बांग्लादेश पर जीत : झेंप मिटाने की कवायद

SHARE:

मनमोहन हर्ष विश्व कप क्रिकेट में करोड़ों चहेतों की उम्मीदों व देश की प्रतिष्ठा को एवरेस्ट की ऊँचाई से गर्त में धकेलने के बाद ब...

  • मनमोहन हर्ष

विश्व कप क्रिकेट में करोड़ों चहेतों की उम्मीदों व देश की प्रतिष्ठा को एवरेस्ट की ऊँचाई से गर्त में धकेलने के बाद बांग्लादेश के विरुद्ध टेस्ट व एक रोजा सिरीज में भारत की जीत एक बार पुन: सर्वत्र सुर्खियों में छाई है । माहौल में ऐतिहासिक जीत, दिव्य रिकॉर्डस व ढाका पर चढाई जैसे विशेषण यह आभास पैदा करते हुए कि गोया यह जीत विश्व कप विजय से भी बड़ी जीत है, असलियत पर पर्दा गिराने की साजिश रच रही है। वैसे भारतीय क्रिकेट में झेंप मिटाने का यह शगल पुराना है । वास्तविकता को पार्श्व में धकेलना, छोटी - मोटी जीत को बढ़ा चढ़ाकर प्रस्तुत करना व इसके सहारे फजीहत के दाग को छिपाकर क्रिकेट प्रेमियों को कृत्रिम गर्व में भटकाए रखने की परम्परा सी पनप गई है । इस परम्परा का निर्वहन करना बोर्ड, मीडिया व क्रिकेट के व्यावसायिक पक्ष में अपना हित देखने वाले हर पक्ष की मजबूरी बन गया है। कहना न होगा कि मजबूरी के द्वारा रचे गये इस खेल ने देश के क्रिकेट प्रेमियों की संवेदनाओं को भी मृतप्राय: कर दिया है । अब आम क्रिकेट प्रेमी ऐसे माहौल का शिकार हो गया है, जहां क्रिकेट को अपने आर्थिक हितों के लिए भुनाने वाले इन लोगों के इशारों पर उसकी भावनाएं उबाल लेती हैं, शांत होती है या इस कृत्रिम माहौल में पुन: शरीक होकर गुणगान का राग अलापने लगती है ।

क्रिकेट के व्यवसायवाद ने भारत में रोमांच, जुनून व खेल के प्रति चाह को कृत्रिमता के आचरण में कैद करके रख दिया है। अब तो हालात यहां तक आ पहुँचे है कि मीडिया जब रुलाता है तो क्रिकेट प्रेमियों के आंसू निकलते है तथा अगले ही पल जब मीडिया क्रिकेटरों पर पुन: सिर आंखों पर बैठाने लगता है तो लोग जख्मों को भूल कर जश्न में शरीक हो जाते हैं । जन भावनाओं व क्रिकेट के रोमांच के ठेकेदार बनते जा रहे पक्षों ने ही भारत में क्रिकेट का बेड़ा गर्क किया है । फजीहत व पराजय के हर मोड़ पर ये घड़ियाली आंसू बहाने के साथ - साथ उस पर पर्दा गिराने का अवसर ताकने लगते हैं ताकि क्रिकेट से जुड़े उनके हितों की मौत न हो । बिल्लियों के भाग का छींका इस बार बड़ी जल्दी टूट गया है । उपमहाद्वीपीय परिस्थितियों में घर के शेरों ने बांग्लादेश को छकाकर उनकी मुराद सी पूरी कर दी है । वैसे देखा जाए तो बांग्लादेश को ऐसे दस दौरे में अनवरत इसी तरह हराने के बाद भी विश्व कप की उस एक हार व उससे भारतीय क्रिकेट की प्रतिष्ठा को हुई क्षति के दंश को नहीं भुलाया जा सकेगा। इस हकीकत को आत्मसात कर भारतीय क्रिकेट का भविष्य सुधारने का जज्बा अब शेष कहां दिखाई देता है ।

