उपन्यास - रात 11 बजे के बाद - भाग 4 - राजेश माहेश्वरी

SHARE:

उपन्यास रात  11 बजे के बाद - राजेश माहेश्वरी भाग 1 || भाग 2 || भाग 3 || भाग 4 राकेश कहता है मुझे पल्लवी की गतिविधियों पर संदेह है। वह वसी...

image

उपन्यास

रात  11 बजे के बाद

- राजेश माहेश्वरी


भाग 1 || भाग 2 || भाग 3 ||


भाग 4

राकेश कहता है मुझे पल्लवी की गतिविधियों पर संदेह है। वह वसीयत के विषय में जानकारी प्राप्त करने के लिये बहुत आतुर है और वही सबसे ज्यादा आनंद की नजदीकी मित्र थी।

मानसी ने पूछताछ के दौरान जाँच अधिकारी को बताया कि आनंद एक बहुत ही जिंदादिल, दयालु एवं अच्छे व्यक्ति थे। उन्होंने पल्लवी के लिये बहुत कुछ किया परंतु उसके मन में आनंद के प्रति कोइ्र्र लगाव या समर्पण नहीं था। वह केवल धन के लिये ही प्रेम का ढोंग करती थी और अपने बचपन के मित्र रिजवी से प्यार करती थी। मैंने आनंद को इसकी जानकारी देकर आगाह किया था परंतु पता नहीं पल्लवी ने ऐसी कौन सी जादू की छडी घुमायी थी कि आनंद चकरी के समान उसके आगे पीछे घूमता था। वह जो चाहती थी किसी भी प्रकार से आनंद से प्राप्त कर लेती थी। उसी ने आनंद को उकसाया था कि उसके ना रहने पर उसे कोई आर्थिक रूप से दिक्क्त ना हो इसकी व्यवस्था अपनी वसीयत में कर दे। आनंद ने अपनी समस्त संपत्ति वसीयत के अनुसार उसके नाम लिख दी थी। इस वसीयतनामे को मुझे और पल्लवी को भी बताया था। पल्लवी के रिजवी से शादी करने के कारण आनंद को बहुत मानसिक पीडा हुयी थी एवं उसका दिल टूट गया था। इससे नाराज होकर उसने संभवतया वसीयत में बदलाव कर दिया था ऐसा आनंद की बातों से महसूस होता था। मैंने कभी उससे इसकी वास्तविकता जानने के लिये नहीं पूछा। मुझे ये बातें गौरव से पता होती थीं। यह जानकर पल्लवी बहुत नाराज थी और उसने आनंद से इस बारे में बातचीत की थी। मुझे पल्ल्वी ने बताया था कि आनंद ने स्वीकार किया है कि उसने पुरानी वसीयत रद्द कर दी थी एवं नई वसीयत जानकारी मुझे नहीं दी।

जाँच अधिकारी के पूछने पर कि पल्लवी आनंद के कितने नजदीक थी ? क्या उसको सब बातों की जानकारी रहती थी, क्या वह आनंद के व्यापारिक मामलों में भी दखलंदाजी करती थी ? आनंद से उसने क्या क्या प्राप्त किया ? एवं आगे उसकी क्या अपेक्षाएँ थी ?

मानसी ने कहा कि आनंद पल्लवी को अपना समझता रहा परंतु पल्लवी के मन में धन लोलुपता की भावना भरी हुयी थी और इसके लिये वह कुछ भी समझौता कर सकती थी। उसे मुझसे भी कोई मतलब नहीं था आनंद ने उसको इतना धनवान बना दिया था कि उसे अपने आप पर घमंड आ गया था। उसका आनंद के व्यापारिक मामलों में कुछ भी लेना देना नहीं था और ना ही आनंद उसकी दखलंदाजी पसंद करता था। आनंद से उसने क्या क्या प्राप्त किया यह बता पाना तो मुश्किल है परंतु उसे क्या नहीं मिला बैंक में फिक्स डिपाजिट, सोने और हीरे के आभूषण, निवास के लिये एक बढिया फ्लैट, कार एवं नौकर चाकर आदि सभी कुछ उसे प्राप्त थे। उसकी अपेक्षाएँ बढती ही जा रही थी अब वह आनंद के ना रहने पर उसकी सारी संपत्ति की मालिक बनना चाहती थी। जाँच अधिकारी ने पूछा कि आनंद की मृत्यु में परोक्ष या अपरोक्ष रूप से पल्लवी का कितना हाथ हो सकता है ?

