खाली पेज // सिंधी कहानी // शौकत हुसैन शोरो // अनुवाद - डॉ. संध्या चंदर कुंदनानी

SHARE:

जिस वक्त नोनी उसके कमरे में आया, वह कोएटज़ी का उपन्यास Disgrabe पढ़ रहा था। बेटे को कमरे में आता देखकर, उसने पुस्तक बंद कर दी। ‘‘कैसे हो? खुश ...


जिस वक्त नोनी उसके कमरे में आया, वह कोएटज़ी का उपन्यास Disgrabe पढ़ रहा था। बेटे को कमरे में आता देखकर, उसने पुस्तक बंद कर दी।

‘‘कैसे हो? खुश तो हो?’’ कामरान ने मुस्कराते बेटे से पूछा।

‘‘हां,’’ नोनी ने संक्षेप में उत्तर दिया और कुछ ढूंढने लगा। कामरान ने चाहा कि नोनी कुछ देर के लिए उसके पास बैठे।

‘‘कुछ देर बैठ तो सही, कुछ हाल चाल पूछें,’’ उसने देखा कि उसके स्वर में प्यार के साथ कुछ मिनक्त भी शामिल थी।

‘‘मैं गेम खोलकर आया हूं। बाद में आता हूं,’’ नोनी ने उत्तर दिया और कमरे में पड़ी प्ले स्टेशन टू जी की सी.डी. लेकर जल्दी बाहर निकल गया।

कुछ देर तक वह खाली खाली बैठा रहा। उसे पुत्र के इस व्यवहार पर कोई दुःख नहीं हुआ था। यह एक मामूली बात थी। इसमें गुस्सा करने के लिए कुछ नहीं था। बस उसका मन कुछ देर के लिए खाली खाली हो गया था। उसने बंद की हुई पुस्तक उठाई और कुछ देर तक पुस्तक को देखता रहा लेकिन उसने पुस्तक नहीं खोली। पुस्तक पढ़ने का उसका मन नहीं हुआ। उसने अनुभव किया कि उसका खाली मन पीछे चला गया था यादों के घने जंगल में। वहीं कहीं उलझे रास्तों पर यादों के कोनों में उलझ गया था। लेकिन वहां पर उसे एक ही व्यक्ति नजर आया - उसका पिता वाकही ऐसा था या उसने समझा था कि उसका पिता रूखे स्वभाव का था। भावनाओं से लुप्त। दोनों पिता पुत्र के बीच खाई थी। जैसे दोनों के बीच रेगिस्तान के रेत की बड़ी बड़ी दीवारें थीं। ऐसा कब हुआ? उसने याद करना चाहा। उसके और उसके पिता के बीच दूरी की शुरुआत कब हुई? उसने उलझे रास्ते पर निशान ढूंढने की कोशिश की। लेकिन उसे लगा यह कोशिश बेकार थी। उसके और उसके पिता के बीच नजदीकी थी ही कब! उसका पिता एक विचित्र व्यक्ति था। केवल उसे साथ नहीं, बल्कि पूरे घर से, बच्चों से उसका कोई लगाव नहीं था, कुछ अपनापन नहीं था। लगता तो ऐसा ही था। घर में वह पराये व्यक्ति की भांति रहता था। बच्चे कैसे पढ़े, कैसे उन्होंने हाथ पैर मारकर जिंदगी जीने की कोशिश की, इस बात से उसके पिता का कोई संबंध नहीं था।

उसने सोच रखा था, पक्का प्रण लिया था कि पिता के उलट वह अपने बच्चों को भरपूर प्यार देगा। उससे जितना हो सकेगा वह अपने बच्चों को दुनिया का हर सुख देगा। उसे पता नहीं चला कि एक हद उसके पिता का व्यवहार था : प्यार से, भावनाओं से खाली; तो दूसरी हद उसका व्यवहार था। उसके पास जितना प्यार था, जितनी भावनाएं थीं वे सब उसने अपने बेटे के हवाले कर दी थीं। जब नोनी की हर बात, हर इच्छा खुद-ब-खुद पूरी होती गई, तो उसे पिता के पास आकर बैठने और कुछ बोलने, बात करने की जरूरत ही नहीं पड़ रही थी।

थोरी देर के लिए खाली हुआ मन अब पता नहीं कितनी ही बातों से भर गया था। मन में अलग अलग नजारे तेजी से बदल रहे थे। उसका बेटा छोटा था तो उसके बहुत करीब था। बड़ा होने के बाद धीरे धीरे वह उससे दूर होता गया। अपने शौक में वह डूबता गया। गेम, प्ले स्टेशन, कम्प्यूटर...

