वेलेंटाइन डे विशेष : आज का वैलेंटाइन  काम का वैलेंटाइन / शैलेश त्रिपाठी

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आज का वैलेंटाइन             काम का वैलेंटाइन लुटा सकता हूँ अपनी जान भी सच्ची मोहब्बत पर मगर दिलफेक माशूका पे यूँ मरना नही आता। 14 ...


आज का वैलेंटाइन

            काम का वैलेंटाइन

लुटा सकता हूँ अपनी जान भी सच्ची मोहब्बत पर

मगर दिलफेक माशूका पे यूँ मरना नही आता।

14 फ़रवरी को अनेकों लोगों द्वारा दुनिया भर में मनाया जाता है। अंग्रेजी बोलने वाले देशों में, ये एक पारंपरिक दिवस है जिसमें प्रेमी एक दूसरे के प्रति अपने प्रेम का इजहार वेलेंटाइन कार्ड भेजकर, फूल देकर, या मिठाई आदि देकर करते हैं। ये छुट्टी शुरुआत के कई क्रिश्चियन शहीदों में से दो, जिनके नाम वेलेंटाइन थे, के नाम पर रखी गयी हैउच्च मध्य युग में, जब सभ्य प्रेम की परंपरा पनप रही थी, जेफ्री चौसर के आस पास इस दिवस का सम्बन्ध रूमानी प्रेम के साथ हो गया।

प्यार का दिन, प्यार के इजहार का दिन। अपने जज्बातों को शब्दों में बयां करने के लिए इस दिन का हर धड़कते हुए दिल को बेसब्री से इंतजार होता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं, प्यार के परवानों के दिन की, वेलेंटाइन-डे की...। प्यार भरा यह दिन खुशियों का प्रतीक माना जाता है और हर प्यार करने वाले शख्स के लिए अलग ही अहमियत रखता है। 
14 फरवरी को मनाया जाने वाला यह दिन विभिन्न देशों में अलग-अलग तरह से और अलग-अलग विश्वास के साथ मनाया जाता है। पश्चिमी देशों में तो इस दिन की रौनक अपने शबाब पर ही होती है, मगर पूर्वी देशों में भी इस दिन को मनाने का अपना-अपना अंदाज होता है।  जहां चीन में यह दिन 'नाइट्स ऑफ सेवेन्स' प्यार में डूबे दिलों के लिए खास होता है, वहीं जापान व कोरिया में इस पर्व को 'वाइट डे' का नाम से जाना जाता है। इतना ही नहीं, इन देशों में इस दिन से पूरे एक महीने तक लोग अपने प्यार का इजहार करते हैं और एक-दूसरे को तोहफे व फूल देकर अपनी भावनाओं का इजहार करते हैं।

इस पर्व पर पश्चिमी देशों में पारंपरिक रूप से इस पर्व को मनाने के लिए 'वेलेंटाइन-डे' नाम से प्रेम-पत्रों का आदान प्रदान तो किया जाता है ही, साथ में दिल, क्यूपिड, फूलों आदि प्रेम के चिन्हों को उपहार स्वरूप देकर अपनी भावनाओं को भी इजहार किया जाता है। 19वीं सदीं में अमेरिका ने इस दिन पर अधिकारिक तौर पर अवकाश घोषित कर दिया था।

यू.एस ग्रीटिंग कार्ड के अनुमान के अनुसार पूरे विश्व में प्रति वर्ष करीब एक बिलियन वेलेंटाइन्स एक-दूसरे को कार्ड भेजते हैं, जो क्रिसमस के बाद दूसरे स्थान सबसे अधिक कार्ड के विक्रय वाला पर्व माना जाता है।

ऐसा माना जाता है कि वेलेंटाइन-डे मूल रूप से संत वेलेंटाइन के नाम पर रखा गया है। परंतु सैंट वेलेंटाइन के विषय में ऐतिहासिक तौर पर विभिन्न मत हैं और कुछ भी सटीक जानकारी नहीं है। 1969 में कैथोलिक चर्च ने कुल ग्यारह सेंट वेलेंटाइन के होने की पुष्टि की और 14 फरवरी को उनके सम्मान में पर्व मनाने की घोषणा की। इनमें सबसे महत्वपूर्ण वेलेंटाइन रोम के सेंट वेलेंटाइन माने जाते हैं।

