चार्ली चैप्लिन की आत्मकथा (7)

SHARE:

मेरी आत्मकथा चार्ली चैप्लिन   चार्ली चैप्लिन की आत्मकथा -अनुवाद : सूरज प्रकाश ( पिछले अंक 6 से जारी …) ग्यारह की...

मेरी आत्मकथा

image

चार्ली चैप्लिन

 

चार्ली चैप्लिन की आत्मकथा

-अनुवाद : सूरज प्रकाश

suraj prakash

(पिछले अंक 6 से जारी…)

ग्यारह

कीनोट कम्पनी को छोड़ना मेरे लिए तकलीफदेह था क्योंकि मैं वहाँ पर सेनेट और दूसरे सभी लोगों का प्रिय व्यक्ति बन चुका था। मैंने किसी से भी विदा के दो शब्द नहीं कहे; मैं कह ही नहीं सका। ये सब शुष्क, आसान तरीके से हो गया। मैंने शनिवार की रात को अपनी फिल्म का संपादन पूरा किया और अगले सोमवार मिस्टर एंडरसन के साथ सैन फ्रांसिस्को के लिए रवाना हो गया जहाँ पर हमें उनकी हरे रंग की नयी मर्सडीज़ कार के दर्शन हुए। हम सेंट फ्रांसिस होटल में सिर्फ लंच के लिए ही रुके उसके बाद में नाइल्स चले गए। वहाँ पर एंडरसन का अपना एक छोटा सा स्टूडियो था और उसमें उन्होंने एसेने कम्पनी के लिए ब्रांको बिली वेस्टर्न्स बनायी थी (एसेने स्पूअर और एंडरसन के पहले अक्षरों को मिलाकर बनाया गया नाम था)।

नाइल्स सैन फ्रांसिस्को से बाहर की ओर एक घंटे की ड्राइव की दूरी पर था और रेल की पटरियों के पास बसा हुआ था। एक छोटा सा शहर था और वहाँ की आबादी चार सौ की थी और वहाँ का काम धंधा लसुन घास तथा पशुपालन था। स्टूडियो लगभग चार मील बाहर की ओर एक खेत के बीचों-बीच बना हुआ था। जब मैंने इसे देखा तो मेरा दिल डूबने लगा क्योंकि इससे कम प्रेरणादायक कुछ और हो ही नहीं सकता था। इसकी काँच की छत थी, जहाँ पर गर्मियों में काम करना बेहद मुश्किल हो जाता था। एंडरसन के कहा कि वे मेरे लिए मेरी पसंद का और कॉमेडी बनाने के लिए बेहतर तरीके से सुसज्जित स्टूडियो शिकागो के आसपास ढूंढेंगे। मैं नाइल्स में सिर्फ एक ही घंटा रहा और एंडरसन अपने स्टाफ के साथ कुछ कामकाज़ निपटाते रहे। तब हम दोनों फिर से सैन फ्रांसिस्को के लिए चल पड़े। वहाँ से हमने शिकागो के लिए यात्रा शुरू की।

मुझे एंडरसन अच्छे लगे थे। उनमें एक खास तरह का आकर्षण था। रेल यात्रा में उन्होंने मेरी एक भाई की तरह देख भाल की और अलग-अलग स्टेशनों पर कैन्डी और पत्रिकाएं ले आते। वे लगभग 40 बरस के शर्मीले और चुप्पे व्यक्ति थे और जब कारोबार की चर्चा की जाती वे बड़े इत्मीनान के साथ कह देते,"इसके बारे में चिंता मत करो। सब ठीक हो जाएगा।" वे बहुत कम बात करते थे और हमेशा ख्यालों से घिरे रहते। इसके बावजूद मैंने महसूस किया कि वे भीतर ही भीतर काइयाँ थे।

यात्रा रोचक थी। ट्रेन में तीन व्यक्ति थे जिन्हें हमनें पहली बार डाइनिंग कार में देखा। उनमें से दो तो संपन्न लग रहे थे, लेकिन तीसरा बेतरतीब-सा लगने वाला साधारण सा आदमी था। उन तीनों को एक साथ खाना खाते देख हमें हैरानी हुई। हमने अंदाज़ा लगाया कि दो व्यक्ति तो इंजीनियर हो सकते हैं और तीसरा सड़क छाप आदमी छोटे-मोटे काम करने के लिए मज़दूर रहा होगा। जब हम डाइनिंग कार से चले तो उनमें से एक हमारे कूपे में आया, अपना परिचय दिया। उसने बताया कि वह सेंट लुईस का शेरिफ है और उसने ब्रांको बिली को पहचान लिया है। वे फाँसी दिए जाने के लिए एक कैदी को सैन क्विंटन जेल से वापिस सेंट लोइस लिए जा रहे हैं और चूंकि वे कैदी को अकेला नहीं छोड़ सकते हैं, क्या हम उनके कूपे में आकर ज़िला एटॉर्नी से मिलना पसंद करेंगे?

शेरिफ ने विश्वास के साथ कहा,"हमने सोचा कि आपको परिस्थितियों के बारे में जानना अच्छा लगेगा। ये जो कैदी है, इसका अच्छा-खासा आपराधिक रिकार्ड है। जब अधिकारी ने इसे सेंट लोइस में गिरफ्तार किया तो इस बंदे ने कहा कि उसे अपने कमरे में जाकर अपने ट्रंक में से कुछ कपड़े-लत्ते लाने की इजाज़त दी जाए और जिस वक्त वह अपने ट्रंक में सामान तलाश रहा था, तो अचानक ही वह अपनी बंदूक के साथ घूमा और अफसर को गोली मार दी और तब भाग कर कैलिफोर्निया चला गया। वहाँ पर उसे सेंधमारी करते हुए पकड़ा गया और तीन बरस की सज़ा दी गयी और जब वह बाहर निकला तो जिला एटॉर्नी और मैं उसका इंतज़ार कर रहे थे। यह एकदम सीधा सादा हत्‍या का मामला है - हम उसे फाँसी देंगे।" उसने जोश के साथ कहा।

एंडरसन और मैं उनके कूपे में गए। शेरिफ हँसोड़ मोटा-सा आदमी था, जिसके चेहरे पर सदाबहार मुस्कुराहट और आँखों में चमक बसी हुई थी। जिला एटॉर्नी कुछ ज्यादा-ही गंभीर आदमी था।

अपने मित्र से हमारा परिचय कराने के बाद शेरिफ ने कहा,"बैठ जाइए।" तब वह कैदी की तरफ मुड़ा,"और ये हैंक है।" कहा उसने, "हम इसे सेंट लोइस वापस ले जा रहे हैं, जहाँ पर वह फंदे में फंसेगा।"

हैंक विद्रूपता से हँसा लेकिन कुछ कहा नहीं। वह लगभग 45-46 बरस का छ: फुटा आदमी था। उसने यह कहते हुए एंडरसन से हाथ मिलाया, "ब्रांको बिली, मैंने आपको कई बार देखा है और हे भगवान! आप कैसे उन्हें बंदूकें थमाते हैं और उन्हें धाराशायी कर देते हैं, मैंने आज तक नहीं देखा।" हैंक मेरे बारे में बहुत कम जानता था। उसने बताया: वह तीन बरस तक सैन क्विंटन में रहा था, "और बाहरी दुनिया में ऐसा बहुत कुछ चलता रहता है, जिसके बारे में आपको पता ही नहीं चलता।"

हालांकि हम सब बहुत सहजता से बात कर रहे थे लेकिन एक भीतरी तनाव था, जिससे उबर पाना मुश्किल लग रहा था। मैं सकते में था कि क्या कहूँ इसलिए मैं शेरिफ के जुमले पर खींसे निपोरने लगा।

"ये एक बहुत मुश्किल दुनिया है।" ब्रांको बिली ने कहा।

"हाँ, सो तो है।" शेरिफ ने कहा,"हम इसे कम मुश्किल बनाना चाहते हैं। हैंक इस बात को जानता है।"

"बेशक!" हैंक ने उपहास करते हुए कहा।

शेरिफ ने उपदेश देना शुरू कर दिया,"यही बात मैंने हैंक से कही थी जब वह सैन क्विंटन से बाहर आया था। मैंने उससे कहा कि अगर वह हमारे साथ ज्यादा सयानापन दिखाएगा तो हम भी उसके साथ वैसे ही पेश आएँगे। हम हथकड़ियों का इस्तेमाल करना या ताम झाम फैलाना नहीं चाहते; हमने उसके पैर में सिर्फ बेड़ी डाल रखी हैं।"

"बेड़ी! वो क्या होती है?" मैंने पूछा।

"आपने कभी बेड़ी नहीं देखी है?" शेरिफ ने पूछा

"अपने पैंट ऊपर करो, हैंक।"

हैंक ने अपना पाइँचा ऊपर किया और वहाँ पर लगभग पाँच इंच लंबी और तीन इंच मोटी निकल प्लेटेड बेड़ी उसके टखने के चारों ओर जकड़ी हुई थी और उसका वज़न 40 पौंड रहा होगा। इससे बातचीत बेड़ियों की नयी नयी किस्मों की तरफ मुड़ गयी। शेरिफ ने बताया कि इस खास बेड़ी में अंदर की तरफ रबर की परत चढ़ी हुई है, जिससे कैदी को आसानी हो जाती है।

"क्या ये इसके साथ ही सोता है?" मैंने पूछा।

"ये तो भई, निर्भर करता है।" शेरिफ ने हैंक की तरफ सकुचाते हुए देखते हुए कहा।

हैंक की मुस्कुराहट उदास और रहस्यमय थी।

हम उनके साथ डिनर के समय तक बैठे रहे और जैसे-जैसे दिन ढलता गया, बातचीत उस तरीके की ओर मुड़ गयी जिसमें हैंक को फिर से गिरफ्तार किया गया था। शेरिफ ने बताया था कि जेल-सूचना के आदान-प्रदान से उन्हें फोटो और उँगलियों के निशान मिले थे और उन्हें यकीन हो गया कि हैंक ही वह आदमी है जिसकी उन्हें तलाश है। इसलिए जिस दिन हैंक को रिहा किया जाना था, वे सैन क्विंटन की जेल के दरवाज़े पर पहुँच गए थे।

"हाँ!" अपनी छोटी-छोटी आँखें टिमटिमाते हुए और शेरिफ और हैंक की तरफ देखते हुए शेरिफ बोले,"हम सड़क के दूसरी तरफ इसका इंतज़ार करने लगे। बहुत जल्द ही जेल के गेट के एक तरफ वाले दरवाज़े से हैंक बाहर आया।" शेरिफ अपनी अनामिका उँगली अपनी नाक के पास ले गए और धीरे से व्यंगपूर्ण हँसी के साथ हैंक की दिशा में इशारा करते हुए बोले,"मेरा ख्याल है, यही वह व्यक्ति है, जिसकी हमें तलाश है।"

एंडरसन और मैं मंत्रमुग्ध उसे सुनते रहे,"इसलिए हमने उसके साथ सौदा किया" शेरिफ ने कहा,"अगर वह हमारे साथ चालबाज़ी करेगा तो हम उसे सीधा कर देंगे।" हम इसे नाश्ते के लिए ले गए और उसे गरमा गरम केक और अंडे खिलाए और देखिए इसे फर्स्ट क्लास में यात्रा कर रहा है। हथकड़ी और बेड़ी में मुश्किल से ले जाए जाने से तो यह बेहतर ही है।"

हैंक मुस्कुराया और भुनभुनाया,"अगर मैं चाहता तो मैं आपके साथ प्रत्यार्पण के मामले पर लड़ सकता था।"

शेरिफ ने उसे ठंडेपन से देखा,"उससे तुम्हारा कोई खास भला न हुआ होता, हैंक।" उन्होंने धीरे से कहा,"इससे बस मामूली सी देर ही होती। क्या आराम से फर्स्ट क्लास में जाना बेहतर नहीं हैं?

"मेरा ख्याल है, बेहतर ही है।" हैंक ने कंधे उचकाए।

जैसे जैसे हम हैंक की मंज़िल के नज़दीक आ रहे थे, उसने लगभग प्यार भरे स्वर में सेंट लोईस में जेल के बारे में बातें करनी शुरू कर दीं। उसने दूसरे कैदियों द्वारा अपना मुकदमा लड़े जाने की प्रत्याशा से ही खुशी हो रही थी,"मैं तो बस सोच रहा हूँ कि जब मैं कंगारू कोर्ट के सामने पहुंचूंगा तो वे गोरिल्ला मेरे साथ क्या करेंगे। जरा सोचो तो। वे मेरा तंबाखू और मेरी सिगरेटें मुझसे ले लेंगे।"

शेरिफ और एटॉर्नी का हैंक के साथ संबंध ठीक वैसा ही था जैसी उस सांड के साथ मैटाडोर का दुलार होता है, जिसे वो मारने वाला है। जब वे ट्रेन से उतरे तो ये दिसंबर का आखिरी दिन था और जब हम अलग हुए तो शेरिफ और एटॉर्नी ने हमें नववर्ष की शुभकामनाएँ दीं। हैंक ने भी उदासी से यह कहते हुए हाथ मिलाए कि सारी अच्छी चीज़ों का अंत होता ही है। यह तय कर पाना मुश्किल था कि उसे विदा कैसे दी जाए। उसका अपराध क्रूरतापूर्ण और कायरपने का था। इसके बावजूद मैंने पाया कि मैं उसे शुभकामना के दो शब्द कह रहा हूँ जिस वक्त वह अपनी भारी बेड़ी के साथ ट्रेन से लंगड़ाता हुआ उतर रहा था। बाद में हमें पता चला था कि उसे फाँसी दे दी गयी थी।

