सात समुन्दर पार महिला रचनाकार / आलेख / स्वाति तिवारी

SHARE:

· स्वाति तिवारी कहा जाता है कि साहित्य को खाँचों में बाँटकर नहीं देखा जाना चाहिए पर सच यह है कि साहित्य को पूरे होशोहवास में खाँचों में ...

· स्वाति तिवारी

कहा जाता है कि साहित्य को खाँचों में बाँटकर नहीं देखा जाना चाहिए पर सच यह है कि साहित्य को पूरे होशोहवास में खाँचों में रख कर ही देखा जाता है अगर ऐसा नहीं होता तो प्रवासी साहित्य शब्द हमारे पास नहीं होता किसी नए नारे नए जुमले की तरह आजकल प्रवासी कहानी, प्रवासी साहित्य, प्रवासी लेखक जैसे शब्द ही नहीं अब सेमिनार, संवाद, पत्रिकाएँ, सम्मेलन वगैरह-वगैरह हो रहे है। एक तरह से यह शब्द एक फैशन या प्रचार तंत्र का हिस्सा बन गया है। वरिष्ठ आलोचक डॉ. नामवर सिंह का कहना है कि रचनाएँ प्रवासी नहीं होती उन्होंने कहा कि वरिष्ठ लेखक निर्मल वर्मा उषा प्रियंवदा जैसे साहित्यकारों ने अपनी कई श्रेष्ठतम रचनाएँ अपने प्रवास के दौरान ही लिखी। उन्होंने कहा कि निर्मल वर्मा या उषा प्रियंवदा को साहित्य जगत में हिन्दी साहित्यकार के रूप में जाना जाता है ना कि प्रवासी साहित्यकार ऐसी स्थिति में यह कह पाना कठिन है कि 'प्रवासी' शब्द प्रवासी लेखकों की देन है या साहित्य के मठाधिशों की। साहित्य में ऐसे आरक्षण या खाँचे साहित्य को टुकड़ों में बाँट देते है पर चलन में है दलित साहित्य, महिला लेखन स्त्री विर्मश, प्रगतिशील लेखन, जनवादी लेखन इत्यादि। बावजूद इसके संतोषजनक यह है कि लिखा जा रहा है और पूरी शिद्दत के साथ रचा जा रहा है।

दुनिया के कई देशों में अनेक ऐसे भारतीय ऐसे है जो हिन्दी के विकास के लिए, हिन्दी साहित्य को देश-दुनिया में पहुँचा रहे है जिनमें दूतावासों के हिन्दी अधिकारी और विश्वविद्यालयों के प्राध्यापक तो है ही कई सामान्य जन भी है जो भारत से अन्य देशों में गए है। विदेशों में रहते हुए हिन्दी में लेखन कर रहे है साहित्यकार का महत्व इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि वे हिन्दी का अन्तराष्ट्रीय विकास होता है और हिन्दी को विश्वस्तर पर विस्तार दे रहे है। इस प्रकार प्रवासी साहित्य भारतीय संस्कारों को परम्पराओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित कर रहे है।

स्त्री समाज में परम्पराओं और संस्कारों की वाहक होती है इस दृष्टि से यदि हम प्रवासी महिला कथाकारों की कहानियों की बात करे तो प्रवासी महिला कथाकारों के ऐसे कई महत्वपूर्ण नाम है जिनकी कहानियों में भारतीय झलक दिखाई देती है। प्रवासी होने के बावजूद उनके मन में भारत अभी भी रचा बसा है। प्रवासी साहित्य में भी वे पूरी ईमानदारी से शिद्दत के साथ भारतीय जनमानस की सामाजिक, पारिवारिक पारम्परिक स्थितियों का चित्रण करते हुए समाज की दशा और दिशा को विश्लेषित कर रहे है। कहा जा सकता है कि इन कहानियों के माध्यम से विकसित देश और विकासशील देशों के परिवेश का तुलनात्मक अध्ययन किया जा सकता। प्रवासी रचनाकारों ने अपने साहित्य के द्वारा हिन्दी और भारतीय समाज को सात समुन्दर पार तक पहुँचाया है।

देश से इतर विदेशों में हिन्दी साहित्य के विकास में लगे इन रचनाकारों में उल्लेखनीय नाम है ब्रिटेन की कथाकार उषा प्रियंवदा, उषा वर्मा दिव्या माथुर, जकिया जुबेरी, अचला शर्मा, तोशी अमृता, कादम्बरी मेहरा, कीर्ति चौधरी जैसे नाम हैं। अमेरिका की प्रवासी रचनाकारों में उल्लेखनीय नाम सुषम बेदी, उषादेवी कोलेटकर, रेणु राजवंशी, विशाका ठाकुर, मधु माहेश्वरी, सुधा ओम ढीगंरा जैसी स्थापित रचनाकारों का जिक्र किया जा सकता है।