1260 में संकलित की गई 'ऑरिया ऑफ जैकोबस डी वॉराजिन' नामक पुस्तक में सेंट वेलेंटाइन का वर्णन मिलता है। इसके अनुसार रोम में तीसरी शताब्दी में सम्राट क्लॉडियस का शासन था। उसके अनुसार विवाह करने से पुरुषों की शक्ति और बुद्धि कम होती है। उसने आज्ञा जारी की कि उसका कोई सैनिक या अधिकारी विवाह नहीं करेगा। संत वेलेंटाइन ने इस क्रूर आदेश का विरोध किया। 
उन्हीं के आह्वान पर अनेक सैनिकों और अधिकारियों ने विवाह किए। आखिर क्लॉडियस ने 14 फरवरी सन् 269 को संत वेलेंटाइन को फांसी पर चढ़वा दिया। तब से उनकी स्मृति में प्रेम दिवस मनाया जाता है। 
कहा जाता है कि सेंट वेलेंटाइन ने अपनी मृत्यु के समय जेलर की नेत्रहीन बेटी जैकोबस को नेत्रदान किया व जेकोबस को एक पत्र लिखा, जिसमें अंत में उन्होंने लिखा था 'तुम्हारा वेलेंटाइन'। यह दिन था 14 फरवरी, जिसे बाद में इस संत के नाम से मनाया जाने लगा और वेलेंटाइन-डे के बहाने पूरे विश्व में निःस्वार्थ प्रेम का संदेश फैलाया जाता है।

रोमानिया में प्रेमियों के लिए पारंपरिक छुट्टी ड्रागोबीट है, जो 24 फ़रवरी को मनाई जाती है। इसका नाम रोमानियाई लोकगीत से एक चरित्र के ऊपर रखा गया है, जिसे की बाबा द्रोचिया का बेटा माना जाता है। उसके नाम का एक भाग है ड्राग ' ("प्रिय"), जिसको एक अन्य शब्द ड्रागोस्ते ' ("प्रेम") में भी पाया जा सकता है। हाल के वर्षों में, रोमानिया में भी वेलेंटाइन दिवस मनाना शुरू कर दिया गया है, हालाँकि यहाँ पहले से ही एक ड्रागोबीत के रूप में एक पारंपरिक अवकाश है। इस वजह से इसको न केवल अनेक समूहों, सम्मानित व्यक्तियों और संस्थाओं बल्कि राष्ट्रवादी संस्थाओं जैसे की 'नोउया द्रीप्ता' का भी का क्रोध झेलना पड़ा है, क्योंकि ये वेलेंटाइन दिवस को छिछला, व्यवसायिक और पश्चिमी कीचड आदि कह कर उसकी निंदा करते हैं।
तुर्की में वेलेंटाइन दिवस को 'सेवजिलिलर गुनू ' कहा जाता है, जिसका अर्थ है "प्रेयसी का दिवस"

आज का वैलेंटाइन डे-

ये जरूरी नही अपने महिला मित्र या पुरुष मित्र को वैलेंटाइन बनाया जाय,माता पिता भाई बहन को भी बनाया जाता है वैलेंटाइन बनाने की परम्परा सनातन है और पुरातन है।

ज़माना बड़ा बदल गया है आजकल तो लोग इश्क करते है और कहते है-

अंजाम चाहे कुछ भी हो मंजूर होना चाहिए

इश्क हो या जंग हो भरपूर होना चाहिए।

वासना के वशीभूत होकर आज कल प्रेम हो रहा आज के समय में लोग वैलेंटाइन बस अपने भूख को शांत करने के लिए बना रहे है । पर कुछ तो सही में बावरे है-

आ भी जाओ,,, मेरी आँखो के रू-ब-रू तुम,
कब तक तुम्हें,, ख्वाबों में ढूँढा जाये..!!  और कुछ ये भी कहते है-

बेमुरव्वत सी
ज़िंदगी की डोर थामे
बह रहा है 
इश्क़ तुझे और थामे,

तू होंठों से
लगकर मुझे इल्ज़ाम दे दे
मेरा क़त्ल कर
और मुझे आशिक़ नाम दे दे !

वैलेंटाइन डे! आज 21वीं सदी में ये पर्व दुनिया का सबसे बड़ा पर्व बन चूका हैं, यह इस दिन का आगाज़ प्रायः फ़रवरी माह से ही आरम्भ हो जाता है,पर इसका समापन प्रायः 14 फ़रवरी को करते है,वैलेंटाइन डे आज का सबसे बड़ा पर्व इसलिए है क्योंकि हमारे समाज में आजकल बड़ी तेज़ी से लोगो प्रेम हो रहा आज कल एक प्रचलन चल चुका गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड बनने और बनाने का कहा जा सकता है अति-आधुनिकता के लपेट में आज ये फैशन बन चुका है। पर इनका प्रेम कितना सही इसका मूल्यांकन हम और आप मिलकर करते है,पर मुझे लगता है वैलेंटाइन डे मनाने की प्रक्रिया नई और बिलकुल नही है यदि हम देखे तो वैलेंटाइन डे कोई पर्व या दिन या त्यौहार नही बल्कि ये एक ऐसा दिन बन चूका है लोग अपने वासना को आज के दिन जाहिर करते है,आज के समाज में प्रेम नही है।