जब हम शिकागो पहुँचे तो हमारा स्वागत मिस्टर स्पूअर के बजाय स्टूडियो मैनेजर ने किया। उसने बताया कि मिस्टर स्पूअर कारोबार के सिलसिले में बाहर गए हुए हैं और नए वर्ष की छुट्टियों तक वापस नहीं आएंगे। मुझे नहीं लगा कि मिस्टर स्पूअर की गैर हाज़िरी से इस वज़ह से कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला है कि नए वर्ष की शुरुआत से पहले स्टूडियो में कुछ भी नहीं होने वाला। इस बीच मैंने नव वर्ष की पूर्व संध्या एंडरसन, उनकी पत्नी और परिवार के साथ बितायी। नव वर्ष के दिन एंडरसन यह आश्वासन देते हुए कैलिफोर्निया के लिए रवाना हो गए कि जैसे ही स्पूअर लौटेंगे वे सारे चीजों, जिनमें दस हजार डॉलर का बोनस शामिल है, को देख लेंगे। स्टूडियो औद्योगिक जिले में था और ज़रूर कभी गोदाम रहा होगा। सुबह के वक्त मैं वहाँ पहुँचा, न तो स्पूअर आए थे और न ही मेरे कारोबार की व्यवस्थाओं के बारे में कोई हिदायतें छोड़ गए थे। तुरंत ही लगा कि ज़रूर कुछ न कुछ गड़बड़ है और ऑफिस वाले जितना बताने को तैयार थे, उससे ज्यादा जानते थे। लेकिन उससे मैं परेशानी में नहीं पड़ा; मुझे यकीन था कि एक अच्छी फिल्म मेरी सारी समस्याओं को हल कर देगी, इसलिए मैंने प्रबंधक से पूछा कि क्या वह जानता है कि मुझे स्टूडियो स्टाफ के पूरा सहयोग मिलना है और उनकी सारी सुविधाओं को इस्तेमाल करने की पूरी छूट है।

"बेशक!" उसने ज़वाब दिया,"मिस्टर एंडरसन इस बारे में हिदायतें दे गए हैं।"

"तब तो मैं तुरंत काम करना चाहूँगा।" मैंने कहा।

"बेहतर है।" उसने जवाब दिया,"पहली मंजिल पर आपको सिनेरियो विभाग की मिस लॉयला पार्सन्स मिलेंगी, वे आपको पटकथा देंगी।"

"मैं दूसरे लोगों की पटकथाओं को इस्तेमाल नहीं करता। अपनी खुद की पटकथा लिखता हूँ।" मैंने पलटकर जवाब दिया।

मैं लड़ने भिड़ने के मूड में था क्योंकि वे सारी चीजों के बारे में और स्पूअर की अनुपस्थिति के बारे में बहुत हल्के तरीके से पेश आ रहे थे; स्टूडियो का स्टाफ अकड़ू था और बैंक क्लर्कों की तरह हाथ में सामान की मांग पर्ची लिये इधर उधर डोलता रहता था मानो वे गारंटी ट्रस्ट कम्पनी के सदस्य हों। उनका कारोबारी तरीके से पेश आना बहुत आकर्षक था लेकिन उनकी फिल्में नहीं। ऊपर वाली मंज़िल पर अलग अलग विभागों के बीच इस तरह के पार्टीशन डाले गये थे मानो बैंक के टेलरों के दड़बे हों। ये सब कुछ था लेकिन सृजनात्मक काम के लिए अनुकूल नहीं था। छ: बजते ही, इस बात की परवाह किये बिना कि दृश्य आधा हुआ है या नहीं, निर्देशक सब कुछ छोड़ छाड़ कर चल देता और बत्तियां बंद कर दी जातीं और सब लोग अपने अपने घर चले जाते।

अगली सुबह मैं कलाकारों का चयन करने वाले कास्टिंग के दफ्तर में गया। "मैं कुछ कलाकार चुनना चाहूंगा," मैंने शुष्कता से कहा,"इसलिए क्या आप अपनी कम्पनी के ऐसे लोगों के मेरे पास भेजने का कष्ट करेंगे जो फिलहाल काम में लगे हुए नहीं हैं?"

उन्होंने मेरे सामने ऐसे लोग हाज़िर कर दिये जो उनके ख्याल से मेरे काम के हो सकते थे। वहां पर भेंगी आंखों वाला एक आदमी था जिसका नाम बेन टर्पिन था जो रस्सी वगैरह का काम जानता था और उसके पास उन दिनों ऐसेने में कोई खास काम नहीं था। मैंने उसे हाथों-हाथ पसंद कर लिया, सो उसे चुन लिया। लेकिन कोई प्रमुख महिला पात्र नहीं थी। कई कई साक्षात्कार लेने के बाद एक आवेदक में कुछ संभावनाएं नज़र आयीं। वह एक खूबसूरत सी युवा लड़की थी जिसे कम्पनी ने हाल ही में करार पर रखा था। लेकिन, हे भगवान! मैं उसके चेहरे पर हाव भाव ला ही न सका। वह इतनी गयी गुज़री थी कि मैंने हार मान ली और उसे दफा कर दिया। कई बरसों के बाद ग्लोरिया स्वैनसन ने मुझे बताया था कि वही वह लड़की थी और कि ड्रामे में कुछ करने की महत्त्वाकांक्षा के चलते और स्वांग वाली चीजें पसंद न करने के कारण ही उस दिन उसने जान बूझ कर सहयोग नहीं दिया था।

फ्रांसिस एक्स बुशमैन, उस वक्त के ऐसेने के महान कलाकार ने उस जगह के प्रति मेरी नापसंदगी को ताड़ लिया, "आप स्टूडियो के बारे में जो कुछ भी सोचें," कहा उसने,"ये तो बस, विपरीत ध्रुवों वाला मामला है।" लेकिन ऐसा नहीं था। न तो मुझे स्टूडियो नापसंद था और न ही मुझे विपरीत ध्रुव शब्द ही पसंद आया। परिस्थितियां बद से बदतर होती चली गयीं। जब मैं अपनी फिल्म के रशेज़ देखना चाहता तो वे पॉजिटिव प्रिंट का खर्चा बचाने के लिए मूल नेगेटिव फिल्म ही चला देते। इस बात ने मुझे डरा दिया। और जब मैंने इस बात की मांग की कि वे एक पॉजिटिव प्रिंट बनायें तो उन्होंने इस तरह के हाव भाव दिखाये मानो मैं उन्हें दिवालिया करने आ गया हूं। वे लोग संकीर्ण और आत्म तुष्ट थे। चूंकि वे फिल्म कारोबार में सबसे पहले आये थे, और उन्हें पेटेंट अधिकारों से सुरक्षा मिली हुई थी और इस तरह से वे फिल्म निर्माण में एकाधिकार रखते थे, अच्छी फिल्म बनाना उनका अंतिम उद्देश्‍य था। और हालांकि दूसरी कम्पनियां उनके पेटेंट अधिकार को चुनौती दे रही थीं और बेहतर फिल्में बना रही थीं, ऐसेने अभी भी अपने तौर तरीके बदलने को तैयार नहीं थे और हर सोमवार की सुबह ताश के पत्तों की तरह सिनेरियो का धंधा कर रहे थे।

मैंने अपनी पहली फिल्म लगभग पूरी कर ली थी। इसका नाम था हिज़ न्यू जॉब। दो हफ्ते बीत गये थे और अब तक मिस्टर स्पूअर के दर्शन नहीं हुए थे। न तो मुझे वेतन मिला था और न ही बोनस ही, इसलिए मैं तिरस्कार से भरा हुआ था।

"मिस्टर स्पूअर कहां पर हैं?" मैंने फ्रंट ऑफिस में जा कर जानना चाहा। वे परेशानी में पड़ गये और कोई संतोषजनक उत्तर न दे सके। मैंने अपनी नाराज़गी छुपाने की कोई कोशिश नहीं की और पूछा कि क्या हर बार वे अपना कारोबार इसी तरीके से करते हैं।

कई बरस बाद मैंने खुद मिस्टर स्पूअर से सुना था कि हुआ क्या था। ऐसा लगता है कि जब स्पूअर, जिन्होंने कभी मेरा नाम भी नहीं सुना था, को जब पता चला कि एंडरसन ने मुझे बारह सौ डॉलर प्रति सप्ताह और दस हज़ार डॉलर के बोनस पर एक बरस के लिए साइन कर लिया है तो उन्होंने हड़बड़ाते हुए एंडरसन को यह जानने के लिए एक तार भेजा कि कहीं वे पागल तो नहीं हो गये हैं और जब स्पूअर को पता चला कि एंडरसन ने मुझे जैस्स रॉबिन्स की सिफारिश पर सिर्फ एक जूए के तौर पर साइन किया है, उनकी चिंता दुगुनी हो गयी। उनके पास ऐसे ऐसे हँसोड़ थे जिनमें से सबसे अच्छे कलाकार सिर्फ पिचहत्तर डॉलर प्रति सप्ताह पर काम कर रहे थे और जो वे जो कॉमेडी बनाते थे, मुश्किल से उनका खर्चा ही निकल पाता था। इसलिए स्पूअर शिकागो से गायब ही हो गये थे।

अलबत्ता, जब वे लौटे तो अपने कई दोस्तों के साथ शिकागो के बड़े होटलों में से एक में खाना खा रहे थे तो उनकी हैरानी का ठिकाना न रहा जब दोस्तों ने उन्हें इस बात पर बधाई दी कि मैं उनकी कम्पनी में शामिल हो गया हूं। इसके अलावा चार्ली चैप्लिन के बारे में स्टूडियो कार्यालय में पहले से ज्यादा प्रचार होने लगा था। इसलिए उन्होंने सोचा कि एक आजमाइश करके देखी जाये। उन्होंने होटल के एक छोकरे को बुलवाया, उसे चौथाई डॉलर दिया और कहा कि वह पूरे होटल में घूम घूम कर चार्ली की तलाश के लिए आवाज़ लगाये। लड़का जैसे जैसे लॉबी में ये चिल्लाता घूमने लगा कि "चार्ली चैप्लिन के लिए फोन!!", लोग उसके आस पास जुटने लगे और आलम ये हो गया कि चारों तरफ उत्तेजना और हलचल मच गयी। मेरी लोकप्रियता से ये उनका पहला साबका था। दूसरी घटना फिल्म एक्सचेंज के दफ्तर में तब हुई थी जब वे वहां पर मौजूद नहीं थे; उन्होंने पाया कि मेरे फिल्म शुरू करने से पहले ही फिल्म की पैंसठ प्रतियों की अग्रिम बिक्री हो जाती थी। ऐसा आज तक नहीं हुआ था और जब तक मैं फिल्म पूरी करता, एक सौ तीस प्रिंट बिक चुके होते और अभी भी ऑर्डर आ रहे होते। उन्होंने तुरंत ही कीमत तेरह सेंट से बढ़ा कर पच्चीस सेंट प्रति फुट कर दी।

आखिरकार जब स्पूअर आये तो मैंने उनसे छूटते ही अपने वेतन और बोनस की बात की। वे तरह तरह से क्षमा मांग रहे थे और बता रहे थे कि वे अपने फ्रंट ऑफिस को मेरे सारे कारोबारी इंतज़ाम करने के लिए कह कर गये थे। उन्होंने करार नहीं देखा था लेकिन ये मान कर चल रहे थे कि उनके फ्रंट ऑफिस को इसके बारे में सब कुछ मालूम होगा।

स्पूअर ऊंचे कद के, थोड़े भारी शरीर वाले मृदु भाषी व्यक्ति थे। वे आकर्षक भी होते अगर उनके चेहरे पर मांस की पीली परत न चढ़ी होती और उनका मोटा सा ऊपरी होंठ नीचे वाले होंठ के ऊपर टिका न होता।

"मुझे अफ़सोस है कि आप इस तरह से सोचते हैं," कहा उन्होंने, "लेकिन आप को पता होना चाहिये चार्ली कि हमारी फर्म एक इज़्ज़तदार फर्म है और हम अपने करार हमेशा पूरे करते हैं।"

"ठीक है, लेकिन इस करार को आप पूरा नहीं कर रहे हैं," मैंने टोका।

"कोई बात नहीं, हम अभी सारे मामले सुलझा लेते हैं।" उन्होंने कहा।

"मुझे कोई जल्दी नहीं है।" मैंने कटाक्ष के साथ जवाब दिया।

शिकागो में मेरे संक्षिप्त प्रवास के दौरान स्पूअर ने मुझे तुष्ट करने की हर तरह से कोशिश की। लेकिन मैं कभी भी उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप खरा नहीं उतर सका। मैंने उन्हें बताया कि मैं शिकागो में काम करने में खुश नहीं हूं और कि अगर वे नतीजे चाहते हैं तो मेरे लिए कैलिफोर्निया में काम करने की व्यवस्था करा दें।

"हम ऐसा कुछ भी करेंगे जिससे आपको खुशी मिले," उन्होंने कहा,"नाइल्स जाने के बारे में क्या ख्याल है?"