कामरान चाहता था कि नोनी के कमरे में जाकर थोड़ी देर उससे बातें करे, मिले जुले। नोनी के कानों पर हेड फोन चढ़ा रहता था। आंखें कम्प्यूटर मॉनीटर की स्क्रीन में गढ़ी रहती थीं। अपनी बातों और प्रश्नों की ओर नोनी का ध्यान न होता देख वह कमरे से उठकर चला आता था।

उसके होंठों पर मुस्कान आ गई। कितनी विचित्र बात थी! उसे विचार आया, ‘पिता से प्यार न मिला और बेटे से प्यार का उत्तर नहीं मिला!’

तभी उसे लगा कि प्यार व्यार सब बकवास है। उसने अपनी पूरी जिंदगी इस एक बेकार शब्द के चक्कर में फंसाकर गंवा दी। उसे पता था कि वह भावनाओं की बीमारी में डूबा था। कर भी क्या सकता था! किसी के दुःखों की बात सुनकर, दर्द से भरा शेर पढ़ते, किसी फिल्म या टी.व्ही ड्रामे में भावनात्मक नजारा देखकर और डायलाग सुनकर उसके मन का भर आना भावनाएं नहीं थीं तो और क्या था? उसने खुद से पूछा। जब उसका पिता बीमार हो गया था तो उसने उसे अस्पताल में दाखिल करवाया। वैसे उसका पिता की भी बीमारी वगैरह में इलाज नहीं करवाता था। खुद ही दवाएं लेकर खाता था, ठीक हो जाता था। लेकिन इस बार ठीक होने के बजाय ज्यादा बीमार पड़ गया। उसने सोचा कि पिताजी कुछ दिनों के बाद ठीक हो जाएंगे। दिल ही दिल में उसने यह बात मानी कि अपने पिता की बीमारी पर उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया था। फिर अचानक ही उसका पिता अस्पताल में गुजर गया। उस वक्त वह अस्पताल के कमरे में पिता के पास उपस्थित था और तब दहाड़ें मारकर रोया था।

‘‘पिता के मरने पर मैं इतना क्यों रोया था?’’ कामरान ने खुद से पूछा।

और कोई तो बात नहीं थी। उसे पिता से प्यार भी नहीं था। आखिरी वक्त में उसने पिता की बराबर देखभाल नहीं की थी और इस एहसास के दुःख के कारण वह इतना रोया था। या शायद पिता की एक परायी और गैर ताल्लुक जिंदगी गुजारने के कारण उसके मन में हमदर्दी पैदा हो गई थी। इनमें से कोई एक कारण था या दोनों कारण आपस में मिल गए थे! कामरान किसी निर्णय पर नहीं पहुंच पाया।

उसका ध्यान कोएटज़ी के उपन्यास पर गया, जो अभी तक बंद हालत में उसके हाथ में ही था। वह पुस्तक को देखने लगा। जहां तक उसने उपन्यास पढ़ा था, वह याद करना चाहा। उपन्यास का मुख्य पात्र दक्षिण अफ्रीका के बड़े शहर की यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर था। अपने विद्यार्थी से शारीरिक संबंध बनाने के कारण उसे अपना दोष मानने के अलावा माफी लिखकर देने के लिए कहा गया। उसने इस्तीफा दे दिया। उसके और उसकी पत्नी के बीच कुछ वर्ष पहले तलाक हो चुका था। उसकी एक जवान बेटी थी। वह दक्षिण अफ्रीका के किसी दूर जगह पर अकेली रहती थी। वहां उसकी बेटी ने जमीन लेकर अपना फार्म (खेत) बनाया था। प्रोफेसर कुछ दिन बेटी के घर रहने का सोचकर फार्म पर आता है। उसे देखकर उसकी बेटी को कोई खुशी नहीं होती। वह अपनी बेटी को विद्यार्थी वाले स्कैंडल के कारण नौकरी छोड़ने की बात बताता है। इस बात पर बेटी कोई विशेष प्रतिक्रिया जाहिर नहीं करती। वह पिता से कहती है कि जितने दिन चाहे उसके पास रह सकता है। प्रोफेसर कोशिश करता है कि घर में और जमीन के कामकाज में बेटी का हाथ बंटाये। दक्षिण अफ्रीका में नस्लभेद हुकूमत समाप्त होने के बाद वहां हालात बदल गये हैं। प्रोफेसर और बेटी गोरे हैं और वे क्षेत्रीय व्यक्तियों के बदले व्यवहार को महसूस करते हैं। एक दिन तीन चार नीग्रो (काले) नौजवान फार्म वाले घर में आते हैं। प्रोफेसर के हाथ पैर बांधकर उसे बाथरूम में बंद कर देते हैं। प्रोफेसर कुत्तों के भौंकने की आवाज, फायरिंग की आवाज, घर में चीजों के टूटने की आवाज और बेटी की चीखें सुनता है। लेकिन वह कुछ नहीं कर पाता। घटना के बाद वह बेटी से पूछता है कि क्या हुआ? वह कोई उत्तर नहीं देती। प्रोफेसर बहुत शर्मिंदा है कि वह बेटी के लिए कुछ नहीं कर पाया और बेटी सख्त मानसिक पीड़ा के कारण कुछ दिनों तक बिस्तर पर पड़ी रहती है।