प्रेम तो बेशर्त होनी चाहिए,प्रेम कोई शर्त नही होती है,प्रेम करने की प्रक्रिया सनातन है और पुरातन है। सबसे >पहले प्रेम का अदभुत उदाहरण तो हमे भगवान शंकर और प्रभु श्रीराम के व्यक्तित्व में ही हो जाता है ये तो सभी को पता है भगवान शंकर महादेव है पर उन्होंने विवाह किया तो-

राम के प्रेरणा से

काम के प्रेरणा से नही की मानस की ये पंक्ति इस बात का द्योतक है-

निज नयन देखा चहहि नाथ तुम्हार विवाह! ये प्रेम ही तो था यानि

शंकर राम के और

राम शंकर के वैलेंटाइन डे हुए।

> इसके बाद यदि देखा जाय तो कृष्ण और सुदामा का भी प्रेम था जो बिना शर्त था,आगे

>भगवान श्री राम चित्रकूट में कोभीलो के यहा आते है और वो कोभील वनवासी कहते है- राजा बाबू हउआ रउआ ये भी प्रेम का उद्धरण है ।

>माँ दुनिया की सबसे बड़ी वैलेंटाइन है।  माँ जैसा दुनिया दूजा कोई नही है वही तो एक ऐसी है जो निस्वार्थ भाव से बेशर्त प्रेम करती है

माता शती जब अपने पिता दक्ष प्रजापति के यहाँ जाती है तो सभी उनको व्यंग्य बोलते है बहन भी उनकी मुस्कुराती हुई ही मिलती है बोली बोलती है पर माँ ही एक ऐसी होती है जो उनको अपने गले से लगा लेती है-

            सादर भलेहिं मिली एक माता आज के समय में कहा लोग कभी माँ को गुलाब का फूल दिए होंगे-

ना जाने वो मुझे इतना प्यार क्यों करती रही?
मैंने तो "माँ" को कभी गुलाब भी नहीं दिया...
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
丶 दौपदी और श्री कृष्ण का प्रेम किसी वैलेंटाइन से कम नही है द्रौपदी चिर हरण के समय इस प्रेम को साफ़ साफ़ देखा जा सकता है दौपदी जब अपने भाई से गुहार लगाती है और कहती है-

तू बहिनी बहिनी कहबा

तब जा तोहसे हम बोल ब नाहि।  

उपर्युक्त उदाहरण वैलेंटाइन का ही तो है क्या कोई माँ,पिता,चाची चाचा,भाई,बहन को वैलेंटाइन नही बनया जा सकता है ये उपर्युक्त उद्धरण सत्य-सनातन है हमारे जीवन में वैलेंटाइन डे के बेजोड़ उद्धरण ये सभी है। पर आज का युवा तो दिलफ़ेक आशिक  हो गया है। लोग बोलते है की वो बेवफा निकल गई ।

आज का वैलेंटाइन काम से परिपूर्ण हो गया है।

पहले का वैलेंटाइन-

राम के प्रेरणा से था और

आज का वैलेंटाइन-

काम के प्रेरणा से है।

तेरी  मोहब्बत  मे साँवरे  एक  बात  सीखी  है,
तेरी  भक्ति  के  बिना  ये  सारी  दुनिया  फीकी  है 
तेरा दर ढूढते-ढूढते 
जिदंगी की शाम हो गई
जब तेरा दर देखा मेरे साँवरे
तो जिदंगी ही तेरे नाम हो गई ❤❤
         
लेखक परिचय-

नाम- शैलेश् त्रिपाठी

जन्म-21/10/1992

स्थान- भरलाई शिवपुर वाराणसी

शैक्षणिक योग्यता- स्नातक(हिंदी)-2013 ,स्नातकोत्तर(हिंदी)-2016-

दो वर्षीय पी0जी0 डिप्लोमा(चीनी भाषा) 2016-2017 सम्पूर्ण योग्यता काशी हिन्दू विश्वविद्यालय,वाराणसी-221003
हिंदी भाषा प्रचारक एवम् भारतीय प्रतिनिधि,क्वांगचौ चीन,(संचेतना पत्रिका हेतु)

COMMENTS

BLOGGER: 1
  1. बहुत बढ़िया और रोचक आलेख है आपका। बधाई हो आपको। प्रेम की भारतीय पहचान बनाने में लाभदायक है।

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रचनाकार: वेलेंटाइन डे विशेष : आज का वैलेंटाइन  काम का वैलेंटाइन / शैलेश त्रिपाठी
वेलेंटाइन डे विशेष : आज का वैलेंटाइन  काम का वैलेंटाइन / शैलेश त्रिपाठी
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