यशवन्त कोठारी का उपन्यास : नया सवेरा - 6

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नया सवेरा यशवन्त कोठारी   (पिछले अंक से जारी…) पन्‍द्रह अगस्‍त उन्‍नीस सौ सत्‍ताणवें आजादी का पचासवां स्‍वतन्‍त्रता दिवस का पावन प...

नया सवेरा

यशवन्त कोठारी

 

(पिछले अंक से जारी…)

पन्‍द्रह अगस्‍त उन्‍नीस सौ सत्‍ताणवें

आजादी का पचासवां स्‍वतन्‍त्रता दिवस का पावन पर्व। आज पूरे कस्‍बे में अपूर्व उत्‍साह, उल्‍लास और उमंग थी। सर्वत्र खुशी, उमंग, चैन लेकिन कहीं कहीं लोगों के दिलों में कसक भी थी।

अभिमन्‍यु बाबू अपने उसी स्‍कूल में झण्‍डा रोहण करने गये जहां पर वे कभी एक अध्‍यापक के रूप में कार्यरत थे। सभी अध्‍यापक बड़े प्रसन्‍न थे कि जिलाधीश महोदय ने उनके कार्यक्रम में आने की स्वीकृति प्रदान की थी। स्‍कूल के वातावरण में उत्‍साह था। छात्र प्रसन्‍न थे और अध्‍यापकों ने जी-जान लगाकर मेहनत की थी। राष्ट्र भक्ति के गीत बज रहे थे। पण्‍डाल सजा था। शहर के गणमान्‍य लोग उपस्‍थित थे।

अभिमन्‍यु बाबू ने झण्‍डारोहण किया। राष्ट गान हुआ। परेड की सलामी ली गयी। प्रधानाध्‍यापक के उद्‌बोधन के बाद अभिमन्‍यु बाबू ने शहर के प्रबुद्ध व्‍यक्‍तियों को प्रमाण-पत्र और पुरस्‍कार बाँटे। एक विकलांग को पुरस्‍कार देने अभिमन्‍यु बाबू उसकी सीट तक चल कर गये। एक सैनिक की विधवा पुरस्‍कार ग्रहण करते हुए रो पड़ी। सभी की आँखें नम हो गयी। अभिमन्‍यु बाबू ने अपने उद्‌बोधन में कहा-

‘‘ आज आजादी की पचासवीं साल गिरह है और इस मुबारक मौके पर मैं आप सभी को बधाई देता हूँ। आज हमें अपने उन नेताओं, क्रांतिकारियों ओर देश भक्तों को याद करना है, जिन्‍होंने आजादी की इस लड़ाई में अपना सर्वस्‍व त्‍याग दिया।

आज हमें सागरमल गोपा, केसरी सिंह बारहठ, माणिक्य लाल वर्मा, मेहर खां के साथ-साथ चन्‍द्रशेखर, भगतसिंह, लाला लाजपतराय आदि के बलिदानों को याद करना हे। आज महात्‍मा गांधी के पुण्‍य स्‍मरण का भी दिन है। आज हम सभी एक है और एक रहे। हमें हमारी भावात्‍मक एकता को बनाये रखना है। देश भक्‍ति को बनाये रखना है। सीमा की चौकसी रखनी हैं राष्ट्रीय एकता, अखण्‍डता और सांस्‍कृतिक समरसता के लिए प्रयास करना है। देश के आजाद होने के साथ-साथ हमें हमारी स्‍वाधीन चेतना को जगाये रखना है। स्‍वाधीनता की चेतना जब तक जीवित है, हमें कोई खतरा नहीं है। हमने तीन युद्ध लड़े हम विजयी रहे। आतंकवाद से लड़े हम विजयी रहे। हमें सामाजिक यथार्थ तथा रचनात्‍मक दिशा बोध के साथ-साथ सामाजिक समरसता को बनाये रखना है।

समाज, राष्ट और व्‍यक्‍ति सब मिलकर ही एक सम्‍पूर्ण राष्ट का निर्माण करते हैं।

आजादी के इस दौर में हमें वन्‍दे मातरम और जन गण मन की अक्षुण्णता को बनाये रखना है। आइये सब मिलकर नारा लगाये। ''

‘‘ भारत माता की जय। ''

‘‘ भारत माता की जय। ''

कार्यक्रम समाप्‍त हुआ। अभिमन्‍यु बाबू ,अन्‍ना,कमला, नन्‍ही सब अपने बंगले वापस आ गये।