इसी श्रृंखला में कनाड़ा के प्रवासी रचनाकारों में शैलजा सक्सेना हिन्दी चेतना की सम्पादक सुधा ओम ढींगरा, कुसुम ठाकुर, अनीता इत्यादि अनुभूति और अभिव्यक्ति जैसी महत्वपूर्ण ई-पत्रिका की सम्पादक पूर्णिमा वर्मन भी एक अति महत्वपूर्ण नाम है।

ब्रिटेन की प्रवासी हिन्दी कथाकार जकिया जुबेरी ब्रिटेन की लेबर पार्टी की सक्रिय सदस्या है एवं वे कई बार चुनाव जीत कर काउंसलर निर्वाचित हो चुकी है। जकिया जुबैरी का अनुभव संसार कई देखों में फैला है वे लखनऊ में जन्मी, आजम में पढ़ी पाकिस्तान में ब्हायी और ब्रिटेन में बसी है। उनके लेखन में यह अनुभव स्पष्ट दिखाई देता है। जकिया जी का पहला कहानी संग्रह 'सांकल' राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है। जकिया जुबैरी की एक महत्वपूर्ण कहानी 'मारिया' का उल्लेख करना चाहूँगी। इस कहानी में एक पीड़ादायक सच्चाई हमारे सामने आती है कि वे अपनी जड़ों से जुड़े भारतीय है पर जहाँ रह रहे है वहाँ के जीवन मूल्यों में कहीं कहीं एकदम भिन्न है ऐसे में किसके साथ चलें यह द्वन्द हमेशा उनके सामने एक चुनौती की तरह खड़ा हो जाता है यह द्वन्द उसे दोनों परिवेश से अलग खड़ा कर देता है। ठीक उसी तरह जैसे किस गाड़ी में चढ़ा जाए यह दुविधा अगर आ जाए तो गाड़ी छूट जाती है।

इसी तरह जकीया जी की कहानी मन की सांकल, मेरे हिस्से की धूप स्त्री मन की कई बंद सांकलों को खोलती है और ले जाती है। उस और जो उसके हिस्से की धूप यानी ऊर्जा से भर देती है।

ब्रिटेन की ही प्रवासी कहानीकार दिव्या माथुर की कहानियाँ समय, पात्र और परिस्थितियों से ऊपर उठती है वे एक वैचारिक प्रखरता के साथ आगे बढ़ती है। उनकी विशेषता यह है कि उनकी कहानियों में भाषा समाज व संस्कृति महत्वपूर्ण रूप से उपस्थित होती है।

दिव्या माथुर की कहानी ठनुआ किलब में देशी भाषा का आनंद है तो कहानी बचाव स्त्री के शोषण की शाश्वत तथा वैश्वीक कथा कहती हैं। दिव्या की कहनियाँ प्रवासी हिन्दी साहित्य की प्रतिनिधि कथाकार है। वे भारतीय मूल की ब्रिटेन में बसी लेखिका है। कविता और कहानी पर समान पकड़ रखने वाली दिव्या 'वातायन' संस्था की अध्यक्ष यू.के. हिन्दी समिति की उपाध्यक्ष एवं नेहरू केन्द्र की कार्यक्रम अधिकारी है। वर्ष 2001 के पदमानन्द साहित्य सम्मान एवं मैथिलीशरण गुप्त प्रवासी लेखन सम्मान से सम्मानित दिव्या की कहानी 'वैलेन्टाइन्स डे' और नीली डायरी जैसी कहानी एक महत्वपूर्ण तथ्य को रेखांकित करती हुई इस मिथक को तोड़ती है कि लैंगिक स्वतंत्रता यौनिक अपराधों को रोकती है। पुरू और प्राची हमारी बाजार व्यवस्था पर चौट करती है। 'फिक्र' कहानी हमारे यहाँ भी अलग-अलग कोको से लिखी गई कहानियों की एक सोतेली माँ के प्रति बेटी के दुर्व्यव्हार एवं घृणा को प्रकट करती है। उनकी उल्लेखनीय कहानियों में अंतिम तीन दिन, उत्तरजीविता, फिर कभी सही को रखा जा सकता है। दिव्या की कहानियों में प्रवासी जीवन की पीड़ाएँ, त्रासदियाँ स्पष्ट उभर कर आती है।