मैं इस प्रस्ताव पर बहुत खुश नहीं था, लेकिन मैं स्पूअर की तुलना में एंडरसन को ज्यादा पसंद करता था, इसलिए हिज़ न्यू जॉब पूरी कर लेने के बाद मैं नाइल्स चला गया।

ब्रोंको बिली अपनी वेस्टर्न फिल्में वहीं पर बनाया करते थे। ये एक-एक रील की फिल्में हुआ करती थीं जिन्हें बनाने में उन्हें एक ही दिन लगता था। उनके पास सात ही कहानियों के प्लॉट थे जिन्हें वे घुमा-फिरा कर बार-बार दोहराते रहते थे और इन्हीं से उन्होंने कई लाख डॉलर कमाये थे। वे कभी कभार काम करते थे। कभी-कभी वे एक-एक रील की सात फिल्में एक ही हफ्ते में बना कर धर देते। और फिर छ: सप्ताह के लिए छुट्टी मनाने चले जाते।

नाइल्स में स्टूडियो के आस-पास कैलिफोर्निया शैली के कई छोटे-छोटे बंगले थे जो ब्रोंको बिली ने अपनी कम्पनी के स्टाफ के लिए बनवाये थे। एक बड़ा-सा बंगला था जो उनके खुद के लिए था। उन्होंने बताया कि अगर मैं चाहूं तो उनके बंगले में उनके साथ ही रह सकता हूं। मैं इस प्रस्ताव से खुश हुआ। ब्रोंको बिली, करोड़पति काउबॉय, जिन्होंने शिकागो में अपनी पत्नी के आलीशान अपार्टमेंट में मेरी आवभगत की थी, के साथ रहने से कम से कम नाइल्स में ज़िंदगी सहने योग्य तो रहेगी।

जिस समय हम बंगले पर पहुंचे, उस वक्त अंधेरा था। जब हमने स्विच ऑन किये तो मुझे झटका लगा। जगह एक दम खाली और मनहूसियत भरी थी। उनके कमरे में लोहे की एक चारपाई रखी थी और उसके ऊपर एक बल्ब लटक रहा था। कमरे में फर्नीचर के नाम पर एक खस्ताहाल मेज़ और एक कुर्सी भी थे। पलंग के पास लकड़ी की एक पेटी रखी थी जिस पर पीतल की एक ऐश ट्रे रखी थी जो सिगरेट के टोटों से पूरी तरह से भरी हुई थी। मुझे जो कमरा दिया गया था, वो भी कमोबेश ऐसा ही था। उसमें बस, राशन रखने की पेटी नहीं थी। कोई भी चीज़ काम करने की हालत में नहीं थी। गुसलखाने के तो और भी बुरे हाल थे। नहाने के नलके से एक मग पानी भर कर लैट्रिन में ले जाना पड़ता था तभी फ्लश किया जा सकता था और लैट्रिन को इस्तेमाल किया जा सकता था। ये घर था जी एम एंडरसन, करोड़पति काउबॉय का।

मैं इस नतीजे पर पहुंचा कि एंडरसन सनकी थे। करोड़पति होने के बावजूद वे गरिमामय जीवन के प्रति ज़रा भी परवाह नहीं करते थे। उनके शौक थे, भड़कीले रंगों वाली कारें, नूरा कुश्तियों के पहलवानों को पालना, एक थियेटर रखना और संगीतमय प्रस्तुतियां करना। जब वे नाइल्स में काम न कर रहे होते, वे अपना अधिकतर समय सैन फ्रैंसिस्को में बिताते, जहां पर वे छोटे, कम कीमत वाले होटलों में ठहरते। वे अजीब ही किस्म के शख्स थे, अस्पष्ट, मौजी और बेचैन, जो आनंद भरी अकेली ज़िंदगी की चाह रखते थे। और हालांकि शिकागो में उनकी बहुत ही खूबसूरत पत्नी और बेटी थी, वे शायद ही उनसे मिलते। वे अलग और अपने तरीके से अपनी ज़िंदगी जी रही थीं।

एक बार फिर से एक स्टूडियो से दूसरे स्टूडियो में धक्के खाना कोफ्त में डालता था। मुझे काम करने वाली एक और यूनिट का इंतज़ाम करने की ज़रूरत पड़ी। इसका मतलब, एक और संतोषजनक कैमरामैन, सहायक निर्देशक और कलाकारों की टोली चुननी पड़ी। कलाकारों की टोली चुनना थोड़ा मुश्किल काम था क्योंकि नाइल्स में इतने लोग ही नहीं थे जिनमें से चुनने की बात आती। एंडरसन की कॉउबॉय कम्पनी के अलावा नाइल्स में एक और कम्पनी थी। ये एक नामालूम सी कॉमेडी कम्पनी थी जिनका काम-काज चलता रहता और जब जी एम एंडरसन की कम्पनी काम न कर रही होती तो खर्चे निकाल लिया करती थी। कलाकारों की टोली में बारह लोग थे। और इनमें से ज्यादातर कॉउबॉय अभिनेता थे। एक बार फिर मेरे सामने मुख्य भूमिका के लिए कोई खूबसूरत-सी लड़की तलाश करने की समस्या आ खड़ी हुई। अब मैं इस बात को ले कर परेशान था कि कैसे भी करके काम शुरू किया जाये। हालांकि मेरे पास कहानी नहीं थी, मैंने आदेश दिया कि तड़क भड़क वाले एक कैफे का सेट बनाया जाये। जब मुझे हँसी-ठिठोली के लिए कुछ भी न सूझता तो कैफे के विचार से मुझे कुछ न कुछ ज़रूर सूझ जाता। जिस समय सेट बनाया जा रहा था, मैं जी एम एंडरसन के साथ सैन फ्रांसिस्को के लिए रवाना हो गया ताकि वहां पर उनकी संगीतमय कॉमेडी में समूहगान गाने वाली लड़कियों में से अपने लिए प्रमुख अभिनेत्री चुन सकूं। हालांकि वे अच्छी लड़कियां थीं फिर भी उनमें से किसी का भी चेहरा फोटोजेनिक नहीं था। एंडरसन के साथ काम करने वाले कार्ल स्ट्रॉस, खूबसूरत युवा जर्मन-अमेरिकी काउबॉय ने बताया कि वह एक ऐसी लड़की को जानता है जो कभी-कभी हिल स्ट्रीट पर टाटे के कैफे में जाती है। वह उसे व्यक्तिगत रूप से नहीं जानता था लेकिन वह खूबसूरत है और हो सकता है कि होटल का मालिक उसका पता जानता हो।

मिस्टर टाटे उसे बहुत अच्छी तरह से जानते थे। वह लवलॉक, नेवादा की रहने वाली थी और उसका नाम एडना पुर्विएंस था। तुरंत ही हमने उससे सम्पर्क किया और उससे सेंट फ्रांसिस होटल में मुलाकात के लिए समय तय किया। वह खूबसूरत से कुछ ज्यादा ही थी। कमनीय थी वह। साक्षात्कार के समय वह उदास और गम्भीर जान पड़ी। मुझे बाद में पता चला कि वह अपने हाल ही के एक प्रेम प्रसंग से उबर रही थी। उसने कॉलेज तक की पढ़ाई की थी और उसने बिजिनेस कोर्स किया था। वह शांत और अलग थलग रहने वाली लड़की थी। उसकी बड़ी-बड़ी आंखें, सुंदर दंत-पंक्ति और संवेदनशील मुंह था। मुझे इस बात पर शक था कि वह इतनी गम्भीर दिखती है कि वह अभिनय भी कर पायेगी या नहीं और उसमें हास्य बोध है या नहीं। इसके बावज़ूद, इन सारी बातों को दर किनार करते हुए हमने उसे रख लिया। वह मेरी कॉमेडी फिल्मों में कम से कम सौन्दर्य तो बिखेरेगी।

अगले दिन हम नाइल्स लौट आये लेकिन अब तक कैफे बन कर तैयार नहीं हुआ था। जो ढांचा उन्होंने खड़ा किया था, वह वाहियात और बकवास था। स्टूडियो में पक्के तौर पर तकनीकी ज्ञान की कमी थी। कुछेक बदलावों के लिए कहने के बाद मैं किसी आइडिया की तलाश में बैठ गया। मैंने एक शीर्षक सोचा, हिज़ नाइट आउट। खुशी की तलाश में एक शराबी। शुरुआत करने के लिए इतना काफी था। मैंने यह महसूस करते हुए नाइट क्लब में एक झरना लगवा दिया कि इसी से शायद कुछ हंसी-मज़ाक की चीजें निकल आयें। मेरे पास ठलुए की भूमिका के लिए बेन टर्पिन था। जिस दिन हमने फिल्म शुरू करनी थी, उससे एक दिन पहले एंडरसन की कम्पनी के एक सदस्य ने मुझे रात के खाने पर आमंत्रित किया। ये सीधी-सादी पार्टी थी। वहां पर एडना पुर्विएंस को मिला कर हम बीस के करीब लोग थे। खाने के बाद कुछ लोग ताश खेलने बैठ गये जबकि दूसरे लोग आस पास बैठ कर बातें करने लगे। हमारे बीच सम्मोहन शक्ति, हिप्नोटिज्म़ की बात चल पड़ी। मैंने शेखी बघारी कि मैं सम्मोहन शक्तियां जानता हूं। मैंने दावे के साथ कहा कि मैं साठ सेकेंड के भीतर कमरे में किसी को भी हिप्नोटाइज कर सकता हूं। मैं इतने आत्म विश्वास के साथ बात कर रहा था कि सबको मुझ पर यकीन हो गया। लेकिन एडना ने विश्वास नहीं किया।

वह हँसी,"क्या बकवास है? मुझे कोई हिप्नोटाइज कर ही नहीं सकता।"

"तुम," मैंने कहा,"एकदम सही व्यक्ति हो। मैं तुमसे दस डॉलर की शर्त बद कर कहता हूं कि मैं तुम्हें साठ सेकेंड के भीतर सुला दूंगा।"

"ठीक है," एडना ने कहा, "तो लग गयी शर्त"

"अब एक बात सुन लो। अगर बाद में तुम्हारी तबीयत खराब हो गयी तो इसके लिए मुझे दोष मत देना। हां, मैं जो कुछ करूंगा, बहुत ज्यादा गम्भीर नहीं होगा।"

मैंने इस बात की भरपूर कोशिश की कि वह पीछे हट जाये लेकिन वह अपनी बात पर डटी रही। एक महिला ने उसके आगे हाथ-पैर जोड़े कि वह ये सब न करने दे,"तुम तो एक दम मूरखा हो," कहा उसने।

"शर्त अभी भी अपनी जगह पर है।" एडना ने शांति से कहा।

"ठीक है," मैंने जवाब दिया,"मैं चाहता हूं कि तुम सबसे अलग, अपनी पीठ दीवार से अच्छी तरह से सटा कर खड़ी हो जाओ ताकि मुझे तुम्हारा पूरा का पूरा ध्यान मिले।"

उसने नकली हँसी हँसते हुए मेरी बात मान ली। अब तक कमरे में मौजूद सभी लोग इसमें दिलचस्पी लेने लगे थे।

"कोई घड़ी पर निगाह रखे।" मैंने कहा।

"याद रखना," एडना ने कहा, "आप मुझे साठ सेकेंड के भीतर सुला देने वाले हैं।"

"साठ सेकेंड के भीतर तुम एक दम बेहोश हो जाओगी।" मैंने जवाब दिया।

"शुरू," टाइम कीपर ने कहा

तुरंत ही मैंने दो-तीन ड्रामाई हरकतें कीं, उसकी आंखों में घूर-घूर कर देखा, तब मैं उसके चेहरे के निकट गया और उसके कानों में फुसफुसाया ताकि दूसरे लोग न सुन सकें,"झूठ मूठ का नाटक करो।" और मैंने हवा में हाथ लहराये, "तुम बेहोश हो जाओगी, बेहोश, बेहोश!!"

तब मैं अपनी जगह पर वापिस आया और वह लड़खड़ाने लगी। तुरंत ही मैंने उसे अपनी बाहों में थाम लिया। दर्शकों में से दो चिल्लाये।

"जल्दी करो," मैंने कहा, "इसे दीवान पर लिटाने में कोई मेरी मदद करे।"

जब उसे होश आया तो उसने हैरानी से चारों तरफ देखा और कहा कि वह थकान महसूस कर रही है।

हालांकि वह अपना तर्क जीत सकती थी और सभी उपस्थित लोगों के सामने अपनी बात सिद्ध कर सकती थी फिर भी उसने खुशी-खुशी अपनी जीत को हार में बदल जाने दिया। उसकी इस बात से मैं उसका मुरीद हो गया और मुझे तसल्ली हो गयी कि उसमें हास्य बोध है।

मैंने नाइल्स में चार कॉमेडी फिल्में बनायीं लेकिन चूंकि स्टूडियो सुविधाएं संतोषजनक नहीं थीं, मैं अपने आपको जमा हुआ या संतुष्ट अनुभव नहीं करता था। इसलिए मैंने एंडरसन को सुझाव दिया कि मैं लॉस एंजेल्स चला जाता हूं। वहां पर उनके पास कॉमेडी फिल्में बनाने के लिए बेहतर सुविधाएं थीं। वे सहमत हो गये लेकिन ये सहमति एक दूसरे ही कारण से थी। मैं स्टूडियो पर एकाधिकार जमाये बैठा था जो कि तीन कम्पनियों के लायक बड़ा या पर्याप्त रूप से स्टाफ युक्त नहीं था। इसलिए उन्होंने बॉयल हाइट्स पर एक छोटा-सा स्टूडियो किराये पर लेने के लिए बातचीत की। ये स्टूडियो लॉस एंजेल्स के बीचों-बीच था।

जिस वक्त हम वहां पर थे, दो युवा लड़के, जो अभी कारोबार में बस, शुरुआत कर ही रहे थे, आये और स्टूडियो की जगह किराये पर ले ली। उनके नाम थे हाल रोच और हारोल्ड लॉयड।

मेरी हर नयी फिल्म के साथ जैसे-जैसे मेरी कॉमेडी फिल्मों की कीमत बढ़ती गयी, ऐसेने ने अप्रत्याशित शर्तें लगानी शुरू कर दीं और वितरकों से मेरी दो रील की कॉमेडी के लिए हर दिन के लिए कम से कम पचास डॉलर का किराया वसूल करना शुरू कर दिया। इस तरह से वे मेरी प्रत्येक फिल्म से अग्रिम रूप से पचास हज़ार डॉलर जमा कर रहे थे।

उन दिनों मैं स्टॉल होटल पर मैं ठहरा हुआ था। ये एक ठीक-ठाक किराये वाला नया लेकिन आराम दायक होटल था। एक शाम मेरे काम से लौटने के बाद, लॉस एंजेल्स एक्जामिनर से मेरे लिए एक ज़रूरी टेलिफोन कॉल आया। उन्हें न्यू यार्क से एक तार मिला था जिसे उन्होंने पढ़ कर सुनाया: न्यू यार्क हिप्पोड्रोम में हर शाम पन्द्रह मिनट के लिए दो सप्ताह तक आ कर प्रदर्शन करने के लिए चार्ली चैप्लिन को 25000 डॉलर देंगे। इससे उनके काम में बाधा नहीं पड़ेगी।

मैंने तत्काल सैन फ्रांसिस्को में जी एम एंडरसन को फोन लगाया। देर हो चुकी थी और मैं अगली सुबह तीन बजे तक उनसे बात नहीं कर पाया। फोन पर ही मैंने उन्हें तार के बारे में बताया और पूछा कि क्या वे दो हफ्ते के लिए मुझे जाने देंगे ताकि मैं 25000 डॉलर कमा सकूं। मैंने सुझाव दिया कि मैं न्यू यार्क जाते समय ट्रेन में ही कॉमेडी बनाना शुरू कर सकता हूं और वहां रहते हुए उसे पूरा भी कर लूंगा। लेकिन एंडरसन नहीं चाहते थे कि मैं ये काम करूं।

मेरे बेडरूम की खिड़की होटल के भीतरी हॉल की तरफ खुलती थी इसलिए वहां पर कोई भी बात कर रहा होता तो उसकी आवाज़ सभी कमरों में गूंजती थी। टेलिफोन कनेक्शन अच्छी तरह से काम नहीं कर रहा था। मैं दो हफ्ते के लिए अपने हाथ से पच्चीस हज़ार डॉलर नहीं जाने दे सकता। ये बात मुझे कई बार चिल्ला कर कहनी पड़ी।

ऊपर के किसी कमरे की खिड़की खुली और एक आवाज़ पलट कर ज़ोर से चिल्लायी, "दफा करो इस हरामजादे को और सो जाओ, बदतमीज कहीं के!!"