सायंकाल सांस्‍कृतिक कार्यक्रम हुए। भवनों पर रोशनी की गयी। सर्वत्र सब कुछ सुहावना लग रहा था। आज रक्‍तदान हुए, नेत्रदान व देहदान के फार्म भरे गये। स्‍वास्‍थ-शिक्षा व प्रौढ़ शिक्षा के लिए समाज के लोगों ने संकल्‍प लिये। मगर अन्‍ना से नहीं रहा गया। वो पूछ बैठी -

-‘‘ इतना सब होने के बाद भी आम आदमी खुश क्‍यों नहीं है। ''

-‘‘ खुशी का इजहार करना हर एक के लिए संभव नहीं होता। '' कमला ने कहा।

-‘‘ मगर इसका मतलब क्‍या औसत नागरिक प्रसन्‍न नहीं है। ''

-‘‘ नहीं वह खुश हैं मगर उसे लगता है कि यह खुशी क्षणिक है और इसी कारण वह चुपचाप रहता है। ''

-‘‘ नहीं ऐसा नहीं है। वास्‍तव में पचास वर्षो में औसत व्‍यक्‍ति को अभावों ने तोड़ दिया हे। अब खुली अर्थ व्‍यवस्‍था से उसे स्‍वयं के लिए खतरा नजर आ रहा है। इसी कारण वह चुप है।''

-‘‘ लेकिन चुप रहने से क्‍या होता है। ''

-‘‘ चुप की दहाड़ बहुत बड़ी होती हे। मौन की आवाज सबसे तेज होती है। ''

-‘‘ चलो छोड़ो भाई जान।'' कमला ने कहा। नन्‍ही टीवी देखकर प्रसन्‍न हो रही थी।

-‘‘ क्‍या दृश्‍य-श्रव्‍य माध्‍यम सबके लिए हितकर हे। '' अन्‍ना ने दूसरा प्रश्‍न छोड़ा।

-‘‘ सवाल हित का नहीं आवश्‍यकता का है। आज टीवी के बिना समाज में जीना मुश्‍किल है। '' कमला ने कहा।

-‘‘ लेकिन टीवी के नुकसान बहुत है। ''

-‘‘ और फायदे भी बहुत है '' - अभिमन्‍यु बोल पड़ा। आज टीवी से शिक्षा, अनौपचारिक शिक्षा और दूसरा शिक्षा के क्षेत्र में बिल्‍कुल नये प्रयोग हो रहे हैं जो हमारे देश को एक नये भविष्य की ओर से जा रहे हैं। शीघ्र ही देश में कम्‍प्‍यूटर शिक्षा का जाल बिछ जायेगा और इस शिक्षा से हमारा तकनीकी ज्ञान बहुत बढ़ जायेगा। हम देश विदेश में घर बैठे मीटिंग कर सकेंगे।

-‘‘ हां हां क्‍यों नहीं टेली-कांफ्रेसिंग एक बिल्‍कुल सामान्‍य सी बात होगी। जैसे फोन एक सामान्‍य उपकरण है, ठीक वैसी ही सुविधा हो जायेगी। '' -‘‘ फिर तो बड़ा मजा आयेगा। '' कमला बोल पड़ी।

मगर अन्‍ना ने कुछ नहीं कहा।

कमला और अन्‍ना कमरे में आई।

अन्‍ना ने नन्‍ही को प्‍यार से थप थपाकर सुला दिया और कमला से पूछा।

-‘‘ अब दूसरा कब ? ''

-‘‘ नहीं भाभी हम दोनों एक हमारे एक। बस। '' और भाभी तुम्‍हारे․․․․․।''

हम तो भाई शून्‍य जनसंख्‍या वृद्धि में विश्‍वास रखते है। ''

दोनों हँस पड़ी। सभी आराम करने लग गये।

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स्‍वतंत्रता दिवस समारोह पर अखबारों ने बड़े बड़े परिशिष्ट प्रकाशित किये थे। पिछले पचास वर्षो की उपलब्‍धियों की बढ़ चढ़ कर विस्‍तृत व्‍याख्‍या प्रस्‍तुत की गयी थी। स्‍थानीय समाचारों में अभिमन्यु बाबू का भाषण प्रमुखता से प्रकाशित हुआ था। समाज में विकृतियां उभरी है, ये ठीक है, अभिमन्‍यु सोच रहे थे, मगर क्‍या सब कुछ धुंधला गया है, क्‍या आशा की कोई किरण बाकी नहीं है। अभिमन्‍यु बाबू ने स्‍वयं से कहा।