पिता और बेटी के बीच में दूरी की दीवार ज्यादा लंबी हो जाती है। वह प्रोफेसर के साथ बैठने और उससे बात करने से कतराती रहती है। प्रोफेसर उसे समझाता है कि हालात बदल गये हैं। अच्छा यह होगा कि फार्म बेचकर वापस चलें। लेकिन बेटी इन्कार करती है। डॉक्टर प्रोफेसर को बताती है कि उसकी बेटी गर्भवती है। बेटी बच्चे को गिराना नहीं चाहती थी और उसने अपने फार्म पर ही रहने का निर्णय लिया। प्रोफेसर को महसूस होता है कि यहां बेटी के घर पर रहना, जो बात उसकी बेटी भी नहीं चाहती, अब गैर जरूरी है।

‘‘मैं अगले वर्ष रिटायर हो जाऊंगा।’’ अचानक कामरान का ध्यान उपन्यास से हटकर खुद पर गया।

‘‘फिर क्या करूं गा?’’ उसने खुद से पूछा।

करने के लिए कुछ नहीं था। पूरा दिन घर में बिताने के बारे में सोचते वह अभी से बेजार होने लगा। तब उसका ध्यान फिर से बेटे की ओर गया।

‘‘वह भी मुझे पूरा दिन घर में बैठा देखकर परेशान तो नहीं होगा?’’

उसने खुद से पूछा कि जब कोएटज़ी वाले पात्र प्रोफेसर की बेटी की तरह, नोनी को मेरा घर में रहना गैर जरूरी लगा तो?

‘‘उपन्यास और कहानियां पढ़ पढ़कर मेरा सर घूम गया है। बेकार बातें सोच रहा हूं...’’ उसने जैसे खुद को डांटा।

ध्यान हटाने के लिए कामरान ने उपन्यास वहीं से पढ़ना चाहा, जहां उसने छोड़ा था। उसने पुस्तक का वह पेज ढूंढकर खोला और पढ़ने लगा। पढ़कर उसने कागज पलटा। लेकिन उसे कुछ समझ में नहीं आया कि वह क्या पढ़ गया था! शायद वह अपने बारे में ही सोचता रहा था। उसने दोबारा वही पेज फिर से पढ़ना चाहा। फिर से पेज पलटकर उसने पूरे ध्यान से पढ़ने की कोशिश की। लेकिन उस पेज पर छपे शब्द मकौड़े बनकर सरकने लगे। फिर धीरे धीरे गायब होते गये। उसे लगा कि वह पूरा पेज खाली था।

lll

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: खाली पेज // सिंधी कहानी // शौकत हुसैन शोरो // अनुवाद - डॉ. संध्या चंदर कुंदनानी
खाली पेज // सिंधी कहानी // शौकत हुसैन शोरो // अनुवाद - डॉ. संध्या चंदर कुंदनानी
https://lh3.googleusercontent.com/-QMMcXjEc-yY/WlHXWLgRLgI/AAAAAAAA-Oc/mU91ffuXJ3s0XHtkEmcuMrdqb9XkjgoSwCHMYCw/image_thumb%255B1%255D?imgmax=200
https://lh3.googleusercontent.com/-QMMcXjEc-yY/WlHXWLgRLgI/AAAAAAAA-Oc/mU91ffuXJ3s0XHtkEmcuMrdqb9XkjgoSwCHMYCw/s72-c/image_thumb%255B1%255D?imgmax=200
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/01/blog-post_16.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/01/blog-post_16.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content