रेखा श्रीवास्तव का आलेख : संस्थापन कला – अभिव्यक्ति के बदलते साधन

SHARE:

कला संस्‍कृति का एक महत्‍वपूर्ण अवयव है जो मानव मन को परिष्‍कृत एवं अलंकृत करती है। भारतीय दर्शन साहित्‍य एवं धार्मिक मान्‍यताओं आदि की अभिव...

कला संस्‍कृति का एक महत्‍वपूर्ण अवयव है जो मानव मन को परिष्‍कृत एवं अलंकृत करती है। भारतीय दर्शन साहित्‍य एवं धार्मिक मान्‍यताओं आदि की अभिव्‍यक्‍ति विश्‍ोषतः दृश्‍य कलाओं में देखा और अनुभव किया जा सकता है।[1] कला के चिन्‍तन व विवेचन से आध्‍यात्‍मिक सुख प्राप्‍त होता है। पर यदि उसे प्रविधि विश्‍ोष द्वारा विकसित किया जाय तो वह कलाकार के लालित्‍य और सृजन की प्रेरणा बन जाती है। यही प्रेरणा कला को जन्‍म देती है। कला किसी भी बाह्‌य माध्‍यम के द्वारा अपने भावों की अभिव्‍यक्‍ति को कहते हैं। ये बाह्‌य माध्‍यम चित्र, शब्‍द, स्‍वर अथवा अन्‍य हो सकता है।[2] अन्‍य इस संदर्भ में क्‍योंकि आज कलाकार अपनी अभिव्‍यक्‍ति के लिये नित नये साधनों को खोज कर रहा है। वह ऐसे माध्‍यम तलाशने में जुटा है, जिससे वह अधिक से अधिक, सशक्‍त और प्रभावी तरीके से अपने भावों की अभिव्‍यंजना कर सके । प्रागैतिहासिक काल से लेकर आज तक कला इतिहास में हमें ऐसे कई उदाहरण प्राप्‍त होते हैं।

clip_image002सर्व प्रथम 1849 में रिचर्ड वेगनर ने ग्रीक थियेटर से प्रभावित होकर एक ऐसे कला संसार की सृष्‍टि की जिसमें चित्र में संगीत, शब्‍दों इत्‍यादि का प्रयोग किया था जिससे दर्शकों को एक भिन्‍न एंन्‍द्रिय आनंद की अनुभूति हुई ।[3] 1930 में अतियथार्थवादी शिल्‍पियों ने संस्‍थापन कला में जिस कला का सृजन किया वह फनफेयर जैसा लगता था। जर्मन कलाकार कर्ट श्‍वीटर्स ने अपने बड़े घर को जंक कोलाज में बदल दिया था।[4] 1958 में फ्रेंच कलाकार yues klein ने पेरिस मेे एक प्रदर्शनी की थी जिसमें उनकी कृति को देखकर आज के संदर्भों में प्रयुक्‍त संस्‍थापन कला का आभास किया गया था।[5] हालांकि संस्‍थापन कला शब्‍द की शुरूवात 1970 के दशक से मानी गई। 20वी सदी के अंतिम दशक तक आते आते यह अपने पूरे यौवन पर थी। संस्‍थापन कला समकालीन कला की एक शैली के रूप में उभर कर सामने आई । कला का यह विशिष्‍ठ नामकरण हाल ही में आया है। जबकि इसका पहला प्रयोग 1969 में ही हो गया था, जब मार्शल डशेम्‍प ने रेडीमेट आर्ट में विभिन्‍न वस्‍तुओं का प्रयोग कर अपनी कलाभिव्‍यक्‍ति प्रस्‍तुत की थी।[6] प्रारंभ में ये कलाकृतियां अस्‍थायी होती थीं बाद में कलाकृतियों को क्र्रय कर संग्रहीत किया जाने लगा । जैसे 1981 में हीशोर्न म्‍यूजियम वाशिंगटन द्वारा कलाकार जूडी पफ की कृति काबुकी को संग्रहीत किया। 1987 में सांची गैलरी लंदन द्वारा रिचर्ड विल्‍सन की कृति 20/50 को संग्रहीत किया गया। यही कारण है कि इस विधा को पूर्व में अन्‍य भिन्‍न भिन्‍न नामों से जाना जाता था जैसे प्रोजेक्‍ट आर्ट, टेम्‍परेरी आर्ट आदि। [7]

