जूनियर ट्रेनी ‘ भाई ’ चाहिए , बोले तो फटाफट -- अनुज खरे ( ऐसे ही मंदी चलती रही , अमेरिका में यूं ही बैंक डूबते रहे , सत्यम घोटाले होते...
जूनियर ट्रेनी ‘भाई ’ चाहिए, बोले तो फटाफट
-- अनुज खरे
(ऐसे ही मंदी चलती रही, अमेरिका में यूं ही बैंक डूबते रहे, सत्यम घोटाले होते रहे तो फिर नौकरियां केवल ‘इन्हीं’ कंपनियों में ही निकलेंगी। ‘ इन कंपनियों ’में जब नौकरियां निकलेंगी तो कैसा होगा प्रश्नपत्र-इंटरव्यू, कोचिंगों में कैसे पढ़ाया जाएगा। जरा नजर डालिए. . .चैक कीजिए क्या है आपकी तैयारी. . .।)
आवश्यकता है..
भाई चाहिए,खटाकेदार-धारदार चलानेवाला,धमकाने वाला,उडानेवाला, खुद की गाड़ी, दूसरे की बंदूक जरूरी है।
कलेजा फौलाद का मंगता, आंखें-दौड कुत्ते के माफिक, टक्कर मार के सिर खोलने के लिए खोपडी सूअर जैसी टनचाक चाहिए।
अनिवार्य योग्यता- पुराना पुलिस रिकॉर्ड।
वांछनीय- 3॰ गालियां प्रति मिनट या कई भाषाओं में गालियां देने में एक्सपर्ट।
प्राथमिकता- कटे-फटे मुंह-हाथ, चीरे के टांके लगे गाल वाले बिडू को वेटेज।
नोटः सभी सर्टिफिकेट मोहल्ले या चाल के पुराने दादा या भाई से खून से अटेस्टेड होना मंगता।(ब्लड ग्रुप कोई भी चलेगा)
‘. . . तो हुजूर ये तो ह विज्ञापन। अब इस विज्ञापन के माध्यम से कैंपस प्लेसमेंट अर्थात् उचित उम्मीदवार की खोज में आईं इन कंपनियों और उनके प्लेसमेंट अधिकारियों पर भी एक नजर डाल लें. . .। ’
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दृश्य भयंकर रूप से दृष्टिगोचराएमान है। सुंदर लाल कालीन बिछा है। बडे से डोम के अंदर दूर तक छोटे-छोटे कैबिन बने हैं। बाहर अखिल भारतीय कैंपस प्लेसमेंट का बोर्ड लगा है।
इस प्लेसमेंट में अलग तरह के पैरामीटर लिए अपने माफिक कैंडीडेंट को तलाशने ये खास कंपनियां यहां स्टॉल लगाए बिछी पडी हैं।
पहला ही स्टॉल चारखाने की लुंगी पहने कुछ लोगों का है। पीछे दीवार पर खतरनाक किस्म की जालिमाना शख्सियतों की 15-2॰ फोटो लगी हैं। सामने वाली टेबल पर चाकू गडा है। दराज में कुछ लाल-पीले रूमाल , कारतूस,सिगरेट का पैकिट, छोटा ब्लैड सफेद पाउडर का पैकिट(अंदाजे से गांजा या अफीम) भी रखा दिखाई दे रहा है। नीचे कुछ फॉर्म पडे हैं जिन पर बैठा कोई सूरती सी रगड़ कर खा रहा है, दूसरा उन्हीं के ऊपर सिगरेट की राख गिरा रहा है, तीसरा कोई उन्हीं फॉर्मों को फाड-फाड कर नाक पोंछने में लगा है।
इतने में ही ताक-झांक करता एक लडका स्टॉल में झांकता है। जमीन पर पसरे कोई दो उठकर उसे तत्काल ही बालों से पकड़कर अंदर खींच लेते हैं। बिना बात दो-चार मिनट चमका लेने -थपडयाने के पश्चात् नीचे बैठाकर एक प्रश्नपत्र उसके आगे रख दिया जाता है। दो परीक्षक किस्म के जंतु खुले हुए चाकू लेकर उसके दोनों ओर घूमने लगते हैं। उससे साफ तौर पर धमकीमय विनम्र भाषा में निवेदन किया जाता है कि नकल नहीं करने का, दाएं-बाएं नहीं देखने का, नहीं तो तेरे को गोली मतलब गाली देकर बाहर कर देंगे। अब वो उन्हें कैसे समझाए की मैं ही तो हूं यहां अकेला, किसकी नकल करूंगा।