इसी तरह सुधा ओम ढींगरा भी प्रवासी साहित्यकारों में एक चर्चित नाम हैं। सुधाजी की कहानियाँ दो देशों की संस्कृतियों को एक साथ रखकर तुलनात्मक रूप से रेखांकित करती है। उनका प्रयास होता है मानवीय सम्वेदना और मानवीय जीवन मूल्यों के साम्य की तलाश।

सुधाजी की कहानी "आग में गर्मी कम क्यों है" कहानी कई पक्षों को एक साथ समेटती भी है और उजागर भी करती है। कहानी समलैंगिकता जैसे संवेदनशील विषय का एक नया और अनदेखा पक्ष उजागर करती है। लेखिका ने बड़ी कुशलता से विषय के पक्ष और विपक्ष को संतुलन के साथ पाठकों के समक्ष रखा है। कहानी एक भारतीय मध्यमवर्ग की स्त्री साक्षी के इर्दगिर्द बुनी गई है जो अपनी जड़ों को छोड़कर अमेरिका आ गई है। लम्बे समय तक अमेरिका में रहने के बावजूद उसके व्यक्तित्व में समयी स्त्री मन और आत्मा से शुद्ध भारतीय संस्कारोंवाली वह आम स्त्री की तरह चाहती है कि उसका पति शाम को दफ्तर से सीधा घर आए, परिवार के साथ रहे, पर एक दिन उसे पता चलता है कि उसका पति उसके प्रति इतना नीरस क्यों है। दरअसल उसे पता लगता है कि शेखर उसका पति समलैगिंक है। वह उसे स्वयं से मुक्त कर देती है। "आग में गर्मी कम क्यों है?" कहानी के केन्द्र में साक्षी है। एक दिन शेखर आत्महत्या कर लेता है - साक्षी के उस द्वन्द को शिद्दत से कहानी में उकेरा गया है जो दिखाई नहीं देता पर महसूस होता है कि उसके लिए क्या रोए जो बहुत पहले ही मर गया था।

इसी तरह सुधाजी की कहानी "बेघर सच" जिसमें कथा नायिका रंजना और उसकी माँ सुनयना के वृतांत किसी निर्ष्कष पर ना पहुंचकर विमर्श पर पहुंचते हैं। कहानी स्त्री के सदियों से चले आ रहे सनातन प्रश्न - "मेरा घर कौन-सा है?" को और अधिक व्यापकता के साथ मुखरित करती है। कहानी की नायिका अपने पैतृक घर के लिए जब परिवार के मुखिया से पूछती है कि क्या यह घर मेरा नहीं है? तो बेटी की संवेदनाओं की तमाम सम्भावनाओं को नकारते हुए उसे जवाब मिलता है नहीं तेरे भाइयों का है। कहानी में "घर" को व्यापक अर्थ मिलते हैं।

पति भी शक-संदेह के चलते एक दिन उससे यही कहता है कि यह घर मेरा है। यह कहानी सुधा ओम ढींगरा को एक सशक्त कथाकार के रूप में स्थापित करती है। सुधा जीकी कहानी 'टोर्नेडो' भारतीय मूल्यों को पुर्नस्थापित करती है तो सूरज कब निकलता है प्रेमचन्द परम्परा की कहानी है। कहानी बिखरते रिश्ते, उसका आकाश धुंधला है, लड़की थी वह, संदली दरवाजा सामाजिक सरोकारों की कहानियाँ है। इन कहानियों को पढ़कर सुधाजी को प्रवासी कथाकार की जगह सशक्त कथाकार कहा जाना चाहिए सुधा के पास व्यन्जनाओं से समृद्ध सहज प्रवाहित भाषा है, शैली है और कथानक भी। सुधा का साहित्य करूण या भावुक नहीं बल्कि सम्वेदनात्मक रूप से जागरूक है।

वर्तमान समय में प्रवासी महिला कथाकारों में चर्चित एक नाम ऊषा वर्मा का है। उषा वर्मा की कहानियाँ पाठकों को बांधती भी है।