**-**

संदर्भ: ब्रायन चार्ल्स लारा का बेमिसाल कैरियर

कैरेबियन क्रिकेट के दर्द का महाकाव्य

  • मनमोहन हर्ष

विश्व कप क्रिकेट की चकाचौंध, सफलता का आरोहण करने वाले सितारों व टीमों की चर्चा के बीच आलमी क्रिकेट के एक ऐसे बेमिसाल खिलाड़ी की विदाई गुमनामी के अँधेरों में खोकर रह गई, जिसने अपने बेमिसाल कैरियर के दौरान खेल के मैदान पर समर्पण के साथ-साथ मुल्क व क्रिकेट के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का अद्वितीय मुजाहिरा किया है। जी हाँ, कैरेबियाई क्रिकेट के महानायक ब्रायन चार्ल्स लारा का रुतबा कुछ ऐसा ही रहा है, जिसके समक्ष विश्व कप विजेता व व्यक्तिगत स्तर पर लोकप्रियता की हदें छूने वाले नामी क्रिकेटरों की आभा भी कई मायनों में फीकी नजर आती है। घरेलू मैदानों पर वेस्टइंडीज को विश्व विजेता का ताज दिलवाने में नाकामी का दंश झेलकर विश्व क्रिकेट से रुखसत हुए दिव्य प्रतिभा के धनी लारा ने अपने 17 वर्षों से ज्यादा लम्बे कैरियर में अनेकानेक अवसरों पर बल्ले का ऐसा जलवा बिखेरा, जिसने क्रिकेट के मैदानों पर रोमांच व श्रेष्ठता के अध्याय रचे। आलमी क्रिकेट में लारा की समकालीन सितारों से तुलना करने पर हम देखते है कि जिस प्रकार की विषम विपरीत परिस्थितियों को झेलते हुए लारा ने अपने बल्ले से महासमर लड़ा, वैसी नाउम्मीदी से भरी घड़िया उनके कई समकालीन खिलाड़ियों को सौभाग्य नसीब नहीं हुई। ऐसे में लारा के खाते में विश्व कप विजेता बनने की उपलब्धि भले ही दर्ज नहीं हो पाई हो बावजूद इसके उनका कैरियर महानता व समर्पण की अनोखी व अमिट छाप क्रिकेट के असंख्य चाहने वालों के दिलोदिमाग पर छोड़ गया है, जिसका ओज क्रिकेट की आने वाली पीढ़ियों को रोशन करता रहेगा।

ब्रायन लारा के कैरियर पर निगाह डाले तो हमें अनहोनी को होनी में तबदील कर देने के सदृश कई महामानवीय प्रदर्शन देखने को मिलते है, जो कैरेबियन व विश्व क्रिकेट के इतिहास में स्वर्णाक्षरों से अंकित है। सेंट जोंस एंटीगा के मुकाम पर 2004 में टेस्ट क्रिकेट में निर्विवाद विश्व श्रेष्ठता की परिचायक 400 रनों की नाबाद पारी खेलकर लारा ने ऐसा कारनामा कर दिखाया था, जिसे छू पाना किसी भी क्रिकेटर के लिए नाकों चने चबाने के बराबर होगा। ब्रायन लारा की यह पारी कैरेबियन क्रिकेट के डूबते सूरज के बीच, उसके लिए (कैरेबियन क्रिकेट) सदैव अपना सर्वस्व दांव पर लगाकर कुछ नया कर गुजरने को प्रतिबद्ध एक सितारे द्वारा गहराते धुंधलकों के बीच उम्मीदों को चिराग रोशन कर देने वाला करतब था। वक्त के उस मोड़ पर लारा व बीते जमाने के क्रिकेट बादशाह वेस्टइंडीज नियति के थपेड़ों को झेलते-झेलते सातवें आसमान से रसातल में धंसने का दंश झेल रहे थे। कहना न होगा कि लारा के कैरियर में नियति ने कमोबेश प्रत्येक मोड़ पर ऐसी ही अग्नि परीक्षाओं के अवरोध खड़े किए, मगर अपनी हाई बैकलिफ्‌ट व बल्ले से निर्मम प्रहारों की बाजीगरी से चुनौतियों को फतह करने में आनंद की अनुभूति करने वाले लारा ने व्यक्तिगत स्तर पर बारम्बार चौंकाने वाला प्रदर्शन कर कैरेबियन क्रिकेट की प्रतिष्ठा का परचम अकेले दम पर लहराया।