खैर, अब प्रश्न पत्र भी देख लें. . .।
प्रश्नपत्र में निर्देश है कि कोई भी चार क्वैशचन करने का(पेपर में चार ही प्रश्न हैं)भाई का अंग्रेजी में हाथ जरा तंग है इसलिए हिंदी में लिखने का, जहां बंदूक-चाकू का फोटो (रेखाचित्र) बनाना हो वहां सप्लीमेंटी कॉपी की जगह ओरिजनल हथियार भी टोचन किए जा सकते हैं। पेपर होते ही शर्ट के भीतर छिपा लेने का, बाहर गेट पर जब कोडवर्ड बोला जाए तब कॉपी खसका देने का, ज्यादा सुनने का नहीं, ज्यादा सुनेगा तो काम कबी करेगा। सीधे पेपर शुरू कर. . .।
प्रश्न एक-भाई जब अपने कृत्यों के फलस्वरूप तिहाड़ नामक सुप्रसिद्ध स्थल पर प्रवास पर थे उस दौरान संगठन (गैंग) की नीतियों को वहीं से कुशलतापूर्वक संचालित करने के उनके तरीकों पर विस्तृत निबंध लिखो?
(निर्देशः सुविधा पाने के लिए किस मद पर कितना-कितना खर्च हुआ उसकी टेबल पृथक से सलंग्न करो)
प्रश्न दो-भाई के वैदेशिक संबंधों, परराष्ट्र नीति, आयात-निर्यात की वस्तुओं की विवेचना कीजिए? ’
(निर्देशः उत्तर में सही उदाहरणों की प्रचुरता होनी चाहिए। फेंकम-फांकी नहीं मांगता।)
प्रश्न तीन-कट्टा और पिस्तौल का चित्र बनाते हुए दोनों में अंतर स्पष्ट करो? यदि कट्टा चलाते वक्त पहले कभी वो फटा हो तो उसके संबंध में प्राइवेट डॉक्टर का सर्टीफिकेट संलग्न करो सरकारी डॉक्टर का सर्टीफिकेट नई मांगता?
प्रश्न चार--शहर के विकास और अपने वर्ग के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने में दिए गए भाई के अवदान का मूल्यांकन करने हुए उसका तारीफात्मक विश्लेषण करो?
(निर्देशः एक भी शब्द बुराई का लिखा तो नकारात्मक मूल्यांकन किया जाएगा अर्थात् हाथ याने अंक भी काटे जा सकते हैं।)
‘भाई साहब चल क्या रहा है? ’
‘अरे इतना भी नहीं समझे चचा. . . प्लेसमेंट चल रहा है। भाईगिरी कंपनियां अपने पैरामीटर पर योग्य उम्मीदवारों का चयन कर रही हैं। ’
‘ कैसा चयन हुजूर ? ’
‘ अबे मंदी के जमाने में नौकरियां हैं कहां? एक ही तो सदाबहार धंधा है भाईगिरी का। इसी सदाबहार धंधे लिए ये कंपनियां वसूली आदि के लिए जूनियर ट्रेनी भाई भर्ती कर रही हैं। देख लो पेपर तो हो गया अब उस कैंडीडेट का इंटरव्यू चल रहा है। ’
इसी बीच लडके को नीचे से उठाकर टेबल के आगे कुर्सी पर बिठा दिया जाता है।
भाईगिरी कंपनियों के एचआर (हाथतोडू-रकम उगाऊ) विभाग के वरिष्ठ टपोरी टाइप प्रबंधक उससे पूछ रहे हैं-
‘ अबे टाइपिंग की नहीं अपून पूछ रैला हूं कि तेरे दौड़ने की रफ्तार बोले तो पर मिनट कितनी है? ’