मानसी ने कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए आनंद की मृत्यु वह कभी नहीं चाहती थी। उसके हर स्वार्थ की पूर्ति हो रही थी एवं वह बहुत सुखी जीवन बिता रही थी। आनंद के ना रहने से उसकी इन सभी सुविधाओं का अंत हो जाता इसलिये वह ऐसा सोच भी नहीं सकती थी। वह तो विवाह के तुरंत बाद आज से चार दिन पहले हनीमून के लिये गोवा चली गयी है और दो तीन दिन बाद वापस आएगी। ऐसा घिनौना काम वह नहीं कर सकती यह उसकी क्षमता के बाहर है। उसका पति रिजवी भी ऐसे किसी काम में उसे सहयोग नहीं देगा। इसके अतिरिक्त यदि आप कोई जानकारी चाहते हैं तो उसके वापिस आने पर उससे पूछ सकते हैं। मानसी से इतनी जानकारी मिलने के पश्चात जाँच अधिकारियों का शक पल्लवी के प्रति और भी गहरा गया और वे उसके लौटने का इंतजार करने लगे।

अभी तक प्राप्त जानकारी के आधार पर प्रमुख जाँच अधिकारी हरीश रावत मसूरी के संबंध में प्राप्त जानकारी को काफी महत्व देता है। दूसरे दिन पल्लवी के हनीमून से वापिस आने की सूचना प्राप्त हेती है जाँच अधिकारी उसके वापिस आने पर उसे पूछताछ के लिये उसके पास पहुँच जाते हैं। वह भी इसके लिये पहले से ही तैयार थी और उसने कहा कि आप मुझसे क्या जानना चाहते हैं ? जाँच अधिकारी पूछता है कि आनंद के बारे में क्या जानती हैं ? क्या आप को किसी पर शक है ?

पल्ल्वी कहती है मुझे आनंद जी के नहीं रहने का बहुत गहरा सदमा पहुँचा है वे मेरे लिये देवता तुल्य थे और उन्होंने जो कुछ मेरे लिये किया वह अकल्पनीय है और मैं उनका ऋण कभी नहीं चुका सकती। मुझे वापिस आने के बाद ही उनकी संदेहास्पद मृत्यु की बातों का पता चला और मैं इससे आश्चर्यचकित हूँ। आप लोग इसकी गहराई से जाँच करे ताकि वस्तुस्थिति हम सभी को मालूम हो सके। मैं अपनी ओर से पूरा सहयोग करने के लिये तैयार हूँ। पल्लवी बोली कि मैं आनंद को बहुत नजदीक से जानती हूँ , वह इतना भावुक व्यक्ति था कि मुझसे संबंधित मामलों में विचलित हो जाता था इसलिये मैंने उसके रिजवी के विषय में सारी जानकारी दे दी थी परंतु उस समय तक मेरा उसके साथ विवाह करने का इरादा नहीं था। वक्त बीत रहा था और मेरे मन में अपना घर बसाने की इच्छा हो रही थी। एक दिन रिजवी मेरे पास आया और उसने बताया कि उसके माता पिता उसे शादी हेतु दबाव बना रहे हैं। उसने मुझसे स्पष्ट पूछा कि तुम मुझसे शादी करना चाहती हो या नहीं ? मैंने सोचा कि यदि मुझे अपना घर बसाना है तो रिजवी से अच्छा रिश्ता मुझे कोई दूसरा नहीं मिल सकता आनंद के साथ तो यह रिश्ता संभव ही नहीं था क्योंकि वह पहले से ही शादी शुदा था और हमारी उम्र में भी बहुत अंतर था। मैंने सोच विचार कर रिजवी से शादी करने का निर्णय ले लिया और इसकी जानकारी सबसे पहले मैंने आनंद को दी वह यह सुनते ही भौंचक्का रह गया और मेरी कल्पना के विपरीत उसने मुझे ऐसा नहीं करने के लिये कहा मैं तो सोचती थी कि मेरे हित को देखते हुये वह खुश होकर मुझे प्रोत्साहित करेगा परंतु उसने मुझे प्राप्त होने वाली सुविधाओं को समाप्त करने का संकेत दे दिया इससे मुझे गहरी ठेस पहुँची। आनंद के ऐसे व्यवहार कि मैंने कभी अपेक्षा नहीं की थी। मैं अपने निर्णय पर अटल थी और मैंने रिजवी के साथ कोर्ट मैरिज कर ली। मुझे उसकी मृत्यु की दुखद सूचना गोवा में ही प्राप्त हुयी तो हमें बहुत दुख हुआ। मुझे यह बताया गया था कि मेरे विवाह करने के कारण आनंद ने आत्महत्या कर ली। इससे रिजवी बहुत परेशान था कि कहीं मुझ पर कोई आरोप ना लग जाये और बेवजह हम लोगो को परेशान होना पडे।