लारा के बल्ले से चार सौ रनों की वह कालजयी पारी उस समय निकली जब लाजवाब बल्लेबाजों व तूफान को भी अपनी रफ्‌तार से धता बता देने वाले तेज गेंदबाज़ों से विश्व क्रिकेट में चहुंओर अपनी कीर्ति पताका लहराने वाला वेस्टइंडीज उन टीमों के हाथों लाचार व बेबस सा पिटता चला जा रहा था, जिनको सहज ही धूल चटाना कभी कैरेबियन दिग्गजों के लिए बाएं हाथ का खेल हुआ करता था। विध्वंसक तेवरों के बल पर प्रतिद्वंद्वियों को मैदान पर चारों खाने चित्त करने की कैरेबियन परम्परा को जैसे कोई सांप सूंघ गया था। बद से बदतर होते हालात के बीच सदैव चुनौतियों का बीड़ा उठाकर एक संकटमोचक की तरह रणक्षेत्र में प्रतिपक्षियों से लोहा लेकर कैरेबियन क्रिकेट की प्रतिष्ठा के क्षरण को थामने के लिए संघर्षरत रहे लारा ने अपनी उस विस्फोटक पारी से वेस्टइंडीज क्रिकेट में प्राणवायु का संचार करने का अद्वितीय प्रयास किया।

कैलिप्सो की धुन पर लाल सुरा की मस्ती के साथ दिल की गहराईयों तक क्रिकेट को चाहने वाले कैरेबियाई क्रिकेट प्रेमी विश्व क्रिकेट में दीवानगी की मिसाल माने जाते है। लेकिन असफलता के अनवरत दौर ने इन दीवानों का भी खेल से मोहभंग कर दिया। कभी रोहन कन्हाई, गैरी सोबर्स, क्लाईड वॉलकॉट, क्लाईव लॉयड, विवियन रिचर्डस, गॉर्डन ग्रीनिज, मैल्कम मार्शल व माईकल होल्डिंग सरीखे एक से एक महान खिलाड़ियों के पदचिह्नों का अनुसरण करने की तमन्ना के साथ वहां के समुद्र तटों पर जुट जाया करने वाली युवाओं की भीड़ धीरे-धीरे छंटने लगी। और तो और युवा क्रिकेट को छोड़ कर बेसबॉल, बास्केटबाल व अन्य खेलों को तरजीह देने लगे। क्रिकेट को जुनून की तरह लेने व जीत के लिए जिद्दी इरादें रखने वाले लारा के लिए इससे अधिक सालने वाली बात और क्या हो सकती थी? ये सब परिस्थितियां उस समय उत्पन्न हुई जब वेस्टइंडीज की कमान व बागडोर ब्रायन लारा के हाथों में रही और न केवल कैरेबियन क्रिकेट बल्कि समूचे विश्व में उसके प्रशंसक लारा की ओर बड़ी उम्मीद के साथ देखते थे कि ये वामहस्त बल्लेबाज अपनी टीम का भाग्य पलटकर रख देगा! दिग्गजों की निवृति व तेज गेंदबाजों की कुंद होती धार के बीच लारा जैसे सितारे के कंधों पर कैरेबियन क्रिकेट का भाग्य आ टिका। कप्तान के रूप में टेस्ट व एक रोजा मैचों में लारा ने कई बार अपनी टीम को बुरे वक्त से गुजरते हुए देखा। इस विश्व कप सहित गत दो विश्व कप मुकाबलों में वे अपने नेतृत्व में कोई करिश्मा नहीं दिखला पाए। व्यक्तिगत स्तर पर श्रेष्ठता को बारम्बार साबित करने के बावजूद नवोदित पीढ़ी के गेल, गंगा, हिंडस, रिकार्डो पावेल, चंद्रपाल, सरवन, टीनो बेस्ट एडर्वड्‌स, सिलवेस्टर जोजेफ, डेवोन स्मिथ, सैमुअल्स व ब्रावो जैसे साथियों के प्रदर्शन में सततता व एकजुटता के अभाव में टीम के प्रदर्शन का पूरा दारोमदार लारा पर ही रहा। विरासत को सम्भालने व टीम के प्रदर्शन को पटरी पर लाने के चक्रव्यूह में लारा नैसर्गिक प्रतिभा के धनी होते हुए भी कई बार अपने बल्ले की धार खो बैठे। उन पर टीम को गर्त में धकेलने व अग्रिम मोर्चे से नेतृत्व न कर पाने के आरोप भी मढ़े जाते रहे। कैरेबियन क्रिकेट की मुफलिसी पर अपनी प्रतिभा का खजाना न्यौछावर करते रहने के बावजूद लारा के खाते में अपयश ही ज्यादा दर्ज किया जाता रहा। कई बार उनसे नेतृत्व छीनकर उन्हें बलि का बकरा बनाया गया, लेकिन हर बार कैरेबियन क्रिकेट की नैया को पार जगाने के लिए लारा से बेहतर खेवनहार की तलाश अधूरी ही रही और कप्तान के रूप में लारा की वापसी होती रही।