एंडरसन ने फोन पर बताया कि अगर मैं ऐसेने को दो रील की एक और कॉमेडी बना कर दे दूं तो वे मुझे पच्चीस हज़ार डॉलर दे देंगे। उन्होंने वादा किया कि अगले ही दिन वे लॉस एंजेल्स आ रहे हैं और करार कर लेंगे। जब मैंने टेलिफोन पर बात पूरी कर ली तो बत्ती बंद करके सोने जा ही रहा था कि मुझे वह आवाज़ याद आयी, मैं बिस्तर से उठा, खिड़की खोली और ज़ोर से चिल्लाया, "भाड़ में जाओ!"

अगले दिन एंडरसन पच्चीस हज़ार डॉलर के साथ लॉस एंजेल्स आये। न्यू यार्क की मूल कम्पनी जिसने यह प्रस्ताव रखा था, दो हफ्ते बाद ही दिवालिया हो गयी। ऐसी थी मेरी किस्मत।

अब लॉस एंजेल्स वापिस लौट कर मैं पहले से ज्यादा खुश था। हालांकि बॉयल हाइट्स पर बने हुए स्टूडियो के आस-पास छोपड़-पट्टियां थीं, वहां रहने से मुझे एक फायदा से हुआ कि मैं अपने भाई सिडनी के आस-पास ही रह सका। मैं उससे अक्सर शाम को मिल लेता। वह अभी भी कीस्टोन में ही काम कर रहा था और ऐसेने के साथ मेरा करार खत्म होने से एक महीना पहले उसका करार पूरा हो जाता। मेरी सफलता का ये आलम था कि सिडनी ये सोच रहा था कि वह अब अपना पूरा वक्त मेरे कारोबारी कामों में ही लगाये। रिपोर्टों के अनुसार, मेरी लोकप्रियता आने वाली प्रत्येक कॉमेडी फिल्म के साथ बढ़ती ही जा रही थी। हालांकि लॉस एंजेल्स में सिनेमा हॉलों के बाहर लगने वाली लम्बी-लम्बी कतारों को देख कर मैं अपनी सफलता की सीमा की बारे में जानता था, मैं इस बात को महसूस नहीं कर पाया कि बाकी जगह मेरी सफलता कितनी बढ़ी है। न्यू यार्क में मेरे चरित्र, कैलेक्टर के खिलौने और मूर्तियां सभी डिपार्टमेंट स्टोरों और ड्रगस्टोरों में बिक रहे थे। जिगफेल्ड लड़कियां चार्ली चैप्लिन गीत गा रही थीं और अपने खूबसूरत चेहरों पर चार्लीनुमा मूछें लगा कर, डर्बी हैट लगा कर, बड़े जूते और बैगी पैंट पहन कर अपनी खूबसूरती का नाश मार रही थीं। वे दोज़ चार्ली चैप्लिन फीट गीत गा रही थीं।

हमारे पास हर तरह के कारोबारी प्रस्तावों का तांता लगा रहता। इनमें किताबों, कपड़ों, मोमबत्तियों, खिलौनों, सिगरेट और टूथपेस्ट जैसी चीजों के प्रस्ताव होते। इसके अलावा प्रशंसकों की डाक के लगने वाले अम्बार एक और ही परेशानी खड़ी कर रहे थे। सिडनी की ज़िद थी कि भले ही एक और सचिव रखने का खर्च उठाना पड़े, सभी खतों का जवाब दिया जाना चाहिये।

सिडनी ने एंडरसन साहब से इस बारे में बात की कि मेरी फिल्मों को रूटीन फिल्मों से अलग से बेचा जाये। ये ठीक नहीं लगता था कि सारा का सारा पैसा वितरकों की ही जेब में जाये। हालांकि ऐसेने वाले मेरी फिल्मों की सैकड़ों प्रतियां बना कर बेच रहे थे, ये फिल्में वितरण के पुराने ढर्रे पर ही बेची जा रही थीं। सिडनी ने सुझाव दिया कि बैठने की क्षमता के अनुसार बड़े थियेटरों के लिए दाम बढ़ाये जाने चाहिये। इस योजना को लागू किया जाता तो हरेक फिल्म से आने वाली रकम एक लाख डॉलर या उससे भी ज्यादा बढ़ सकती थी। एंडरसन साहब को ये योजना असंभव लगी। उन्हें ये योजना पूरे मोशन पिक्चर्स ट्रस्ट की नीतियों के खिलाफ मोर्चा बांधने जैसी लगी। इस ट्रस्ट में सोलह हज़ार थियेटर थे। फिल्में खरीदने के उनके नियम और तरीके बदले नहीं जा सकते थे। कुछ ही वितरक ऐसी शर्तों पर फिल्में खरीद पाते।

बाद में पता चला कि ऐसेने ने बिक्री का अपना पुराना तरीका छोड़ दिया है और जैसा कि सिडनी से सुझाव दिया था, अब वे थियेटर की बैठने की क्षमता के अनुसार अपनी दरें बढ़ा रहे थे। इससे, जैसा कि सिडनी ने कहा था, मेरी प्रत्येक कॉमेडी फिल्म के लिए आने वाली रकम एक लाख डॉलर हो गयी। इस खबर से मेरे कान खड़े हो गये। मुझे हफ्ते के सिर्फ बारह सौ पचास डॉलर ही मिल रहे थे और मैं लिखने, अभिनय करने और निर्देशन करने का सारा काम कर रहा था। मैंने शिकायत करना शुरू कर दिया कि मैं बहुत ज्यादा काम कर रहा हूं और मुझे फिल्म बनाने के लिए थोड़े और समय की ज़रूरत है। मेरे पास एक बरस का करार था और मैं हर दो या तीन हफ्ते में कॉमेडी फिल्म बना कर दे रहा था। जल्द ही शिकागो में स्पूअर साहब हरकत में आये। वे लॉस एंजेल्स के लिए ट्रेन में सवार हुए और एक अतिरिक्त चुग्गे के रूप में यह करार किया कि अब मुझे हर फिल्म के लिए दस हज़ार डॉलर का बोनस मिला करेगा। इससे मेरी सेहत को कुछ खुराक मिली।

लगभग इसी समय डी डब्ल्यू ग्रिफिथ ने अपनी एपिक फिल्म द बर्थ ऑफ ए नेशन बनायी जिसने उन्हें चलचित्र सिनेमा के उत्कृष्ट निर्देशक के रूप में स्थापित कर दिया। इसमें कोई शक नहीं था कि वे मूक सिनेमा के बेताज बादशाह थे। हालांकि उनके काम में अतिनाटकीयता होती थी और कई बार सीमाओं से बाहर और असंगत भी, लेकिन ग्रिफिथ की फिल्मों में मौलिकता की छाप होती थी जिसकी वज़ह से हर आदमी को उनकी फिल्म देखनी होती।

डे मिले ने अपने कैरियर की शुरुआत द व्हिस्पिरिंग कोरस और कारमैन के एक संस्करण से की थी लेकिन अपने मेल एंड फिमेल के बाद उनका काम कभी भी चोली के पीछे क्या है, से आगे नहीं जा सका। इसके बावज़ूद मैं उनकी कारमैन से इतना ज्यादा प्रभावित था कि मैंने इस पर दो रील की एक प्रहसन फिल्म बनायी थी। ये ऐसेने के साथ मेरी आखिरी फिल्म थी। जब मैंने ऐसेने को छोड़ दिया था तो उन्होंने सारी कतरनों को जोड़-जाड़ कर उसे चार रील की फिल्म बना दिया था। इससे मैं बुरी तरह से आहत हो गया और दो दिन तक बिस्तर पर पड़ा रहा। हालांकि उनकी ये करतूत बेईमानी भरी थी, फिर भी मेरा ये भला कर गयी कि उसके बाद मैंने अपने सभी करारों में ये शर्त डलवानी शुरू कर दी कि मेरे पूरे किये गये काम में किसी भी किस्म की कोई काट-छांट, उसे बढ़ाना या उसमें छेड़-छाड़ करना नहीं चलेगा।

मेरे करार के खत्म होने का समय निकट आ रहा था, तभी स्पूअर साहब कोस्ट पर मेरे पास एक प्रस्ताव ले कर आये। उनका कहना था कि इस प्रस्ताव का कोई मुकाबला नहीं कर सकता। अगर मैं उन्हें दो-दो रील की बारह फिल्में बना कर दूं तो वे मुझे साढ़े तीन लाख डॉलर देंगे। फिल्म निर्माण का खर्च वे उठायेंगे। मैंने उन्हें बताया कि किसी भी करार पर हस्ताक्षर करने से पहले मैं चाहूंगा कि डेढ़ लाख डॉलर का बोनस पहले रख दिया जाये। इस बात ने स्पूअर साहब के साथ किसी भी किस्म की बातचीत पर विराम लगा दिया।
भविष्य! भविष्य!! शानदार भविष्य!! कहां ले जा रहा था भविष्य!!! संभावनाएं पागल कर देने वाली थीं। किसी हिम स्खलन की तरह पैसा और सफलता हर दिन और तेज गति से बरस रहे थे। ये सब पागल कर देने वाला, डराने वाला था लेकिन था हैरान कर देने वाला।

जिस वक्त सिडनी न्यू यार्क में अलग-अलग प्रस्तावों की समीक्षा कर रहा था, मैं कारमैन फिल्म का निर्माण पूरा करने में लगा हुआ था और सांता मोनिका में समुद्र की तरफ खुलने वाले एक घर में रह रहा था। किसी-किसी शाम मैं सांता मोनिका तटबंध दूसरे सिरे पर बने नाट गुडविन के कैफे में खाना खा लिया करता था। नाट गुडविन को अमेरिक मंच का महानतम अभिनेता और हल्की फुल्की कॉमेडी करने वाला कलाकार समझा जाता था। शेक्सपियर काल के अभिनेता और आधुनिक हल्के-फुल्के कॉमेडी कलाकार, दोनों ही रूपों में उनका बहुत ही शानदार कैरियर रहा था। वे सर हेनरी इर्विंग के खास दोस्त थे और उन्होंने आठ शादियां की थीं। उनकी प्रत्येक पत्नी अपने सौन्दर्य के लिए प्रसिद्ध होती। उनकी पांचवीं पत्नी मैक्सिन इलियट थी जिसे वे तरंग में आ कर "रोमन सिनेटर" कह कर पुकारते थे। "लेकिन वह वाकई खूबसूरत और बेहद बुद्धिमति थी," वे बताया करते। वे बहुत सहज सुसंस्कृत व्यक्ति थे और अपने वक्त से कई बरस आगे थे। उनमें गहरा हास्य बोध था और अब उन्होंने सब-कुछ छोड़-छाड़ दिया था। हालांकि मैंने उन्हें मंच पर कभी अभिनय करते हुए नहीं देखा था, मैं उनका और उनकी प्रतिष्ठा का बहुत सम्मान करता था।

हम बहुत अच्छे दोस्त बन गये और पतझड़ के दिनों की ठिठुरती शामें एक साथ सुनसान समंदर के किनारे चहलकदमी करते हुए गुज़ारते। निचाट उदासी भरा माहौल सघन हो कर मेरी भीतरी उत्तेजना को आलोकित कर देता। जब उन्हें पता चला कि मैं अपनी फिल्म पूरी करके न्यू यार्क जा रहा हूं तो उन्होंने मुझे बहुत ही शानदार सलाह दी। "तुमने आशातीत सफलता पायी है। और अगर तुम जानते हो कि किस तरह से अपने आप से निपटना है तो तुम्हारे सामने एक बहुत ही शानदार ज़िंदगी तुम्हारी राह देख रही है। जब तुम न्यू यार्क पहुंचो तो ब्रॉडवे से परे ही रहना। जनता की निगाहों से दूर-दूर बने रहो। कई सफल अभिनेता यही करते हैं कि वह देखा जाना और तारीफ किया जाना चाहते हैं। इससे उनके भ्रम ही टूटते हैं।" उनकी आवाज़ गहरी और गूंज लिये हुए थी, "तुम्हें हर कहीं बुलाया जायेगा," उन्होंने कहना जारी रखा,"लेकिन सभी न्यौते स्वीकार मत करो। सिर्फ एक या दो दोस्त चुनों और बाकी के बारे में कल्पना करके ही संतुष्ट हो जाओ। कई महान अभिनेताओं ने हर तरह के सामाजिक निमंत्रण स्वीकार करने की गलती की है। जॉन ड्रियू ने भी यही गलती की थी। वे सामाजिक दायरों में बहुत लोकप्रिय थे और उनके घरों में चले जाया करते थे लेकिन लोग थे कि उनके थियेटरों में नहीं जाते थे। जॉन ड्रियू उन्हें उनके ड्राइंगरूम में ही मिल जाते थे। तुमने दुनिया को अपनी मुट्ठी में कर रखा है और तुम ऐसा करना जारी रख सकते हो अगर तुम इससे बाहर खड़े रहो।" उन्होंने विचारों में खोये हुए कहा।

ये बहुत ही शानदार बातें होतीं। कभी कभी उदास कर देने वाली। हम उजाड़ समुद्र तट पर पतझड़ के दिनों में गोधूलि की वेला में चलते बातें करते रहते। नाट अपने कैरियर की अंतिम पायदान पर थे और मैं अपना कैरियर शुरू कर रहा था।