पल्लवी ने बताया कि मेरे आनंद से मित्रता से पहले रंजना नाम की एक संभ्रांत परिवार की मसूरी की लडकी के साथ उसकी गहरी मित्रता थी। उसने आनंद पर विवाह हेतु दबाव बनाया तो उसने स्पष्ट कह दिया था कि वह अपनी पत्नी को तलाक नहीं दे सकता इसी के कारण उनकी दोस्ती में दरार आ गई और रंजना ने किसी डॉक्टर के साथ विवाह रचा लिया। आपको यह बात गौरव ने नहीं बताई क्या, वह तो हमेशा आनंद के साथ मसूरी जाता था और उसके गेस्ट हाऊस में एक एक माह तक रहता था इन दोनों की रंगरलियों को देखा करता था। राकेश को भी इसकी जानकारी थी आनंद उसे भी रंजना से मिलवाना चाहता था परंतु उसने कभी इसमें रूचि नहीं दिखाई ना ही वह कभी मसूरी गया। इन दोनों की प्रेम कहानी से मसूरी के संभ्रांत लोग वाकिफ थे। मुझे ये बातें आनंद ने ही बताई थी। यह सुनकर जाँच अधिकारी ने पल्लवी को इससे संबंधित सभी बातें विस्तारपूर्वक बताने का निवेदन किया कि रंजना कौन थी, कहाँ से आयी थी और उसका उद्देश्य क्या था ?

पल्लवी ने बताया कि उसके पिता के पास सेव के बगीचे थे। वह ग्रेजुएट थी एवं फर्राटेदार अंग्रेजी बोलती थी और दिखने में बहुत सुंदर थी। आनंद ने उसे हीरेइन बनाने का झाँसा देकर उससे मित्रता की थी और धीरे धीरे उनकी मुलाकातें बढती गइ्र्र। आनंद उसको मँहगें मँहगे उपहार देता था। वह फिल्म में रोल दिलाने का कहकर अपने साथ बंबई ले गया। वहाँ दोनो पाँच सितारा होटल में रूके थे। बंबई में आनंद एक प्रसिद्ध फिल्म निर्माता से परिचित था। उसने उसे बुलाकर रंजना को उसकी आगामी आने वाली फिल्म में भूमिका देने का आग्रह किया था। उस निर्माता ने दूसरे दिन एक स्टूडियों में बुलाकर रंजना की फोटो ली और उसकी वॉइस टेस्ट के उपरांत उसे शूटिंग में काम देने का निर्णय ले लिया। इससे रंजना का दिल बाग बाग हो गया और उसकी आँखों में आनंद के प्रति प्रेम झलकने लगा। दूसरे दिन उसे फिल्म में काम करने का अवसर प्रदान करने का एग्रीमेंट कर लिया गया और बतौर एडवांस उसे दस हजार रूपये भी प्राप्त हुये। ये अलग बात है कि इन सब में दोने की मिली भगत थी और वो फिल्म इसके आगे बनी ही नहीं। उस रात रंजना ने खुशी खुशी अपने को आनंद को समर्पित कर दिया था। उसका फिल्म निर्माता मित्र भी अपनी सहभागिता चाहता था परंतु आनंद ने उसे अगली बार का आश्वासन देकर बात समाप्त कर दी। दूसरे दिन आनंद और रंजना बडे खुश थे दोने का अपना अपना उद्देश्य पूरा हो गया था। यह बात मुझे आनंद से ही पता हुयी, यह सुनकर मैं सजग हो गई थी कि आनंद जितना साधा दिखता है उतना है नहीं।