लारा की अपने कैरियर के दौरान ये खुसूसियत रही की उन्होंने कई अवसरों पर अकेले दम पर ऐसा विस्मयकारी खेल दिखाया जिसने न केवल उनको क्रिकेट इतिहास में अमर कर दिया बल्कि साथी खिलाड़ियों की बेरूखी व असफलता के बावजूद उन्होंने टीम की जीत की इबारत लिख डाली। चार सौ रनों की उस ऐतिहासिक पारी के अलावा लारा ने जब 1994 में सर्वप्रथम 1994 में सोबर्स के 365 रनों के 35 वर्ष पुराने कीर्तिमान को 375 रन बनाकर ध्वस्त किया तथा प्रथम श्रेणी क्रिकेट में भी 501 रनों की नाबाद पारी खेलकर विश्व रिकॉर्ड बनाए तब भी उनके जेहन में अपने प्रदर्शन से कैरेबियाई क्रिकेट को प्रतिष्ठा के उस मुकाम पर पुन: ले जाने की तमन्ना हिलोरे मार रही थी। लारा के कैरियर के कुछ और यादगार लम्हों का प्रत्यास्मरण करे तो 1998-99 में बहैसियत कप्तान उन्होंने धरेलू मैदानों पर दो लगातार टेस्ट मैचों में 213, 8, 153 नाबाद व 100 रनों की बेमिसाल पारियां खेलते हुए वाल्श व एम्ब्रोस जैसे पुछल्ले बल्लेबाजों में जीवट भर ऑस्ट्रेलिया से टेस्ट सिरीज बराबर करवाई थी। वर्ष 2001-2002 में भारतीय उपमहाद्वीप के दौरे पर उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ भी बल्ले का खूब जौहर दिखाया। न केवल एक टेस्ट में 221 व 130 रनों की पारियां उनके बल्ले से निकली बल्कि पूरी श्रृंखला में उन्होंने 688 रन बनाए जो वेस्टइंडीज के बल्लेबाजों द्वारा पूरी श्रृंखला में बनाए गए रनों का 42 प्रतिशत थे। लारा ने नवम्बर 2005 में एडीलेड टेस्ट में एलन बोर्डर के 11 हजार 174 रनों के कीर्तिमान को पीछे छोड़कर टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में सर्वाधिक रनों का रिकॉर्ड अपने नाम किया। इतना सब कुछ अर्जित करने के बावजूद इस विश्व कप से उनकी खामोश विदाई व वेस्टइंडीज की उनके नेतृत्व में एक और असफलता को लारा के साथ नियति के अन्याय की संज्ञा दी जा सकती है। उन जैसे प्रतिभावान सितारे की झोली किस्मत और साथी खिलाड़ियों के साथ से और समृद्ध हो सकती थी।