जब मैंने कारमैन का संपादन पूरा कर लिया तो मैंने फटाफट अपना थोड़ा बहुत सामान समेटा और अपने ड्रेसिंग रूम से सीधे ही स्टेशन की तरफ लपका ताकि न्यू यार्क के लिए छ: बजे की ट्रेन पकड़ सकूं। मैंने सिडनी को एक तार भेज दिया कि मैं कब चलूंगा और कब पहुंचूंगा।

ये धीमी गति वाली गाड़ी थी और न्यू यार्क पहुंचने में पांच दिन लगाती थी। मैं एक खुले कम्पार्टमेंट में अकेला बैठा हुआ था। उन दिनों मेरे कॉमेडी मेक अप के बिना मुझे पहचाना नहीं जा सकता था। हम अमारिलो, टैक्सास, होते हुए दक्षिणी रूट से जा रहे थे। गाड़ी वहां शाम को सात बजे पहुंचती थी। मैंने दाढ़ी बनाने का फैसला किया लेकिन मुझसे पहले ही वाशरूम में दूसरे मुसाफिर चले गये थे, इसलिए मैं इंतज़ार कर रहा था। नतीजा ये हुआ कि गाड़ी जब अमारिले पहुंचने को थी, मैं अभी भी अपना अंडरवियर ही पहने था। जैसे-जैसे गाड़ी ने स्टेशन में प्रवेश किया, हमें अचानक शोर शराबे भरी उत्तेजना ने घेर लिया। वाशरूम की खिड़की से झांकते हुए मैंने देखा कि स्टेशन पर बेइंतहा भीड़ जुटी हुई है। चारों तरफ, एक खंबे से दूसरे खम्बे तक झंडियां और पताकाएं लहरा रही थीं। प्लेटफार्म पर कई लम्बी मेजें लगी हुई थीं जिन पर नाश्ता सजा हुआ था। मैंने सोचा, किसी स्थानीय राजा के स्वागत या विदाई के लिए ये सारा ताम-झाम हो रहा होगा। मैंने अपने चेहरे पर क्रीम लगानी शुरू की। लेकिन उत्तेजना थी कि बढ़ती ही जा रही थी। और फिर स्पष्ट आवाज़ें आनी लगीं,"कहां हैं वे?", तभी डिब्बे में भगदड़ मच गयी। गलियारे में लोग-बाग शोर मचाते हुए आगे से पीछे और पीछे से आगे भागे जा रहे थे।

"कहां है वे?, चार्ली चैप्लिन कहां हैं?"

"जी कहिये!," मैंने कहा।

"अमारिलो, टैक्सास के मेयर की ओर से तथा आपके सभी प्रशंसकों की ओर से हम आपको आमंत्रित करते हैं कि आप हमारे साथ एक कोल्ड ड्रिंक और नाश्ता लें।"

मुझे अचानक हड़बड़ाहट की भावना ने घेर लिया।

"मैं इस हालत में कैसे जा सकता हूं?" मैंने शेविंग क्रीम के पीछे से कहा।

"ओह, आप किसी भी बात की परवाह न करें। चार्ली, बस ड्रेसिंग गाउन डाल लें और जनता से मिल लें।"
जल्दी जल्दी में मैंने अपना चेहरा धोया और अध शेव की हालत में कमीज और टाई डाली और अपने कोट के बटन बंद करता हुआ ट्रेन से बाहर आया।

तालियों की गड़गड़ाहट से मेरा स्वागत किया गया। मेयर साहब ने कहने की कोशिश की: "मिस्टर चैप्लिन, अमारिलो के आपके प्रशंसकों की ओर से . . .", लेकिन लगातार तालियों और हो-हल्ले के बीच उनकी आवाज़ डूब गयी। उन्होंने एक बार फिर से बोलना शुरू किया, "मिस्टर चैप्लिन, अमारिलो के आपके प्रशंसकों की ओर से मैं ..." तब भीड़ ने आगे की तरफ धक्का लगाया और मेयर मेरे ऊपर आ गिरे, और हम दोनों ही ट्रेन से जा टकराये। और एक पल के लिए हालत ये हो गयी कि स्वागत भाषण गया तेल लेने, पहले खुद की जान बचायी जाये।

"पीछे हटो," भीड़ को पीछे धकेलते हुए और हमारे लिए रास्ता बनाते हुए पुलिस वाले चिल्लाये।

पूरे समारोह के लिए ही मेयर साहब के उत्साह पर पानी फिर चुका था और पुलिस तथा मेरे प्रति थोड़ी चिड़चिड़ाहट के साथ वे बोले, "ठीक है चार्ली, पहले हम ये सब खाना पीना ही निपटा लें, फिर आप अपनी ट्रेन में सवार हो जाना।"

मेजों पर धक्का-मुक्की के बाद चीजें थोड़ी शांत हुईं और आखिरकार मेयर साहब अपना भाषण देने में सफल हुए। उन्होंने मेज पर चम्मच ठकठकायी और बोले,"मिस्टर चैप्लिन, अमारिलो, टैक्सास के आपके मित्र उस खुशी के लिए आपके प्रति अपना आभार प्रकट करना चाहते हैं जो आपने उन्हें उनकी तरफ से सैंडविच और कोला कोला की ये दावत स्वीकार करके उन्हें दी है।"

अपना प्रशस्ति गान पूरा कर लेने के बाद उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं कुछ कहना चाहूंगा। उन्होंने मुझसे आग्रह किया कि मैं मेज पर ही चढ़ जाऊं। मेज पर चढ़ कर मैं इस आशय के कुछ शब्द बुदबुदाया कि मैं अमारिलो में आ कर बेहद खुश हूं और इस आश्चर्यजनक, रोमांचक स्वागत पा कर बहुत हैरान हूं और मैं इसे अपनी बाकी की ज़िदगी के लिए याद रखूंगा। वगैरह वगैरह। तब मैं बैठ गया और मेयर से बात करने की कोशिश करने लगा।

मैंने उनसे पूछा कि आखिर उन्हें मेरे आगमन का पता ही कैसे चला।

"टैलिग्राफ ऑपरेटर के जरिये," उन्होंने बताया, उन्होंने स्पष्ट किया कि मैंने जो तार सिडनी को भेजा था, वह अमारिलो से रिले हो कर गया था इसके बाद कैन्सास सिटी, शिकागो और न्यू यार्क गया था वह तार। और ऑपरेटरों ने ये खबर प्रेस को दे दी थी।

जब मैं ट्रेन में लौटा तो अपनी सीट पर जा कर विनम्रता की मूर्ति बन कर बैठ गया। एक पल के लिए मेरा दिमाग एकदम सुन्न हो गया था। तभी पूरा का पूरा डिब्बा ही लोगों की आवा-जाही से गुलज़ार हो उठा। लोग गलियारे से गुज़रते, मेरी तरफ घूर कर देखते और खींसे निपोरते। जो कुछ अमारिलो में हो गया था उसे न तो मैं मानसिक रूप से पचा ही पा रहा था और न ही ढंग से उसका आनंद ही ले पाया था। मैं बेहद उत्तेजित था। मैं तनाव में बैठा रहा। एक ही वक्त में अपने आप को ऊपर और हताश महसूस करते हुए।

ट्रेन के छूटने से पहले मुझे कई तार थमा दिये गये थे। एक में लिखा था,"स्वागत चार्ली, हम कन्सास सिटी में आपकी राह देख रहे हैं।" दूसरा था: "जब आप शिकागो पहुंचेंगे तो एक लिमोजिन आपकी सेवा में हाज़िर होगी ताकि आप एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन पर जा सकें।" तीसरे तार में लिखा था: "क्या आप रात भर के लिए ठहरेंगे और ब्लैकस्टोन होटल के मेहमान बनेंगे!!" जैसे जैसे हम कैन्सास सिटी के निकट पहुंचते गये, रेल की पटरियों के दोनों तरफ लोग खड़े थे और शोर मचाते हुए अपने हैट हिला रहे थे।

कैन्सास सिटी का बड़ा-सा रेलवे स्टेशन लोगों के हुजूम से अटा पड़ा था। बाहर जमा हो रही और भीड़ को काबू में पाने में पुलिस को मुश्किल का सामना करना पड़ रहा थ। ट्रेन के सहारे एक नसैनी लगा दी गयी थी ताकि मैं ट्रेन की छत पर चढ़ सकूं और सबको अपना चेहरा दिखा सकूं। मैंने अपने आपको वही शब्द दोहराते हुए सुना जो मैं अमारिलो में बोल कर आया था। मेरे लिए और तार इंतज़ार कर रहे थे: "क्या मैं स्कूलों और संस्थाओं में जाऊंगा!!" मैंने सारे तार अपने सूटकेस में ठूंस लिये ताकि न्यू यार्क में उनका जवाब दिया जा सके। कन्सास सिटी से ले कर शिकागो के रास्ते में भी लोग वैसे ही रेल जंक्शनों पर और खेतों में खड़े थे और जब उनके सामने से ट्रेन गुज़रती तो हाथ हिलाते। मैं बिना किसी पूर्वाग्रह के इस सबका आनंद लेना चाहता था लेकिन मैं यही सोचता रहा कि दुनिया जो है पागल हो गयी है। अगर कुछ स्वांग भरी कॉमेडी फिल्में इस तरह की उत्तेजना जगा सकती हैं तो क्या सारी ख्याति के बारे में कुछ ऐसा नहीं था जो नकली था। मैंने हमेशा सोचा था कि जनता मेरी तरफ ध्यान दे तो मुझे अच्छा लगेगा और अब जब जनता मुझे सिर आंखों पर बिठा रही थी तो मुझे अकेलेपन की हताश करने वाली भावना का साथ मुझे अलग-थलग करती जा रही थी।

शिकागो में जहां पर ट्रेन और स्टेशन बदलना ज़रूरी था, बाहर जाने के रास्ते पर भीड़ जुटी हुई थी और मुझे धकेल कर एक लिमोजिन में बिठा दिया गया। मुझे ब्लैकस्टोन स्टेशन ले जाया गया और न्यू यार्क के लिए अगली ट्रेन पकड़ने तक आराम करने के लिए एक सुइट दे दिया गया।

ब्लैकस्टोन होटल में न्यू यार्क के पुलिस प्रमुख की तरफ से एक तार आया जिसमें मुझसे अनुरोध किया गया था कि मैं उन पर ये अहसान करूं कि तय शुदा कार्यक्रम के अनुसार ग्रैंड सेन्ट्रल स्टेशन पर उतरने के बजाये 125वीं स्ट्रीट पर ही उतर जाऊं क्योंकि वहां आपके आने की उम्मीद में अभी से भीड़ जुटनी शुरू हो गयी है।

125वीं स्ट्रीट पर सिडनी एक लिमोजिन ले कर मुझे लेने आया था। वह तनाव और उत्तेजना में था। वह फुसफुसाया,"क्या ख्याल है इस सबके बारे में। स्टेशन पर सुबह से लोगों की भीड़ उमड़नी शुरू हो गयी है। और जब से तुम लॉस एंजेल्स से चले हो, प्रेस रोज़ाना बुलेटिन जारी कर रही है।" उसने मुझे एक अखबार दिखाया जिसमें बड़े बड़े फांट में लिखा था, "वो यहां है!!"

दूसरी हैड लाइन थी: "चार्ली छुपते फिर रहे हैं।"

होटल जाते समय रास्ते में उसने बताया कि उसने म्युचूअल फिल्म कार्पोरेशन के साथ एक सौदा किया है जिसमें मुझे छ: लाख सत्तर हज़ार डॉलर मिलेंगे और ये मुझे दस हज़ार डॉलर प्रति सप्ताह के हिसाब से दिये जायेंगे और बीमे का टेस्ट पास कर लेने के बाद मुझे करार के लिए साइनिंग राशि के रूप में पन्द्रह लाख डॉलर दिये जायेंगे।

वकील के साथ उसकी एक लंच मीटिंग थी जिसमें उसे बाकी सारा दिन लग जाने वाला था। इसलिए वह मुझे प्लाज़ा में, जहां उसने मेरे लिए एक कमरा बुक करवा रखा था, छोड़ने के बाद चला जायेगा और मुझसे अगली सुबह मिलेगा।

जैसा कि हेमलेट कहता है: "अब मैं अकेला हूं!!" उस दोपहर मैं गलियों में भटकता रहा और दुकानों की खिड़कियों में देखता रहा, और बेवजह गलियों के नुक्कड़ों पर रुकता रहा। अब मेरा क्या होगा। यहां मैं था अपने कैरियर के शिखर पर। एकदम चुस्त दुरुस्त कपड़ों में, और मेरे पास कोई जगह नहीं थी जहां मैं जाता। लोगों से, रोचक लोगों से कोई कैसे मिलता है!!