पल्लवी ने कहा कि दोनों खुशी खुशी मसूरी आ गये यहाँ रंजना ने अपने माता पिता को शूटिंग के बारे में बताते हुये अपने एग्रीमेंट एवं दस हजार रूपये मिलने के विषय में बताया। रंजना के पिता ने फोन पर धन्यवाद देते हुये उसे शाम को भोजन के लिये बुलाया जिसे आनंद स्वीकार करते हुये अपने मित्र गौरव को भी लाने का जिक्र करते हुये उनकी अनुमति माँगी जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया। आनंद के साथ गौरव भी उनके निवास पर पहुँचा और रंजना की सुंदरता देखकर गौरव तो मंत्र मुग्ध हो गया वह स्वयं अपना परिचय देते हुये बताने लगा कि वह इंटरनेशनल आर्टिस्ट है और रंजना का एक पोट्रेट बनाकर भेंट करना चाहता है इसके लिये एक दो दिन कुछ समय के लिय रंजना को गेस्ट हाऊस आना पडेगा, जिसे वह स्वीकार कर लेती हैं।

रंजना ने आनंद के बंबई के संपर्कों की तारीफ के पुल बाँधते हुये आनंद के सम्मान और प्रतिष्ठा को और भी अधिक बढा दिया। आपस में चर्चा के दौरान उद्योग व्यापार के संबंध में रंजना के पिताजी से आनंद बातचीत करता रहा। उन्होने बताया कि उनके सेव के कई बागान है परंतु यहाँ पर सेव के दाम इतने कम हो जाते है कि अपेक्षित मुनाफा नहीं मिल पाता है। यहाँ पर दूर दूर से व्यापारी आकर सेब खरीद कर ले जाते है और कई गुने ज्यादा दाम पर बेचकर लाभ कमाते है। आनंद उनको सलाह देता है कि आप ज्यूस मेनिफेक्च्युरिंग प्लांट क्यों नहीं डाल लेते है। यहाँ पर सस्ती बिजली उपलब्ध है, आद्योगिक शांति है व कर मुक्त आय का प्रावधान सरकार द्वारा किया गया है। इनका लाभ उठाकर अपने ही उत्पादन के सेब से यह प्लांट डाला जा सकता है इसमें यदि आपको टेक्नॉलॉजी की आवश्यकता हो तो मैं मदद कर सकता हूँ। रंजना के पिताजी आनंद को भागिदारी का प्रस्ताव देते है। आनंद विनम्रतापूर्वक कहता है कि मुझे भागीदारी नहीं चाहिये मैं वैसे ही आपको सभी मदद दे दूँगा। मैं इस उद्योग से संबंधित प्रोजेक्ट रिर्पोट आप के पास भिजवा दूँगा जिन्हें पढकर आप निर्णय ले सकते है।

रंजना बीच में बोली कि आप लोग तो व्यापार की बातों में उलझ गये। इन बातों को कल आप लोग बैठकर अपने कार्यालीन समय पर कर लीजियेगा अभी तो कुछ मनोरंजक बातें करें। आनंद उसकी तारीफ करते हुये उसे यह कहकर प्रोत्साहित करता है कि एक दिन तुम अभिनेत्री के रूप में बहुत नाम कमाओगी। तुम्हें कठिन परिश्रम, पक्का इरादा और दूरदर्शिता से काम करना होगा। रंजना की माताजी बोली कि आपका ऐसा ही आर्शीवाद इस पर रहा तो निश्चित रूप से यह जीवन में बहुत तरक्की करेगी यह सुनकर गौरव के चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ गई। रात बीतती जा रही थी और ठंड भी बढती जा रही थी इसलिये सबको भोजन जल्दी परोस दिया गया। भोजन के उपरांत आनंद धन्यवाद देकर रंजना को कल पोट्र्रेट के लिये आने का आमंत्रण देकर वापिस हो गया। रास्ते में गौरव ने हँसते हुये उससे कहा कि देखो मैंने तुम्हारा काम बना दिया है। अब वह पोट्रेट के लिये आया करेगी और तुम्हारा समय अच्छे से व्यतीत होता रहेगा। आनंद ने मुस्कुराते हुये कहा कि पोट्रेट अच्छे से बनाना कही ऐसा ना हो कि बनाओ आदमी का और बन जाए किसी जानवर का। इस पर दोनों हँसते हुये आपस में मजाक के वातावरण में बात करते हुये अपने बंगले वापिस आ जाते है।