ब्रायन लारा के कैरियर व उनकी चंद अद्वितीय पारियों को साहित्यिकता के रंग में रंगने की गुस्ताखी माफ हो तो मुझे उनका कैरियर कैरेबियन क्रिकेट के दर्द का एक महाकाव्य व लारा उसके महानायक नजर आते है । गोया लारा बच्चन (डॉ. हरिवंशराय) हो गए हों और अपने बल्ले से मधुशाला की कुछ अमर पंक्तियों को कुछ इस अंदाज में क्रिकेट जगत के समक्ष कह गए हों - लाल सुरा की धार लपट सी, कह न इसे देना ज्वाला, फेनिल मदिरा है, इसको मत कहना उर का छाला, दर्द नशा है इस मदिरा का (मेरा कैरियर व इस दौरान खेली गई विस्मय कारी पारियां कैरेबियन क्रिकेट के दर्द को भीतर तक महसूस करने की देन है । लारा के जेहन में यह दर्द इन पारियों के दौरान नशे की तरह मौजूद था), विगत स्मृतियां साकी हैं (विरासत को न संभाल पाने की पीड़ा व अतीत की अजेय यात्रा ने प्रेरित किया), पीड़ा में आनंद जिसे हो आए मेरी मधुशाला (जो विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में भी हार न मानकर उसी में आनंद की बयार पैदाकर, उत्कर्ष की ओर बढ़ने की राह खोज सकता है, वह आए और मेरे द्वारा प्राप्त किए गए चिर आनंद को आत्मसात करे) ।

ब्रायन चार्ल्स लारा

जन्म - तिथि : 2 मई 1969, जन्म स्थान - कैन्टारो, सांताक्रूज (ट्रिनिडाड)

पहला टेस्ट :- विरूद्घ पाकिस्तान, लाहौर, 6 से 11 दिसम्बर 1990

अंतिम टेस्ट :- विरूद्घ पाकिस्तान, कराची, 27 नवम्बर से 1 दिसम्बर 2006

पहला वनडे :- विरूद्घ पाकिस्तान, कराची, 9 नवम्बर 2006

अंतिम वनडे :- विरूद्घ इंग्लैंड ब्रिजटाउन, 21 अप्रैल 2007

कैरियर पर एक नजर :-

मैच पारी रन औसत उच्च स्कोर शतक अर्द्घशतक

टेस्ट 131 232 11953 52.88 400 नाबाद 34 48

वन डे 299 289 10405 40.48 169 19 63

प्र श्रेणी 260 439 21933 51.38 501 नाबाद 64 87

**-***-**

रचनाकार संपर्क :

  • मनमोहन हर्ष

(खेल समीक्षक)

जिला सूचना एवं जनसम्पर्क अधिकारी,

हनुमानगढ़।

कमरा नम्बर-208

मिनी सचिवालय, हनुमानगढ़ जंक्शन-335512


Tag ,,,

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: बांग्लादेश पर जीत : झेंप मिटाने की कवायद
बांग्लादेश पर जीत : झेंप मिटाने की कवायद
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2007/05/blog-post_31.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2007/05/blog-post_31.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content