मुझे ऐसा लगा कि हर कोई मुझे जानता है लेकिन मैं किसी को भी नहीं जानता था। मैं अंतर्मुखी हो गया। अपने आप पर दया आने लगी और मुझ पर उदासी तारी होने लगी।

मुझे याद है एक बार कीस्टोन के एक सफल कॉमेडियन ने कहा था,"और अब चूंकि हम पहुंच चुके हैं, चार्ली, ये सब क्या है।"

"कहां पहुंचे हैं?" मैंने पूछा था।

मुझे नाट गुडविन की सलाह याद आयी,"ब्रॉडवे से दूर ही रहना।" जहां तक मेरा सवाल है, ब्रॉडवे मेरे लिए रेगिस्तान है। मैंने उन पुराने दोस्तों के बारे में सोचा जिन्हें मैं सफलता के इस भव्य शिखर पर मिलना चाहूंगा। क्या मेरे पुराने दोस्त थे न्यू यार्क में या लंदन में या कहीं भी। मैं किसी खास दोस्त से मिलना चाहता था। शायद केली हैट्टी से। मैं जब से फिल्मों में आया था, मैंने उसके बारे में नहीं सुना था। उसकी प्रतिक्रिया मज़ेदार होती।

उस वक्त वह न्यू यार्क में अपनी बहन के पास रह रही थी। मिसेज फ्रैंक गॉल्ड। मैं फिफ्थ एवेन्यू तक चल कर गया। उसकी बहन का पता था - 834। मैं घर के बाहर एक पल के लिए ठिठका। हैरान हो कर सोचता रहा कि वह वहां होगी या नहीं लेकिन मैं दरवाजा खटखटाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। शायद वह खुद बाहर आ जाये और मैं अचानक ही उसे मिल जाऊं। मैं वहां पर लगभग आधा घंटे तक इंतज़ार करता रहा, गली के चक्कर काटता रहा लेकिन कोई बाहर नहीं आया और न ही कोई अंदर ही गया।

मैं कोलम्बस सर्कल पर चाइल्ड्स रेस्तरां में चला गया और आटे के केक और कॉफी का आर्डर दिया। मुझे लापरवाही भरे अंदाज में सर्व किया गया। तब मैंने वेटर को मक्खन की एक और टिकिया के लिए आर्डर दे दिया। तभी उसने मुझे पहचान लिया। उसके बाद तो बस चेन रिएक्शन शुरू हो गया और भीतर तथा बाहर खूब भीड़ जुट आयी। भीड़ में से किसी तरह से अपने लिए रास्ता बनाना पड़ा और वहां से जाती एक टैक्सी ले कर गायब हो जाना पड़ा।

दो दिन तक मैं बिना किसी से परिचित से मिले न्यू यार्क में भटकता रहा। मैं खुशगवार उत्तेजना और हताशा के बीच डूब उतरा रहा था। इस बीच बीमा डॉक्टर ने मेरी जांच कर ली थी। कुछ दिन बाद सिडनी होटल में आया। वह खुशी से फूला नहीं समा रहा था,"सब कुछ तय हो गया है। तुमने बीमा टेस्ट पास कर लिया है।"

इसके बाद शुरू हुईं करार पर हस्ताक्षर करने की औपचारिकताएं। डेढ़ लाख का चेक लेते हुए मेरे फोटो लिये गये। उस शाम मैं टाइम्स स्क्वायर में भीड़ के बीच खड़ा था जब टाइम्स बिल्डिंग पर इलैक्ट्रिक साइन पर खबर आ रही थी - "चैप्लिन ने म्युचूअल के साथ 670000 डॉलर सालाना पर करार किया।"

मैं खड़ा देखता रहा और इसे वस्तुपरक हो कर पढ़ता रहा मानो ये सब किसी और के लिए हो। मुझ पर इतना कुछ बीत चुका था कि मेरी संवेदनाएं चुक गयी थीं।

ŒŒŒŒ

बारह

अकेलापन घिनौना होता है। इसमें उदासी का हल्का सा घेरा होता है, आकर्षित कर पाने या रुचि जगा पाने की अपर्याप्तता होती है इसमें। कई बार आदमी इसकी वज़ह से थोड़ा शर्मिंदा भी होता है। लेकिन कुछ हद तक अकेलापन हर आदमी के लिए थीम की तरह होता है। अलबत्ता, मेरा अकेलापन कुंठित करने वाला था क्योंकि मैं दोस्ती करने की सारी ज़रूरतें पूरी करता था। मैं युवा था, अमीर था और बड़ी हस्ती था। इसके बावज़ूद मैं न्यू यार्क में अकेला और परेशान हाल घूम रहा था। मुझे याद है मैं अंग्रेज़ी संगीत जगत की कॉमेडी स्टार, खूबसूरत जोसी कॉलिन्स से उस वक्त अचानक ही मिल गया था जब वह फिफ्थ एवेन्यू पर चली जा रही थी।

"ओह," उसने सहानुभूति पूर्ण तरीके से कहा,"आप अकेले क्या कर रहे हैं?"

मुझे ऐसा लगा मानो मुझे कुछ प्यारा सा अपराध करते हुए पकड़ लिया गया हो। मैं मुस्कुराया और बोला,"मैं तो बस, ज़रा दोस्तों के साथ लंच करने के लिए जा रहा था," लेकिन काश, मैंने उससे सच कह दिया होता कि मैं तन्हा हूं और उसे लंच पर ले जाना मुझे अच्छा लगता, सिर्फ मेरे संकोच ने ही मुझे ऐसा करने से रोका।

उसी दोपहर को मैं मैट्रोपॉलिटन ओपेरा हाउस के पास ही चहल कदमी कर रहा था कि मैं डेविड बेलास्को के दामाद मॉरिस गेस्ट से जा टकराया। मैं मॉरिस से लॉस एंजेल्स में मिल चुका था। उसने अपने कैरियर की शुरुआत टिकट ब्लैकी के रूप में की थी। ये धंधा उस वक्त बहुत फल फूल रहा था जब मैं पहली बार न्यू यार्क आया था। (टिकट ब्लैकी वह आदमी होता है जो थियेटर में सबसे अच्छी सीटें पहले खरीद कर रख लेता है और बाद में थियेटर के बाहर खड़ा हो कर फायदे में बेचता है।) मॉरिस ने थियेटर के धंधे में आशातीत सफलता हासिल की थी। इसका सर्वोच्च बिन्दु था उसके द्वारा बनायी गयी द मिरैकल जिसका निर्देशन मैक्स रेनहार्ड्ट ने किया था। मॉरिस स्लाविक था। चेहरा उसका पीला, और बड़ी बड़ी कंचे जैसी आंखें, बड़ा सा मुंह, और मोटे होंठ। वह ऑस्कर वाइल्ड का भद्दा संस्करण नज़र आता था। वह बहुत ही भावुक किस्‍म का आदमी था जो जब बोलता था तो ऐसा लगता था मानो आपको धमका रहा हो।

"आप कहां गायब हो गये थे श्रीमान," इससे पहले कि मैं जवाब दे पाता, वह आगे बोला, "आपने मुझे सम्पर्क क्यों नहीं किया?"

"मैंने उसे बताया कि मैं तो बस, ज़रा चहलकदमी कर रहा हूं।"

"क्या बात है। आपको अकेले नहीं होना चाहिये। आप जा कहां रहे हैं?"

"कहीं नहीं," मैंने दब्बूपन के साथ कहा,"बस, ज़रा साफ हवा ले रहा था।"

"आओ भी," उसने मुझे अपनी दिशा में मोड़ते हुए और अपनी बांह से मेरी बांह को घेरते हुए कहा। अब मेरे पास बचने का कोई उपाय नहीं था, "मैं आपको असली लोगों से मिलवाऊंगा। ऐसे लोग जिनमें आपको घुलना मिलना चाहिये।"

"हम कहां जा रहे हैं?" मैंने चिंतातुर हो कर पूछा।

"आप मेरे दोस्त करूसो से मिलने जा रहे हैं।" कहा उसने।

मेरी सारे प्रतिरोध बेकार गये।

"आज कारमैन का मैटिनी शो चल रहा है। उसमें करूसो और गेराल्डिन फरार हैं।"

"लेकिन मैं . ."

"भगवान के लिए, आप डरो नहीं, करूसो बहुत ही शानदार आदमी हैं। आपकी ही तरह सीधे सादे और इन्सानियत से भरे हुए। आपको देख कर वे खुशी के मारे झूम उठेंगे। वे आपकी तस्वीर लेंगे और भी बहुत कुछ करेंगे।"

मैंने उसे बताना चाहा कि मैं टहलना और थोड़ी देर ताज़ा हवा लेना चाहता हूं।

"इस मुलाकात से आपको ताज़ा हवा से भी ज्यादा आनंद मिलेगा।"

मैंने पाया कि मुझे मैट्रोपोलिटन ऑपेरा की लॉबी में से ठेल कर ले जाया जा रहा है। हम दोनों गलियारे में से दो खाली सीटों पर जा बैठे।

"यहां बैठिये," गेस्ट फुसफुसाया, "मैं इंटरवल में लौट आऊंगा।" तब वह खड़ा हुआ और गायब ही हो गया।

मैंने कारमैन का संगीत कई बार सुना था लेकिन अब जो कुछ बज रहा था, अपरिचित सा लगा। मैंने अपने कार्यक्रम पत्रक की तरफ देखा, और आज के दिन के लिए कारमैन की ही घोषणा की गयी थी। लेकिन वे कुछ दूसरी ही चीज़ बजा रहे थे। वह भी मुझे परिचित सी ही लग रही थी और कुछ कुछ रिगालेटो की तरह लग रही थी। मैं भ्रम में पड़ गया। अंक की समाप्ति से दो मिनट पहले गेस्ट चुपके से मेरे साथ वाली सीट पर लौट आया।

"क्या ये कारमैन है?" मैं फुसफुसाया।

"हां," उसने जवाब दिया, "क्या आपके पास कार्यक्रम नहीं है?"

उसने मुझसे कार्यक्रम छीना, "हां," वह फुसफुसाया,"करूसो और गेराल्डिन फरार, बुधवार, मैटिनी शो, कारमैन, ये रहा।"

परदा नीचे गिरा और वह मुझे लिये दिये सीटों के बीच में से बगल वाले दरवाजे से मंच के पीछे की तरफ ले चला।

बिना आवाज़ के बूटों में आदमी लोग सीन सिनरी को उसी तरह से शिफ्ट कर रहे थे जिस तरह से मुझे हमेशा लगती रही। वहां का माहौल किसी दुखदायी स्वप्न की तरह था। इसमें से नुकीली दाढ़ी वाला, और जासूसी कुत्ते जैसी आंखों वाला एक लम्बा, छरहरा शांत और गंभीर आदमी वहां खड़ा था। उसने मुझे एक ऊंचाई से देखा। वह मंच के बीचों बीच खड़ा था। परेशान हाल। उसके पास से एक सीनरी आ रही थी और दूसरी जा रही थी।

"मेरे अच्छे दोस्त सिग्नोर गाटी कसाज़ा कैसे हैं?" अपना हाथ बढ़ाते हुए गेस्ट ने कहा।

गाटी कसाज़ा ने हाथ मिलाया और एक उदास मुद्रा बनायी और कुछ बुड़बुड़ाये। तब गेस्ट मेरी तरफ मुड़ा,"आपका कहना सही था, ये कारमैन नहीं है, रिगोलेटो है। अंतिम पलों में गेराल्डिन फरार ने फोन करके बताया कि उसे जुकाम है इसलिए नहीं आ पायेगी। ये चार्ली चैप्लिन हैं," उसने कहा,"मैं इन्हें करूसो से मिलवाने के लिए ले जा रहा हूं। हो सकता है, इनका जी बहल जाये। आइये हमारे साथ।" लेकिन गाटी कसाज़ा ने अफ़सोस के साथ अपना सिर हिलाया।

"उनका ड्रेसिंग रूम किस तरफ है?"

गाटी कसाज़ा ने स्टेज मैनेजर को बुलवाया और कहा,"ये आपको बता देगा।"

मेरी छठी इंद्रीय ने मुझे सचेत किया कि करूसो को इस वक्त डिस्टर्ब न किया जाये, और ये बात मैंने गेस्ट को बतायी।

"पागल मत बनो," उसने जवाब दिया।

हमने पैसेज में से उनके ड्रेसिंग रूम के लिए चले।

"किसी ने बत्ती बुझा दी है," स्टेज मैनेजर ने कहा,"एक पल के लिए रुकिये, मैं स्विच तलाशता हूं।

"सुनो," गेस्ट ने कहा,"कुछ लोग मेरा इंतज़ार कर रहे हैं, इसलिए मुझे निकलना होगा।"

"तुम मुझे छोड़ कर मत जाओ।" मैं जल्दी से बोला।
"आपको कुछ नहीं होगा।"

मैं जवाब ही दे पाता, इससे पहले ही वह गायब हो गया। स्टेज मैनेजर ने एक तीली जलाई। "हम पहुंच गये हैं," कहा उसने, और धीरे से दरवाजा ठकठकाया। भीतर से इतावली में ज़ोर से कुछ कहा गया।

मेरे दोस्त ने इतालवी में ही जवाब दिया। जवाब के आखिर में "चार्ली चैप्लिन" कहा गया।

एक और धमाका।
"सुनो," मैं फुसफुसाया, "फिर कभी सही।"

"नहीं, नहीं," उसने कहा, अब उसे एक मिशन पूरा करना था। दरवाजा चीं की आवाज के साथ खुला और अंधेरे में से ड्रेसर ने झांका। मेरे दोस्त ने परेशानी भरे स्वर में बताया कि मैं कौन हूं।

"ओह," ड्रेसर ने कहा, और दरवाजा फिर बंद कर दिया। दरवाजा फिर से खुला, "भीतर आइये।"

इस छोटी सी विजय से मेरे दोस्त का सीना चौड़ा हो गया। जब हम भीतर पहुंचे तो करूसो अपनी ड्रेसिंग टेबल पर एक शीशे के सामने बैठे अपनी मूंछे कुतर रहे थे। हमारी तरफ उनकी पीठ थी।

"अहा महाशय," मेरे दोस्त ने उल्लसित होते हुए कहा,"ये मेरे लिए परम सौभाग्य की बात है श्रीमन, कि मैं आपके सामने सिनेमा के करूसो, मिस्टर चार्ली चैप्लिन को प्रस्‍तुत कर रहा हूं।"

करूसो ने दर्पण में सिर हिलाया और मूंछे कुतरते रहे।

आखिरकार वे उठे और अपनी बेल्ट कसते हुए ऊपर से नीचे तक मेरा मुआइना किया।

"आप तो बहुत सफल आदमी हैं, नहीं क्या, खूब पैसा कमाया होगा।"

"हां," मैं मुस्कुराया।

"आप तो बहुत ही खुश आदमी होंगे।"

"हां, बेशक," तब मैंने स्टेज मैनेजर की तरफ देखा तो वे उल्लसित हो कर ये संकेत देते हुए बोले कि जाने का समय हो गया है।

मैं खड़ा हुआ और तब करूसो पर मुस्कुराया,"मैं टोरेडोर दृश्य मिस नहीं करना चाहता।"

"वो कारमैन है। ये रिगोलेटो है।" मुझसे हाथ मिलाते हुए वे बोले।

"ओह, हां हां हां जी हां।"

मैंने परिस्थितियों में जितना संभव था, न्यू यार्क को अपने भीतर उतार लिया था और ये सोचा कि इससे पहले कि खुशियों के मेले का रंग फीका होना शुरू हो, यहां से कूच कर देना ही बेहतर होगा। इसके अलावा, मेरी चिंता अपने नये करार के अंतर्गत काम शुरू करने की भी थी।