clip_image004

संस्‍थापन कला , प्रदर्शनी स्‍थल को तीन आयामी कलाकृति के रूप में अभिव्‍यक्‍ति को कहते हैं। इस शैली में वास्‍तु से संबंधित दिलचस्‍प एवं रोजमर्रा की वस्‍तुओं को एक स्‍थान पर संयोजित कर प्रदर्शित किया जाता है। इस नई विधा में कलाकृति एवं दर्शक के मध्‍य समन्‍वय स्‍थापित हो जाता है। कभी कभी दर्शक इस कलाकृति का हिस्‍सा भी बन जाता है। संस्‍थापन कला में उपयोग की जाने वाले माध्‍यम या संसाधन असीमित है। साथ ही यह विभिन्‍न क्षेत्रों में जैसे अमूर्त अथवा कथानक आधारित, राजनीतिक अथवा सैद्धांतिक, अस्‍थायी अथवा स्‍थायी अभिव्‍यक्‍ति में अपना स्‍थान बना चुका है। इस कला शैली के लिये यह आवश्‍यक नहीं है कि इसके प्रदर्शन के लिये आर्ट गैलरी का ही प्रयोग किया जाय। इसके प्रदर्शन के लिये खुली सड़कों, बगीचों, खेतों, समुद्री किनारों अथवा किसी भी सार्वजनिक स्‍थान का उपयोग किया जा सकता है। इस विधा में हर संभव मिश्रित माध्‍यमों का प्रयोग वातावरण विशेष को प्रदर्शित करने के लिये किया जा सकता है। इसके अन्‍तर्गत नवीनतम माध्‍यमों जैसे वीडियो साउण्‍ड परफारमेंस इंटरनेट इत्‍यादि का प्रयोग कर वर्चुअल आभासीय वातावरण की सृष्‍टि की जाती है। इसका आशय कला और जीवन के मध्‍य दूरी को मिटाना भी है। और दर्शकों को मंचीय अनुभव में शामिल करना भी है।

clip_image0061910 के दशक में कलाकार चित्रकला या मूर्तिकला के परम्‍परागत अभिव्‍यक्‍ति से भिन्‍न कुछ अलग करना चाहते थे। इसी संदर्भ में रूसी, जर्मन और डच कलाकारों ने फाइन आर्ट और क्राफ्‌ट को शिल्‍प वास्‍तुकला और अलंकरण के साथ एकीकृत कर शुद्ध ज्‍यामितीय रूपों में अपनी कलाभिव्‍यक्‍ति की । और यही संस्‍थापन कला के रूप में उभरने लगी। इस शैली में फ्रांसीसी अमरीकी कलाकार मार्शल डशेम्‍प, जर्मन कलाकार कर्ट श्‍वीटर ने अनेक कलात्‍मक कृतियों का निर्माण किया है जिसमें उन्‍होने चित्र अंतराल में आकर्षक वातावरण की सृष्‍टि की है। जिसमें ‘1200 बैग ऑफ कोल'1938 जिसमे उन्‍होने कोयले की 1200 थैलियों को फर्श पर संयोजित किया एवं एक महत्‍वपूर्ण शिल्‍प कार्य में एक कमरे में सेट ओर माइल के लचीले तारों के जाल से अपने विचारों को अभिव्‍यक्‍त किया । दोनो ही कृतियां न्‍यूयार्क की कला दीर्घाओं में दर्शकों के अनुभवों में परिवर्तन हेतु प्रदर्शित की गई। जर्मन के कलाकार श्‍वीटर ने अपने घर में पाये जाने वाले अनुपयोगी सामग्रियों द्वारा कलाकृति ‘‘झूठा‘‘ टुकड़ा का निमार्ण किया ।[8] एक अन्‍य अग्रणी अमरीकी कलाकार लुइस नेवेल्‍शन और लुइस बर्गाइस ने 1950 में एक वृहद कलाकृति का निर्माण किया जिसमें लकड़ी के विभिन्‍न रूपों का प्रयोग किया गया । इस कृति में उन्‍होने स्‍वतंत्र वस्‍तु के स्‍थान पर वातावरण की सृष्‍टि को प्रमुखता दी। पश्‍चिमी संस्‍थापन कला को गुटई समूह द्वारा जापान में 1954 में शुरू किया गया जो एलन काप्रो जैसे अमरीकी संस्‍थापन कलाकारों द्वारा प्रभावी मंच में शामिल किया गया।