यूनाईटेड किंगडम में बसी भारतीय मूल की सर्वाधिक चर्चित कहानीकार ऊषा राजे सक्सेना हिन्दी पाठकों में खासा लोकप्रिय नाम है हिन्दी के रचनाकारों एवं आलोचकों ने भी उषा जी की रचनाओं को सराहा है। ऊषा राजे ने आम जीवन से अपने पात्र उठाती है। उत्तरप्रदेश के गोरखपुर विश्वविद्यालय में पढ़ी ऊषा राजे इग्लैण्ड में प्रवासी भारतीय के रूप में साहित्य रच रही है। सभ्यता, संस्कृति एवं भाषा के प्रति अपने गहन लगाव के साथ उनके रचनासंसार को प्रवासी जीवन के विविध अनुभवों ने भी व्यापक रूप से प्रभावित किया है। उनकी प्रमुख कृतियाँ वह कौन थी, मेरे-अपने, तान्या दीवाना, मुठ्ठीभर उजियारा, मेरा अपराध क्या था, वह रात, इंटरनेट डेटिंग, शर्ली सिंपसन शुर्तुमुर्ग है, इत्यादी है।

उषाराजे की कहानियाँ घटनाओं के माध्यम से अत्यन्त गहरे प्रवासी यथार्थ-बोध को पाठको के सामने बड़ी सूक्ष्म मनौवैज्ञानिकता के साथ प्रस्तुत करती है।

एक और महत्वपूर्ण रचनाकार है डॉ.सुदर्शन प्रियदर्शिनी वे 16 वर्षों तक हिमाचल प्रदेश में अध्यापन से जुड़ी रही उसके बाद अमेरिका में रेडियो व टेलीविजन कार्यक्रमों का निर्माण कर रही है। सुदर्शनजी की प्रमुख कहानियाँ है काँच के टुकडे़, धूप, सेंध उत्तरायण, संदर्भहीन इत्यादि। हिन्दी परिषद कनाडा का महादेवी पुरस्कार, ओहियो यूएसए का गर्वनस मीडिया पुरस्कार प्राप्त सुदर्शनजी के उपन्यास भी साहित्य को समृद्ध करते है । उनका उपन्यास "रेत के घर न भेज्यो बिदेस" चर्चित रहे है। सुदर्शनजी प्रवासी साहित्यकारों में एक विशिष्ट स्थान रखती है उनके साहित्य को उनकी विशिष्ठ शैली संवेदनाओं की गहराई, दार्शनिकता और प्रस्तुति का तीखापन उल्लेखनीय बनाता है। अचला शर्मा लंदन में रहने वाली भारतीय मूल की हिन्दी लेखिका है। जालंधर में जन्मी अचला लंदन प्रवास से पहले ही भारत में एक सशक्त कथाकार के रूप में अपनी पहचान बना चुकी थी। रेडियो से भी वे पहले भारत में ही जुड़ी थी बाद में वे लंदन में बी.बी.सी.रेडियो की हिन्दी सेवा से जुड़ी। वे जितनी अच्छी कथाकार है उतनी ही सशक्त नाटककार भी है। वे सतत रेडियो नाटक लिखती रही है। अचला शर्मा की कहानी 'चौथी ऋतु' में परदेसी धरती पर मानवीय उष्मा की तलाश इस कहानी को अत्यन्त महत्वपूर्ण बना देती है। अचसला की कहानी पाश्चात्य संस्कृति की उस विडम्बना को उकेरती है जो हमारे यहाँ वसुदेव कुटूम्बकम के कारण आसान मानी गयी है। पश्चिमी समाज में अलग-थलग पडे़ बुजुर्गों के अकेलेपन की कहानी है। कहानी अकेलेपन की वैश्विक समस्या को रेखांकित करती है जिसमें चार बूढ़े अपनी-अपनी व्यथा को भुलाने की कौशिश करते है। उनके नाम किसी भी देश के नामों से बदले जा सकते है पर कहानी का मर्म हर बार एक जैसा ही लगता है। यह कहानी सरहदों सीमाओं से परे मनुश्य की कहानी है अकेलेपन की कहानी जिन्हें समाज नियति और परिजनों ने पीड़ा भरा अकेलापन दिया है। अचला शर्मा इस कहानी के माध्यम से बुजुर्गों के भय, आशंका, सन्नाटे और खाली उदास मनों को टटोलती है। यह कहानी इस बात को भी बताती है कि नई अर्थव्यवस्था ने समाज और रिश्तों को सि कदर बदल कर रख दिया है।

अचल की बेहतरीन कहानी है ''मेहरचंद की दुआ''। परदेश में अल्प संख्यक मानसिकता और उसके चलते आपसी जुड़ाव इस कहानी के केन्द्र थे। यह अवैध बीजा पर लंदन आए मेहर आलम की परेशानियों को बताती है कि पहला काम कसाई का मिलता है और कैंची चलाने वाले हाथ बोटी काटने वाले चाकू थाम लेते है फिरंगी गोरों के देश में एक भारतीय एक पाकिस्तानी प्रवासी कैसे भाई जैसे बन जाते है।