अब रंजना का आनंद के घर और आनंद का रंजना के घर बिना किसी रोक टोक के आना जाना प्रारंभ हो जाता है। वे रेज दिन में एक बार मिला करते थे और आपस में प्यार में खेकर सभी मर्यादाओं को पार कर देते थे। एक दिन रंजना ने आनंद के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा और वह यह जानकर हतप्रभ हो गई कि आनंद तो पहले से ही विवाहित था। आंनद ने विनम्रतापूर्वक शादी के प्रस्ताव के अस्वीकार करते हुये कहा कि मैं अपनी पत्नी को नहीं छोड़ सकता। यह सुनकर रंजना को धक्का लगता है और वह आनंद से मिलना जुलना बंद कर देती है। इससे आनंद व्यथित हो जाता है और गौरव उसे समझाता है कि जितने दिन अच्छे बीत गये सो बीत गये अब आगे के लिये उसे भूल जाओ और किसी नई खोज में अपना समय दो। यही तुम्हारे जीवन की नियति है।

रंजना को दुख इस बात का बहुत था कि आनंद ने पहले उसके नाम पर बिना उसके कहे या आशा के अपनी वसीयत उसके नाम कर दी थी और एक दिन उसका फोन आया कि वह वसीयत बदल रहा है यदि तुम ऐसा चाहती हो तो जैसे अपने पहले मधुर संबंध थे वैसे बनाए रखो। यह सुनकर वह बहुत क्रोधित हुई और उसने आनंद को बहुत खरी खोटी सुनाई उसे तब तक बंबई के फिल्म निर्माता की हकीकत भी पता हो गई थी कि वह सब एक नाटक था जिसे आनंद ने केवल उसका जिस्म पाने के लिये किया था। उसने आनंद को डाँटते हुये फोन पर कहा था कि मैं कभी ना कभी अपने इस अपमान का बदला तुमसे जरूर लूँगी। गौरव को यह पता होने पर उसने आनंद को अब मसूरी ना जाने की सलाह दी थी और इसके बाद वह मसूरी नहीं गया।

जाँच अधिकारी के पूछने पर कि तुम्हें इतनी बातें कैसे पता है तो उसने बताया कि कुछ तो गौरव ने और अधिकांश बातें स्वयं आनंद ने उसे बताई थी। इससे वह समझ गई थी कि आनंद किसी एक से बंधकर रहने वाला व्यक्ति नहीं है यह मेरे साथ भी दे तीन साल बिताएगा और फिर किसी नई खोज में निकल जाएगा। इसलिये मैं इससे अधिक से अधिक धन प्राप्त करने की लालसा रखती थी और मैंने सही समय पर अपना विवाह रिजवी के साथ कर लिया।