clip_image007

1980 के बाद से संस्‍थापन कला को एक अलग विषय के रूप में देखा जाने लगा। और एन हैमिल्‍टन, डेविड हेमोन्‍स, जमीमा पफ अन्‍य अमरीकी कलाकारों में जीवंत और जटिल संस्‍थापन कला बनाने के लिये सामग्री की एक व्‍यापक श्रेणी का उपयोग किया गया। जिसमें 1995 में पेंसिल्‍वेनिया कन्‍वेशन सेंटर को फिलाडेल्‍फिया में बदल दिया । इस संस्‍थापन में इस्‍पात एल्‍यूमीनियम के अनुपयोगी गिलास और अन्‍य रंगीन रचना सामग्री के साथ कार्निवाल का 14 किलोमीटर लम्‍बा दृश्‍य स्‍थापित किया गया । इसी संदर्भ में भारतीय कलाकार सुबोधगुप्‍ता ने भी कई चित्र, इंस्‍टालेशन,वीडियो, में अभूतपूर्व प्रयोग किये हैं, और इनकी कृतियों को विश्‍व के प्रतिष्‍ठित संग्रहो जैसे चार्ल्‍स साची, फ्रांसिस पिनोल्‍ट और फ्रांक कोहेन में संग्रहित किया गया है।[9] 2006 में बनाई गई वेरी हंगरी गॉड उनकी जीवन का एक अहम मोड़था जिसमें उन्‍होने लोगों की भूख पर हजार किलो के खोपड़ी चमकदार एल्‍यूमीनियम के बर्तनों से निर्मित कर टिप्‍पणी की। इसे पेरिस के चर्च इग्‍लीस सेंट बर्नाड में रखा गया। [10] आने वाले समय मे संस्‍थापना कला एक महत्‍वपूर्ण और सशक्‍त कलाभिव्‍यक्‍ति के रूप में अपना स्‍थान बना लेगा । आज कलाकार हर संभव प्रयोग इस शैली में कर रहा है। जिसमें इंटरेक्‍टिव इंस्‍टालेशन का भी प्रयोग बढ़ा है। जिसमें कलाकार कलाकृति के साथ साथ दर्शक को भी कृति में शामिल करता है। इन प्रयोगों में विभिन्‍न कला सामग्रियों के साथ विडियो साउण्‍ड का तालमेल रंगों के प्रभाव इस तरह उत्‍पन्‍न किया जाता है कि दर्शक एक विशेष आभासीय वातावरण में स्‍वयं को महसूस करता है। विवान सुन्‍दरम ने एक ऐसा ही प्रभाव 12बेड इन वार्ड में दिखाया है इन संस्‍थापन में 12लोहे के पलंग रखे गये उन पर चप्‍पल के आकार के छेद वाले जाल बिछा कर उपर से प्रकाश की रोशनी इस तरह डाली गई जिससे पलंग पर रखे गये चप्‍पल के आकार के छाया जमीन पर पड़ने लगी और उस पूरे कमरे का वातावरण दर्शक के मन में समाज के उस विशेष तबके के माहौल का आभासीय प्रभाव डालने लगा जो झुग्‍गी झोपड़ी में जाने से महसूस होता । इसी तरह अनुपयोगी सामान और कचरों का ढेर लगाया गया उस पर एक लड़के को चढ़ता हुआ बनाया गया यह एक वीडियो मिश्रित कला है इससे सकारात्‍मक और नकारात्‍मक दोनों ही तरह के भाव को दर्शाने का प्रयास किया गया । सकारात्‍मक इस दृष्‍टि से कि अंततः वह लड़का कचरे के ढ़ेर पर चढ़ने में सफल हो ही गया और नकारात्‍मक इस दृष्‍टि से समाज का एक तबका इससे आगे सोच ही नहीं सकता ।[11] आज का समकालीन कलाकार संस्‍थापन कला में नये नये प्रयोग कर रहा है इससे यथासंभव उन भावों की अभिव्‍यक्‍ति में भी सफलता मिलती जहां पारम्‍परिक कलाकर्म में कलाकार स्‍वयं को असहज महसूस करता है।

इस विधा में कार्य करने वाले अन्‍य राष्‍ट्रीय अर्न्‍तराष्‍ट्रीय कलाकारों में डी ला क्रूज एनजेल, ग्रेगलेन, फ्रेंज बेस्‍ट, एलीसन ओलफर, जेफ्री शॉ, सुबोध गुप्‍ता, अनीश कपूर, जेनी होल्‍जर, नितिश कलात, रीना साइनी कलात, तल्‍लूर एल एन, माइकल जो, रीना बेनर्जी इत्‍यादि प्रमुख हैं।


[1] कला विलास -आर ए अग्रवाल-पृ.03

[2] कला समीक्षा-जी के अग्रवाल

[3] विकी पीडिया.अार्ग

[4] डमीस. काम/इंस्‍टालेशन आर्ट

[5] आर्टसाहक्‍लोपीडिया.काम

[6] विकीपीडिया.आर्ग

[7] इंस्‍टालेशनआर्ट.नेट

[8] आर्टलेक्‍स.काम

[9] आर्ट इंडिया अंक13 इशू 2 पृ.53 2008

[10] आर्ट इंडिया अंक 14. 2009

[11] आर्ट इंडिया अंक 13 इशू 2 पृ. 133 2008

 

----

डॉ. रेखा श्रीवास्‍तव

सहा प्राध्‍यापक चित्रकला

शा महारानी लक्ष्‍मी बाई कन्‍या महा.

भोपाल

COMMENTS

BLOGGER: 4
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: रेखा श्रीवास्तव का आलेख : संस्थापन कला – अभिव्यक्ति के बदलते साधन
रेखा श्रीवास्तव का आलेख : संस्थापन कला – अभिव्यक्ति के बदलते साधन
http://lh3.ggpht.com/_t-eJZb6SGWU/SoOv5peh_aI/AAAAAAAAGYU/X_AgmHtxx0M/clip_image002%5B4%5D.jpg?imgmax=800
http://lh3.ggpht.com/_t-eJZb6SGWU/SoOv5peh_aI/AAAAAAAAGYU/X_AgmHtxx0M/s72-c/clip_image002%5B4%5D.jpg?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2009/08/blog-post_13.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2009/08/blog-post_13.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content