‘ क्यों ?’ लड़का घिघियाया।
‘ अबे तेरे पीछू पुलिस पड़ेगी तो भागना मांगता की नहीं । ’
इतने में पूछने वाले प्रबंधक भाई का एक्जीक्यूटिव छर्रा भी हाथ आजमाने लगता है।
‘ बोले तो रामपूरी-खटका-खुखरी ये किस चीज की वैराइटी हैं? ’
‘ हें. . .हें.. .’ लड़का अचकचाया।
‘ अबे मच्छर बता ना.. ’लुंगीवाल प्रबंधक भाई गरज रहा है।
‘ उस्ताद, चाकू की. . . ’
‘ शाबाश, सही बोला बिडू, एचआर उस्ताद जोश में आ गया। ’
‘ बता, तीन मिनट में तीन लोगों को पीटना है फिर उन्हीं तीन को गोली मारना हो तो टाइम मैनेजमेंट कैसे करेगा? ’
‘ उस्ताद डेढ़ मिनट पीटने के - डेढ़ मिनट गोली मारने के ’
‘ अबे, तू तो कच्चा खिलाडी है जिसे गोली मारना हो उसे पीटने में टाइम खोटी करेगा क्या?, एक मिनट में गोली मार-दो मिनट में पुलिस से बच..खैर, बाद में सीख जाएगा, नई तो पुलिस की गोली खाएगा ’
‘ खैर, ये बता, किसी को धमकी देकर रुपए वसूल करना हो तो कैसा बोलेगा? ’
‘ उस्ताद बोलूंगा- रुपए दे दे हरामजादे नई तो घर आकर तेरी जान ले लूंगा. . .। ’
‘ अबे, घर जाकर ड्राइंगरूम में बैठकर चाय-नाश्ता करके उसकी जान लेगा। तेरे को तो इंडस्ट्री का कुछ भी कायदा नहीं पता? ’
‘ अच्छा, शहर के दस महान भाई लोगों के नाम बता? ’
‘ उस्ताद, लखन महाराज, सोनू कबाड़ी, बल्लू धोबी. . . ’
‘ अबे ये भाई लोग हैं कि फेरीवाले? महान भाइयों के नाम नहीं जानता तू? खैर जब लाइन में आ जाएगा तो सीख जाएगा। अच्छा बता सुपारी लेकर मारने और बिना सुपारी लिए मारने में क्या अंतर है? ’
‘ उस्ताद, क्वैशचन ही गलत है तुम्हार.. .सुपारी के मारे कोई मरता है भला, ’
‘ अबे तू कौन आ गया भर्ती होने . . .अबे ये भाईगिरी की भर्ती है, तूने इसे नेतागिरी के माफिक समझ लिया है क्या? कोई क्वालिटी हो ना हो, कोई बात हो ना हो बस सिर पर चढकर वो. . . करेंगे। कोई ऐरा-गैरा आकर भाषण देने लगता है, नेता बन जाता है। क्या तैयारी की है तुमने वेरी पुअर नॉलेज. ..कहां से मुंह उठकर चला आ रहा है तू। इतनी बडी जॉब के लिए अप्लाई किया है तुमने जिसमें रुतबा है, ऊपरी-निचली सब तरह की कमाई है..एसेई ही चला आ रहा है .. .हमें देखो फुटपाथ से भाई के साथ लगे थे। एक-एक चीज सीखी, हुनर तराशा, तब जाक र सालों में सैकडों को मारपीट कर अब भाई के दाएं-बाएं हाथ बने पाए हैं। एक तुम लोग हो मेहनत करना ही नहीं चाहते। अबे दो नंबरी काम में भी सबकुछ इंस्टेंट नहीं मिलता। सच्ची का खून-पसीना बहाना पड़ता है, समझा। ’
‘ बता साल,े किससे वैरीफाई करवाए है तूने सर्टीफिकेट? ’
‘ उस्ताद, दगडू से .. ’
‘ अबे वो तेरी काली चाल का पॉकेटमार जो अब नेता हो गया है, उससे? ’