जब मैं लॉस एंजेल्स लौटा तो मैं फिफ्थ स्ट्रीट और मेन पर एलेक्जेंड्रिया होटल में ठहरा। ये उस वक्त शहर का सबसे ज्यादा ठाठ बाठ वाला होटल हुआ करता था। ये भव्य अंलकरण शैली वाला होटल था। लॉबी में लगे संगमरमर के स्तम्भ, और क्रिस्टल के झाड़ फानूस उसकी शोभा में चार चांद लगाते थे। लॉबी के बीचों बीच दस लाख डॉलर का शानदार कालीन बिछा हुआ था। इसे बड़े बड़े फिल्मी सौदों का मक्का मदीना कहा जाता था। इसका ये नाम मज़ाक में ही पड़ गया था क्योंकि यहां पर शेखी बघारने वाले और आधे अधूरे प्रोमोटर वहां पर खड़े हो कर लाखों करोड़ों डॉलर से कम की तो बात ही न करते।

इसके बावजूद, अब्राहमसन ने इसी कालीन पर अपनी किस्मत का सितारा बुलंद किया था। वह स्टूडियो किराये पर ले कर और बेरोज़गार कलाकारों को काम धंधे पर रख कर सस्ते में फिल्में बनाता था और उन सस्ती स्टेट राइट पिक्चरों को बेचा करता था। इस तरह की फिल्मों को चवन्नी छाप दर्शकों की, पावर्टी रो वाली फिल्में कहा जाता था। स्वर्गीय हैरी कॉन, कोलम्बिया पिक्चर्स के अध्यक्ष भी इन चवन्नी छाप फिल्मों में नज़र आया करते थे।

अब्राहमसन यथार्थवादी आदमी थे। वे इस बात को स्वीकार करते थे कि वे इस किसी कला वला में नहीं, सिर्फ धन कमाने में दिलचस्पी रखते हैं। वे भारी रूसी लहजे में बोलते थे और जिस वक्त अपनी फिल्मों का निर्देशन कर रहे होते, वे मुख्य अभिनेत्री पर चिल्लाते, "ठीक है, पीच्छे की तरफ से आग्गे की तरफ आओ। अब्ब शीशे के सामने आवो, और अपणे आप को देक्खो। ओह, ऐसे नहीं जी, अब्ब आप बीस फुट तक इधर उधर चलो। (मतलब मस्ती से, बीस फिट फिल्म के चलने तक)।" आम तौर पर उनकी नायिका भरे भरे सीने वाली छप्पन छुरी मार्का कोई युवा लड़की होती और उसने ढीला सा खुले गले की कोई पोशाक पहनी होती और भरपूर अंग प्रदर्शन करती। वह नायिका से कहता कि कैमरे की तरफ देक्खो, नीचे झुक्को और अपने तस्में बांधो, या झूला झूलो, या कुत्ते को सहलाओ। मतलब, किसी न किसी तरह सीने के उभार दिखाओ। इसी तरीके से अब्राहमसन ने करोड़ों डॉलर पीटे।

दस लाख वाला ये कालीन सिड ग्राउमैन को सैन फ्रांसिस्को से यहां तक लाया ताकि वे अपनी लॉस एंजेल्स की दस लाख डॉलर की बिल्डिंग का सौदा कर सकें। जैसे जैसे शहर सम्पन्न होता गया, वे भी सम्पन्न होते चले गये। उन्हें अनोखे प्रचार का बहुत शौक था। एक बार उन्होंने लॉस एंजेल्स को हैरान ही कर दिया था। उन्होंने दो टैक्सियां किराये पर लीं। टैक्सियां सड़कों पर दौड़ने लगीं और उनमें बैठे हुए सवार खाली कारतूसों से एक दूसरे पर गोलियां चलाने का नाटक करते रहे। टैक्सियों के पीछे इश्तहार लगे हुए थे जिन पर लिखा था, ग्राउमैन की मिलियन डॉलर थियेटर की आपराधिक दुनिया।

वे नयी नयी शोशे‍बाजियां खोजने और करने में माहिर थे। सिड का एक अद्भुत आइडिया ये था कि अपने चीनी थियेटर के बाहर गीले सीमेंट पर हॉलीवुड के सितारों के हाथों तथा पैरों के निशान अंकित कराये जायें, कुछ कारणों से सितारों ने निशान दिये भी। बाद में ये ऑस्कर पाने जैसा सम्मान पाने की महत्त्वपूर्ण बात हो गयी थी।

जिस दिन मैं एलेक्जेंड्रिया होटल पहुंचा, होटल के डेस्क क्लर्क ने मुझे विख्यात अभिनेत्री, मिस माउदे फीली की ओर से एक खत दिया। वे सर हेनरी इर्विंग और विलियम जिलेट की प्रमुख अदाकारा रह चुकी थीं। उन्होंने मुझे बुधवार को हॉलीवुड होटल में पावलोवा के सम्मान में दिये जाने वाले डिनर में आमंत्रित किया था। बेशक मैं निमंत्रण पा कर आह्लादित था। हालांकि मैं कभी मिस फीली से मिला नहीं था, मैंने पूरे लंदन में उनके पोस्टकार्ड देखे थे और उनके सौन्दर्य का प्रशंसक था।

डिनर से एक दिन पहले मैंने अपने सचिव से कहा कि वह फोन करके पूछ ले कि ये पार्टी अनौपचारिक है या मैं काली टाई लगा कर आऊं।

"कौन बात कर रहे हैं?" मिस फीली ने पूछा।

"मैं मिस्टर चैप्लिन का सचिव बोल रहा हूं और बुधवार की शाम के उनके आपके साथ होने वाले डिनर के बारे में पूछ रहा हूं।"

ऐसा लगा कि मिस फीली सतर्क हो गयीं,"ओह, निश्चित ही अनौपचारिक।" कहा उन्होंने।

मिस फीली हॉलीवुड होटल की पोर्च में मेरी अगवानी करने के लिए मौजूद थीं। वे हमेशा की तरह प्यारी लग रही थीं। हम आधे घंटे तक इधर उधर की बातें करते रहे। इसके बाद मैं हैरान हो कर सोचने लगा कि बाकी मेहमान कब आयेंगे।

आखिरकार उन्होंने कहा,"हम चलें डिनर के लिए चलें?"

मेरी हैरानी का ठिकाना न रहा जब मैंने डाइनिंग हॉल में पाया कि वहां पर सिर्फ हम दो ही थे।

आकर्षक होने के अलावा मिस फीली बेहद अलग थलग रहने वाली महिला थीं। मेज़ के पार उनकी तरफ देखते हुए मैं इस बात को ले कर हैरान होता रहा कि इस तरह की मुलाकात का मकसद क्या हो सकता है। मेरे दिमाग में शरारतपूर्ण और गंदे ख्याल आने लगे लेकिन ऐसा लगा कि वे मेरी अशोभनीय अटकलों पर उनका कोई ध्यान नहीं था। इसके बावजूद मैंने यह पता लगाने के लिए अपने कान खड़े कर लिये कि मुझसे आखिर उम्मीद क्या की जा रही है।

"ये वाकई मज़ेदार है," मैंने उत्तेजना से कहा, "इस तरह से आपके साथ खाना खाना!"

वे सौम्यता से मुस्कुरायीं।

"चलो, हम डिनर के बाद कुछ मौज मज़ा करें," कहा मैंने,"चलो किसी नाइट क्लब में चलें या ऐसा ही कुछ करें।"

उनके चेहरे पर मामूली सी अलार्म की झांई उभरी, और वे हिचकिचायीं,"मुझे डर है कि मुझे आज जल्दी ही सोने के लिए जाना पड़ेगा क्योंकि मुझे कल जल्दी ही मैकबेथ की रिहर्सल शुरू करनी है।"

मेरे कान खड़े हुए। मैं पूरी तरह से हैरान परेशान था। संयोग से खाने का पहला कोर्स आ गया और हम थोड़ी देर तक चुपचाप खाते रहे। कुछ न कुछ जरूर गड़बड़ है, ये हम दोनों ही जानते थे। मिस फिली हिचकिचायीं,"मुझे अफसोस है कि आज की शाम आपके लिए बहुत फीकी रही।

"नहीं तो, शाम तो बहुत ही शानदार गुज़री।"

"मुझे अफसोस है कि आप तीन महीने पहले उस वक्त यहां पर नहीं थे जब मैंने पावलोवा के सम्मान में एक डिनर दिया था। मुझे पता है कि वे आपके दोस्त हैं। लेकिन, मुझे ऐसा लगता है कि उस वक्त आप यहां पर नहीं थे।"

"माफ कीजिये," मैंने कहा, और तपाक से जेब से मिस फिली का पत्र निकाला। पहली बार मैंने उस पर तारीख देखी। तब मैंने पत्र उन्हें थमाया, "देखिये," मैं हँसा,"मैं तीन महीने देरी से पहुंचा हूं।"

1910 में लॉस एंजेल्स वेस्टर्न के अगुआ लोगों और धनकुबेरों के युग के अंत का समय था और उनमें से अधिकतर ने मेरा सत्कार किया था।

इनमें से एक स्वर्गीय विलियम ए क्लार्क थे। वे करोड़पति असामी थे और रेल के महकमे से जुड़े थे और कॉपर किंग माने जाते थे। वे शौकिया संगीतकार थे जो फिलहॉरमोनी आर्केस्ट्रा को हर बरस 150000 डॉलर का दान दिया करते थे। वे खुद उस आर्केस्ट्रा में बाकी लोगों के साथ दूसरा वायलिन बजाया करते थे।

मौत की घाटी वाले स्कॉटी एक फैन्टम चरित्र थे जो हँसमुख, मोटे से चेहरे वाले आदमी थे। वे दस गैलन हैट, लाल कमीज़, और डंगरी पहना करते थे। वे हर रात स्प्रिंग स्ट्रीट में दारू के अड्डों और नाइट क्लबों में हज़ारों डॉलर लुटाया करते, पार्टियां देते, वेटरों को सौ सौ डॉलर की टिप दिया करते और फिर अचानक ही गायब हो जाते फिर वे महीनों बाद वापिस आते और फिर से पार्टियां देने लगते। ऐसा वे बरसों तक करते रहे। कोई भी नहीं जानता था कि उनके पास पैसे आते कहां से थे। कुछ लोगों का विश्वास था कि डैथ वैली में उनकी कोई गुप्त खदान थी। लोगों ने उनका पीछा करने की कोशिश की लेकिन वे हमेशा उन्हें वहां पर चकमा दे देते और आज तक कोई भी उनका रहस्य नहीं जान पाया है। 1940 में उनकी मृत्यु से पहले उन्होंने डैथ वैली में रेगिस्तान के बीचों बीच एक बहुत ही भव्य महलनुमा घर बनवाया था। ये बहुत ही शानदार इमारत थी जिसके बनने में पांच लाख डॉलर से भी ज्यादा लगे थे। आज भी ये इमारत धूप में खंडहर सी खड़ी है।

पेसाडोना की मिसेज क्रेनेय गैट्स चार करोड़ डॉलर की हैसियत वाली महिला थीं जो घनघोर समाजवादी थीं और कई अराजकों, समाजवादियों और इंडस्ट्रियल वर्कर्स ऑफ द वर्ल्ड के सदस्यों की कानूनी सुरक्षा के लिए धन दिया करती थीं।

ग्लेन कर्टिस उन दिनों सेनेट के लिए काम किया करते थे और हवाई जहाज के स्टंट किया करते थे और बेसब्री से आज जिसे गेट कर्टिस एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रीज कहते हैं, उसके लिए बेताबी से वित्त जुटाने का काम देखा करते थे।

ए पी गियानिनी दो छोटे बैंक चलाया करते थे। बाद में जा कर ये युनाइटेड स्टेट्स के सबसे बड़े वित्तीय संस्थानों में से एक, द बैंक ऑफ अमेरिका बने।

हावर्ड ह्यूज को अपने पिता, आधुनिक आयल ड्रिल के आविष्कारक से बहुत बड़ी सम्पदा विरासत में मिली। हावर्ड एयरक्राफ्ट उद्योग में चले गये और उन लाखों डॉलरों को करोड़ों डॉलर में बदला। वे सनकी आदमी थे जो अपना कारोबार एक घटिया से होटल के कमरे से टेलिफोन के जरिये चलाया करते थे और वे शायद ही किसी से मिलते थे। वे मोशन फिल्मों में भी हाथ आजमाने आये, और हैल्स एंजेल्स जैसी फिल्मों से अपार सफलता हासिल की। इस फिल्म के नायक स्वर्गीय जीन हारलो थे।

उन दिनों रोज़ के आनंद उठाने के मेरे ठीये होते थे, वेर्नान में जैक डॉयल की शुक्रवार की रात की कुश्तियां देखना, सोमवार की रातों को ऑरफीम थियेटर में रंगारंग कार्यक्रम देखना, गुरुवार के दिनों में मोरोस्को स्टॉक कम्पनी के कार्यक्रम देखना और कभी कभार, क्लूंस फिलहार्मोनिक ऑडिटोरियम में कोई सिम्फनी सुनना।

लॉस एंजेल्स का एथलेटिक क्लब एक ऐसा केन्द्र था जहां पर स्थानीय सम्पन्न वर्ग और कारोबारी लोग कॉकटेल के समय इकट्ठे होते। ये जगह विदेशी बस्ती की तरह लगती।

एक नौजवान जो बिट बजाता था, लाउंज में अकेले बैठा रहता। उसका नाम वेलन्टिनो था और वह हॉलीवुड में अपनी किस्मत आजमाने आया था लेकिन कुछ खास कर नहीं पा रहा था। एक अन्य बिट प्लेयर जैक गिल्बर्ट ने उससे मेरा परिचय कराया था। उसके बाद मैंने एकाध बरस तक वैलन्टिनो को नहीं देखा था। इस बीच वह अचानक स्टार बन गया था। अगली बार जब हम मिले तो वह दूसरा ही शख्स था। तब मैंने उससे कहा,"जब हम पिछली बार मिले थे उसके बाद तो तुम अमर लोगों की कतार में जा बैठे हो।" इसके बाद वह हँसा और अपना मुखौटा उतार फेंका और काफी दोस्ताना व्यवहार करने लगा।

