडित
सोचता हूँ , हो जाऊं विलीन इस चांदनी में
और पान करूँ अमृतरस का इस स्रोत में ।

 

(क्रमशः अगले अंक में जारी...)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: यात्रा संस्मरण : चीन में सात दिन - 6
यात्रा संस्मरण : चीन में सात दिन - 6
http://lh4.ggpht.com/-ldFKFuXBrv0/VBky4jggD5I/AAAAAAAAaic/2O3vEPL6exE/image_thumb.png?imgmax=800
http://lh4.ggpht.com/-ldFKFuXBrv0/VBky4jggD5I/AAAAAAAAaic/2O3vEPL6exE/s72-c/image_thumb.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/08/6.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/08/6.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content