अबे साले उससे क्यों करवाया। फिर नेता अबे साले वे तो हम भाइयों से भी गए बीते होते हैं?तू तो लगता है उनके चक्कर में है। साले न किसी भी काम का है न किसी काम के आदमी से टच में है। कैसे बनेगा तू भाई.. . अबे कंडम आइटम चल कल्टी कर यहां से . .. ’
ऐसे ही दृश्य दूसरी-चौथी कंपनी के स्टॉलों पर भी चल रहा है। उम्मीदवार ऐसे ही घबराए से यहां से वहां टूंगटे से फिर रहे हैं। आपस में लगातार बात भी कर रहे हैं कि पेपर-इंटरव्यू काफी टफ था। साला, जरा सा भी टाइम मिल जाता तो जमकर तैयारी करता। सर्वसम्मति बन रही है कि हमने किताबों से जितना रटा उसमें से तो कुछ आया ही नहीं पूरा मामला बडा व्यावहारिक था। इससे तो अच्छा था कि परंपरागत उन्हीं नौकरियों की तैयारी करते।
उधर, अगले दिन शाम के अखबार में फिर एक विज्ञापन है।
असुविधा के लिए सॉरी मंगता है.. .
कोई दमदार कैंडिडेट नईच्छ था। पूरा प्लेसमेंट फुस्सी निकला। कोई कंपनी योज्य उम्मीदवारों का चयन नहीं कर पाईं। आगे कंपनियों की तरफ से आए उम्मीदवारों को ढेर सारी गालियां( जिन्हें अखबार ने छापा नहीं है), स्थानीय आयोजक भाइयों की भी लानत-मलानत कि इतने घटिया कैंडीडेटों को बुलाया, बिल्लू भाई से क्षमायाचना कि आयोजन स्थल का किराया दिए बिना ही तत्काल एक पार्टी का झगड़ा निपटाने के लिए जाना पड़ रहा है।
इस विज्ञापन के नीचे एक कोचिंग संस्था का भी विज्ञापन है।
आज हर कंपनी विशेषज्ञता मांगती है। केवल प?ढाई से कुछ नहीं होता, व्यावहारिक ज्ञान भी जरूरी है। भाईगिरी की तैयारी के लिए शहर में हमारी कोचिंग संस्था है। जिसमें गेस्ट लेक्चरार मुंबई से बुलाए जाते हैं। कुछ पूर्व सफल छात्रों से ‘अंदर’ से ही लाइव बातचीत भी करवाई जाती है। अतः देर ना करें तत्काल रजिस्टशन करवाएं। पहले आने वाले 1॰ छात्रों के शुरूआती मामलों में जमानत का वायदा।
नीचे तिहाड के जेलर के साथ छह-सात पुराने छात्रों के फोटो भी दिए गए हैं। नीचे कोचिंग संचालक का नाम भी दिया है, बबलू भाई सरपट उर्फ ‘पुराने पापी’।
(नोटः नक्कालों से सावधान। शहर में एकमात्र हमारी ही कोचिंग में यह कोर्स करवाया जाता है। बाकियों के पास ना तो अनुभव है ना ही अनुभवी लोग हैं।)
अंत में मुफ्त सलाहः जहां हो वहीं जमे रहो, मन लगाकर काम करो, या अपना धंधा शुरू कर दो। यह सब नहीं कर सकते और इंस्टेंट अमीर भी बनाना चाहते हो तो, पिछले पेजों पर दी गई प्लेसमेंट की कठिन प्रकि?या पर ध्यान दो। जिसमें निकलना तुम्हारे जैसे पिद्दी के लिए नामुमकिन है ही। तो भाई कहीं भी छोटी-मोटी नौकरी कर लो, खुश रहो। इन भाईगिरी के कामों में पड़ना तुम्हारे बस का है। देखियो सही बोलिओ. . .? सही कै रहा हूं ना मैं. . .?
(आत्मनिवेदनः अगर इतने के बाद भी भाई बन ही जाओ तो ऊपर की सलाह पर ध्यान मत देना मेरे भाई. . .)
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