वैलन्टिनो में उदासी का तत्व था। उसने अपनी सफलता को गरिमापूर्वक तरीके से स्वीकार किया। लगता था मानो वह सफलता के बोझ से दबता चला जा रहा है। वह समझदार, शांत और बिना किसी टीम टाम के था और औरतों का बहुत बड़ा रसिया था। लेकिन वहां उसकी दाल ज्यादा नहीं गलती थी। और जिन औरतों से उसने शादी की थी, वे उससे खराब तरीके से पेश आतीं। उसकी एक शादी के तुरंत बाद ही उसकी बीवी ने उसी की डेवलेपिंग लेबारेटरी में काम करने वाले आदमियों में से एक के साथ इश्क लड़ाना शुरू कर दिया। उसके साथ वह डार्क रूम में ही गायब हो जाती। वैलेन्टिनो में औरतों के प्रति जितना आकर्षण था, किसी में भी नहीं रहा होगा। और कोई दूसरा आदमी भी ऐसा नहीं होगा जिसे औरतों ने इतना ज्यादा धोखा दिया हो।

अब मैंने 670000 डॉलर का करार पूरा करना शुरू करने की तैयारियां शुरू कर दीं। मिस्टर कॉलफील्ड, जो म्यूचुअल फिल्म कार्पोरेशन के प्रतिनिधि थे और सारे कारोबारी इंतज़ाम देख रहे थे, ने हॉलीवुड के बीचों बीच एक स्टूडियो किराये पर लिया। सक्षम सितारों की कोई कमी नहीं थी, उनमें एडना पुर्विएंस, एरिक कैम्पबेल, हेनरी बर्गमैन, एल्बर्ट ऑस्टिन, लॉयड बेकन, जॉन रैंड, फ्रैंक जो कोलमैन और लिओ व्हाइट, इन सबके साथ मुझे काम शुरू करने का पूरा विश्वास था।

मेरी पहली फिल्म द फ्लोर वॉकर बहुत अधिक सफल गयी। इसका सेट एक डिपार्टमेंट स्टोर का था जिसमें मैंने चलती हुई सीढ़ियों पर पीछा करने का दृश्य दिखाया। जब सेनेट ने इस फिल्म को देखा तो बोले,"हे भगवान, मुझे कभी चलती हुई सीढ़ियों का ख्याल क्यों नहीं आया।"

जल्दी ही मैं अपनी पराकष्ठा पर था और हर महीने दो रील की एक फिल्म बना कर दे रहा था। फ्लोर वॉकर के बाद, जो फिल्में आयीं, वे थीं, द फायरमैन, द वैगाबाँड, वन ए एम, द काउंट, द पॉनशॉप, बिहाइंड द स्‍क्रीन, द रिंक, ईज़ी स्ट्रीट, द क्योर, द इमिग्रैंट, द एडवंचरर, इन बारह कॉमेडी फिल्मों को बनाने में कुल सोलह महीने लगे और इसमें वह समय भी शामिल था जो ठंड या मामूली बाधाओं की वजह से गया।

कई बार कोई कहानी समस्या खड़ी देती और मैं उसने सुलझाने में मुश्किल पाता। ऐसे मौकों पर मैं काम बंद कर देता और सोचने की कोशिश करता, इस यातना में अपने ड्रेसिंग रूम में चहल कदमी करता या सेट के पिछवाड़े घंटों तक बैठा रहता, और समस्या से जूझता रहता। मेरी तरफ देख रहे मैनेजमैंट के या स्टाफ के किसी आदमी को देखते ही मेरी देह सुलग जाती, खास तौर पर इसलिए भी कि म्युचूअल निर्माण की लागत अदा कर रही थी और मिस्टर कॉलफील्ड वहां पर यह देखने के लिए मौजूद थे कि सब कुछ ठीक ठाक चलता रहे।

दूर से ही मैं उन्हें देख लेता कि वे लोगों के बीच से हो कर आ रहे हैं। मैं अच्छी तरह से जानता था कि वे क्या सोच रहे होंगे, कुछ भी नहीं हो रहा है और ऊपरी खर्चे बढ़ते जा रहे हैं। और मैं उन पर मीठी छुरी से वार कर देता कि जिस वक्त मैं सोच रहा होऊं, उस वक्त किसी का आस पास होना या ये सोचना कि वे चिंता कर रहे हैं, मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता।

बेकार जा चुका दिन के खत्म होने के बाद, जब मैं स्टूडियो छोड़ कर जा रहा होता, वे जानबूझ कर अचानक ही मुझसे टकरा जाते और पूछते,"और कैसे चल रहा है, बात बनी कुछ?"

"वाहियात, मेरा ख्याल है, मैं चुक गया हूं, मैं कुछ सोच ही नहीं पाता।"

और वे खोखली आवाज़ निकालते जिसका मतलब हँसी होता,"चिंता मत करो, सब ठीक हो जायेगा।"

कई बार ऐसा होता कि समस्या का हल शाम को उस वक्त सूझता जिस वक्त मैं हताशा के आलम में होता और सब कुछ पर सोच चुका होता और दरकिनार कर चुका होता। और तभी हल अचानक ही सामने आ जाता मानो संगमरमर के फर्श पर से धूल की मोटी पर्त हटा दी गयी हो और सामने चमचमाता फर्श निकल आया हो जिसे मैं कब से तलाश रहा था। तनाव गायब हो जाता और सारे स्टूडियो में चहल पहल मच जाती। देखने की बात होती कि मिस्टर कॉलफील्ड के चेहरे पर हँसी कैसे आती है।

हमारी किसी भी पिक्चर में कभी भी कोई कलाकार जख्मी नहीं हुआ। हिंसा की भी बाकायदा रिहर्सल की जाती और उसे कोरियोग्राफी की तरह माना जाता।

चेहरे पर थप्पड़ मारने में भी ट्रिक इस्तेमाल की जाती। कितनी भी झड़प हो, हर कोई जानता था कि अंत में क्या होने वाला है। सब कुछ समय के हिसाब से चलता। घायल होने के लिए कोई बहाना नहीं चलता क्योंकि फिल्म में सभी इफेक्ट हिंसा, भूकंप, जहाज का टूटना, और बड़ी बड़ी घटनाएं, सब को झूठ मूठ किया जा सकता है।

उस पूरी सीरीज़ में मात्र एक ही दुर्घटना हुई।

ये बात ईज़ी स्ट्रीट की है। जिस वक्त मैं स्ट्रीट लैम्प को जलाने के लिए उसे एक बड़ी सी घिरनी पर खींच रहा था तो लैम्प का ऊपरी हिस्सा गिर गया और उसका इस्पात का नुकीला टुकड़ा मेरी नाक के सिरे पर आ लगा जिसकी वजह से मुझे दो टांके लगवाने पड़े।

मेरा ख्याल है कि म्युचूअल के करार को पूरा करना मेरे कैरियर के सबसे अच्छा अरसा था। मैं अपने आप को हलका और बिना किसी बोझ के महसूस कर रहा था। मैं सिर्फ सत्ताइस बरस का था और मेरे सामने अनंत सम्भावनाएं थीं, और थी मेरे सामने एक दोस्तानी दुनिया। थोड़े से ही अरसे में मैं करोड़पति हो जाऊंगा। ये सारी बातें कुछ कुछ पगला देने वाली थीं। धन मेरी तिजोरियों में बरस रहा था। हर हफ्ते मुझे दो हज़ार डॉलर मिल रहे थे जो लाखों में बदल रहे थे। इस समय मेरी हैसियत चार लाख डॉलर की थी और अब पांच लाख की। मैं कभी इस सब की कल्पना भी नहीं कर सकता था।

मुझे जे पी मोर्गन के एक दोस्त मैक्सिन ईलियट की याद है। उसने एक बार मुझसे कहा था, धन तभी तक अच्छा है जब भुला दिया जाये।

लेकिन ये कुछ ऐसी शै भी है जिसे याद रखा जाये।

इस बात में कोई शक नहीं कि सफल आदमी अलग अलग दुनिया में रहते हैं। जब मैं लोगों से मिलता हूं तो उनके चेहरे दिलचस्पी से दिपदिपाने लगते हैं। हालांकि मैं नया नया रईस बना था, मेरी राय को गम्भीरता से लिया जाता था। जो परिचित थे वे मुझसे प्रगाढ़ संबंध बनाने के लिए लालायित रहते और मेरी समस्याएं सुलझाने के लिए वैसे ही आगे आते मानो मेरे नातेदार हों। ये सब बहुत चाटुकारिता लगती लेकिन मेरी प्रकृति इस तरह की आत्मीयता को घास नहीं डालती। मैं दोस्तों को वैसे ही पसंद करता हूं जैसे संगीत को पसंद करता हूं। अलबत्ता, इस तरह की आज़ादी कभी कभार के अकेलेपन की कीमत पर ही होती।

एक दिन, जब मेरा करार पूरा होने ही वाला था, मेरा भाई एथलेटिक क्लब में मेरे बेडरूम में आया और प्रसन्नता से बोला,"सुनो भई चार्ली, अब तुम करोड़पतियों की जमात में आ गये हो। मैंने अभी अभी तुम्हारे लिए एक सौदा तय किया है जिसमें तुम फर्स्ट नेशनल के लिए दो दो रील की आठ कॉमेडी फिल्में बनाओगे और तुम्हें इसके एवज में बारह लाख डॉलर मिलेंगे।

मैंने अभी अभी स्नान किया था और अपनी कमर पर तौलिया लपेटे अपने वायलिन पर द टेल ऑफ हॉफमैन की धुन बजा रहा था। "हम . . हम. . मेरा ख्‍याल है, ये वाकई शानदार है, नहीं क्या!!"

सिडनी अचानक ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा,"ये बात मेरे संस्मरणों में जायेगी। तुम, चार्ली, अपनी चूतड़ पर तौलिया लपेटे, वायलिन बजा रहे हो, और मैं तुम्हें जब बताता हूं कि मैंने तुम्हारे लिए साढ़े बारह लाख डॉलर का करार किया है, तुम्हारी ये प्रतिक्रिया!!"

मैं स्वीकार करता हूं कि इसमें आडम्बर का थोड़ा सा तंज था क्योंकि इसमें एक काम भी था कि ये सारा धन कमाया जाना था।

सारी बातों के बावजूद, धन सम्पदा के इन सारे वायदों ने मेरी जीवन शैली पर कोई प्रभाव नहीं डाला। मैं धन के आगे झुकता था लेकिन इसके इस्तेमाल के आगे नहीं। जो धन मैं कमाता था वो काल्पनिक था, दंत कथा की तरह था। ये सब आंकड़ेबाजी थी क्योंकि दरअसल ये धन मैंने सचमुच देखा भी नहीं था। इसलिए मुझे कुछ ऐसा करना था कि सिद्ध हो सके कि मेरे पास ये धन है। इसलिए मैंने एक सचिव रखा, एक खिदमतगार और एक शोफर रखे। एक कार ली। एक दिन एक शोरूम के आगे से गुज़रते हुए मैंने एक सात सीटर यात्री कार देखी। उन दिनों अमेरिका में ये सबसे अच्छी कार मानी जाती थी। वो इतनी शानदार और भव्य लग रही थी कि मुझे ये लगा ही नहीं कि ये बिक्री के लिए हो सकती है। अलबत्ता, मैं दुकान में गया और पूछा," कितने की है?"

"चार हज़ार नौ सौ डॉलर"

"पैक कर दीजिये," मैंने कहा।

वह आदमी हैरान परेशान, उसने इतनी जल्दी हो गयी बिक्री में कुछ रोक लगाने की नियत से कहना चाहा, "क्या आप इंजिन वगैरह नहीं देखना चाहेंगे?"

"इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि मैं उनके बारे में कुछ भी तो नहीं जानता।" मैंने जवाब दिया। अलबत्ता, मैंने अंगूठे से एक टायर दबा कर अपनी व्यावसायिक समझ दिखा दी।

लेनदेन बहुत आसान था। इसका मतलब एक कागज के टुकड़े पर अपना नाम लिखना था और कार मेरी हो गयी।

पैसे का निवेश करना एक समस्या थी और मैं इनके बारे में कुछ भी नहीं जानता था। सिडनी अलबत्ता, इन सारी चीजों के नामों से वाकिफ था। वह बुक वैल्यू, पूंजीगत लाभ, वरीयता प्राप्त और दूसरे स्टॉक, ए और बी रेटिंग, कर्न्विटबल स्टॉक और बाँड, औद्यौगिक कम्पनियों, और सेविंग बैंकों की कानूनी प्रतिभूतियों के बारे में खूब जानता था। उन दिनों निवेश करने के अवसरों की कोई कमी नहीं थी। लॉस एंजेल्स के ज़मीन जायदाद के एक एजेंट ने एक बार मुझसे कई बार कहा कि मैं उसके साथ भागीदारी करके लॉस एंजेल्स घाटी में ज़मीन का एक टुकड़ा खरीद लूं और दोनों पच्चीस पच्चीस हज़ार डॉलर का निवेश करें। अगर मैंने उस परियोजना में निवेश कर लिया होता तो मेरा हिस्सा बढ़ कर पांच कऱोड़ डॉलर का हो चुका होता क्योंकि वहां पर तेल निकल आया था और वह कैलिफोर्निया के सबसे अमीर क्षेत्रों में से एक हो गया था।

-----

(क्रमशः अगले अंकों में)

----

tag : charlie chaplin, autobiography of charlie chaplin in Hindi, hindi translation of charlie chaplin’s autobiography, suraj prakash

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: चार्ली चैप्लिन की आत्मकथा (7)
चार्ली चैप्लिन की आत्मकथा (7)
http://lh3.ggpht.com/raviratlami/SLz1SZRNv9I/AAAAAAAADmk/srndJ2Gv-ks/image_thumb.png?imgmax=800
http://lh3.ggpht.com/raviratlami/SLz1SZRNv9I/AAAAAAAADmk/srndJ2Gv-ks/s72-c/image_thumb.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2008/09/7.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2008/09/7.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content