जाँच अधिकारी को नौकरों ने पूछने पर बताया कि उस दिन आनंद के पुराने कर्मचारी के यहाँ उसकी बेटी का विवाह था जिसमें शामिल होने के लिये उसके निवास के अधिकांश कर्मचारी गये हुये थे। उस रात वहाँ पर दो नौकर जिसमें एक चौकीदार और दूसरा रमेश था। इसके अतिरिक्त रवि नाम का केयरटेकर भी वहाँ पर मौजूद था उसने बताया कि अधिकांश कर्मचारी अवकाश पर थे इसलिये वह अपने कार्यालीन समय के अतिरिक्त वही पर रूक गया था। जाँच अधिकारी को नौकरों ने जो पहली जानकारी दी थी उसके अतिरिक्त और कुछ भी नहीं मालूम था। रवि किसी भी बात का जवाब मुझे नहीं मालूम कहकर चुप हो जाता था। उससे यह पूछने पर कि तुम साहब के पास कितनी बार ऊपर उनके पास गये थे तो उसने कहा कि रमेश ने जब चिल्ला कर कहा कि अरे साहब को क्या हो गया है तो वह तुरंत भागता हुआ ऊपर पहुँचा। इसके बाद चौकीदार ने आवाज दी कि डाक्टर साहब आ गये है तो मैं तुरंत ही लिफ्ट से नीचे जाकर उन्हें लेकर ऊपर कमरे में ले गया और उन्हें छोड़ने नीचे तक गया। इसके बाद मैं डर और घबराहट से नीचे ही रह गया। मैं गौरव और राकेश जी के आने पर उनके साथ ऊपर आया। इसके अतिरिक्त इस संबंध में वह कुछ भी नहीं बता पा रहा था परंतु उसके चेहरे से प्रतीत हो रहा था कि वह काल्पनिक दुखी था जो कि जाँच अधिकारी हरीश रावत को खटक रहा था। वह यह सोच रहा था कि अपराधी जो भी हो वह बहुत शातिर था और उसे इस बात का ज्ञान था कि नौकर की बेटी की शादी के कारण अधिकांश कर्मचारी गैरहाजिर रहेंगे। रवि की बातों से पता हुआ कि वह विगत दो वर्षों से आनंद के मसूरी के घर में नौकरी कर रहा था और जब आनंद ने मसूरी जाना बंद कर दिया तब उसको आनंद के घर पर बुला लिया गया। जाँच अधिकारियों को यह आश्चर्य लग रहा था कि रवि को आवश्यकता से अधिक छूट मिली हुई थी वह आनंद के कमरे में बेरोकटोक आता जाता रहता था उसे मसूरी की रंजना के बारे में पूरी जानकारी थी परंतु उसने जाँच के दौरान इस बात का कोई जिक्र नहीं किया। जाँच अधिकारी गौरव के द्वारा भी रंजना के बारे में कुछ भी ना बताना इसका मतलब समझने का प्रयास कर रहे थे।

इसी समय पुलिस द्वारा मसूरी भेजी गई टीम के प्रमुख का फोन आता है और उनके द्वारा दी गई जानकारी से सभी आश्चर्यचकित रह जाते हैं उन्होने बताया कि रवि सेना का एक भगोडा व्यक्ति है वह आज से सात आठ साल पहले सेना में था, उसकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी उसकी बहन की शादी में जो कि पिछले साल ही संपन्न हुई थी उसके खानदान की थोडी बहुत बची जमीन एवं अन्य संपत्तियां शादी की व्यवसथा और दहेज देने में बिक चुकी थी तथा उसके ऊपर काफी कर्ज भी हो गया था। उसके पास कर्जदारों द्वारा प्रतिदिन रकम वापसी का दबाव बढता जा रहा था इसलिये वह मसूरी छोडकर आनंद के गृहनगर में जाने के लिये खुशी खुशी तैयार हो गया। मसूरी के संभ्रांत परिवारों में आनंद और रंजना की दोस्ती चर्चा का विषय थी और आनंद द्वारा धोखा दिये जाने के कारण उनकी सहानुभूति रंजना के साथ थी। मसूरी में वास्तव में आनंद की जान को खतरा था क्योंकि रंजना के निकट संबंधियों ने उसको सबक सिखाने का निश्चय कर लिया था जिसकी जानकारी गौरव को मिलते ही उसने आनंद को मसूरी ना जाने की हिदायत दी थी।