- नहीं मैं ऐसा नहीं मानता। रात कितनी ही लम्‍बी हो । सुबह अवश्‍य होती है और सवेरे के सूरज की रोशनी अन्‍धेरे को चीर कर बहुत दूर तक प्रकाश फैला देती है। पूरब का यह सूर्य हम सभी को प्रकाशित करेगा और हमारे मन के अंधकार को दूर करेगा।

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कमला के जाने के बाद अन्‍ना कुछ उदास हो गयी। इतना बड़ा बंगला, सभी प्रकार की साधन सुविधाएँ। नौकर चाकर, रुतबा, मगर मन है कि फिर भी उदास। सब कुछ है मगर कुछ भी नहीं आखिर इसका कारण का है ? नारी मन में यह अतृप्‍ति क्‍यों है, शायद इसका कारण समाज में व्‍याप्‍त उपेक्षा है, मगर अब समय बदल रहा हे नारी ने हर क्षेत्र में अपनी सफलता के झण्‍डे गाड़े हैं। प्राचीन काल में भी नारी ने अपना वर्चस्‍व स्‍थापित किया था और आज भी कर रही है जीवन के हर क्षेत्र में नारी ने आगे आकर पुरूष के कन्‍धे से कन्‍धा भिड़ाकर काम किया है। नारी किसी से कम नहीं है। आर्थिक समृद्धि और भौतिक साधनों की वृद्धि में नारी का योगदान है। उसे मन ही मन तसल्‍ली हुई। लेकिन फिर उसे लगा कि क्‍या भौतिकयात्रा की समाप्‍ति के बाद सब कुछ समाप्‍त हो जाता है, शायद नहीं क्‍योंकि भौतिक यात्रा की समाप्‍ति के बाद एक नई अर्थवान यात्रा का विकास होता है। पश्‍चिम में इस यात्रा के महत्‍व कोई नहीं मानता है, मगर भारत में भौतिक यात्रा की समाप्‍ति के बाद भी व्‍यक्‍ति की यात्रा निरन्‍तर चलती रहती है और व्‍यक्‍ति एक नयी आध्‍यात्‍मिक यात्रा के अनन्‍त मार्ग पर चल पड़ता है।

अन्‍ना अपने विशाल शयन कक्ष में आई। उसने किताबों की शेल्‍फ में से एक किताब उठाई, मगर किताब के पीछे उसे एक डायरी दिखाई दी। उसे आश्‍चर्य हुआ। अभिमन्‍यु की पुस्‍तकों की शेल्‍फ में डायरी-। उसने डायरी को उठा लिया अभिमन्‍यु की डायरी थी। उसके प्रारम्‍भिक जीवन के बारे में विस्‍तार से लिखा हुआ था। आज वह इस उच्‍च पद पर था। अभिमन्‍यु की डायरी को अन्‍ना ने पढ़ा और रख दिया। इसी बीच अभिमन्‍यु आ गया। बोला-

‘‘ अन्‍ना क्‍या कर रही हो। ''

‘‘ कुछ नहीं बस यों ही। '' अन्‍ना ने बात टाल दी। मगर अभिमन्‍यु समझ गया कि बात कुछ है।

‘‘ सुनो अन्‍ना। ''

‘‘ हाँ जी। ''

आज सायं मुझे कुछ जरूरी काम से बाहर जाना है और कल सुबह जिले में पल्‍स पोलियो अभियान का प्रारम्‍भ होना हे, इस कार्यक्रम के लिए तुम्‍हें भी चलना होगा। ''

‘‘ पल्‍स पोलियो में मेरा क्‍या काम। ''

‘‘ है भाई हम सभी का काम है। नई पीढ़ी निरोगी हो, उसे लकवा -पोलियो जैसी बीमारी नहीं हो इस पुनीत महाभियान को हम सभी में अपना अपना योगदान करना है। ''

‘‘ मुझे क्‍या करना होगा ? ''

‘‘ तुम जिले के बच्‍चों को पोलियो की दवा पिलाने का शुभारम्‍भ करोगी। सब तैयारियां जिले के छोटे अधिकारियों द्वारा कर ली गई है। सुबह सात बजे से यह कार्यक्रम शुरू होगा। ''

‘‘ अच्‍छा तो फिर आज साँय आप कहाँ जाने वाले हैं। ''

‘‘ इसी पल्‍स पोलियो महाभियान के सिलसिले में मुझे पास के गांवों का दौरा करना है। ''