अचला की कहानियों में भाषा की खानगी संवेदना की चासनी में डूब कर आती है।एक और महत्वपूर्ण कहानी उल्लेख करने योग्य है दिल में एक कस्बा रहता है।

बनारस में जन्मी शैल अग्रवाल ब्रिटेन में रहती है उनकी कहानियाँ मानवीय संवेदना की सूक्ष्म अभिव्यजंना प्रस्तुत करती है। ध्रुवन्वारा उनका चर्चित कहानी संग्रह है। उनकी महत्वपूर्ण कहानियाँ हैं वापसी, कनुप्रिया, बसेरा, एक बार फिर, दिये की लौ, यादों के गुलमोहर, सूखे पत्ते और विसर्जन।

विसर्जन कहानी को पढ़ना एक अलग ही आनंद देता है यह प्लेटोनिक प्रेम की कहानी है।

एक और चर्चित प्रवासी कथाकार है सुषम बेदी। पंजाब के फिरोजपुर शहर में जन्मी। सुषम बेदी न्यूयार्क स्थित कोलंबिया विश्वविद्यालय में हिन्दी पढ़ाती हैं। अब तक आठ उपन्यास और कई महत्वपूर्ण कहानियाँ उनके खाते में जमा हैं। सुषमजी मानती हैं कि उनके लिए साहित्य की सबसे निकटतम विद्या कहानी है। उनका कहना है कि कहानी कहने और सुनने में एक आदिम तृप्ति है। सुषमजी का बहुचर्चित उपन्यास "मैंने नाता तोड़ा" यह उपन्यास उन नाते रिश्तों के विडम्बनापूर्ण सच को उजागर करता है, जो चाचा-मामा होकर भी घर में ही स्त्री देह का शोषण करते हैं। प्रतिष्ठित पत्रिका हंस में प्रकाशित उनकी कहानी "सड़क की लय" एक ऐसी कहानी है जो बड़ी होती लड़की के मानसिक तनावों की परख करती है। सुषमजी की कहानियाँ अपने समय की सभी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं जैसे हंस, धर्मयुग, सारिका, नया ज्ञानोदय में प्रकाशित होती रही हैं। प्रवासी होने के बावजूद हिन्दी की रचनाकार कहलाना पसंद करती हैं उन्हें साहित्य में उनके योगदान के लिए भारतीय साहित्य अकादमी, उत्तर प्रदेश हिन्दी अकादमी ने सम्मानित किया है। अवसान, काला लिबास, गुनहगार, संगीन पार्टी, डेनमार्क से जैसी रचनाएं उनके साथ हैं।

प्रवासी लेखन में अभी हमारे पास कई महत्वपूर्ण नाम और हैं जो सतत सक्रिय हैं। जैसे कादम्बरी मेहरा का नाम उन प्रवासी साहित्यकारों के साथ लिया जाता जिन्होंने अपनी कहानियों के माध्यम से आलोचकों और पाठकों का ध्यान खिंचा। उनकी चर्चित कहानियों में धर्मपरायण, हिजड़ा, जीटा जीत गया का उल्लेख किया जाता है।

अर्चना पेन्यूली, प्रतिभा डाबर, तोषी अमृत इन प्रवासी महिला कथाकारों की रचनाओं से गुजर-कर देखें तो स्पष्ट होता है कि विदेशों में रहकर सृजनरत ये रचनाकार पूरी तरह भारत की धरती से संस्कृति से और समस्याओं के चिन्तन से उसी तरह जुड़ी हैं जैसे अन्य रचनाकार। इनकी कहानियों में हमें यह जानना अच्छा लगता है कि देश दूरी के बावजूद वे अपने देख को वहाँ कैसे रच रहे हैं।

-----------

· स्वाति तिवारी

ईएन-1/9 चार इमली, भोपाल

मोबा. - 9424011334

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: सात समुन्दर पार महिला रचनाकार / आलेख / स्वाति तिवारी
सात समुन्दर पार महिला रचनाकार / आलेख / स्वाति तिवारी
http://lh5.ggpht.com/-bUMG5ojYz1A/U6XANLtXv_I/AAAAAAAAYyw/GDNY4rUnaGs/clip_image002%25255B6%25255D_thumb.jpg?imgmax=800
http://lh5.ggpht.com/-bUMG5ojYz1A/U6XANLtXv_I/AAAAAAAAYyw/GDNY4rUnaGs/s72-c/clip_image002%25255B6%25255D_thumb.jpg?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/01/blog-post_18.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/01/blog-post_18.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content