वह रवि को भी आनंद के घर पर बुलाने से खुश नहीं था पंरतु यह आनंद का निजी मामला था और उसे रवि के ऊपर बहुत विश्वास था। वह गौरव को बुलाकर उससे मसूरी के बारे में कुछ भी ना बताने का कारण जानना चाहता था और वह इन परिस्थितियों में अपने मित्र आनंद की जाँच प्रक्रिया को छोडते हुये उसके अमेरिका जाने के प्रयास के विषय में उलाहना देते हुये कहता है कि तुम कैसे मित्र हो जिस आनंद ने तुम्हें इतना मान सम्मान दिया अपनी हर निजी बातों को तुम्हें बताया तुम्हारे ऊपर घूमने फिरने में लाखों रूपये खर्च किये उसकी मृत्यु सामान्य है या कोई साजिश यह जाने बिना तुम्हारा मन में बाहर जाने का विचार कैसे आया? तुम सच सच बताओ कि तुम्हें और क्या जानकारी है अन्यथा हमें तुम्हें पुलिस हिरासत में लेना पडेगा और जब यह समाचार पत्रों में छपेगा तुम्हारी सारी प्रतिष्ठा खत्म हो जाएगी। यदि तुम अभी भी चुप रहते हो तो हमें आगे सख्त कार्यवाही तुरंत आरंभ करनी होगी यह सुनकर गौरव का होश उड़ गया और वह घबराहट में पसीने पसीने हो गया।

उसने बताया कि आनंद ने रंजना के प्रति अपनी सारी संपत्ति की वसीयत की थी उसकी मूल प्रति उसके पास है इसके बाद उसने वसीयत बदलकर पल्लवी के नाम करने की मूल प्रति भी उसके पास सुरक्षित हैं आनंद की मृत्यु की रात्रि में जब उसको आनंद ने बुलाया था तो वह दस्तावेज लेकर उसके पास गया था। आनंद बहुत विचलित था और पल्ल्वी द्वारा शादी कर लेने के कारण वह उसकी सलाह चाहता था। वह किस के नाम पर वसीयत करे उसने मुझे भी जायदाद का काफी बडा हिस्सा देने की मंशा बताई थी परंतु मैंने इसे अस्वीकार कर दिया था। इसके दो कारण थे एक तो मुझे रूपयों की कोई आवश्यकता नहीं थी। मेरे खर्च सीमित है जो कि मेरी आय से बहुत कम है। और दूसरा मैं आनंद के स्वभाव से वाकिफ था। वह हर दो तीन साल में जो उसके निकट रहता था उसे वह छोड़कर किसी और को विश्वासपात्र बना लेता था मैंने उसे सुझाव दिया तुम अपने बेटों के नाम पर अपनी वसीयत कर दो परंतु तुम इतनी हड़बडी में क्यों हो अभी तो तुम्हारी काफी उम्र बाकी है इसे तुम आराम से सोच समझ कर भी बाकी उम्र में कर सकते हो। आनंद बोला मुझे मेरी जान का खतरा है कभी भी मेरे साथ हादसा हो सकता है। मुझे फोन पर धमकियाँ मिल रही हैं। यह सुनकर मैंने उसको कहा कि तुम पुलिस की मदद क्यों नहीं लेते। कौन है जिससे तुम्हें खतरा महसूस होता है मुझे बताओ उसने दबी जुबान में किसी को ना बताने की कसम दिलाते हुये नाम बताया वह पल्लवी का था। मैं यह सुनकर काफी चौंक गया। तब आनंद बोला मैंने तुम्हें इस कारण भी बुलाया है कि तुम्हारी जान को भी उतना ही खतरा है जितना मैं अपने लिये महसूस कर रहा हूँ। तुम्हें मेरे और पल्लवी के संबंध में सभी जानकारियाँ हैं यही तुम्हारे लिये खतरा बन गई हैं। तुम सावधानीपूर्वक रहना। इसके बाद मैं वापस अपने घर आ गया।

(क्रमशः अगले भाग में जारी)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: उपन्यास - रात 11 बजे के बाद - भाग 4 - राजेश माहेश्वरी
उपन्यास - रात 11 बजे के बाद - भाग 4 - राजेश माहेश्वरी
https://lh3.googleusercontent.com/-eH9YjJoC3MQ/W35k1Qnp8II/AAAAAAABD-k/DRJgtHasBSw0qsEquyGtD1XzKpUci-TxACHMYCw/image_thumb%255B1%255D?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-eH9YjJoC3MQ/W35k1Qnp8II/AAAAAAABD-k/DRJgtHasBSw0qsEquyGtD1XzKpUci-TxACHMYCw/s72-c/image_thumb%255B1%255D?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/08/11.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/08/11.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content