‘‘ मैं भी साथ चलूंगी। हम आपके पुराने गांव भी चलेंगे। ''

‘‘ जैसी आप की इच्‍छा। ''

अभिमन्‍यु और अन्‍ना कार में बैठकर अपने पुराने गाँव तक पहुँचे साथ में जिले के अन्‍य अधिकारी भी थे। इसी गांव में पल्‍स पोलियो कार्यक्रम को शुरू किया जाना था। गांव में पहुंचते ही अभिमन्‍यु ने सर्वप्रथम अकबर को बुलाया।

दोनो पुराने मित्र आपस में गले मिले। उम्र की छाया अकबर के शरीर पर स्पष्ट दिखाई दे रही थी।

अभिमन्‍यु ने अकबर से कहा-

‘‘ इस गांव के प्रत्‍येक बच्‍चे को पोलियो की खुराक पिलाने की जिम्‍मेदारी तुम्‍हारी है। अकबर, भाभी को भेजकर गांव की हर महिला और बच्‍चें को सुबह पोलियो की दवा पिलाने के लिए पास वाले स्‍कूल में लाना है। ''

अकबर ने तुरन्‍त हाँ भरी और कहा-

‘‘ सर। इस कार्य के लिए हम सब मिलकर प्रयास कर रहें हैं। सभी को खुराक पिलाने की जानकारी दे दी गई है कार्ड भी बनवा दिये हैं ओर इस कार्य के लिए हमने एक समिति भी बना दी है। ''

‘‘ गुड। वेरी गुड।'' अभिमन्‍यु बोल पड़ा।

अचानक अभिमन्‍यु को अपना बचपन याद आया। उसने अकबर से पुराने मित्रों के बारे में पूछा। अकबर के माँ बाप के बारे में जानकारी ली। वे कुशल थे। अभिमन्‍यु को अपने माता पिता के चले जाने का दुख था, मगर उसने जाहिर नहीं होने दिया।

गांव का निरीक्षण करने के बाद अभिमन्‍यु अपने अमले के साथ वापस जिला मुख्‍यालय आ गया। दूसरे दिन प्रातः अन्‍ना ने पल्‍स पोलियो कार्यक्रम का श्रीगणेश किया। इस अवसर पर उसने कहा-

‘‘ आज देश को एक निरोग और स्‍वस्‍थ पीढ़ी की आवश्‍यकता है, पूरे विश्‍व में पोलियो का उन्‍मूलन हो रहा है, हमें इस कार्य में पीछे नहीं रहना है। हर बच्‍चे को जिस की उम्र पाँच वर्ष की हो उसे पोलियो की दवा पिलाकर पोलियो को जड़ से मिटाना है। ''

सायं तक जिले के हर बच्‍चे को पोलियो की दवा पिलाई गई। अन्‍ना व अभिमन्‍यु ने मिलकर जिले में इस काम को सफल किया।

अभिमन्‍यु अपने कार्यालय में बैठा था। पी․ए․ ने आकर बताया कि जिले की शान्‍ति समिति के सदस्‍य मिलना चाहते हैं। उसने उन्‍हें अन्‍दर भेजने के आदेश दिये। जिले की शान्‍ति समिति का पुनर्गठन किया गया था। अकबर, मिसेज प्रतिभा, अवतारसिंह, आदि को शामिल कर के अभिमन्‍यु ने समाज के सभी लोगों को प्रतिनिधित्‍व दिया था।

समिति में कुछ बुद्धिजीवियों को भी लिया गया था। समिति के लगभग सभी सदस्‍य एक साथ आ गये थे, यह एक अनौपचारिक उपवेशन था। अभिवादन के बाद अभिमन्‍यु ने कहा-

‘‘ कहिये आप लोगों ने कैसे कष्ट किया ? ''

अकबर ने कहा-

‘‘ सर समिति का काम-काज तो ठीक चल रहा है, मगर राजपुर की सीमा अन्‍य प्रान्‍त की सीमा से मिलती है और प्रान्‍त में उग्रवाद व आतंकवाद के कारण कभी कभी परेशानी आ जाती है। ''

‘‘ हाँ आतंकवाद की समस्या सर्वत्र हैं। हमें इस दिशा में भी सोचना चाहिये। '' आप बताईये हमें क्‍या करना चाहिये। '' अभिमन्‍यु ने पूछा।

‘‘ हमारी सीमाओं पर हम निगरानी बढ़ा दें। जहाँ कहीं भी अपराधी हो उन्‍हें पकड़ने की कोशिश करें ? ''

‘‘ लेकिन अपराधियों को पकड़ना मुश्‍किल काम है।'' अवतार सिंह ने कहा।

‘‘ मुश्‍किल कुछ नहीं हे। यदि जन-सहयोग हो तो उग्रवाद पर काबू पाया जा सकता है।'' अभिमन्‍यु ने कहा।

स्‍मिति के सदस्‍य इस बात से सहमत थे कि अपराधियों को पकड़ने के प्रयास में जन-सहयोग आवश्‍यक है।

मिसेज प्रतिभा बोली-

‘‘ सर पिछली बार बस में बम फटने से पांच निर्दोष लोग मारे गये थे।''

‘‘ हां मगर वह एक दुखद घटना थी। और हमने इस घटना को पुनः नहीं होने देने के लिए उपाय कर लिये हैं। ''

‘‘ आतंकवाद की सर्वत्र निन्‍दा होनी चाहिये।'' ये युवा हमारे ही समाज के एक भाग हैं लेकिन गुमराह हैं। गुमराह को सही राह पर लाने के प्रयास किये जाने चाहियें हमें और सरकार को एक जुट होकर इन उग्रवादियों को देश की मुख्‍य धारा से जोड़ना चाहिए।'' शान्‍ति समिति के वयोवृद्ध सदस्‍य सेवानिवृत्त प्राचार्य जी बोल पड़े।

सभी ने उनकी बात का समर्थन किया।

‘‘ सर आतंकवाद के अलावा भी कुछ समस्याएँ हैं जिन पर ध्‍यान दिया जाना आवश्‍यक है। '' अकबर फिर बोल पड़ा।

‘‘ कहो। ''

‘‘ साम्‍प्रदायिक तनाव, जातिवादी गठबंधन और स्‍वास्‍थ सम्‍बन्‍धी समस्‍याएं। ''

‘‘ देखो भाई, यह हमारा सौभाग्‍य है कि हमारे जिले में अभी भी दंगे नहीं हुए हैं।'' अभिमन्‍यु ने हँसते हुए कहा।

सभी हँस पड़े।

‘‘ और जहाँ तक तनाव या जातिवादी गठबंधनों का प्रश्‍न है ये सर्वत्र हैं और स्‍थिति विस्‍फोटक नहीं है। यदि कोई खास समस्‍या हो तो उस पर ध्‍यान दिया जा सकता है। ''

‘‘ नहीं ऐसा तो नहीं हे। '' एक नक कहा।

‘‘ स्‍वास्‍थ्‍य सम्‍बन्‍धी कार्यक्रमों के लिए अतिरिक्‍त जिलाधीश व जिले के चिकित्‍सा अधिकार अच्‍छा कार्य कर रहें है, यदि आप चाहे तो उनसे भी मिल सकते हैं। ''

‘‘ सर एक बात और। '' प्राचार्य ने कहा-

‘‘ हमारे गांव के पास की फैक्टरी से हानिकारक गैसों का रिसाव होता है। उसे रोकने के लिए कई बार निवेदन किया है। ''

‘‘ हाँ मुझे याद है, हमने सरकार को लिखा है और शायद शीघ्र इस फैक्टरी में गैसों को साफ करने के उपकरण लगा दिये जायेंगे। इस फैक्टरी से निकलने वाले दूषित जल को भी गांव में नहीं छोड़ा जायेगा। इसे भी साफ करने के संयंत्र दिये जायेंगे। इस सम्‍बन्‍ध में आदेश कर दिये गये हैं।''

‘‘ जी बहुत अच्‍छा। ''

एक अन्‍तिम बात सर। अवतार सिंह बोल पड़ा।

‘‘ सर कच्‍ची बस्‍तियों में कुछ काम ठीक से नहीं चल रहा है। ''

‘‘ हाँ इस सम्‍बन्‍ध में एक नयी योजना बना कर सरकार को भेजी गयी है शायद एक-दो दिन में आदेश आ जायेंगे। कल ही मैं स्‍वयं बस्‍ती का दौरा करूंगा। ''

यह कह अभिमन्‍यु ने उपवेशन समाप्‍त कर दिया।

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(क्रमशः अगले अंकों में जारी…)

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तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया 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पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi 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रचनाकार: यशवन्त कोठारी का उपन्यास : नया सवेरा - 6
यशवन्त कोठारी का उपन्यास : नया सवेरा - 6
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